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गुरुवार, 28 नवंबर 2024

रेडियो वार्ता

रेडियो वार्ता

रेडियो वार्ता: एक परिचय

रेडियो वार्ता, जिसे अंग्रेज़ी में Radio Talk कहा जाता है, किसी विषय पर जानकार व्यक्ति द्वारा श्रोताओं से बातचीत के माध्यम से जानकारी देने की एक शैली है। यह एक श्रव्य माध्यम (जिसे केवल सुना जा सकता है) है, और लेख या निबंध से अलग होता है।

रेडियो वार्ता की मुख्य विशेषताएँ:

  • यह 5-30 मिनट की होती है।
  • इसमें अक्सर एक विषय पर विशेषज्ञ, एक या एक से अधिक पैनल सदस्य, और एक मध्यस्थ (वरिष्ठ व्यक्ति/पत्रकार) शामिल होते हैं।
  • टॉक रेडियो के विविध रूप हैं, जैसे रूढ़िवादी, ज्वलंत, उदारवादी / प्रगतिशील और खेल वार्ता।
  • इसे रेडियो के साथ-साथ इंटरनेट पर भी सुना जा सकता है।

रेडियो वार्ता पर "रेडियो वार्ता शिल्प" नामक पुस्तक डॉ. सिद्धनाथ कुमार ने लिखी है, जो इस विषय पर गहन जानकारी प्रदान करती है।

चिन्नास्वामी: भारतीय किसानों के सिरमौर
रेडियो इंडीकोच में आपका स्वागत है आज हम अपने स्टूडियो में सुनेंगे - चिन्नास्वामी कैसे बने भारतीय किसानों के सिरमौर?
हमारी संवाददाता विभा वर्मा अपनी रेडियो वार्ता में बात करेंगी बताचीत सीधे चिन्नास्वामी से...

विभा वर्मा: नमस्कार! आप सुन रहे हैं कृषि और प्रेरणा, और आज हम एक विशेष बातचीत करेंगे भारतीय कृषि के सबसे सफल किसानों में से एक, श्री चिन्नास्वामी नादर के साथ। जिनकी जीवन यात्रा संघर्ष, समर्पण और सफलता से भरी हुई है। उनके कृषि क्षेत्र में किए गए नवाचार और उपलब्धियां कई किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं।
चिनास्वामी नादर के साथ रेडियों वार्ता 
 नादर जी, आपका बहुत-बहुत स्वागत है!

चिन्नास्वामी नादर: धन्यवाद विभा जी! मुझे इस अवसर पर अपनी कहानी साझा करने का मौका मिला, इसके लिए मैं आभारी हूँ।

विभा वर्मा: नादर जी, आप बचपन में जिस छोटे से गांव में पले-बढ़े, वहां की परिस्थितियाँ बहुत कठिन रही होंगी। आपके जीवन का प्रारंभ कैसे था और आपने उन कठिनाइयों से कैसे जूझा?

चिन्नास्वामी नादर: विभा जी, मेरा बचपन बहुत साधारण था। हमारे पास खेती के लिए ज़मीन बहुत कम थी और पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ सीमित आय देती थीं। लेकिन बचपन से ही मैंने यह महसूस किया था कि अगर हमें अपनी ज़िंदगी बेहतर बनानी है तो कुछ नया करना होगा। मैं जानता था कि केवल पारंपरिक तरीके से खेती करके हमारे लिए कोई खास बदलाव नहीं हो सकता। यही सोचकर मैंने कृषि में नए रास्ते अपनाने का निर्णय लिया।

विभा वर्मा: यह तो सच है कि नए रास्ते अपनाने में जोखिम हमेशा होता है। आपको अपने आसपास के किसानों से विरोध का सामना भी करना पड़ा होगा। क्या उन चुनौतीपूर्ण समय में आपको कोई मदद मिली थी?

चिन्नास्वामी नादर: जी हां, मुझे बहुत से विरोधों का सामना करना पड़ा। शुरू में बहुत से किसान मुझसे मजाक करते थे और कहते थे कि नए तरीके अपनाना जोखिम भरा है। लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। इसके पीछे एक बड़ा कारण था मेरी पत्नी और परिवार का समर्थन। उन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया और इस यात्रा में मेरा साथ दिया। इसके अलावा, मुझे कुछ मार्गदर्शकों से भी मदद मिली, जिन्होंने मुझे आधुनिक कृषि पद्धतियों के बारे में मार्गदर्शन किया। यह उन मददगारों की वजह से था कि मैं अपने लक्ष्य की ओर बढ़ पाया।

विभा वर्मा: आपने कई नए कृषि पद्धतियाँ अपनाईं, जैसे ड्रिप इरिगेशन, जैविक खेती और फसल प्रसंस्करण। क्या आपको इनमें से किसी पहलू पर विशेष कठिनाई का सामना करना पड़ा?

चिन्नास्वामी नादर: बिलकुल, हर नए कदम के साथ चुनौतियाँ आईं। ड्रिप इरिगेशन और उन्नत बीजों का प्रयोग करते हुए शुरुआत में लागत काफी बढ़ गई थी। लेकिन धीरे-धीरे मुझे यह एहसास हुआ कि दीर्घकालिक लाभ के लिए यह निवेश ज़रूरी था। जैविक खेती से हमें न केवल उपज की गुणवत्ता में सुधार मिला, बल्कि बाजार में भी उसकी मांग बढ़ी। सबसे कठिन हिस्सा था इस पूरी प्रक्रिया में बदलाव के लिए अन्य किसानों को समझाना, लेकिन जब उन्होंने परिणाम देखे, तो उन्होंने भी इसे अपनाना शुरू किया।

विभा वर्मा: आपकी सफलता के पीछे बहुत मेहनत और समझदारी है। आपने कृषि को एक व्यवसाय के रूप में देखा, और इसने आपको न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सफलता दिलाई। क्या आप नए किसानों के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे?

चिन्नास्वामी नादर: मेरे लिए सफलता का सबसे बड़ा मंत्र है – "नवाचार और धैर्य।" मैं यह सलाह देना चाहता हूँ कि हर किसान को पारंपरिक तरीकों से बाहर निकलकर नए तकनीकी उपायों को अपनाना चाहिए। कृषि केवल ज़मीन पर काम करने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक व्यवसाय है जिसे सही तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है। किसानों को नई तकनीकों और व्यापार मॉडल को अपनाना चाहिए, जिससे उनका उत्पादन बढ़े और उन्हें अधिक मुनाफा हो।

विभा वर्मा: आपने न केवल कृषि के क्षेत्र में क्रांति लाई, बल्कि आपने कई अन्य किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए केंद्र भी खोले। इस पहल के बारे में थोड़ा और बताएं।

चिन्नास्वामी नादर: जी, मुझे हमेशा यह महसूस होता था कि मेरी सफलता का कोई मतलब नहीं होगा यदि मैं दूसरों को साथ लेकर नहीं चलूँ। मैंने अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करने के लिए कई प्रशिक्षण केंद्र खोले। इन केंद्रों पर हम किसानों को उन्नत तकनीकों के बारे में बताते हैं और उन्हें यह सिखाते हैं कि कैसे वे अपनी कृषि को लाभकारी बना सकते हैं। जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तभी हम वास्तविक बदलाव ला सकते हैं।

विभा वर्मा: श्री नादर, आपकी कहानी न केवल आपके संघर्ष और सफलता की कहानी है, बल्कि यह लाखों किसानों के लिए एक प्रेरणा भी है। आपने हमें यह सिखाया कि अगर मेहनत और समझदारी से काम किया जाए, तो किसी भी कठिनाई से पार पाया जा सकता है। आपकी सफलता पर हमें गर्व है।

चिन्नास्वामी नादर: धन्यवाद, विभा जी! यह सब संभव हुआ है मेरे परिवार, समर्थकों और खुद किसानों के साथ मिलकर काम करने से। मुझे उम्मीद है कि मेरी कहानी दूसरों को भी प्रेरित करेगी और वे भी अपने खेतों को समृद्ध करने में सफल होंगे।

विभा वर्मा: धन्यवाद नादर जी! आपने हमें बहुत कुछ सिखाया। इस वार्ता से हमें यह संदेश मिला कि कठिनाइयाँ तो आती हैं, लेकिन उन्हें पार करने की राह भी हमें खुद ही बनानी होती है।

दोस्तों, आज की यह वार्ता यहीं समाप्त होती है। अपनी चहेती विभा वर्मा को दीजिए इजाजत। हम फिर मिलेंगे अगले एपिसोड में, एक नई प्रेरक कहानी के साथ। तब तक के लिए - नमस्कार।

चिन्नास्वामी नादर के साथ सुनें हमारी रेडियो वार्ता

भारत के सबसे अमीर किसान चिन्नास्वामी नादर के साथ एक प्रेरक बातचीत है, जिसमें वे अपनी सफलता, खेती में नवाचारों और आधुनिक कृषि में योगदान के बारे में जानकारी साझा करते हैं। यह आकर्षक ऑडियो छात्रों, शिक्षकों और कृषि और उद्यमिता के उत्साही लोगों के लिए अवश्य सुनने योग्य है।

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