आप भी बन सकते हैं 'हिंदी कोच'

आप भी बन सकते हैं 'हिंदी कोच' हिंदी के लिए शिक्षण सामग्री तैयार करना एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया हैं। इसलिए हमें लगातार कंटैंट लेखन, वेब-प्रबंधन के लिए योग्य सहयोगियों की आवश्यकता रहती है। तो यदि आप इस महती कार्य में अपना अमूल्य योगदान देना चाहते हैं तो हमें संपर्क करना ना भूलें। आपकी सामग्री आपके नाम के साथ प्रकाशित की जाएगी जिससे लोग आपके ज्ञान से लाभान्वित हो सकें। धन्यवाद।
स्वास्थ्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
स्वास्थ्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 2 नवंबर 2024

पाती गंगा माँ की ...!

मेरे प्यारे बच्चों, 

मैं गंगा हूँ, जिसे भारतवासी 'माँ' कहकर पुकारते हैं। हिमालय की शांत गोद से निकलकर, मैं इस धरती पर जीवन का संचार करती आई हूँ। सदियों से मैं इस देश की आत्मा और संकृति का आधार रही हूँ। मैं अपने अमृततुल्य जल से देश की धरती को सींचती आई हूँ। यहाँ के खेतों में लहलहाती फसलें और फसलों पर झूमती बालियाँ मेरे जल का गुणगान करती थीं। मेरे आँचल पर बसे गाँव, कस्बों और शहरों की रौनक मुझसे रही है। एक समय था जब लोग मेरे जल को अमृत समझते थे। भारतवासियों का कोई व्रत, त्यौहार, पर्व-संस्कार आदि 'गंगाजल' के बिना अधूरा रहा करता था। पर आजकल स्थिति बदल गए हैं। मेरे जल को गंदा किया जा रहा है। मेरे तटों पर कूड़ा फैलाया जा रहा है। कई उद्योगों का मलीन पानी भी मुझमें बहाया जा रहा है। मेरे जल में रहने वाले जीव-जंतु भी खत्म हो रहे हैं।

पवित्र गंगा नदी 

मैं देखी हूँ कि लोग कैसे मेरे तटों पर आकर मुझमें स्नान करते हैं और फिर उसी पानी को गंदा करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में कपड़े धोते हैं, बर्तन साफ करते हैं और यहां तक कि शौच भी करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में मूर्तियाँ विसर्जित करते हैं। मुझे बहुत दुख होता है जब मैं देखती हूँ कि लोग मेरे महत्त्व को भूल रहे हैं। वे मुझे सिर्फ मुझे एक नदी नहीं, बल्कि एक जिवंत देवी मानते थे। लेकिन आजकल वे मुझे सिर्फ एक गंदे नाले के रूप में समझने लगे हैं।

आपको पता है मुझमें बढ़ते हुए इस प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है आपका घरेलू कचरा। घरों से निकलने वाला कचरा सीधे गंगा में बहा दिया जाता है। उद्योगों का गंदा पानी भी गंगा को प्रदूषित करता है। कृषि रसायन जैसे कीटनाशक और उर्वरक भी गंगा के पानी को दूषित करते हैं। धार्मिक-अनुष्ठानों के दौरान मूर्तियाँ और अन्य सामग्री गंगा में विसर्जित की जाती है जो भी एक बड़ा कारण है। बढ़ता प्रदूषण यहाँ के पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इससे मनुष्यों के अलावा पशु-पक्षियों और जलीय जीवों का जीवन संकट में है, मत्स्य पालन का काम प्रभावित हो रहा है और मेरे पानी पीने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, जल-प्रदूषण आसपास के लोगों के आजीविका के साधन पर्यटन को भी प्रभावित कर रहा है।

अपनी गंगा को बचाने के लिए कई आवश्यक कदम उठाने होंगे। सबसे पहले आपको लोगों को गंगा प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा। कचरे को अलग-अलग करके उसका निस्तारण करना होगा। उद्योगों को अपने अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना होगा। खेतों में कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करना होगा। धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल करना होगा। सरकार को भी गंगा को बचाने के लिए सख्त कानून बनाना होगा।

मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मुझे बचाने में मेरी मदद करें। आप अपने घर से निकलने वाला कचरा कूड़ेदान में डालें। आप मेरे जल को प्रदूषित करने से बचें। आप मेरे तटों को साफ रखें। आप दूसरों को भी मेरे संरक्षण के लिए जागरूक करें। यदि आपने ऐसा किया तो मैं फिर से उतनी ही स्वच्छ और निर्मल हो जाऊंगी जैसी पहले थी। मैं फिर से लोगों को जीवनदान दूंगी। मैं फिर से धरती की शोभा बढ़ाऊंगी।

आप सभी से मेरी यही विनती है कि आप मुझे बचाएं। मैं आपकी माँ हूँ, आपकी बहन हूँ, आपकी दोस्त हूँ। आप मुझे बचाकर अपना कर्तव्य निभाएं।

आपकी अपनी नदी 

-  गंगा 

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024

आयुर्वेद में विदेशियों की बढ़ती आस्था

आयुर्वेद, भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली, आज केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। इस चित्र में फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने अपने अनुभव के आधार पर आयुर्वेद के लाभों को साझा करते हुए बताया कि कैसे विदेशी लोग अब आयुर्वेद का महत्व समझने लगे हैं और इसके उपचार के लिए भारत आते हैं। यह भारतीय संस्कृति और ज्ञान की महत्ता को उजागर करता है, जो हमारी जीवन शैली में समृद्धि लाने में सक्षम है। इसके बावजूद, भारतीय मानसिकता में एक बड़ा वर्ग आज भी आधुनिक चिकित्सा को ही प्राथमिकता देता है और आयुर्वेद की महत्ता को पूरी तरह स्वीकार नहीं करता।
आयुर्वेद केवल शरीर के रोगों का उपचार ही नहीं करता, बल्कि व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य, मानसिक शांति, और भावनात्मक संतुलन पर भी ध्यान केंद्रित करता है। पश्चिमी देशों में, जहां लोगों की जीवनशैली तनावपूर्ण और अस्वास्थ्यकर है, वहां आयुर्वेद एक प्राकृतिक और स्वस्थ विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। विदेशियों की यह मानसिकता हमें यह समझने के लिए प्रेरित करती है कि भारत के पास पहले से ही एक ऐसा बहुमूल्य खजाना है, जिसे अपनाकर हम अपने जीवन में सुधार ला सकते हैं।
हालांकि, भारत में एक बड़ी आबादी अभी भी पश्चिमी चिकित्सा पद्धति पर अधिक भरोसा करती है। यह एक प्रकार की उपनिवेशवादी मानसिकता का परिणाम हो सकता है, जिसमें हमें यह सिखाया गया था कि पश्चिमी तकनीक और ज्ञान श्रेष्ठ हैं। इसके विपरीत, आयुर्वेद में वे प्राकृतिक और सरल उपाय हैं जो न केवल बीमारी का इलाज करते हैं, बल्कि जीवन जीने के सही तरीकों को भी सिखाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर, मन, और आत्मा का संतुलन बनाए रखने से ही पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
तमाम बड़ी हस्तियां, जो खुद आयुर्वेद को अपना रहे हैं, यह उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि कैसे इस चिकित्सा पद्धति के जरिए वे स्वस्थ और संतुलित जीवन जी रहे हैं। उनके अनुसार, केरल में बिताए गए उनके 14 दिन के अनुभव ने उन्हें आयुर्वेद के महत्व का एहसास कराया। वे यह भी बताते हैं कि ब्रिटिश और अन्य विदेशी लोग भी अब भारत आकर आयुर्वेदिक उपचार करवाते हैं, जो एक बड़ा संकेत है कि दुनिया इसे स्वीकार कर रही है।
भारतीयों को अब इस बात पर गर्व करना चाहिए कि उनका देश आयुर्वेद जैसी एक अमूल्य प्रणाली का जनक है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर भी जोर देती है। इसका उपयोग कर हम केवल बीमारियों से बचाव नहीं कर सकते, बल्कि जीवन के हर पहलू में सामंजस्य बना सकते हैं। आयुर्वेद का यह सन्देश है कि स्वस्थ रहना हमारी जिम्मेदारी है और इसे हम प्राकृतिक तरीकों से भी प्राप्त कर सकते हैं। 
अंत में, यह समझना आवश्यक है कि हमें अपने पारंपरिक ज्ञान और विरासत को कम नहीं आंकना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा जहां जरूरी है, वहीं आयुर्वेद एक समग्र और प्राकृतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो दीर्घकालिक रूप से हमारे जीवन को अधिक सुखमय और स्वस्थ बना सकता है। भारतीय और विदेशी, दोनों ही आयुर्वेद से लाभान्वित हो सकते हैं, और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे अपनी जीवनशैली में स्थान दें।

मंगलवार, 21 नवंबर 2023

छठ पर्व की छटा निराली - स्वास्थ्य और संस्कृति का संगम

छठ महापर्व पर सूर्य को अर्घ्य देती महिला  
उत्तर भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ के पर्व को विशेष महत्व दिया जाता है। यह पर्व इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन लोग किसी मंदिर में जाकर पूजा-पाठ नहीं करते, बल्कि प्रकृति की गोद में आराधना करते हैं। दरअसल छठ के पर्व में सूर्य देव को बहुत महत्व दिया जाता है। इसकी शुरुआत सुबह सूर्य देव के जलाभिषेक से होती है और समापन भी इसी तरह से होता है। हमारे ग्रंथों में भी सूर्य को सुबह जल चढ़ाने को विशेष बताया गया है। लेकिन ये सिर्फ परंपरा है या इसके पीछे कुछ विज्ञान भी है। धूप से मिलने वाले विटामिन-D के बारे में तो हम जानते हैं लेकिन क्या धूप के और भी फायदे हैं? आज का विज्ञान सूर्य की रौशनी और हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में क्या कहता है, आइए इस ब्लॉग में समझने की प्रयास   करते हैं

विटामिन-डी
विटामिन-डी को 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है। क्योंकि ये धूप से मिलता है और कुछ चुनिंदा विटामिन में से है, जिन्हें हमारा शरीर खुद बना सकता है। लेकिन एक विडंबना ये भी है कि फ्री में बनने वाले इस विटामिन की भी हमारे देश के लोगों में कमी है। टाटा 1mg के एक सर्वे में देखा गया कि 76% भारतीय विटामिन-डी की कमी से ग्रस्त हैं। दिन के आधे घंटे में बन जाने वाला ये विटामिन भी आज हम लोगों में कम है। शायद इसी लिए हमारे पूर्वज सूर्य को इतनी अहमियत देते थे। सूर्य की पूजा के पीछे चाहे जो कारण रहे हों। लेकिन आज विज्ञान भी ये मानता है कि सूरज कि रोशनी हमारे लिए कितनी जरूरी है।
कैल्शियम हमारी हड्डियों के लिए कितना जरूरी है। कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और कमजोर हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। हल्की सी चोट और हड्डी चटकी, लेकिन इससे बचने में धूप हमारी मदद कर सकती है। दरअसल, धूप से बनने वाला विटामिन-डी कैल्शियम को सोखने में अहम भूमिका निभाता है। और उन्हें मजबूत बनाता है। कितना भी कैल्शियम खा लें, बिना विटामिन-डी के उसे अब्सॉर्ब करना मुश्किल हो जाता है।

बैक्टीरिया हमारे चारों तरफ हैं। इनमें से ज्यादातर तो हमें कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन कुछ हमें बहुत बीमार बना सकते हैं। फिक्र मत कीजिए अपने घर की खिड़की खोल के जरा धूप अंदर आने दीजिए और इन बीमार करने वाले बैक्टीरिया को मार भगाइए। धूप बैक्टीरिया भी खत्म करती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगॉन में इस बारे एक रिसर्च हुई, जिसमें देखा गया कि एक अंधेरे कमरे में बैक्टीरिया 12% थे। लेकिन जब उस कमरे में धूप आने दी गई तो बैक्टीरिया की आबादी घटकर 6% हो गई।

धूप हड्डियों और विटामिन-डी को तो दुरुस्त रखती ही है। ये ब्लड प्रेशर भी घटाती है। ये जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ हैम्पटन में हुई एक रिसर्च में सामने आई। रिसर्च में पता चला कि धूप में रहने से नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) गैस हमारी स्किन के जरिए ब्लड वेसेल्स में पहुंच जाती है। ब्लड वेसेल्स को सिकुड़ने से रोक कर ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करती है। हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट डिजीज और किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में धूप ब्लड प्रेशर काबू में रख कर, इन बीमारियों का खतरा भी कम कर सकती है।

आपने कभी ध्यान दिया है कि कुछ लोग बिना घड़ी देखे सही समय पर जग जाते हैं। इसके पीछे भी एक विज्ञान है। वह है हमारे शरीर की जैविक-घड़ी। दरअसल, हम आँखों से देखकर तो दिन-रात का अंदाजा लगाते हैं। हमारे शरीर में कोशिकाएं भी दिन और रात के बारे में जानकारी रखती हैं और उसी हिसाब से काम करती हैं।लेकिन आजकल रात में फोन की स्क्रीन और तेज लाइटों से हम अपने दिमाग को कंफ्यूज कर देते हैं। और हमारा स्लीप साइकिल बिगड़ जाता है। फिक्र मत कीजिए धूप इसे सही करने में भी हमारी मदद कर सकती है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि सुबह की रोशनी में रहने से दिमाग में मेलाटोनिन नाम का एक केमिकल निकलता है, जो हमारी नींद सुधारने में मदद करता है।

हमारे ग्रंथों में भी सुबह सूर्य की आराधना को खास अहमियत दी गई है और बताया गया है कि सुबह में सूर्य नमस्कार कई बीमारियों को दूर रखता है।अमेरिकन नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन मैगजीन में छपी एक स्टडी के मुताबिक विटामिन-डी की कमी का एंग्जायटी और मूड से सीधा कनेक्शन है। ‘काम योर माइन्ड विथ फूड‘ की लेखिका, न्यूट्रिशनिस्ट और साइकिएट्रिस्ट डॉ. उमा नायडू बताती हैं कि इस दिशा में हुए कई शोध ये इशारा करते हैं कि विटामिन-डी डिप्रेशन और एंग्जायटी के खिलाफ भी असरदार है। विटामिन-डी दिमाग में न्यूरो-स्टेरॉइड नाम के केमिकल की तरह काम करता है और एंग्जायटी से लड़ने में मदद करता है।कुछ लोगों को मौसम बदलने के साथ भी डिप्रेशन होता है। मेडिकल साइंस की भाषा में इसे ‘सीजनल इफेक्टिव डिसॉर्डर’ कहते हैं। लोग इसके शिकार सर्दियों में ज्यादा होते हैं, इसलिए इसे विंटर डिप्रेशन भी कहा जाता है।

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में ये भी देखा गया कि दिन में पर्याप्त रौशनी और धूप वाली जगह में रहकर इस तरह के डिप्रेशन से बचा जा सकता है। मतलब धूप सिर्फ ‘कोई मिल गया’ फिल्म के जादू के लिए नहीं जरूरी, ये हमारे लिए भी बड़ी फायदेमंद है। तो देर किस बात की खिड़की खोलिए और थोड़ा जगमगाती धूप अंदर आने दीजिए।

साभार - दैनिक भाष्कर

रविवार, 8 अक्तूबर 2023

तिल के बीजों में है ताकत पहाड़ सी

तिल का तेल 
किसी ने ठीक ही कहा है कि, "तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है।" आजमाने के आप चाहे तो किसी पर्वत का कोई कठोर पत्थर लेकर उसमें कटोरी के जैसा एक खड्डा बना लीजिए, उसमें पानी, दूध, घी अथवा तेजाब या संसार में कोई और ही कैमिकल, ऐसिड जैसे तरल पदार्थ डाल दीजिए, अन्य पदार्थ पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कहीं नहीं जायेगा। यदि उस कटोरीनुमा पत्थर को 'तिल के तेल' से भर दें। तो आप दो दिन बाद देखेंगे कि, 'तिल का तेल' पत्थर को पार करता हुआ पत्थर के नीचे आ भी गया है। यह होती है 'तिल' की ताकत, इसीलिए आयुर्वेद में इसे मालिश करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। यह तेल त्वचा, और माँस को पार करता हुआ, हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

आप को यह भी जानकार आश्चर्य होगा कि आज हम जिस 'तेल' शब्‍द का रोज़मर्रा के जीवन में प्रयोग करते हैं दरअसल उसकी उत्‍पत्ति भी 'तिल' से हुई है। संस्कृत भाषा में तेल के लिए 'तैल' शब्द का प्रयोग मिलता है। 'तैल' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिल' शब्द से ही हुई है। तैल का अर्थ है कि 'वह जो तिल से निकलता हो। अर्थात 'तेल' का असल अर्थ ही है 'तिल का तेल'। यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसका प्रयोग सदियों से भारतवर्ष में होता रहा है। प्रत्येक मांगलिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ तिल के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करके करने की प्राचीन परंपरा रही है। आज भी चाहे आपको कोई भी रोग हो तिल का तेल इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में उस व्याधि से लड़ने की क्षमता यह विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में विरले ही पाया जाता।

बादाम का तेल 

'तिल का तेल' ऐसा नैसर्गिक पदार्थ है जिसे कोई भी थोड़े प्रयास से भारतीय बाजारों में आसानी से प्राप्त कर सकता है। इसके लिए आपको किसी ब्रांड अथवा कंपनी विशेष का ही तेल खरीदने की आवश्यकता ही नहीं होगी। प्रयास करें कि बिना मिलावट के शुद्ध तेल उपलब्ध हो सके। आप इसके औषधीय गुण से चौक सकते हैं। मात्र सौ ग्राम सफेद तिल में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम उपलब्ध होता है। यदि बादाम में उपलब्ध कैल्सियम से हम तिल की तुलना करें तो पाएंगे कि तिल में लगभग चार गुना से भी अधिक कैल्शियम की मात्रा होती है। जबकि लौहतत्व की मात्र बादाम की तुलना में तिल के तेल में तीन गुना से भी अधिक होती है। तांबे के साथ ही मैग्निशियम, फॉस्फोरस, सेलनियम और जिंक की मात्राएँ भी इसमें अधिक ही होती है। तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।आमतौर पर तिल सफ़ेद, काला और लाल रंग के मिलते हैं। सफ़ेद तिल सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।

काला, सफ़ेद और लाल तिल 

तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एसिड होता है जो बीमारियों को दूर रखता है। सिस्मोल में विटामिन ई जैसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकते हैं। तिल के तेल के अंदर आपको बिटामिन- ए, बी, सी, डी, और ई का सारा संसार मिल जाता है। तिल के तेल का उपयोग भारतीय खाद्य व्यवसाय तथा खाद्य बाजार में कायम में होता है। यह तेल ज्यादातर खाद्य बनाने में प्रयोग होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, लड़्डू, चिक्‍की, पट्टी और बाड़ी आदि।  इनके अलावा, यह तेल को भोजन में भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है, खासकर साग और सब्ज़ियों के साथ। इसमें लौह की मात्रा भरपूर होने से महिलाओं के लिए अनेमिया के इलाज़ में भी कारगर सिद्ध होता है।

तिल के तेल के फायदे - 

  1. स्वास्‍थ्‍य लाभ: तिल के तेल में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-ई, बी, और ए के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, फास्‍फोरस, पोटैसियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, आदि होते हैं, जो कि बड़े फायदेमंद होते हैं।
  2. त्‍वचा के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में प्राकृतिक तरीके से मौजूद विटामिन-ई की वजह से यह त्‍वचा को मुलायम बनाता है और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
  3. हृदय रोग में फायदेमंद: तिल के तेल में पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं, जो ह्रदय के लिए फायदेमंद होते हैं।
  4. वजन नियंत्रण: तिल के तेल में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  5. बढ़ती ऊर्जा: तिल के तेल का सेवन करने से बॉडी में ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे थकान और कमी कम होती है।
  6. आंखों के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में विटामिन-ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
  7. तंतु की समस्‍या के लिए: तिल के तेल का सेवन करने से तंतु सुस्‍त होती है, जिससे समय तक यौन संबंध बनाए रखना संभव होता है।
  8. मस्‍तिष्‍क के लिए फायदेमंद: तिल के तेल के सेवन से मस्‍तिष्‍क की कार्यशीलता बढ़ती है और मस्‍तिष्‍क के रक्‍तसंचार को सुधारता है।
  9. डायबीटीज का इलाज़: तिल के तेल का सेवन करने से डायबीटीज के लिए फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर का रक्‍तचाप और रक्‍त शर्करा कंट्रोल में आता है।
  10. कैंसर की रोकथाम: तिल के तेल में विटामिन ई और अंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो कैंसर के खिलाफ कार्य करते हैं।
तिल के तेल का इस्‍तेमाल कैसे करें?
  1. खाद्य व्यंजन: तिल के तेल का उपयोग बहुत सारे खाद्य व्‍यंजन बनाने में होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, बाड़ी, लड़्डू, चिक्‍की, और साग और सब्ज़ियों को बनाने में भी होता है।
  2. दूध या दही में: तिल के तेल को दूध या दही के साथ सलाद आदि में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  3. रोज़ के खाने के साथ: आप तिल के तेल को रोज़ के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि साग और सब्ज़ियों के साथ।
  4. मालिश में उपयोगी : मालिश  के रूप में तिल के तेल का सेवन किया जा सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में। तिल के तेल से शारीरिक आराम और मानसिक सुख चैन के लिए एक अच्छे मालिश तेल के रूप में किया जा सकता है।

तिल के तेल के नुकसान

  • कॉलेस्‍ट्रॉल का वृद्धि: अगर आपका खून कॉलेस्‍ट्रॉल हाइ है, तो तिल के तेल का उपयोग कम करें, क्‍योंकि इसमें पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं जो कॉलेस्‍ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।
  • अलर्ज़ी की समस्‍या: तिल के तेल से एलर्ज़ी की समस्‍या हो सकती है, जिसका स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान हो सकता है।
  • बच्‍चों के लिए खतरा: बच्‍चों के लिए तिल के तेल का सेवन विशेषत:रूप से सूजी और घी के साथ नहीं करें, क्‍योंकि इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो कि उनके शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकती है।
  • मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन में सतर्क रहना चाहिए क्‍योंकि तिल के तेल का सेवन से उनका रक्‍तचाप और रक्‍त-शर्करा बढ़ने की संभवना होती है। गर्भवती महिलाओं को तिल के तेल का सेवन कम करना चाहिए, क्‍योंकि यह गर्भावस्‍था के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। इन बातों का ध्‍यान रखकर तिल के तेल का सेवन करें और इसके लाभ प्राप्‍त करें, लेकिन डॉक्‍टर की सलाह लेना न भूलें, खासकर अगर आपका किसी तरह का शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बंधी समस्‍या है।


अन्य स्रोत सामग्री : 


मंगलवार, 12 सितंबर 2023

हमारा स्वास्थ्य और वनौषधियाँ (Herbal medicines)

हमारे जीवन में स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण स्थान है, और वनौषधियाँ सदियों से इसका अंग रहीं हैं। वनौषधियों का उपयोग न केवल भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में बल्कि चीनी (चाइनिज), यूनानी और दक्षिण एशियाई चिकित्सा पद्धति आदि काल से मिलता है। यहाँ तक की आज की आधुनिक चिकित्सा पद्धति की दवाइयों में भी कई वनौषधियों का उपयोग देखने को मिलता है। आज भी वनस्पतियों से बनी औषधियाँ हमारे समाज और स्वास्थ्य इकाइयों में धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है।

वनौषधि (Herbal Medicine) किसे कहते हैं?
        'वनौषधि' शब्द वन+औषधि शब्दों के मेल से बना है। जिसमें 'वन' से तात्पर्य जंगल से हैं और 'औषधि' का अर्थ दवाइयों से हैं। अर्थात् जो दवाइयाँ जंगलों से प्राप्त होती हैं उन्हें "वनौषधि" के रूप में जाना जाता है। अतः वनौषधि को परिभाषित करने के लिए हम कह सकते हैं कि -  

वनौषधियाँ चिकित्सा प्रणाली का अंग होती हैं, इन्हें औषधियों के रूप में विभिन्न रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। वनस्पतियों के अलग-अलग भागों जैसे कि फल, फूल, पत्तियाँ, बीज, तना, छाल एवं जड़ों आदि को अर्क अथवा चूर्ण आदि के रूप में औषधि स्वरूप उपयोग किया जाता है।

साधारण शब्दों में समझने का प्रयास करें तो हम कह सकते हैं कि हमारे आस-पड़ोस के वनों अथवा नजदीकी क्षेत्रों में पाए जाने वाले पेड़-पौधे जिन्हें किसी बीमारी को ठीक करने अथवा स्वास्थ्य लाभ के लिए किसी भी स्वरूप में उपयोग किया जाता है। उन्हें 'वनौषधि' कह सकते हैं। ये पौधों, लताओं, झाड़ियों, और वृक्षों से निकाली जाती हैं और उनके विभिन्न भागों को उपयोगिता के आधार पर चुनकर बनाई जाती हैं। वनौषधियों में गुणकारी रसायन होते हैं, जिन्हें चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।

वनौषधियों का महत्व

  1. घरेलू चिकित्सा: हमारे घरों में दादी-नानी के नुस्खे के नाम से सदियों से नीम, तुलसी, बबूल, हींग, लहसुन, लौंग, जीरा, इलायची, सौंफ़, अदरक, हल्दी-प्याज आदि वनौषधियाँ का प्रयोग आम बीमारियाँ जैसे - सर्दी, खाँसी, जुकाम, बुखार, खुजली, पेट-दर्द, दाँत-दर्द, सिर-दर्द, सूजन, मोच, आदि के लिए किया जाता रहा है।  
  2. आयुर्वेदिक चिकित्सा: वनौषधियाँ आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आयुर्वेद में कई प्रकार की वनौषधियों का उपयोग जटिल एवं पुराने रोगों के इलाज में किया जाता है।
  3. आधुनिक चिकित्सा: इसमें भी वनौषधियों का खूब महत्व है। कई औषधियाँ वनस्पतियों से बनाई जाती हैं, जैसे कि विभिन्न प्रकार की ब्यूटी औषधियाँ, टेस्टोस्टेरोन की वृद्धि को बढ़ावा देने वाली औषधियाँ, और अन्य रोगों के इलाज के लिए उपयोग होती हैं।
  4. सौंदर्य प्रसाधन: वनौषधियाँ सौंदर्य और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। कई प्रकार की हर्बल फेस पैक्स, लोशन्स, और क्रीम्स में वनौषधियों का उपयोग किया जाता है।
  5. पर्यावरण संरक्षण: वनौषधियाँ पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। जब हम वनस्पतियों का सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो हम वनस्पतियों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक वास्तविकता को बनाए रखने में मदद करते हैं।

वनौषधि और जड़ी-बूटी में अंतर

आमतौर में जनभाषा में लोग वनौषधि के बदले में 'जड़ी-बूटी' शब्द का प्रयोग करते हैं। ये दोनों काफी करीबी शब्द है। उनमें जो अंतर है, उसे निम्नलिखित बिन्दुओं में समझने का प्रयास किया जा सकता है। 

 वनौषधियाँ

 जड़ी-बूटी 

  1. वनौषधियाँ (Herbal Medicines) वनस्पतियों से बनी चिकित्सा औषधियाँ होती हैं, जिनका उपयोग चिकित्सा में किया जाता है। पौधों की पत्तियाँ, फूल, जड़ें, और अन्य भाग का प्रयोग किए जाते हैं। 
  2. आमतौर पर वनौषधियाँ चिकित्सा और आयुर्वेदिक प्रणालियों में उपयोग होती हैं, और इन्हें रोगों के उपचार के लिए सटीक माना जाता है।
  3. वनौषधियाँ आमतौर पर पौधों के अंशों को परिष्कृत व शोधित करके संदर्भ ग्रंथों के आधार पर  बनायी व उपयोग की जाती हैं।
  4. वनौषधियाँ आमतौर पर आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, और चीनी चिकित्सा जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों के साथ जुड़ी होती हैं।
  5. वनौषधियों के बारे में अधिक वैज्ञानिक अध्ययन, शोध और प्रयोगशालाओं में  अध्ययन होते हैं।
  6. वनौषधियों के परिणाम व तथ्य कई संदर्भ ग्रन्थों और पुस्तकों में उपलब्ध हैं। 

  1. जड़ी-बूटियाँ (Botanicals): भी पौधों से बनी चिकित्सा औषधियाँ होती हैं, लेकिन इनमें आमतौर पर पौधों के जड़ों, लासा (रेजिन), और अन्य अंशों का उपयोग किया जाता है।
  2. जड़ी-बूटियाँ आमतौर पर आयुर्वेदिक औषधियों, हर्बल सुप्लीमेंट्स, प्राकृतिक खाद्य उत्पादों और सौंदर्य-प्रसाधनों में उपयोग होती हैं।
  3. जड़ी-बूटियाँ अक्सर पौधों के जड़ों और अन्य  भागों को सूखाकर या पाउडर बनाकर उपयोग करने के रूप में प्रस्तुत होती हैं।
  4. जड़ी-बूटियाँ आमतौर पर आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में उपयोग होती हैं।
  5. जबकि, जड़ी-बूटियों के साथ कम वैज्ञानिक  अध्ययन के बजाय लोगों की सलाह अथवा व्यक्तिगत अनुभव शामिल होते हैं।
  6. जड़ी-बूटियों के परिणाम लिखित रूप से कम और जनश्रुत अथवा अनुभवजन्य अधिक होते हैं। भारतीय परिवारों में हर कोई कोई न कोई जड़ी-बूटी के बारे में जरूर जानता है। 

संवेदनशीलता और जागरूकता

हमें वनौषधियों के महत्व के प्रति संवेदनशील और जागरूक रहना चाहिए। वनस्पतियों की संरक्षण के लिए हमें वनस्पतियों के विविधता का ज्ञान रखना चाहिए, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को भी इनके लाभों का आनंद उठाने का मौका दे सकें। वनौषधियाँ हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इनका सही तरीके से उपयोग करना हमारे लिए लाभकारी हो सकता है। इसके साथ ही, हमें वनस्पतियों के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी इनके लाभों का आनंद उठाने का मौका मिले।

महत्वपूर्ण वनौषधियाँ - 

यहां कुछ प्रमुख वनौषधियाँ का उल्लेख हैं जिन्हें विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में उपयोग किया जाता है:

1. नीम (Neem): नीम का पेड़ भारतीय उपमहाद्वीप का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके बीज, पत्तियाँ, और छाल का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में किया जाता है। नीम के तेल का भी उपयोग खुजली, चर्म रोग, और इंफेक्शन के इलाज में किया जाता है।

2. तुलसी (Tulsi): तुलसी पौधा भारत में पवित्र माना जाता है और इसकी पत्तियाँ बुखार, सर्दी-जुकाम, थकान, और अन्य आम रोगों के इलाज में उपयोग होती हैं। तुलसी का तेल भी आरामदायक होता है और स्त्रियों के लिए प्राकृतिक चिकित्सा में उपयोग होता है।

3. हल्दी (Turmeric): हल्दी भारतीय रसोई का प्राचीन काल से पहचान रही है। आमतौर पर सभी खाद्य पदार्थों में विशेषकर सब्जियों में तो जरूर डाली जाती है। इसका प्रयोग न केवल खाने में स्वाद और रंग के लिए, बल्कि इसके औषधीय गुणों के लिए होता है। हल्दी में पाए जाने वाले कर्कुमिन (Curcumin) नामक यौगिक हल्दी का मुख्य गुणकारी तत्व होता है, जिससे शरीर की सूजन और जलन (Inflammation) को कम करने की क्षमता होती है। यह गुण अल्जाइमर्ज़ रोग, अर्थराइटिस, और अन्य इन्फ्लेमेटरी बीमारियों के इलाज में मदद कर सकता है। यह एक विषाणुरोधी और रोग-प्रतिकारक भी होती है। इसी कारण इसे क़ैसर पर प्रभावी माना गया है। यह हमारे पाचन-तंत्र को मजबूत करने और तनाव कम करके मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में भी सहायक मानी जाती है।  

4. आलोवेरा (Aloe Vera): आलोवेरा का गूदा और ताजगी के साथ त्वचा की देखभाल में उपयोग होता है। यह त्वचा को शीतलन और सुंदरता प्रदान करने में मदद करता है और छाले, जलन, और कई त्वचा समस्याओं का इलाज करने में भी उपयोगी होता है।

5. अश्वगंधा (Ashwagandha): अश्वगंधा पौधा तंतुमक्रित में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इसकी जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं और इसका उपयोग तनाव कम करने, दिमाग को शांति प्रदान करने, और शारीरिक संतुलन को बनाए रखने के लिए किया जाता है।

यह सिर्फ कुछ प्रमुख वनौषधियाँ हैं, और वनौषधियों की बहुत अधिक प्रजातियाँ होती हैं, जिन्हें विभिन्न चिकित्सा समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। स्वास्थ्य सुधारने के लिए, आपको किसी विशेष समस्या के अनुसार एक चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए और उनके मार्गदर्शन में वनौषधियों का उपयोग करना चाहिए।

स्वास्थ्य  विषयक अन्य सहायक सामग्री - 
  1. आहार विचार - क्या खाएँ?
  2. समृद्ध जीवन शैली का आधार: हमारी अच्छी आदतें
  3.  पवित्र तुलसी : जीवन अमृत स्वरूपा , वनौषधियों की रानी
  4. जड़ से भगाएँ रोग : बस करते रहे नियमित व्यायाम और योग
  5. शब्दबोध - स्वास्थ्य संबंधित शब्दावली (Health related Vocabulary)
  6. भारत की विभिन्न चिकित्सा पद्धतियाँ: विविध उपचार परंपराओं में एक यात्रा 
  7. क्या सामाजिक स्वच्छता भी उतनी ही आवश्यक नहीं जितनी कि व्यक्तिगत स्वच्छता... ?

सोमवार, 4 सितंबर 2023

शब्दबोध - स्वास्थ्य (Health related Vocabulary)

साभार - आजतक 

स्वास्थ्य विषयक महत्वपूर्ण शब्दावली की सूची निम्नलिखित है:

शब्द    उच्चारण अर्थ (अंग्रेजी में)  

  1. आरोग्य Ārogya Health
  2. रोग Roga Disease
  3. दवा/दवाई  Davā/Davāi Medicine
  4. जीवनशैली Jīvanśailī Lifestyle
  5. आहार Āhār Nutrition
  6. व्यायाम Vyāyāma Exercise
  7. स्वस्थ  Svastha Healthy
  8. स्वास्थ्य  Svāsthya Health
  9. बीमार  Bīmār Sick
  10. बीमारी  Bīmārī Sickness
  11. चिकित्सा Cikitsā Therapy
  12. चिकित्सक Cikitsaka Doctor
  13. औषधि Auṣadhi Medication
  14. औषधीय  Auṣadhīya Medicinal
  15. रोगी Rogī Patient
  16. प्राकृतिक चिकित्सा Prākṛtika Cikitsā Naturopathy
  17. शारीरिक स्वास्थ्य Śārīrika Svasthya Physical Fitness / Health
  18. मानसिक स्वास्थ्य Mānsik Svāsthy Mental Health
  19. रोग प्रतिरोधक Roga Pratirodhaka Immunity
  20. आरोग्य सेवाएं Ārogya Sevāẏeṁ Healthcare Services
  21. बीमारी का पूर्वाग्रह Bīmārī Kā Pūrvāgraha Disease Prevention
  22. बीमारी का नियंत्रण Bīmārī Kā Niyaṁtraṇa Disease Control
  23. वैद्य Vaidya Ayurvedic Doctor
  24. तीमारदार Teemardaar Care Taker of Patient

यह सूची स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों का एक उपयोगी संग्रह है।


इस शृंखला विषयक अन्य साधन सामग्री

  • शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति,  सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
  • शब्दबोध - पर्यावरण (Environment): प्रदूषण, वनस्पति, जलवायु, जैव-विविधता, ऊर्जा-संरक्षण आदि।
  • शब्दबोध - शिक्षा (Education): शिक्षक, शिक्षार्थी, पाठ्यक्रम, ज्ञान, शैक्षिक संस्थान आदि।
  • शब्दबोध - विज्ञान (Science): विज्ञान, प्रयोगशाला, गणित, भौतिकी, जीवविज्ञान आदि।
  • शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति,  सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
  • शब्दबोध - पर्यटन / यातायात (Tour & Transportation): साधन, सड़क, रेल, हवाई, सवारी, परिवहन आदि।
  • शब्दबोध - रोजगार (Employment): नौकरी, उद्यमिता, रोजगार क्षेत्र, कौशल, पेशेवर विकास आदि।
  • शब्दबोध - राजनीति (Politics): शासन, लोकतंत्र, राजनीतिक दल, चुनाव, शासक आदि।
  • शब्दबोध - आर्थिक (Economy): अर्थव्यवस्था, वित्तीय, विनिमय, उद्योग, विकास आदि।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

आहार विचार : हम क्या खा रहे हैं और हमें क्या खाना चाहिए?

स्वागत हैं, आपका हमारे स्वास्थ्य संबंधी नए ब्लॉग - 'आहार विचार: हम क्या खा रहे हैं और हमें क्या खाना चाहिए?' आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में हम इतने व्यस्त रहते हैं कि अकसर खाने के लिए हमारे पास समय ही नहीं बचाता है। इसी व्यस्तता के चलते अब घरों में भोजन बनाने का चलन भी धीरे-धीरे बदलता जा रहा है। या तो किसी नौकर-नौकरानी के हाथों का भोजन करते हैं या अपने पसंदीदा (favorite) रेस्तराँ का, उसे भी ऑनलाइन पहुँचाने वाली कंपनियों की मदद से मँगवाते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि खाद्य-पदार्थों के चुनाव में हम तेज़ (fast) और गुणात्मक (quantitative) प्रक्रिया अपनाने लगे हैं, लेकिन विचारणीय यह है कि क्या हम वास्तव में हम एक स्वास्थ्य और संतुलित आहार खा रहे हैं? आपको जानकार हैरानी होगी कि हममें से अधिकतर लोग जाने अनजाने में कहीं न कहीं, अपने चहेते फास्टफूड / जंकफूड की आड़ में "कचरा" खा रहे हैं। जी हाँ, कचरा!

इस ब्लॉग में हम स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर विचार करेंगे और जानेंगे कि कैसे हम अपने आहार को स्वस्थ और पोषण पूर्ण कैसे बना सकते हैं? हम बात करेंगे खाद्य पदार्थों के गुणों, प्रकारों और उनके प्रभावों के बारे में, साथ ही इस बात पर भी ध्यान देंगे कि विभिन्न खाद्य पदार्थों का सांप्रदायिक (communal) और सांस्कृतिक (cultural) प्रभाव (effect) क्या होता है।

हम यहाँ आपको आपकी सेहत को बढ़ावा देने वाली सलाह, संग्रहीत और नवीनतम जानकारी, स्वस्थ रेसिपीज़, और साझा करने के लिए उपयोगी टिप्स प्रदान करेंगे। हम सभी को स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ने आग्रह करते हैं और साथ में स्वस्थ रहने के लिए आपके लिए सही आहार का हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

हम क्या खा रहे हैं?

हमारा आहार विचार हमें स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक जीवनशैली और खाद्य विकल्पों की उपलब्ध विविधता के कारण, हमें कई बार अपने आहार के बारे में संदेह होते हैं। आखिर विचार कर देखिए कि हम खा क्या रहे हैं? 

हम वर्तमान में आम तौर पर खाए जाने वाले आहार के बारे में समझने का प्रयास करें तो हम जानेंगे कि हम अलस में हमारे भोजन, नाश्ता और पेय के खाद्य पदार्थों में विदेशी स्नैक्स जैसे - पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्स, पास्ता, फ्रेंच-फ्राइज़, और चाउमीन आदि। प्रोसेस्ड एवं डिब्बाबंद (packed) खाद्य पदार्थों में बिस्कुट, चिप्स और नमकीन आदि। युवाओं में प्रचलित चाय, कॉफी कफ़ेचीनो, शेक, कॉकटेल-मॉकटेल और बोतलबंद कार्बोनेटेड ड्रिंक्स आदि के साथ ही धूम्रपान, मदिरा जैसे नशीले पदार्थों का भी सेवन आम है। क्या आप जानते हैं कि ये आहार हमारे स्वास्थ्य के लिए कितने उपयोगी या हानिकारक हैं?

दरअसल ये सब हमारे स्वास्थ्य के लिए पूर्णतः अस्वास्थ्यकर (unhealthy) हैं। इनमें अधिकतर अप्राकृतिक तत्व, खतरनाक रासायनिक तत्व, उच्च तेल, अतिरिक्त शर्करा (aided sugar), अधिक नमक (salt) और प्रसंस्कृत अणुबंधन (processed binding material) की मात्रा पर आधारित होती है। जिससे अपच (indigestion), मोटापा (obesity), मधुमेह (diabetes), हृदय रोग (heart disease), अनिद्रा (insomnia), मानसिक रोग (mental illness), कर्क रोग (cancer) और अन्य चिकित्सकीय समस्याएँ (medical problems) की संभावना लगातार बढ़ रही है।

हमें क्या खाना चाहिए?

हमारे आहार का हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। अतः हमें सोचना चाहिए कि कौन से आहार और पेय हमें स्वस्थ और संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं। मौसम के ताजे फल और सब्जियों, पूर्ण संतुलित अनाज, प्रोटीन, फ़ाइबर, हेल्दी तेल और पर्याप्त मात्र में पानी का हमारे दैनिक आहार में होना आवश्यक है। इसके अलावा, यदि आवश्यकता पड़े तो स्वस्थ बने रहें के लिए हम अपने आहार में आवश्यकतानुसार कुछ सूपरफ़ूड्स, प्री और प्रोबायोटिक्स के साथ  विटामिन और मिनरल पदार्थ शामिल कर सकते हैं।  

स्वस्थ आहार का चुनाव कैसे करें? 

आज का बाज़ार तो आकर्षक उत्पादों और मोहक विज्ञापनों से भरा पड़ा है। जिसमें हम जैसे ग्राहक लुभावने ऑफ़र्स के चक्कर में अनावश्यक छीजे खरीद लाते हैं। हमें स्वस्थ आहार और संतुलित भोजन के लिए थोड़ा मितव्ययी और चूजी बनने की जरूरत है। इसके साथ ही, हमें अपनी पाचन शक्ति के अनुसार अपनी खरीदारी के दौरान स्वस्थ आहार की पहचान कर खरीदने होंगे। स्वास्थ्य के लिए, निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है जब हम आहार का चयन करते हैं:

  1. पूरे अन्न (Whole grains): अपने भोजन में सबूत अन्न शामिल करें जैसे गेहूं, चावल, जौ, बाजरा, आदि। ये अन्न अधिक फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी का अच्छा स्रोत होते हैं।
  2. सब्जियाँ और फल: विभिन्न प्रकार की ताजी और मौसमी सब्जियों और फलों को अपने भोजन में शामिल करने चाहिए । जिससे हमें उचित मात्र में विटामिन, मिनरल और फाइबर प्राप्त हो सके।
  3. हरे पत्तेदार शाक (Leafy Vegetable) : हरे पत्ते जैसे पालक (spinach), मेथी, चौलाई (Amaranth) आदि को भी शामिल करें। ये पौधे विटामिन, मिनरल, और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
  4. प्रोटीन: हमें मांस, मछली, अंडे, दही, दाल, अखरोट, और तोफू जैसे प्रोटीन स्रोत वाले पदार्थ लेने चहिए। जिससे हमारे शरीर की मांसपेशियाँ मजबूत और स्वस्थ बनाने में मदद मिले।
  5. पौष्टिक तेल: तेल का चयन करते समय सत्यापित करें कि आप स्वस्थ तेल जैसे जैतून तेल, नारियल तेल, और तिल का तेल का उपयोग कर रहे हैं। इनमें अधिकतर मोनोयनसेचुरेटेड और पोलियनसेचुरेटेड फैट्स पाए जाते हैं, जो स्वस्थ होते हैं।
  6. घी (Ghee): शुद्ध देसी घी भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिसे उच्च तापमान पर पकाने के कारण और अपने औषधीय गुणों के कारण प्रसिद्ध है। यह शरीर को ऊर्जा देता है, स्वास्थ्यप्रद है, रोगप्रतिकारक क्षमता और पाचन तंत्र को समृद्ध रखता है।
  7. मसाले (Spices): भारतीय मसाले हमारे खाने को स्वादिष्ट और आकर्षक बनाने के साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भी बनाते हैं। हमारी हल्दी, जीरा, हिंग, धनिया, मिर्च... आदि सभी अपने स्वाद, रंग, सुगंध के साथ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनका संयमित उपयोग सदैव लाभकारी रहा है। 
  8. शुद्ध पानी: पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी पीएं, क्योंकि यह आपके शरीर के लिए आवश्यक है और आपको भोजन को पचाने में मदद करता है। यह ऊर्जा स्तर को बढ़ाने, पाचन को सुधारने, और  विषाणुओं को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
  9. वजन पर नियंत्रण: वजन पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए अतिरिक्त शक्ति संक्रमण से बचने के लिए मनोरंजक खाद्य पदार्थों की बजाय स्वस्थ और संतुलित भोजन चुनें।                  
    इन सामग्रियों को स्वस्थ भोजन के रूप में शामिल करने का प्रयास करें और बाजार में खरीदारी के समय पैकेटेड और प्रक्रामित खाद्य पदार्थों (processed foods) की जगह उपायुक्त आहार को चुनें। इसके अलावा, संतुलित और नियमित भोजन, उचित निद्रा, व्यायाम और स्ट्रेस को कम करने के लिए संतुलित जीवनशैली भी महत्वपूर्ण हैं। किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या है या आप व्यक्तिगत पोषण की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहते हैं, तो एक पौष्टिक आहार योजना तैयार करें और इसे संयोजित करने के लिए एक पोषण विशेषज्ञ की सलाह लेना भी सर्वोत्तम होगा। आप स्वस्थ रहें, सुखी रहें, यही कामना है। 

    गुरुवार, 18 मई 2023

    जड़ से भगाएँ रोग : बस करते रहे नियमित व्यायाम और योग

    परिचय:
    आज की तेजी से भागती दुनिया में स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। तंदुरूस्ती के विभिन्न मार्गों में, दो अभ्यास प्रमुख हैं: व्यायाम और योग। जबकि दोनों के अपने अद्वितीय लाभ हैं, उनका संयोजन एक शक्तिशाली तालमेल बना सकता है जो समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है। इस ब्लॉग में, हम व्यायाम और योग की दुनिया पर विचार करने वाले हैं, उनके व्यक्तिगत लाभों की खोज कर रहे हैं और कैसे वे फिटनेस के समग्र दृष्टिकोण के लिए एक दूसरे के पूरक हैं।

    व्यायाम (Physical exercise):
    • परिभाषा और महत्व: व्यायाम किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि को संदर्भित करता है जो शरीर की मांसपेशियों को संलग्न करता है और हृदय की फिटनेस में सुधार करता है। इसमें दौड़ना, तैरना, भारोत्तोलन और एरोबिक व्यायाम जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
    • शारीरिक लाभ: शारीरिक व्यायाम धीरज बढ़ाता है, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है, लचीलापन बढ़ाता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह वजन प्रबंधन में भी सहायता करता है, बेहतर नींद को बढ़ावा देता है और पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करता है।
                                साभार - ज़ी न्यूज़  

    योग की खोज (Yog):
    • परिभाषा और महत्व: योग एक प्राचीन प्रथा है जो भारत में मन-शरीर संबंध पर केंद्रित है। इसमें शारीरिक आसन (आसन), श्वास तकनीक (प्राणायाम) और ध्यान शामिल हैं।
    • मानसिक और भावनात्मक लाभ: योग तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। यह मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है, एकाग्रता में सुधार करता है और आंतरिक शांति की भावना पैदा करता है। नियमित अभ्यास आत्म-जागरूकता, भावनात्मक संतुलन और समग्र मानसिक कल्याण को बढ़ाता है।
         साभार-thenamastebharat.in/ 

    व्यायाम और योग का तालमेल: 
    • शारीरिक लाभ: योग को अपनी व्यायाम दिनचर्या में शामिल करने से लचीलापन, संतुलन और मुद्रा में वृद्धि होती है। योग की नियंत्रित श्वास तकनीक शारीरिक गतिविधियों के दौरान ऑक्सीजनेशन, सहनशक्ति और धीरज में सुधार करती है।
    • मानसिक और भावनात्मक लाभ: योग अभ्यास में दिमागीपन और आत्मनिरीक्षण लाता है, जिससे मन और शरीर के बीच गहरा संबंध बनता है। यह शारीरिक व्यायाम में व्यस्त रहते हुए तनाव प्रबंधन, विश्राम और सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने में मदद करता है।
    व्यायाम और योग को कैसे मिलाएं:
    • वार्म-अप और कूल-डाउन: शरीर को तैयार करने और चोट को रोकने के लिए योगिक श्वास अभ्यास और कोमल स्ट्रेचिंग के साथ व्यायाम सत्र शुरू और समाप्त करें।
    • योग आसनों को एकीकृत करें: लचीलापन, संतुलन और मूल शक्ति में सुधार के लिए अपने व्यायाम दिनचर्या के दौरान विशिष्ट योग आसनों को शामिल करें। उदाहरणों में सूर्य नमस्कार, ट्री पोज और वारियर पोज शामिल हैं।
    • कसरत के बाद आराम: अपने व्यायाम सत्र के बाद योग निद्रा या निर्देशित ध्यान के साथ मन को शांत करने और समग्र विश्राम को बढ़ावा देने के लिए आराम करें।
    अपने व्यायाम और योग दिनचर्या को वैयक्तिकृत करना: 
    • एक पेशेवर से परामर्श करें: एक प्रमाणित फिटनेस ट्रेनर या एक योग्य योग प्रशिक्षक से मार्गदर्शन लें, जो आपके विशिष्ट लक्ष्यों, फिटनेस स्तर और स्वास्थ्य की स्थिति के अनुकूल हो।
    • अपने शरीर को सुनें: अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें और तदनुसार व्यायाम और योग अभ्यास दोनों की तीव्रता और अवधि को समायोजित करें। अपनी सीमाओं का सम्मान करें और धीरे-धीरे अपनी गति से आगे बढ़ें।
    निष्कर्ष:

    व्यायाम और योग, संयुक्त होने पर, शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। योग के सचेत अभ्यासों के साथ शारीरिक व्यायाम को एकीकृत करके, आप शरीर और मन के बीच एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन प्राप्त कर सकते हैं। व्यायाम और योग की शक्ति को अपनाएं और एक स्वस्थ, अधिक परिपूर्ण जीवन की ओर यात्रा शुरू करें। याद रखें, कुंजी आपके लिए काम करने वाले सही संतुलन को खोजने में निहित है।

    प्रचलित पोस्ट