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रविवार, 5 नवंबर 2023

आम नहीं ख़ास कहें हुज़ूर!

आम
आम एक ऐसा फल है जो अपने आप में ही खास है। इसे किसी अन्य फल से तुलना करने की आवश्यकता नहीं है। जो अपने विशेष रंग, सुगंध और अप्रतिम स्वाद के लिए जाना जाता है। यह भारत में सबसे लोकप्रिय फलों में से एक है। एक ऐसा फल है जो आम लोगों को भी खुशी और आनंद देता है। आम भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। जिसका उल्लेख हमारे धार्मिक ग्रंथों, इतिहास और साहित्य में कई बार उल्लिखित हुआ है। अपने मूल रूप से यह भारत में ही उत्पन्न हुआ था। इतिहास की माने तो इसे सिकंदर महान के सैनिकों ने इसे पहली बार सिंधु नदी के आस-पास देखा था। आम के पेड़ों का उल्लेख संस्कृत के महाकवि कालिदास और अरबी-फ़ारसी के मशहूर शायर 'अमीर खुसरो' जैसे प्राचीन भारतीय लेखकों के कार्यों में भी मिलता है। आम के बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा-वृत्तांत और मध्य युगीन कई अन्य विदेशी यात्रियों के संस्मरणों में भी मिलता है। मुगल सम्राट बाबर ने अपने आत्मवृत्त 'बाबरनामा' में आम के बारे में कहा है कि 'यह भारत का सबसे स्वादिष्ट फल है।' इसी प्रकार शाहजहां से लेकर अकबर तक लगभग सभी मुगल सम्राट आम के मुरीद थे। आम भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। कई कवियों और लेखकों ने आम के बारे में कविताएँ और कहानियाँ लिखी हैं। आम का उल्लेख हिंदी, उर्दू, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में साहित्य में किया गया है। रामायण और महाभारत में भी आम का उल्लेख मिलता है। 

आम का निर्यात 
आम एक मौसमी फल है और आम का मौसम गर्मियों में होता है। भारत समेत दुनिया भर में आम की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें दशहरी, सफेदा, लंगड़ा, केसर, कलमी, देशी और हापुस (अल्फ़ान्सो) आदि शामिल हैं। भारत दुनिया का सर्वाधिक आम उत्पादक देश है। उसके बाद चीन और थाईलैंड हैं। भारत में आम की 1500 से ज़्यादा किस्में पाई जाती हैं। हर किस्म का स्वाद, आकार, और रंग अलग-अलग होता है। आम को कई तरह से खाया जा सकता है। इसे कच्चा या पका दोनों तरीके से खाया जा सकता है। इससे मिठाइयाँ, चटनी, अचार और मुरब्बा आदि व्यंजनों को बनाया जा सकता है। उत्तर भारत में जहाँ आम के पना बनाया जाता है, वहीं आम का उपयोग भारत भर में कई तरह के पारंपरिक व्यंजनों में किया जाता है। आम एक पौष्टिक फल भी है। यह विटामिन-सी, पोटेशियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है। दुनिया भर में भारत आम का सबसे बड़ा निर्यातक है। लगभग 50 हजार करोड़ रुपयों का निर्यात भारत हर वर्ष करता है।

आम एक तो वैसे ही सबसे खास होता है, उस पर से अगर अवध प्रांत का हो तो फिर बात ही क्या कहने? ब्रिटिश काल के अंतिम दौर के अवधी कवि पुष्पेन्दु जैन लिखते हैं कि - 

‘लखनऊ का सफेदा और लंगड़ा बनारस का यही दो आम जग में उत्तम कहायो है। 
लखनऊ के बादशाह दूध से सिचायो वाको, वाही के वंशज सफेदा नाम पायो है। 
या से लड़न को बनारस से धायो एक, बीच में ही टूटी टांग, लंगड़ा कहायो है। 
कहै पुष्पेन्दु वाने जतन अनेक कीने, तबहूं सफेदे की नजाकत न पायो है।’

मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी आम के ऐसे दीवाने थे कि आम के मौसम में आम के सिवा कुछ और बात करना उन्हें कतई पसन्द नहीं था। 

‘नाम न कोई यार को पैगाम भेजिए। 
इस फस्ल में जो भेजिए, बस आम भेजिए।’

आज के दौर के लोकप्रिय शायर 'मुनव्वर राणा' भी आम की दीवानगी में कहते हैं, 

‘इंसान के हाथों की बनाई नहीं खाते, 
हम आम के मौसम में मिठाई नहीं खाते।’ 

आम जैसे रसीले फल के लिए लेखकों और कवियों की भाषा के शब्द कम पड़ जाते हैं। लखनऊ के आस-पास तो आम के किस्से आम हैं। लखनऊ से महज 30 किलोमीटर 'मलीहाबाद' को आम की राजधानी के रूप में जाना जात है। यहाँ के लगभग दो हज़ार से ज़्यादा बाशिंदे कई पीढ़ियों से पिछले सैकड़ों सालों से आम की 700 से अधिक क़िस्मों की पैदावार सैकड़ों बगीचों में उगाते आ रहे हैं। 'पद्मश्री हाजी कलीमुल्लाह खान' ने यहाँ के आम की मिठास को दुनिया भर में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। वे बताते हैं कि 'हमारे गांवों में आज भी ये रिवाज है कि पड़ोसी के यहाँ से आए बरतन खाली नहीं वापस किए जाते। उनमें कुछ न कुछ रखकर ही भिजवाया जाता है।' इसी बहाने पड़ोसियों के एक दूसरे के अलग-अलग रसीले आमों का स्वाद चखने का मौका जो मिलता है, क्योंकि लोग एक दूसरे को आम भेजते हैं। मलीहाबाद के आम खाने के उस्ताद अब्दुल कदीर खां से किसी ने पूछा कि आप एक बार में कितने आम खाते हैं? तो खां साहब ने जवाब दिया-एक दाढ़ी । मतलब ये है कि वे उकड़ूं बैठ जाते थे और आम अपने सामने रख लेते थे। फिर जब तक आम की गुठलियों और छिलकों का ढेर बड़ा होते होते उनकी दाढ़ी को छू नहीं लेता, वे आम खाते रहते थे।

यह बात हुई आम खाने की। मगर मलीहाबाद में ही एक ऐसे भी शख़्स हुए हैं जो आम खाने के लिए नहीं बल्कि आम छीलने के लिए दूर दूर तक मशहूर थे। उनका नाम था मुशीर खां। आम छीलने में उन्हें ऐसी महारथ हासिल थी कि कुएं की जगत पर बैठकर जब मलीहाबादी दशहरी छीलते थे तो मजाल क्या कि छिलका बीच से टूट जाए। इतना महीन छिलका छीलते थे कि छिलका गोल-गोल घूमता हुआ कुएं के पानी में छू जाता था। मगर ये तब की बात थी जब हमारे यहां कुएं बहुत हुआ करते थे और उनमें पानी भी खूब होता था। अब तो कुएं छोड़िए आंख का पानी भी मरता जा रहा है।’

आम पर इन तमाम रसों के जरिए जो कुछ भी कहा गया है उससे कहने वालों की ही शान बढ़ी है। आम तो उनके कहने से पहले भी राजा था, कहने के दौर में भी राजा रहा और हमेशा राजा ही बना रहेगा। मंडियों, बाजारों और बड़े बड़े माॅल से लेकर फुटपाथों के ठेलों तक हर गरीब-अमीर के लिए सुलभ आमों को खाने का मजा ही कुछ और है लेकिन आम के बागों में बैठ कर आम की दावतों का लुत्फ लेना तो वाकई परम आनंद पाना है। इसीलिए अवध में आम की दावतें अब भी होती हैं और खाने वाले तथा खिलाने वाले दोनों को ही तृप्त करती हैं।

(ध्यानार्थ - यह आलेख छात्रों के स्तर और उपयोगिता के आधार पर परिवर्धित करके पुनः साझा किया गया है।)

मूल लेखक - गोविंद पंत राजू

साभार - सत्याग्रह डॉट कॉम

अन्य सहायक सामग्री :-

  1. औरंगजेब और आम - जनसत्ता
  2. दुनिया को भारत का नायाब तोहफ़ा ‘आम

रविवार, 8 अक्तूबर 2023

तिल के बीजों में है ताकत पहाड़ सी

तिल का तेल 
किसी ने ठीक ही कहा है कि, "तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है।" आजमाने के आप चाहे तो किसी पर्वत का कोई कठोर पत्थर लेकर उसमें कटोरी के जैसा एक खड्डा बना लीजिए, उसमें पानी, दूध, घी अथवा तेजाब या संसार में कोई और ही कैमिकल, ऐसिड जैसे तरल पदार्थ डाल दीजिए, अन्य पदार्थ पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कहीं नहीं जायेगा। यदि उस कटोरीनुमा पत्थर को 'तिल के तेल' से भर दें। तो आप दो दिन बाद देखेंगे कि, 'तिल का तेल' पत्थर को पार करता हुआ पत्थर के नीचे आ भी गया है। यह होती है 'तिल' की ताकत, इसीलिए आयुर्वेद में इसे मालिश करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। यह तेल त्वचा, और माँस को पार करता हुआ, हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

आप को यह भी जानकार आश्चर्य होगा कि आज हम जिस 'तेल' शब्‍द का रोज़मर्रा के जीवन में प्रयोग करते हैं दरअसल उसकी उत्‍पत्ति भी 'तिल' से हुई है। संस्कृत भाषा में तेल के लिए 'तैल' शब्द का प्रयोग मिलता है। 'तैल' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिल' शब्द से ही हुई है। तैल का अर्थ है कि 'वह जो तिल से निकलता हो। अर्थात 'तेल' का असल अर्थ ही है 'तिल का तेल'। यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसका प्रयोग सदियों से भारतवर्ष में होता रहा है। प्रत्येक मांगलिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ तिल के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करके करने की प्राचीन परंपरा रही है। आज भी चाहे आपको कोई भी रोग हो तिल का तेल इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में उस व्याधि से लड़ने की क्षमता यह विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में विरले ही पाया जाता।

बादाम का तेल 

'तिल का तेल' ऐसा नैसर्गिक पदार्थ है जिसे कोई भी थोड़े प्रयास से भारतीय बाजारों में आसानी से प्राप्त कर सकता है। इसके लिए आपको किसी ब्रांड अथवा कंपनी विशेष का ही तेल खरीदने की आवश्यकता ही नहीं होगी। प्रयास करें कि बिना मिलावट के शुद्ध तेल उपलब्ध हो सके। आप इसके औषधीय गुण से चौक सकते हैं। मात्र सौ ग्राम सफेद तिल में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम उपलब्ध होता है। यदि बादाम में उपलब्ध कैल्सियम से हम तिल की तुलना करें तो पाएंगे कि तिल में लगभग चार गुना से भी अधिक कैल्शियम की मात्रा होती है। जबकि लौहतत्व की मात्र बादाम की तुलना में तिल के तेल में तीन गुना से भी अधिक होती है। तांबे के साथ ही मैग्निशियम, फॉस्फोरस, सेलनियम और जिंक की मात्राएँ भी इसमें अधिक ही होती है। तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।आमतौर पर तिल सफ़ेद, काला और लाल रंग के मिलते हैं। सफ़ेद तिल सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।

काला, सफ़ेद और लाल तिल 

तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एसिड होता है जो बीमारियों को दूर रखता है। सिस्मोल में विटामिन ई जैसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकते हैं। तिल के तेल के अंदर आपको बिटामिन- ए, बी, सी, डी, और ई का सारा संसार मिल जाता है। तिल के तेल का उपयोग भारतीय खाद्य व्यवसाय तथा खाद्य बाजार में कायम में होता है। यह तेल ज्यादातर खाद्य बनाने में प्रयोग होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, लड़्डू, चिक्‍की, पट्टी और बाड़ी आदि।  इनके अलावा, यह तेल को भोजन में भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है, खासकर साग और सब्ज़ियों के साथ। इसमें लौह की मात्रा भरपूर होने से महिलाओं के लिए अनेमिया के इलाज़ में भी कारगर सिद्ध होता है।

तिल के तेल के फायदे - 

  1. स्वास्‍थ्‍य लाभ: तिल के तेल में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-ई, बी, और ए के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, फास्‍फोरस, पोटैसियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, आदि होते हैं, जो कि बड़े फायदेमंद होते हैं।
  2. त्‍वचा के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में प्राकृतिक तरीके से मौजूद विटामिन-ई की वजह से यह त्‍वचा को मुलायम बनाता है और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
  3. हृदय रोग में फायदेमंद: तिल के तेल में पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं, जो ह्रदय के लिए फायदेमंद होते हैं।
  4. वजन नियंत्रण: तिल के तेल में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  5. बढ़ती ऊर्जा: तिल के तेल का सेवन करने से बॉडी में ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे थकान और कमी कम होती है।
  6. आंखों के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में विटामिन-ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
  7. तंतु की समस्‍या के लिए: तिल के तेल का सेवन करने से तंतु सुस्‍त होती है, जिससे समय तक यौन संबंध बनाए रखना संभव होता है।
  8. मस्‍तिष्‍क के लिए फायदेमंद: तिल के तेल के सेवन से मस्‍तिष्‍क की कार्यशीलता बढ़ती है और मस्‍तिष्‍क के रक्‍तसंचार को सुधारता है।
  9. डायबीटीज का इलाज़: तिल के तेल का सेवन करने से डायबीटीज के लिए फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर का रक्‍तचाप और रक्‍त शर्करा कंट्रोल में आता है।
  10. कैंसर की रोकथाम: तिल के तेल में विटामिन ई और अंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो कैंसर के खिलाफ कार्य करते हैं।
तिल के तेल का इस्‍तेमाल कैसे करें?
  1. खाद्य व्यंजन: तिल के तेल का उपयोग बहुत सारे खाद्य व्‍यंजन बनाने में होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, बाड़ी, लड़्डू, चिक्‍की, और साग और सब्ज़ियों को बनाने में भी होता है।
  2. दूध या दही में: तिल के तेल को दूध या दही के साथ सलाद आदि में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  3. रोज़ के खाने के साथ: आप तिल के तेल को रोज़ के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि साग और सब्ज़ियों के साथ।
  4. मालिश में उपयोगी : मालिश  के रूप में तिल के तेल का सेवन किया जा सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में। तिल के तेल से शारीरिक आराम और मानसिक सुख चैन के लिए एक अच्छे मालिश तेल के रूप में किया जा सकता है।

तिल के तेल के नुकसान

  • कॉलेस्‍ट्रॉल का वृद्धि: अगर आपका खून कॉलेस्‍ट्रॉल हाइ है, तो तिल के तेल का उपयोग कम करें, क्‍योंकि इसमें पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं जो कॉलेस्‍ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।
  • अलर्ज़ी की समस्‍या: तिल के तेल से एलर्ज़ी की समस्‍या हो सकती है, जिसका स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान हो सकता है।
  • बच्‍चों के लिए खतरा: बच्‍चों के लिए तिल के तेल का सेवन विशेषत:रूप से सूजी और घी के साथ नहीं करें, क्‍योंकि इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो कि उनके शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकती है।
  • मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन में सतर्क रहना चाहिए क्‍योंकि तिल के तेल का सेवन से उनका रक्‍तचाप और रक्‍त-शर्करा बढ़ने की संभवना होती है। गर्भवती महिलाओं को तिल के तेल का सेवन कम करना चाहिए, क्‍योंकि यह गर्भावस्‍था के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। इन बातों का ध्‍यान रखकर तिल के तेल का सेवन करें और इसके लाभ प्राप्‍त करें, लेकिन डॉक्‍टर की सलाह लेना न भूलें, खासकर अगर आपका किसी तरह का शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बंधी समस्‍या है।


अन्य स्रोत सामग्री : 


शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

आदर्श विद्यार्थी जीवन: नेतृत्व प्रदर्शन का प्रथम सोपान

हर किसी के जीवन में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि छात्रों में नेतृत्व कौशल का विकास करना भी होता है। आज का होनहार विद्यार्थी कल देश का भविष्य होगा। इसलिए, आदर्श विद्यार्थी जीवन नेतृत्व की शिक्षा के पहले और महत्वपूर्ण चरण के रूप में माना जाता है।

विद्यार्थी जीवन छात्रों के लिए नेतृत्व कौशलों को विकसित करने का पहला महत्वपूर्ण माध्यम होता है। यह जीवन का अवसर होता है जब छात्र अपने आप को व्यक्त करने, अन्यों को प्रेरित करने, और वैयक्तिक और सामाजिक स्तर पर नेतृत्व कौशल विकसित कर सकते हैं।

विद्यार्थी जीवन के नेतृत्व से सीख: गर्व नहीं, सहयोग

छात्र-परिषद का चुनाव 
एक नेता में आदर्श नेतृत्व क्षमता के विकास के बीज उसके विद्यार्थी जीवन काल में ही पड़ते हैं। जहाँ रहकर वह अपने सहपाठियों का नेता बनाता है। वह अपनी बात उनके समक्ष रखने के लायक बनाता है। विभिन्न खेलों में वह अपनी टीम का मुखिया (कप्तान) बनाता है। उसे अपनी कक्षा का मॉनिटर बनकर अपने सहपाठियों का प्रतिनिधित्व करने के गुण सीखता है। कई विद्यालयों में तो छात्र-परिषद अथवा छात्र-संसद के सदस्य बनाए जाते हैं। जिसमें उन्हें सफ़ाई, अनुशासन, खेलकूद, भाषा, गणित और विज्ञान आदि के विभाग, समूह अथवा सदन के मुखिया की ज़िम्मेदारी दी जाती है। जिसके लिए छात्र-छात्राएँ अपने-अपने अनुभवों और गुणों के बल पर उन पदों पर अन्य छात्रों के मतदान द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। जिसके फलस्वरूप वे अपने-अपने विभाग की जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं। इस प्रकार उसमें नेतृत्व कौशलों का विकास उनके विद्यालयीन जीवन में ही प्रारम्भ होने लगता है। जहाँ से वे अपने आदर्श और गुणों के बल पर अपने विभाग, दल (टीम) अथवा सदन को और बेहतर बनाने और आगे ले जाने का प्रयास करते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि विद्यार्थी जीवन ही एक अच्छे नेता बनने की एक महत्वपूर्ण कार्यशाला हो सकती है, यह सच है कि यहाँ तक कि हर छात्र जो नेतृत्व भूमिका निभाता है, वह आगे चलकर अपने -अपने क्षेत्र में आदर्श नेता बनने कि क्षमता रखता है। लेकिन इन्हीं में से कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करके अहंकार दिखाने लगते हैं। वे अन्य लोगों को परेशान करना अथवा उन्हें मजबूर करके उनका शोषण करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इससे सीखने वाले छात्रों की बजाय, वे केवल गर्व सीखते हैं, और गलत तरीके से नेतृत्व की परिभाषा बना देते हैं। ऐसे छात्रों को केवल उनके लोभी मित्र ही पसंद कर सकते हैं। जो अपने स्वार्थ में उनकी बुरी आदतों के लिए उनकी सराहना करते हैं। एक अच्छे नेता के रूप में आपको अपने चाटुकारों से दूर रहकर सच्चे मित्रों को पहचानने का गुण आना चाहिए।  


मानव वादी नेता: आदर्श विद्यार्थी का पूर्ण रूप से वर्णन

मानव वादी नेता ही "आदर्श विद्यार्थी" का पूरक होता है। मानववादी नेता को समझने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि आदर्श विद्यार्थी कौन होता है और क्यों वह मानव वादी नेता के रूप में कैसे मान्यता प्राप्त करता है?

आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएँ:

  • शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: आदर्श विद्यार्थी शिक्षा के प्रति गहरा समर्पण और प्रतिबद्धता रखता है। वह अपनी शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देता है और ज्ञान के माध्यम से समाज को बदलने का संकल्प रखता है।
  • सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पालन: वह उच्च सामाजिक और नैतिक मूल्यों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध पूर्वक अनुसरण करता है। उसके व्यवहार में ईमानदारी, साहस, सहयोग झलकता है।
  • सकारात्मक सेवा भाव: आदर्श विद्यार्थी समाज के उत्थान के लिए सकारात्मक योगदान करने के लिए प्रोत्साहित रहता है। वह समाज में सेवा के क्षेत्र में अपने समय और योग्यता का दान करता है।
  • नेतृत्व कौशल: वह नेतृत्व कौशलों को समझता है और अपनी प्राकृतिक नेतृत्व का उपयोग समुदाय के लाभ के लिए करता है। वह दूसरों को प्रेरित करने और मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है।
  • संवाद कौशल और जागरूकता: आदर्श विद्यार्थी समाज में जागरूकता पैदा करता है और विभिन्न मुद्दों पर जन-संवाद करने के लिए सक्षम होता है। वह समस्याओं के समाधान के लिए समाज के साथ सहयोग करता है।
  • स्वतंत्रता का मूल्यांकन: वह स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण मानता है और सोचने और विचार करने के लिए स्वतंत्रता का समर्थन करता है, जिससे वह नई विचार और समाधानों का खोज कर सकता है।
  • आदर्श साथी: वह अपने साथी छात्रों के प्रति समर्पित होता है और उनके उत्तरदायित्व का पूरा करता है। वह एक साथी के रूप में संबंध बनाने, सहयोग करने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करता है।
  • समाज में प्रेरणा: आदर्श विद्यार्थी अपने व्यक्तिगत और शैली से समाज को प्रेरित करता है। उसकी उपलब्धियाँ और सफलता दूसरों को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है।
  • निःस्वार्थ सेवा: आदर्श विद्यार्थी अपने समाज के प्रति निःस्वार्थ और समर्पण भाव से सेवा करता है, वह बिना किसी पद अथवा उपाधि की लालसा के केवल कर्म के प्रति ईमानदार नेता होना चाहिए। वह सेवा का आनंद लेने वाला होना चाहिए। 'सेवापरमोधरमः' अर्थात् ' सेवा ही सर्वोच्च धर्म है।' यही मानकर समाज को बेहतर बनाने का संकल्प करना चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी अपने सभी गुणों और कौशलों के साथ एक मानववादी नेता के रूप में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह शिक्षा का प्रणेता होता है, सामाजिक सेवा करता है, और नेतृत्व कौशलों का प्रयोग करके समाज को सुधारने में मदद करता है। इस तरह के आदर्श विद्यार्थी हमारे समाज के नेतृत्व की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हैं और एक बेहतर और समर्थक समाज की दिशा में मानववादी नेताओं की तरह काम करते हैं।आदर्श विद्यार्थी जीवन छात्रों को नेतृत्व कौशल विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, लेकिन सच है कि आदर्श नेतृत्व के लिए केवल अच्छे छात्र होने से काम नहीं चलेगा। नेतृत्व विशेषज्ञता, विश्वास, और सेवा के प्रति निरंतर समर्पण से बनता है। 

अभ्यास कार्य - 

उत्तर -                                           विद्यार्थी नेता: शिक्षा का प्रणेता

मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण संघर्ष, जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सफर शिक्षा है। विद्यार्थी जीवन, इस शिक्षा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में आता है, और यह वह सीढ़ी है जो नेतृत्व विकास की पहली क़दम हो सकती है। इस लेख में, हम विचार करेंगे कि क्या विद्यार्थी जीवन नेतृत्व का स्रोत है, या क्या यह केवल उड़ान बढ़ाने का काम करता है।

सबसे पहले, विद्यार्थी जीवन का महत्व जानने के लिए हमें समझना होगा कि यह कैसे एक व्यक्ति के विकास के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। यह एक अवसर होता है जब छात्र अपनी सोच और कौशल को नवाचन करते हैं, और वे अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, वे नेतृत्व कौशलों का अभ्यास करते हैं, जैसे कि संवाद, सहयोग, और टीम बिल्डिंग। इसलिए, विद्यार्थी जीवन नेतृत्व विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है, जो आदर्श नेता की निर्माण में मदद कर सकती है।

विद्यार्थी जीवन छात्रों को केवल उड़ान बढ़ाने के लिए नहीं होता, बल्कि यह उन्हें सामाजिक सद्गुणों और मूल्यों का भी ज्ञान देता है। नेतृत्व विकास के दौरान, विद्यार्थी अपने समर्पण, उत्कृष्टता, और न्याय के मूल मूल्यों को सीखते हैं, जो एक आदर्श नेता के लिए आवश्यक होते हैं।

यह सच है कि आदर्श विद्यार्थी ही एक आदर्श नेता बन सकता है, क्योंकि विद्यार्थी जीवन नेतृत्व के महत्वपूर्ण अंशों को प्रकट करता है। छात्र अपनी विशेष प्रवृत्ति और मजबूत संकल्प के साथ समस्याओं का समाधान करने की क्षमता दिखाते हैं, जिससे वे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

हालांकि, हमें यह याद दिलाना चाहिए कि नेतृत्व का केवल एक प्रारंभिक चरण होता है। यह शिक्षा हमारे जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ती है, और हमें हमेशा सीखते रहने का अवसर प्रदान करती है। इसलिए, विद्यार्थी जीवन की नेतागिरी छात्रों को केवल उड़ान बढ़ाने के रूप में नहीं, बल्कि उनके व्यक्तिगत और नेतृत्व विकास के रूप में भी कार्य करती है।

संक्षेप में कहें तो, विद्यार्थी जीवन नेतृत्व विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है, जो आदर्श नेता की उत्पत्ति में मदद कर सकता है। यह छात्रों को न केवल उड़ान बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उन्हें समाज में उत्कृष्ट और नैतिक नेतृत्व की ओर अग्रसर करता है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि "विद्यार्थी नेता: शिक्षा का प्रणेता"।

सोमवार, 4 सितंबर 2023

शब्दबोध - शिक्षा (Education related vocabulary)

 
साभार - indianwikipedia.com/

यहाँ हिन्दी में प्रयोग होने वाली कुछ शिक्षा संबंधी आम शब्दावली की सूची दी गई है:

  1. शिक्षा (shiksha) - Education
  2. शिक्षक (shikshak) - Teacher
  3. छात्र (chhatra) - Student
  4. पाठशाला (pathshala) - School
  5. विश्वविद्यालय (vishwavidyalaya) - University
  6. विद्यार्थी (vidyarthi) - Student
  7. पढ़ाई (padhai) - Study
  8. पाठ्यक्रम (pathyakram) - Curriculum
  9. प्रिय प्राध्यापक (priya pradhyapak) - Favorite Teacher
  10. प्राध्यापक (pradhyapak) - Professor
  11. पाठ (path) - Lesson
  12. शिक्षा मंत्री (shiksha mantri) - Education Minister
  13. शिक्षा अधिकारी (shiksha adhikari) - Education Officer
  14. विद्यालय जीवन (vidyalay jeevan) - School Life
  15. प्रमाणपत्र (pramanpatra) - Certificate
  16. प्राध्यापक तथा छात्र संघ (pradhyapak tatha chhatra sangh) - Teachers and Students Association
  17. शिक्षा नीति (shiksha neeti) - Education Policy
  18. शैक्षिक संस्थान (shaikshik sansthan) - Educational Institution
  19. अध्ययन (adhyayan) - Study
  20. पाठ्यपुस्तक (pathyapustak) - Textbook
  21. प्रशासनिक कर्मचारी (prashasanik karmachari) - Administrative Staff
  22. शिक्षा संगठन (shiksha sangathan) - Education Organization
  23. शैक्षिक योजना (shaikshik yojana) - Educational Plan
  24. विद्यालय प्रबंधन (vidyalay prabandhan) - School Management
  25. शैक्षिक अद्यतन (shaikshik adyatan) - Educational Update

ये कुछ शिक्षा संबंधी शब्द हैं जो आपके लिए सहायक साबित हो सकते हैं।

इस शृंखला विषयक अन्य साधन सामग्री

  • शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति,  सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
  • शब्दबोध - स्वास्थ्य (Health): आरोग्य, औषधि, प्रौद्योगिकी, रोग प्रतिरोधक, शारीरिक देखभाल आदि।
  • शब्दबोध - पर्यावरण और भूगोल (Environment & Geography): प्रदूषण, जलवायु, जैव-विविधता, ऊर्जा-संरक्षण आदि।
  • शब्दबोध - विज्ञान और प्रोद्योगिकी (Science & Communication): विज्ञान, प्रयोगशाला, गणित, भौतिकी, जीवविज्ञान आदि।
  • शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति,  सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
  • शब्दबोध - पर्यटन / यातायात (Tour & Transportation): साधन, सड़क, रेल, हवाई, सवारी, परिवहन आदि।
  • शब्दबोध - रोजगार (Employment): नौकरी, उद्यमिता, रोजगार क्षेत्र, कौशल, पेशेवर विकास आदि।
  • शब्दबोध - राजनीति (Politics): शासन, लोकतंत्र, राजनीतिक दल, चुनाव, शासक आदि।
  • शब्दबोध - आर्थिक (Economy): अर्थव्यवस्था, वित्तीय, विनिमय, उद्योग, विकास आदि।
  • शब्दबोध - समसामयिक (Contemporary): आपदा, भूकंप, महामारी, युद्ध, प्रतियोगिता आदि।


शब्दबोध - स्वास्थ्य (Health related Vocabulary)

साभार - आजतक 

स्वास्थ्य विषयक महत्वपूर्ण शब्दावली की सूची निम्नलिखित है:

शब्द    उच्चारण अर्थ (अंग्रेजी में)  

  1. आरोग्य Ārogya Health
  2. रोग Roga Disease
  3. दवा/दवाई  Davā/Davāi Medicine
  4. जीवनशैली Jīvanśailī Lifestyle
  5. आहार Āhār Nutrition
  6. व्यायाम Vyāyāma Exercise
  7. स्वस्थ  Svastha Healthy
  8. स्वास्थ्य  Svāsthya Health
  9. बीमार  Bīmār Sick
  10. बीमारी  Bīmārī Sickness
  11. चिकित्सा Cikitsā Therapy
  12. चिकित्सक Cikitsaka Doctor
  13. औषधि Auṣadhi Medication
  14. औषधीय  Auṣadhīya Medicinal
  15. रोगी Rogī Patient
  16. प्राकृतिक चिकित्सा Prākṛtika Cikitsā Naturopathy
  17. शारीरिक स्वास्थ्य Śārīrika Svasthya Physical Fitness / Health
  18. मानसिक स्वास्थ्य Mānsik Svāsthy Mental Health
  19. रोग प्रतिरोधक Roga Pratirodhaka Immunity
  20. आरोग्य सेवाएं Ārogya Sevāẏeṁ Healthcare Services
  21. बीमारी का पूर्वाग्रह Bīmārī Kā Pūrvāgraha Disease Prevention
  22. बीमारी का नियंत्रण Bīmārī Kā Niyaṁtraṇa Disease Control
  23. वैद्य Vaidya Ayurvedic Doctor
  24. तीमारदार Teemardaar Care Taker of Patient

यह सूची स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों का एक उपयोगी संग्रह है।


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  • शब्दबोध - शिक्षा (Education): शिक्षक, शिक्षार्थी, पाठ्यक्रम, ज्ञान, शैक्षिक संस्थान आदि।
  • शब्दबोध - विज्ञान (Science): विज्ञान, प्रयोगशाला, गणित, भौतिकी, जीवविज्ञान आदि।
  • शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति,  सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
  • शब्दबोध - पर्यटन / यातायात (Tour & Transportation): साधन, सड़क, रेल, हवाई, सवारी, परिवहन आदि।
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  • शब्दबोध - राजनीति (Politics): शासन, लोकतंत्र, राजनीतिक दल, चुनाव, शासक आदि।
  • शब्दबोध - आर्थिक (Economy): अर्थव्यवस्था, वित्तीय, विनिमय, उद्योग, विकास आदि।

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