आप भी बन सकते हैं 'हिंदी कोच'

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सोमवार, 10 अप्रैल 2023

लेख (Article)

लेख लेखन क्या होता है? 

लेख लिखना एक लेखन कौशल है जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा विभिन्न विषयों पर लिखा गया लेख होता है। इसमें व्यक्ति किसी विषय पर अपने विचारों को उभारता है तथा इसका उद्देश्य सामाजिक या व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति करना होता है।

लेख लेखन कई विषयों पर किया जा सकता है जैसे कि सामाजिक मुद्दों, साहित्य, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला, स्वास्थ्य, व्यापार, वित्त और बाजार आदि। लेख लेखन आमतौर पर अखबार और पत्रिकाओं जैसी प्रिंट मीडिया के साथ ही साथ ऑनलाइन के अन्य मीडिया मंचों (प्लेटफॉर्म्स) जैसे इंटरनेट वेबसाइट, ब्लॉग एवं अन्य सोशल मीडिया पर भी  प्रकाशित होता है।

लेख लेखन एक महत्वपूर्ण लेखन कौशल होता है जो लेखकों को समाज और उद्योगों में सूचना और ज्ञान प्रसार के लिए आवश्यक होता है। एक अच्छा लेखक विषय के बारे में विस्तृत ज्ञान रखता है और अपने लेख में स्पष्ट विचार प्रस्तुत करता है जो पाठकों को समझ में आता होता है। 

लेख, आलेख और 'सुलेख' में अंतर

छात्र-छात्राएँ अज्ञानतावश इन एक जैसे उच्चरित होने वाले शब्दों से अकसर भ्रमित हो जाते हैं। अतः इनके अंतर को जान लेना अत्यन्त आवश्यक है। "लेख", "आलेख" और "सुलेख" तीनों शब्द लिखने के लिए ही उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, इनके अर्थ में काफी अंतर होता है।

लेख - एक विषय पर लिखा गया लंबा टेक्स्ट होता है जिसमें यह लेखक के व्यक्तिगत विचारों के आधार पर लिखा जाता है और उसे अपनी रचनात्मक बुद्धिमत्ता के द्वारा पेश किया जाता है। इस तरह के लेख में लेखक अपनी सोच को व्यक्त करता है और वह पाठकों को अपनी समझ के अनुसार विषय को समझाने का प्रयास करता है। यह टेक्स्ट सामान्यतया एक पत्रिका, अखबार, ब्लॉग, वेबसाइट या किसी अन्य प्रकार के मीडिया में प्रकाशित किया जाता है। 

आलेख - यह एक संक्षिप्त लेखन होता है जो किसी विषय पर लिखा जाता है और इसमें संक्षेप में उपयोगकर्ता अपने विचारों को व्यक्त करता है। आमतौर पर, आलेख सामान्यतः अखबारों या पत्रिकाओं (मैगजीनों) में प्रकाशित किए जाते हैं और वे अकसर विशिष्ट समाचार विषयों, कुछ नई तकनीकी विकासों, समाज के विषयों, विपणन या वित्तीय बाजार आदि के बारे में होते हैं।

सुलेख -  यह विद्यार्थियों में अच्छे और सुंदर लिखावट (हस्ताक्षर) लिखने के उद्देश्य से अभ्यास कराया जाने वाला लेखन अभ्यास होता है। जैसे अंग्रेज़ी में प्राथमिक कक्षाओं में 'Cursive writing' कराई जाती है। वैसे ही हिंदी में 'सुलेख लेखन' कराया जाता है। इससे छात्रों में अच्छी हैंड राइटिंग लिखने में मदद मिलती है।  

लेख लेखन प्रारूप - 

  1. शीर्षक 
  2. लेखक का नाम व परिचय की पंक्ति
  3. लेख का मुख्य भाग - 
3.1  प्रस्तावना - लेख के विषय 
3.2 विषय विस्तार (लेख का मुख्य भाग, 2 - 3 पैराग्राफ)
3.3 निष्कर्ष (राय या सिफारिश, प्रत्याशा या अपील के साथ लेख का अंतिम अनुच्छेद)

 अभ्यास प्रश्न 

1. क्या शैक्षणिक संस्थाएँ युवाओं के आजीविका सृजन में सक्षम हैं? आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? स विंदु पर अपने विचारों को समझाते हुए स्कूल की पत्रिका के लिए अपना लेख लगभग 200 शब्दों में लिखिए। आपका लेख विषय से संबंधित जानकारी पर केंद्रित होना चाहिए।

  • बहुत - सी शिक्षण संस्थाएँ छात्र की व्यवहारिक और व्यावसायिक कुशलता विकास पर कार्य कर रही हैं ।
  • अधिकांश युवक शिक्षा के उपरांत भी रोजगार से वंचित हैं।

ऊपर दिए गए बिंदु आपके लेखन को दिशा प्रदान कर सकते हैं। इनके माध्यम से आप अपने विचारों को विस्तार दीजिए। विषय संबंधी अंतर्वस्तु के लिए 8 तथा उपयुक्त भाषा के लिए भी 8 अंक निर्धारित हैं।

उत्तर - 

 शीर्षक :  युवाओं की आजीविका सृजन में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका

- अरविंद बारी, 

(शिक्षक और हिंदी सेवी) 

प्रस्तावना / विषय प्रवेश - आज के समय में युवाओं की आजीविका सृजन के लिए शिक्षण संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। शैक्षणिक संस्थानों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों को व्यावसायिक तथा व्यवहारिक कुशलता के साथ-साथ उनके रुचि के क्षेत्र में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान करें।

विषय विस्तार - शिक्षण संस्थानों का मुख्य उद्देश्य होता है छात्रों को शिक्षा प्रदान करना जो उनकी सोच, उनके जीवन और उनकी आजीविका को सुधार सके। शिक्षा संस्थानों को युवाओं को व्यावसायिक और व्यवहारिक कुशलता के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। आज के समय में जहां तक नौकरियों की बात है, वहाँ शिक्षा अधिकांश विषयों में आवश्यक है।

अधिकांश युवक या तो नौकरियों से वंचित हो जाते हैं या फिर उन्हें बेहतर आय की खोज करनी पड़ती है। ऐसे में दोष उन युवाओं की काबिलीयत पर आ जाता है? लोग उन्हें नकारा समझते हैं। पर उन संस्थाओं को कोई नहीं पूछता जिनके साये में ये शिक्षित हुए हैं। ये संस्थाएं भी उतनी ही जिम्मेदार हैं। शैक्षणिक संस्थाएं उन्हें विभिन्न डिग्री और प्रमाणपत्र प्रदान करती हैं, जो उन्हें उनके विभिन्न करियर के लिए अधिक उचित बनाते हैं। उनके विभिन्न क्षेत्रों में योग्यता होने से युवाओं के विकास और करियर के अवसरों में उन्हें इसी तरह की सुविधाएं देनी चाहिए।

                                                                                         साभार - पराग डॉट इन

शैक्षणिक संस्थानों में युवाओं को नए कौशल, जैसे कि तकनीकी ज्ञान, व्यावसायिक कौशल, सामाजिक और आधारभूत कौशल आदि सिखाया जाता है। इससे युवाओं को नए क्षेत्रों में अवसर मिलते हैं और वे आज की तकनीकी और तकनीकी दुनिया में अधिक सक्षम बनते हैं। 

निष्कर्ष/उपसंहार -  शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका युवाओं की आजीविका सृजन में बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा न केवल युवाओं को ज्ञान और विद्या प्रदान करती है, बल्कि उन्हें व्यावसायिक कौशल भी सिखाती है। शैक्षणिक संस्थानों के अध्ययन कार्यक्रम उन्हें उनकी रुचि के अनुसार चुनने का अवसर देते हैं और उन्हें व्यवसायों में सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं। शैक्षणिक संस्थानों के अलावा, युवाओं को स्वयं के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने के लिए नए तकनीकी उपकरण भी उपलब्ध हैं। इन तकनीकी उपकरणों में ऑनलाइन शिक्षा के लिए मंच भी शामिल हैं जो उन्हें अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर देते हैं। इसलिए, शैक्षणिक संस्थानों और तकनीकी उपकरणों दोनों का मिशन युवाओं की आजीविका सृजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है।


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