शहरी आकर्षण में पलायन |
यह पेज हिंदी के विद्यार्थियों और शिक्षकों के अध्ययन-अध्यापन हेतु शैक्षणिक-सामग्री उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिखा जाता है। यदि यह किसी की सफलता में काम आ सके तो यही इसका मुख्य उद्देश्य और हमारे श्रम का उचित पारिश्रमिक होगा। जय हिन्द, जय हिन्दी।
आप भी बन सकते हैं 'हिंदी कोच'
बुधवार, 13 नवंबर 2024
उठती संस्कृति, गिरते मूल्य..!
रविवार, 10 नवंबर 2024
हँसने वाला अनोखा पेड़ (Unique laughing Tree)
हँसने वाला अनोखा पेड़ |
हँसने वाले पेड़ को गुदगुदाते पर्यटक (विडियो) |
प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, अनोखी विशेषता, स्पर्श, गुदगुदी, शाखाएँ, विशिष्ट, वानस्पतिक, चर्चा का विषय, संवेदनशील, जीव, स्थानीय, निवासियों, पर्यटकों, प्रतिक्रिया, वैज्ञानिकों, वनस्पति शास्त्रियों, रहस्यमयी, अध्ययन, कोशिकाएँ, ऊतकों, रासायनिक तत्व, मौजूद, मात्रा, तापमान, तनाव, अनोखे गुण, शोध, भविष्य, अचंभा, योगदान, वास्तव, मध्यम, चमकदार, अंडाकार, बीजों, छाल, बीमारियों, बुखार, दस्त, त्वचा रोगों, इलाज, इस्तेमाल, जीवों, पक्षियों, भोजन, स्रोत, पर्यावरण संतुलित, सहयोग, प्रदान, सहायक, आकर्षण, विशेष केंद्र, लोककथाओं, अदृश्य शक्ति, संकेत, चमत्कार, अलौकिक, जिज्ञासा, कौतूहल, पर्यटन, पहलुओं, उजागर.
शनिवार, 2 नवंबर 2024
पाती गंगा माँ की ...!
मेरे प्यारे बच्चों,
मैं गंगा हूँ, जिसे भारतवासी 'माँ' कहकर पुकारते हैं। हिमालय की शांत गोद से निकलकर, मैं इस धरती पर जीवन का संचार करती आई हूँ। सदियों से मैं इस देश की आत्मा और संकृति का आधार रही हूँ। मैं अपने अमृततुल्य जल से देश की धरती को सींचती आई हूँ। यहाँ के खेतों में लहलहाती फसलें और फसलों पर झूमती बालियाँ मेरे जल का गुणगान करती थीं। मेरे आँचल पर बसे गाँव, कस्बों और शहरों की रौनक मुझसे रही है। एक समय था जब लोग मेरे जल को अमृत समझते थे। भारतवासियों का कोई व्रत, त्यौहार, पर्व-संस्कार आदि 'गंगाजल' के बिना अधूरा रहा करता था। पर आजकल स्थिति बदल गए हैं। मेरे जल को गंदा किया जा रहा है। मेरे तटों पर कूड़ा फैलाया जा रहा है। कई उद्योगों का मलीन पानी भी मुझमें बहाया जा रहा है। मेरे जल में रहने वाले जीव-जंतु भी खत्म हो रहे हैं।
पवित्र गंगा नदी |
मैं देखी हूँ कि लोग कैसे मेरे तटों पर आकर मुझमें स्नान करते हैं और फिर उसी पानी को गंदा करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में कपड़े धोते हैं, बर्तन साफ करते हैं और यहां तक कि शौच भी करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में मूर्तियाँ विसर्जित करते हैं। मुझे बहुत दुख होता है जब मैं देखती हूँ कि लोग मेरे महत्त्व को भूल रहे हैं। वे मुझे सिर्फ मुझे एक नदी नहीं, बल्कि एक जिवंत देवी मानते थे। लेकिन आजकल वे मुझे सिर्फ एक गंदे नाले के रूप में समझने लगे हैं।
आपको पता है मुझमें बढ़ते हुए इस प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है आपका घरेलू कचरा। घरों से निकलने वाला कचरा सीधे गंगा में बहा दिया जाता है। उद्योगों का गंदा पानी भी गंगा को प्रदूषित करता है। कृषि रसायन जैसे कीटनाशक और उर्वरक भी गंगा के पानी को दूषित करते हैं। धार्मिक-अनुष्ठानों के दौरान मूर्तियाँ और अन्य सामग्री गंगा में विसर्जित की जाती है जो भी एक बड़ा कारण है। बढ़ता प्रदूषण यहाँ के पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इससे मनुष्यों के अलावा पशु-पक्षियों और जलीय जीवों का जीवन संकट में है, मत्स्य पालन का काम प्रभावित हो रहा है और मेरे पानी पीने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, जल-प्रदूषण आसपास के लोगों के आजीविका के साधन पर्यटन को भी प्रभावित कर रहा है।
अपनी गंगा को बचाने के लिए कई आवश्यक कदम उठाने होंगे। सबसे पहले आपको लोगों को गंगा प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा। कचरे को अलग-अलग करके उसका निस्तारण करना होगा। उद्योगों को अपने अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना होगा। खेतों में कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करना होगा। धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल करना होगा। सरकार को भी गंगा को बचाने के लिए सख्त कानून बनाना होगा।
मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मुझे बचाने में मेरी मदद करें। आप अपने घर से निकलने वाला कचरा कूड़ेदान में डालें। आप मेरे जल को प्रदूषित करने से बचें। आप मेरे तटों को साफ रखें। आप दूसरों को भी मेरे संरक्षण के लिए जागरूक करें। यदि आपने ऐसा किया तो मैं फिर से उतनी ही स्वच्छ और निर्मल हो जाऊंगी जैसी पहले थी। मैं फिर से लोगों को जीवनदान दूंगी। मैं फिर से धरती की शोभा बढ़ाऊंगी।
आप सभी से मेरी यही विनती है कि आप मुझे बचाएं। मैं आपकी माँ हूँ, आपकी बहन हूँ, आपकी दोस्त हूँ। आप मुझे बचाकर अपना कर्तव्य निभाएं।
आपकी अपनी नदी
- गंगा
सोमवार, 26 फ़रवरी 2024
कंबाला महोत्सव : कृषक सांस्कृतिक उत्सव का संगम
कंबाला भैंसों की एक साहसिक दौड़ प्रतियोगिता है जो तटीय कर्नाटक जिलों में लोकप्रिय है। 'कंबाला' को हिंदी में 'भैंसों की दौड़ या भैंसेगाड़ी की दौड़' कह सकते हैं। इसमें कीचड़ भरे मैदान में भैंस दौड़ती हैं। कंबाला ग्रामीणों के लिए एक शानदार खेल और मनोरंजन कार्यक्रम है और पर्यटकों और फोटोग्राफरों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। यह दौड़ कीचड़ से भरे दो समानांतर ट्रैक पर होने वाली रोमांचक दौड़ होती है। इस कार्यक्रम के दौरान राज्य की राजधानी में 'संपूर्ण तटीय कर्नाटक संस्कृति’ की झलक देखने को मिलती है। यह दौड़ कर्नाटक की 700 वर्षों से अधिक पुरानी सांस्कृतिक धरोहर है। कंबाला कार्यक्रम धान की कटाई के बाद शुरू होते हैं, जो आमतौर पर अक्टूबर के महीने में होता है। नवंबर से मार्च के बीच तुलुनाडु (कर्नाटक के दक्षिणी जिलों में जो तुलु भाषी क्षेत्र हैं) के विभिन्न हिस्सों में कंबाला कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। तटीय कर्नाटक के 45 से अधिक विभिन्न गाँव हर साल कंबाला दौड़ मनाते हैं। कुछ लोकप्रिय स्थलों में फ़्रेम मैंगलोर, मूडुबिदिरे, पुत्तूर, कक्केपाडावु, कुलुरु, सुरथकल, उप्पिनंगडी, दोस्त आदि प्रमुख हैं। इस आयोजन में प्रतिवर्ष 2 से 3 लाख आगंतुक आते हैं।
कंबाला महोत्सव में भैंसों की दौड़ (छवि स्रोत-भारतीय पर्यटन मंत्रालय) |
मंगलवार, 21 नवंबर 2023
छठ पर्व की छटा निराली - स्वास्थ्य और संस्कृति का संगम
छठ महापर्व पर सूर्य को अर्घ्य देती महिला |
विटामिन-डी |
बैक्टीरिया हमारे चारों तरफ हैं। इनमें से ज्यादातर तो हमें कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन कुछ हमें बहुत बीमार बना सकते हैं। फिक्र मत कीजिए अपने घर की खिड़की खोल के जरा धूप अंदर आने दीजिए और इन बीमार करने वाले बैक्टीरिया को मार भगाइए। धूप बैक्टीरिया भी खत्म करती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगॉन में इस बारे एक रिसर्च हुई, जिसमें देखा गया कि एक अंधेरे कमरे में बैक्टीरिया 12% थे। लेकिन जब उस कमरे में धूप आने दी गई तो बैक्टीरिया की आबादी घटकर 6% हो गई।
धूप हड्डियों और विटामिन-डी को तो दुरुस्त रखती ही है। ये ब्लड प्रेशर भी घटाती है। ये जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ हैम्पटन में हुई एक रिसर्च में सामने आई। रिसर्च में पता चला कि धूप में रहने से नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) गैस हमारी स्किन के जरिए ब्लड वेसेल्स में पहुंच जाती है। ब्लड वेसेल्स को सिकुड़ने से रोक कर ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करती है। हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट डिजीज और किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में धूप ब्लड प्रेशर काबू में रख कर, इन बीमारियों का खतरा भी कम कर सकती है।
आपने कभी ध्यान दिया है कि कुछ लोग बिना घड़ी देखे सही समय पर जग जाते हैं। इसके पीछे भी एक विज्ञान है। वह है हमारे शरीर की जैविक-घड़ी। दरअसल, हम आँखों से देखकर तो दिन-रात का अंदाजा लगाते हैं। हमारे शरीर में कोशिकाएं भी दिन और रात के बारे में जानकारी रखती हैं और उसी हिसाब से काम करती हैं।लेकिन आजकल रात में फोन की स्क्रीन और तेज लाइटों से हम अपने दिमाग को कंफ्यूज कर देते हैं। और हमारा स्लीप साइकिल बिगड़ जाता है। फिक्र मत कीजिए धूप इसे सही करने में भी हमारी मदद कर सकती है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि सुबह की रोशनी में रहने से दिमाग में मेलाटोनिन नाम का एक केमिकल निकलता है, जो हमारी नींद सुधारने में मदद करता है।
हमारे ग्रंथों में भी सुबह सूर्य की आराधना को खास अहमियत दी गई है और बताया गया है कि सुबह में सूर्य नमस्कार कई बीमारियों को दूर रखता है।अमेरिकन नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन मैगजीन में छपी एक स्टडी के मुताबिक विटामिन-डी की कमी का एंग्जायटी और मूड से सीधा कनेक्शन है। ‘काम योर माइन्ड विथ फूड‘ की लेखिका, न्यूट्रिशनिस्ट और साइकिएट्रिस्ट डॉ. उमा नायडू बताती हैं कि इस दिशा में हुए कई शोध ये इशारा करते हैं कि विटामिन-डी डिप्रेशन और एंग्जायटी के खिलाफ भी असरदार है। विटामिन-डी दिमाग में न्यूरो-स्टेरॉइड नाम के केमिकल की तरह काम करता है और एंग्जायटी से लड़ने में मदद करता है।कुछ लोगों को मौसम बदलने के साथ भी डिप्रेशन होता है। मेडिकल साइंस की भाषा में इसे ‘सीजनल इफेक्टिव डिसॉर्डर’ कहते हैं। लोग इसके शिकार सर्दियों में ज्यादा होते हैं, इसलिए इसे विंटर डिप्रेशन भी कहा जाता है।
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में ये भी देखा गया कि दिन में पर्याप्त रौशनी और धूप वाली जगह में रहकर इस तरह के डिप्रेशन से बचा जा सकता है। मतलब धूप सिर्फ ‘कोई मिल गया’ फिल्म के जादू के लिए नहीं जरूरी, ये हमारे लिए भी बड़ी फायदेमंद है। तो देर किस बात की खिड़की खोलिए और थोड़ा जगमगाती धूप अंदर आने दीजिए।
साभार - दैनिक भाष्कर
शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023
सूचना (नोटिस) लेखन : सार्वजनिक जागरूकता का सशक्त माध्यम
"एक लेखन कौशल है जिसका उद्देश्य लोगों को अद्यतन जानकारी देना होता है।सूचना कम शब्दों में औपचारिक शैली में लिखी गई संक्षिप्त जानकारी होती है। किसी विशेष जानकारी को सार्वजनिक करना 'सूचना लेखन' कहलाता है।"
अथवा
"दिनांक और स्थान के साथ भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों आदि के विषय में दी गई लिखित जानकारी 'सूचना' कहलाती है।"
उदाहरणार्थ - अपने नाम परिवर्तन की सूचना, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, व्यापारिक संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक कार्यक्रमों, सांस्कृतिक अवसरों पर की जाने वाली सूचनाएँ आदि।
सूचना लेखन में सरलता, सुसंगत और संक्षिप्त भाषा का उपयोग किया जाता है ताकि पाठक आसानी से सूचना को समझ सकें। सूचना लेखन का महत्वपूर्ण लक्ष्य यह होता है कि आपके पाठकों को अपनी सूचना को ठीक से समझाएं ताकि उन्हें अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त हो सके और वे अगले कदम की योजना बना सकें।
सूचना लेखन के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं, जैसे कि विषय को स्पष्ट करना, महत्वपूर्ण तथ्यों को व्यवस्थित करना, अनुक्रमणिका या शीर्षक का उपयोग करना, संक्षेप और सरल भाषा का उपयोग करना, और आवश्यकता अनुसार ग्राफिक्स, चित्र, या टेबल का उपयोग करना।
साभार- www.hindi0549.com |
जनता स्थानीय विद्यालय, दिल्ली
आप अपने को विद्यालय के छात्र परिषद का सचिव मानते हुए निम्नलिखित सूचना लेखन कीजिए।
"रक्तदान, महादान" |
आपका लेखन 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
आप अपने लेखन में निम्नलिखित बिन्दुओं को अवश्य शामिल करें।
- रक्त की जांच और रक्तदान प्रमाण-पत्र जांच मुफ्त।
- रक्तदान एक त्वरित, सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है।
- 'रक्तदान महादान, बचाए जरूरतमंद लोगों की जान।'
रविवार, 8 अक्तूबर 2023
तिल के बीजों में है ताकत पहाड़ सी
तिल का तेल |
आप को यह भी जानकार आश्चर्य होगा कि आज हम जिस 'तेल' शब्द का रोज़मर्रा के जीवन में प्रयोग करते हैं दरअसल उसकी उत्पत्ति भी 'तिल' से हुई है। संस्कृत भाषा में तेल के लिए 'तैल' शब्द का प्रयोग मिलता है। 'तैल' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिल' शब्द से ही हुई है। तैल का अर्थ है कि 'वह जो तिल से निकलता हो। अर्थात 'तेल' का असल अर्थ ही है 'तिल का तेल'। यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसका प्रयोग सदियों से भारतवर्ष में होता रहा है। प्रत्येक मांगलिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ तिल के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करके करने की प्राचीन परंपरा रही है। आज भी चाहे आपको कोई भी रोग हो तिल का तेल इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में उस व्याधि से लड़ने की क्षमता यह विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में विरले ही पाया जाता।
बादाम का तेल |
काला, सफ़ेद और लाल तिल |
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एसिड होता है जो बीमारियों को दूर रखता है। सिस्मोल में विटामिन ई जैसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकते हैं। तिल के तेल के अंदर आपको बिटामिन- ए, बी, सी, डी, और ई का सारा संसार मिल जाता है। तिल के तेल का उपयोग भारतीय खाद्य व्यवसाय तथा खाद्य बाजार में कायम में होता है। यह तेल ज्यादातर खाद्य बनाने में प्रयोग होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, लड़्डू, चिक्की, पट्टी और बाड़ी आदि। इनके अलावा, यह तेल को भोजन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, खासकर साग और सब्ज़ियों के साथ। इसमें लौह की मात्रा भरपूर होने से महिलाओं के लिए अनेमिया के इलाज़ में भी कारगर सिद्ध होता है।
तिल के तेल के फायदे -
- स्वास्थ्य लाभ: तिल के तेल में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-ई, बी, और ए के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैसियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, आदि होते हैं, जो कि बड़े फायदेमंद होते हैं।
- त्वचा के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में प्राकृतिक तरीके से मौजूद विटामिन-ई की वजह से यह त्वचा को मुलायम बनाता है और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
- हृदय रोग में फायदेमंद: तिल के तेल में पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं, जो ह्रदय के लिए फायदेमंद होते हैं।
- वजन नियंत्रण: तिल के तेल में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
- बढ़ती ऊर्जा: तिल के तेल का सेवन करने से बॉडी में ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे थकान और कमी कम होती है।
- आंखों के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में विटामिन-ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
- तंतु की समस्या के लिए: तिल के तेल का सेवन करने से तंतु सुस्त होती है, जिससे समय तक यौन संबंध बनाए रखना संभव होता है।
- मस्तिष्क के लिए फायदेमंद: तिल के तेल के सेवन से मस्तिष्क की कार्यशीलता बढ़ती है और मस्तिष्क के रक्तसंचार को सुधारता है।
- डायबीटीज का इलाज़: तिल के तेल का सेवन करने से डायबीटीज के लिए फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर का रक्तचाप और रक्त शर्करा कंट्रोल में आता है।
- कैंसर की रोकथाम: तिल के तेल में विटामिन ई और अंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कैंसर के खिलाफ कार्य करते हैं।
- खाद्य व्यंजन: तिल के तेल का उपयोग बहुत सारे खाद्य व्यंजन बनाने में होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, बाड़ी, लड़्डू, चिक्की, और साग और सब्ज़ियों को बनाने में भी होता है।
- दूध या दही में: तिल के तेल को दूध या दही के साथ सलाद आदि में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
- रोज़ के खाने के साथ: आप तिल के तेल को रोज़ के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि साग और सब्ज़ियों के साथ।
- मालिश में उपयोगी : मालिश के रूप में तिल के तेल का सेवन किया जा सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में। तिल के तेल से शारीरिक आराम और मानसिक सुख चैन के लिए एक अच्छे मालिश तेल के रूप में किया जा सकता है।
तिल के तेल के नुकसान
- कॉलेस्ट्रॉल का वृद्धि: अगर आपका खून कॉलेस्ट्रॉल हाइ है, तो तिल के तेल का उपयोग कम करें, क्योंकि इसमें पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं जो कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।
- अलर्ज़ी की समस्या: तिल के तेल से एलर्ज़ी की समस्या हो सकती है, जिसका स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
- बच्चों के लिए खतरा: बच्चों के लिए तिल के तेल का सेवन विशेषत:रूप से सूजी और घी के साथ नहीं करें, क्योंकि इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो कि उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
- मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन में सतर्क रहना चाहिए क्योंकि तिल के तेल का सेवन से उनका रक्तचाप और रक्त-शर्करा बढ़ने की संभवना होती है। गर्भवती महिलाओं को तिल के तेल का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भावस्था के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। इन बातों का ध्यान रखकर तिल के तेल का सेवन करें और इसके लाभ प्राप्त करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें, खासकर अगर आपका किसी तरह का शारीरिक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या है।
गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023
हल्दी एक : गुण अनेक
कच्ची हल्दी |
- लैटिन नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
- अंग्रेजी नाम : टर्मरिक (Turmeric)
- पारिवारिक नाम : जिन्जिबरऐसे (Zingiberaceae)
हालांकि लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ इसे हरिद्रा के रूप में भी जाना जाता है, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अनुसार, किसी भी बीमारी के इलाज के लिए हल्दी या उसके घटक, 'करक्यूमिन' का उपयोग करने की नैदानिक संस्तुति दी है। हल्दी को एक ऐन्टीसेप्टिक के रूप में सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों जैसे - साबुन, गोरेपन की क्रीम, त्वचा में प्रकृतिक निखार लाने, कील-मुहाँसे से बचने व दाग-धब्बे रहित त्वचा पाने के लिए हल्दी और चंदन के मिश्रण वाले उत्पादों की मांग रहती है।
हल्दी: भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण रंग और स्वास्थ्य का सूत्र"
हल्दी वाला दूध (उकाला) |
हल्दी (Turmeric) भारतीय साहित्य, संस्कृति, और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका महत्व शादी समारोह से लेकर रसोईघर तक कई पहलुओं में दिखता है। हल्दी के यह विभिन्न पहलु हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक, और आयुर्वेदिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमारे दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में उपस्थित होते हैं।
भारतीय परंपरा में हल्दी का महत्व:
शादी और अन्य समारोहों में: हल्दी का प्रयोग भारतीय शादियों में एक महत्वपूर्ण रस्म के रूप में किया जाता है। इसका मकसद दुल्हन और दुल्हे को उनकी त्वचा को सुंदर बनाने के लिए कुर्क्यूमिन के गुणकारी प्रभाव का उपयोग करना होता है। हल्दी के इस उपयोग से न केवल त्वचा की चमक बढ़ती है, बल्कि यह एक परिवारीय समारोह के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
धार्मिक और पौराणिक महत्व: हल्दी की रस्म का महत्व धार्मिक और पौराणिक कथाओं में भी पाया जाता है। कुछ समुदायों में, हल्दी का इस्तेमाल एक पवित्र घटना के रूप में किया जाता है और यह शुभकामनाओं के लिए और सुरक्षा के लिए प्राचीन रूप में मान्यता प्राप्त है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में: हल्दी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक प्रमुख औषधि माना जाता है। इसमें कुर्क्यूमिन के गुण होते हैं जो सूजन को कम करने, इंफ्लेमेशन को नियंत्रित करने, और अन्य बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं। हल्दी एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है जो हमें कई तरह की शारीरिक समस्याओं सहित त्वचा संबंधित समस्याओं से भी सुरक्षित रखती है। हल्दी का उपयोग त्वचा की देखभाल के लिए कोई आज से नहीं बल्कि सालों से किया जा रहा है। त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने में हल्दी बहुत ही फायदेमंद होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की लालिमा को शांत करने, दाग-धब्बों को कम करने, त्वचा को चमकदार बनाने और एक्ने की समस्या से छुटकारा दिलाने में प्रभावशाली होती हैं।
रसोईघर में: हल्दी का उपयोग रसोईघर में भी होता है, और यह खाने में और मसालों में रंग और स्वाद में भी उपयोग होता है। हल्दी वाला चाय और अन्य व्यंजनों का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
भारतीय समाज में हल्दी जन्म से लेकर आजीवन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमारे समाज, संस्कृति, और स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं के साथ इसका गहरा संबंध है। यह एक रंग के रूप में और स्वास्थ्य के सूत्र के रूप में हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे दैनिक जीवन को सजाने और सुंदर बनाने में मदद करता है।
संदर्भ ग्रंथ :-
मंगलवार, 26 सितंबर 2023
पवित्र तुलसी: जीवन अमृत स्वरूपा, वनौषधियों की रानी
शुक्रवार, 22 सितंबर 2023
आदर्श विद्यार्थी जीवन: नेतृत्व प्रदर्शन का प्रथम सोपान
विद्यार्थी जीवन छात्रों के लिए नेतृत्व कौशलों को विकसित करने का पहला महत्वपूर्ण माध्यम होता है। यह जीवन का अवसर होता है जब छात्र अपने आप को व्यक्त करने, अन्यों को प्रेरित करने, और वैयक्तिक और सामाजिक स्तर पर नेतृत्व कौशल विकसित कर सकते हैं।
विद्यार्थी जीवन के नेतृत्व से सीख: गर्व नहीं, सहयोग
छात्र-परिषद का चुनाव |
मानव वादी नेता: आदर्श विद्यार्थी का पूर्ण रूप से वर्णन
मानव वादी नेता ही "आदर्श विद्यार्थी" का पूरक होता है। मानववादी नेता को समझने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि आदर्श विद्यार्थी कौन होता है और क्यों वह मानव वादी नेता के रूप में कैसे मान्यता प्राप्त करता है?
आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएँ:
- शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: आदर्श विद्यार्थी शिक्षा के प्रति गहरा समर्पण और प्रतिबद्धता रखता है। वह अपनी शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देता है और ज्ञान के माध्यम से समाज को बदलने का संकल्प रखता है।
- सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पालन: वह उच्च सामाजिक और नैतिक मूल्यों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध पूर्वक अनुसरण करता है। उसके व्यवहार में ईमानदारी, साहस, सहयोग झलकता है।
- सकारात्मक सेवा भाव: आदर्श विद्यार्थी समाज के उत्थान के लिए सकारात्मक योगदान करने के लिए प्रोत्साहित रहता है। वह समाज में सेवा के क्षेत्र में अपने समय और योग्यता का दान करता है।
- नेतृत्व कौशल: वह नेतृत्व कौशलों को समझता है और अपनी प्राकृतिक नेतृत्व का उपयोग समुदाय के लाभ के लिए करता है। वह दूसरों को प्रेरित करने और मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है।
- संवाद कौशल और जागरूकता: आदर्श विद्यार्थी समाज में जागरूकता पैदा करता है और विभिन्न मुद्दों पर जन-संवाद करने के लिए सक्षम होता है। वह समस्याओं के समाधान के लिए समाज के साथ सहयोग करता है।
- स्वतंत्रता का मूल्यांकन: वह स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण मानता है और सोचने और विचार करने के लिए स्वतंत्रता का समर्थन करता है, जिससे वह नई विचार और समाधानों का खोज कर सकता है।
- आदर्श साथी: वह अपने साथी छात्रों के प्रति समर्पित होता है और उनके उत्तरदायित्व का पूरा करता है। वह एक साथी के रूप में संबंध बनाने, सहयोग करने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करता है।
- समाज में प्रेरणा: आदर्श विद्यार्थी अपने व्यक्तिगत और शैली से समाज को प्रेरित करता है। उसकी उपलब्धियाँ और सफलता दूसरों को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है।
- निःस्वार्थ सेवा: आदर्श विद्यार्थी अपने समाज के प्रति निःस्वार्थ और समर्पण भाव से सेवा करता है, वह बिना किसी पद अथवा उपाधि की लालसा के केवल कर्म के प्रति ईमानदार नेता होना चाहिए। वह सेवा का आनंद लेने वाला होना चाहिए। 'सेवापरमोधरमः' अर्थात् ' सेवा ही सर्वोच्च धर्म है।' यही मानकर समाज को बेहतर बनाने का संकल्प करना चाहिए।
आदर्श विद्यार्थी अपने सभी गुणों और कौशलों के साथ एक मानववादी नेता के रूप में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह शिक्षा का प्रणेता होता है, सामाजिक सेवा करता है, और नेतृत्व कौशलों का प्रयोग करके समाज को सुधारने में मदद करता है। इस तरह के आदर्श विद्यार्थी हमारे समाज के नेतृत्व की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हैं और एक बेहतर और समर्थक समाज की दिशा में मानववादी नेताओं की तरह काम करते हैं।आदर्श विद्यार्थी जीवन छात्रों को नेतृत्व कौशल विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, लेकिन सच है कि आदर्श नेतृत्व के लिए केवल अच्छे छात्र होने से काम नहीं चलेगा। नेतृत्व विशेषज्ञता, विश्वास, और सेवा के प्रति निरंतर समर्पण से बनता है।
अभ्यास कार्य -
मंगलवार, 12 सितंबर 2023
हमारा स्वास्थ्य और वनौषधियाँ (Herbal medicines)
वनौषधियाँ चिकित्सा प्रणाली का अंग होती हैं, इन्हें औषधियों के रूप में विभिन्न रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। वनस्पतियों के अलग-अलग भागों जैसे कि फल, फूल, पत्तियाँ, बीज, तना, छाल एवं जड़ों आदि को अर्क अथवा चूर्ण आदि के रूप में औषधि स्वरूप उपयोग किया जाता है।
- घरेलू चिकित्सा: हमारे घरों में दादी-नानी के नुस्खे के नाम से सदियों से नीम, तुलसी, बबूल, हींग, लहसुन, लौंग, जीरा, इलायची, सौंफ़, अदरक, हल्दी-प्याज आदि वनौषधियाँ का प्रयोग आम बीमारियाँ जैसे - सर्दी, खाँसी, जुकाम, बुखार, खुजली, पेट-दर्द, दाँत-दर्द, सिर-दर्द, सूजन, मोच, आदि के लिए किया जाता रहा है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सा: वनौषधियाँ आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आयुर्वेद में कई प्रकार की वनौषधियों का उपयोग जटिल एवं पुराने रोगों के इलाज में किया जाता है।
- आधुनिक चिकित्सा: इसमें भी वनौषधियों का खूब महत्व है। कई औषधियाँ वनस्पतियों से बनाई जाती हैं, जैसे कि विभिन्न प्रकार की ब्यूटी औषधियाँ, टेस्टोस्टेरोन की वृद्धि को बढ़ावा देने वाली औषधियाँ, और अन्य रोगों के इलाज के लिए उपयोग होती हैं।
- सौंदर्य प्रसाधन: वनौषधियाँ सौंदर्य और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। कई प्रकार की हर्बल फेस पैक्स, लोशन्स, और क्रीम्स में वनौषधियों का उपयोग किया जाता है।
- पर्यावरण संरक्षण: वनौषधियाँ पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। जब हम वनस्पतियों का सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो हम वनस्पतियों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक वास्तविकता को बनाए रखने में मदद करते हैं।
वनौषधि और जड़ी-बूटी में अंतर
आमतौर में जनभाषा में लोग वनौषधि के बदले में 'जड़ी-बूटी' शब्द का प्रयोग करते हैं। ये दोनों काफी करीबी शब्द है। उनमें जो अंतर है, उसे निम्नलिखित बिन्दुओं में समझने का प्रयास किया जा सकता है।
वनौषधियाँ |
जड़ी-बूटी |
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संवेदनशीलता और जागरूकता
हमें वनौषधियों के महत्व के प्रति संवेदनशील और जागरूक रहना चाहिए। वनस्पतियों की संरक्षण के लिए हमें वनस्पतियों के विविधता का ज्ञान रखना चाहिए, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को भी इनके लाभों का आनंद उठाने का मौका दे सकें। वनौषधियाँ हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इनका सही तरीके से उपयोग करना हमारे लिए लाभकारी हो सकता है। इसके साथ ही, हमें वनस्पतियों के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी इनके लाभों का आनंद उठाने का मौका मिले।
महत्वपूर्ण वनौषधियाँ -
यहां कुछ प्रमुख वनौषधियाँ का उल्लेख हैं जिन्हें विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में उपयोग किया जाता है:- आहार विचार - क्या खाएँ?
- समृद्ध जीवन शैली का आधार: हमारी अच्छी आदतें
- पवित्र तुलसी : जीवन अमृत स्वरूपा , वनौषधियों की रानी
- जड़ से भगाएँ रोग : बस करते रहे नियमित व्यायाम और योग
- शब्दबोध - स्वास्थ्य संबंधित शब्दावली (Health related Vocabulary)
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