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बुधवार, 18 दिसंबर 2024

डिजिटल युग में हिंदी उत्कर्ष

डिजिटल मीडिया और हिंदी विकास
अब तक हिंदी को लोग हिंदी दिवस और हिंदी पखवाड़े में उसके विकास और विलुप्त होने की संभावनाओं का रोना रोया करते थे। विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में हिंदी के छात्रों की घटती संख्या पर रोष किया जाता था। इंटरनेट और डिजिटल मीडिया पर ताजा आंकड़े हिंदी के विकास की दशा और दिशा दोनों को बदलते दिखाई दे रहे हैं। बीते दशकों में डिजिटल माध्यमों और सोशल मीडिया के जरिए हिंदी भाषा ने अप्रत्याशित उन्नति की है। यह विकास केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखा जा सकता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हिंदी को नवीन आयाम प्रदान किए हैं और इसे वैश्विक मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंदी का यह नूतन स्वरूप न केवल भाषा के प्रसार में सहायक सिद्ध हुआ है, बल्कि इसके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव को भी सुदृढ़ किया है।

डिजिटल युग में हिंदी का प्रवेश

1990 के दशक में इंटरनेट के आगमन के समय भारतीय भाषाओं के लिए डिजिटल स्पेस सीमित था। किंतु 21वीं सदी के दूसरे दशक में हिंदी में सामग्री की मांग ने तेजी पकड़ी। स्मार्टफोन और किफायती इंटरनेट ने इस क्रांति को अभूतपूर्व गति दी। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का 90% भाग स्थानीय भाषाओं में सामग्री को प्राथमिकता देता है, जिसमें हिंदी सर्वोच्च स्थान पर है। IAMAI और Nielsen की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 60 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जो इसे भारत की सबसे तीव्र गति से बढ़ती डिजिटल भाषा बनाती है।

सोशल मीडिया पर हिंदी की प्रासंगिकता

सोशल मीडिया ने हिंदी को एक नई पहचान दी है। यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, और ट्विटर जैसे प्लेटफार्म्स पर हिंदी में सामग्री प्रस्तुत करने वाले सृजनकर्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ध्रुव राठी जैसे यूट्यूबर ने हिंदी में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को प्रस्तुत कर न केवल भारतीय दर्शकों का ध्यान खींचा है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बनाई है। इसके अतिरिक्त, BBC- हिंदी और जर्मनी का DW हिंदी चैनल आदि इस बात के  प्रमाण है कि विदेशी मीडिया संस्थान भी हिंदी भाषा के माध्यम से अपनी पहुँच बढ़ा रहे हैं। इस प्रकार हिंदी ने वैश्विक संवाद में अपनी भूमिका को सशक्त की है।

ग्रामीण और अर्द्ध -शहरी क्षेत्रों में हिंदी की भूमिका

यू-ट्यूब पर बढ़ता हिंदी संसार 
इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हिंदी को केवल शहरी केंद्रों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी गहराई तक पहुँचाया है। इन क्षेत्रों की महिलाएँ और युवा अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए हिंदी का उपयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कई महिलाएँ यूट्यूब पर हिंदी में योग, संगीत, पाक कला, हस्तकला और सिलाई जैसे कौशल सिखाकर प्रसिद्धि के आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त कर रही हैं। वहीं, चिकित्सक से लेकर किसान तक अपने अनुभवों और आधुनिक तकनीकों को हिंदी में साझा कर अन्य जन-जन  को जागरूक कर रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रभाव

हिंदी में OTT चैनलों की बढ़ती लोकप्रियता  

आज हिंदी देश की सीमा लांघकर वैश्विक गाँव के गलियारों में पहुँच रही है। हिंदी कला, साहित्य, संगीत, सिनेमा, तकनीकी आदि की डिजिटल सामग्री ने इसे वैश्विक मंच पर एक प्रमुख भाषा बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2018 में; हिंदी दिवस; मनाकर इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्रदान की। इसके अतिरिक्त, नेटफ्लिक् और अमेज़न प्राइम आदि ओटीटी प्लेटफार्म्स हिंदी में उच्च गुणवत्ता की सामग्री प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रचार हो रहा है।

क्या हिंदी समाप्त हो रही है?

यह धारणा कि हिंदी समाप्त हो रही है, पूर्णतः निराधार है। हिंदी डिजिटल युग में तीव्र गति से विकसित हो रही है। सोशल मीडिया, फिल्मों, शिक्षा और डिजिटल माध्यमों के कारण इसका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, इसे और सशक्त बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण सामग्री का निर्माण और नई पीढ़ी में रुचि उत्पन्न करना आवश्यक है। हिंदी आज भी सशक्त, प्रासंगिक और समृद्ध भाषा है।

नई शिक्षा नीति 2024 का हिंदी पर प्रभाव

नई शिक्षा नीति 2024 हिंदी के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह नीति मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को प्राथमिकता देती है। इससे हिंदी में पढ़ने, लिखने और सीखने का दायरा विस्तृत होगा। बहुभाषिक दृष्टिकोण हिंदी को वैश्विक संदर्भ में प्रासंगिक बनाएगा और इसके व्यावसायिक तथा शैक्षणिक उपयोग को प्रोत्साहन देगा। 

भविष्य की संभावनाएँ

हिंदी का यह डिजिटल उत्कर्ष सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है। किंतु इस क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण, प्रामाणिक और विविधतापूर्ण सामग्री का निर्माण करना आवश्यक है। भाषा के साथ-साथ इसे व्यावसायिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में और अधिक सशक्त बनाना समय की माँग है। 2025 तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 100 करोड़ से अधिक हो सकती है, जिसमें से अधिकांश उपयोगकर्ता क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री का उपभोग करेंगे। यह हिंदी के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रस्तुत करता है।

निष्कर्ष

डिजिटल युग में हिंदी ने अपनी सुदृढ़ उपस्थिति दर्ज कराई है। यह न केवल भाषा के विकास की कहानी है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का माध्यम भी है। ध्रुव राठी जैसे डिजिटल सृजनकर्ता और DW हिंदी चैनल जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रयास इस दिशा में प्रेरणादायक हैं।

महात्मा गांधी के शब्दों को स्मरण करते हुए कहा जा सकता है कि हिंदी ने अब वैश्विक स्तर पर अपनी आवाज़ बुलंद कर दी है। आज की हिंदी, डिजिटल युग की हिंदी है - "एक ऐसी भाषा जो सीमाओं को लाँघकर हर व्यक्ति के हृदय तक पहुँच रही है।"

Content in Box

डिजिटल युग में हिंदी भाषा का उत्कर्ष

साक्षात्कारकर्ता: योगेश शर्मा

अतिथि: श्री अरविंद बारी, वरिष्ठ हिंदी शिक्षक और हिंदी सेवी

योगेश शर्मा: नमस्कार, अरविंद जी। 'इंडीकोच' में आपका स्वागत है।

अतिथि: नमस्कार, योगेश जी। आपकी स्टूडियो में मुझे बुलाने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद।

योगेश शर्मा: महोदय, आज हम आपके साथ 'डिजिटल युग में हिंदी भाषा के विकास और उसकी वैश्विक पहचान' विषय पर चर्चा करेंगे। तो सबसे पहले, आप हमें यह बताएँ, कि क्या आपको भी लगता है कि हिंदी भाषा डिजिटल माध्यमों के द्वारा तेज़ी से फैल रही है?

अतिथि: यह कहना बिल्कुल सही है कि हिंदी डिजिटल माध्यमों से दिन दूना रात चौगुने गति से फैल रही है। इंटरनेट और सामाजिक मीडिया ने हिंदी को न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी एक सशक्त मंच प्रदान किया है। विशेषकर पिछले कुछ वर्षों में, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। रिपोर्ट्स के आंकड़ों को माने तो, 2024 तक हिंदी में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 75 करोड़ से अधिक हो चुकी है; और 2025 तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 100 करोड़ से अधिक होने की संभावना है; जिसमें से अधिकांश उपयोगकर्ता क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री का उपयोग करेंगे। यह हिंदी के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रस्तुत करता है।यह दर्शाता है कि हिंदी भाषा अब डिजिटल युग में अपनी मजबूती से पैठ बना रही है।

योगेश शर्मा: यह वाकई बहुत उत्साहजनक है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी हिंदी का प्रभाव बढ़ा है। क्या आप इस बारे में कुछ और विस्तार से बता सकते हैं?

अतिथि: बिल्कुल। सोशल मीडिया ने हिंदी को एक नया आयाम दिया है। यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर जैसे ऑन लाइन मंचो पर हिंदी में कंटेंट तैयार करने वाले सृजनकर्ताओं की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। उदाहरण के तौर पर, ध्रुव राठी आदि जैसे यूट्यूबर ने हिंदी में राजनीति, समाज और शिक्षा के मुद्दों पर चर्चा की है, जिससे न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक दर्शक और श्रोता भी इनसे जुड़ गए हैं। इसके अलावा, जर्मनी का DW हिंदी चैनल भी इस बात का प्रमाण है कि हिंदी ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है।

योगेश शर्मा: यह सच है कि हिंदी अब न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। क्या आपको लगता है कि हिंदी का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में भी हो रहा है?

अतिथि: बिल्कुल, हिंदी का प्रभाव अब शहरी इलाकों तक ही सीमित नहीं है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी हिंदी को सशक्त किया है। आजकल हम देख सकते हैं कि गांवों में भी महिलाएँ और युवा हिंदी में अपनी कला, ज्ञान और कौशल को साझा कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कई महिलाएँ यूट्यूब पर हिंदी में खाना बनाने की विधियाँ, सिलाई, और अन्य घरेलू कार्य सिखा रही हैं। इसी तरह, किसान भी अपने अनुभव और नई तकनीकों को हिंदी में साझा करके दूसरों को लाभ पहुँचा रहे हैं।

योगेश शर्मा: यह वास्तव में हिंदी की सशक्तता का प्रतीक है। लेकिन कुछ लोग यह मानते हैं कि हिंदी समाप्त हो रही है, क्या आपको ऐसा लगता है?

अतिथि: यह धारणा बिल्कुल गलत है। हिंदी न केवल समाप्त नहीं हो रही, बल्कि डिजिटल युग में यह तेजी से फैल रही है। सोशल मीडिया, फिल्मों, शिक्षा, और इंटरनेट के माध्यम से हिंदी का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है। हाँ, यह सही है कि हिंदी को और अधिक सशक्त बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण सामग्री का निर्माण और नई पीढ़ी में रुचि उत्पन्न करना आवश्यक है, लेकिन हिंदी आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक और सशक्त बनी हुई है।

योगेश शर्मा: नई शिक्षा नीति 2024 के बारे में आपका क्या कहना है? क्या इससे हिंदी के विकास को बढ़ावा मिलेगा?

अतिथि: नई शिक्षा नीति 2024 निश्चित रूप से हिंदी के विकास को प्रोत्साहित करेगी। इस नीति में मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है, जो हिंदी के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। इससे हिंदी में पढ़ने, लिखने और सीखने का दायरा और विस्तृत होगा। बहुभाषिक दृष्टिकोण से हिंदी को वैश्विक संदर्भ में और अधिक प्रासंगिकता मिलेगी और इसके व्यावसायिक तथा शैक्षणिक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

योगेश शर्मा: यह बहुत ही सकारात्मक पहल है। भविष्य में हिंदी के लिए क्या संभावनाएँ नजर आती हैं?

अतिथि: भविष्य में हिंदी का विकास और भी तेजी से होगा। 2025 तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 100 करोड़ से अधिक हो सकती है, जिसमें अधिकांश उपयोगकर्ता क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री का उपभोग करेंगे। हिंदी के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है। साथ ही, अगर हम गुणवत्तापूर्ण सामग्री का निर्माण करें और इसे शैक्षणिक व व्यावसायिक क्षेत्रों में और सशक्त बनाएं, तो हिंदी की स्थिति और भी मजबूत हो सकती है।

योगेश शर्मा: अरविंद जी, आपकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल है। इस साक्षात्कार के लिए आपका धन्यवाद।

अतिथि: धन्यवाद, योगेश जी। हिंदी के विकास और उसके डिजिटल युग में समृद्धि पर बात करना हमेशा प्रेरणादायक रहेगा। आशा है, हम सभी मिलकर हिंदी को और आगे बढ़ाने में इसी तरह योगदान देते रहेंगे।


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