साभार - गूगल चित्र |
संस्कृति और परंपरा के प्रदेश, उत्तर प्रदेश के वाराणसी की तंग गलियों में बसे 'लक्ष्मी चायवाले' आज एक ऐसी पहचान बन चुके हैं जिसे लगभग 70 साल से भी अधिक समय से लोग अपने दिल से संजोए हुए हैं। वैसे तो बनारस जिसे आज वाराणसी भी कहा जाता है, यह भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है। गंगा के पावन तट पर बसा यह शहर अपनी गलियों, घाटों, साधु-संन्यासियों, साड़ी, पान, चाट और लस्सी के साथ मोक्षधाम के लिए प्रसिद्ध रहा है।
लक्ष्मी चायवाले की चाय की चुस्की के लिए लोग यहां सुबह-सुबह 4बजे से से ही खींचे चले आते हैं। इस चाय की दुकान की खास बात यह है कि इसके मसालेदार चाय की महक दूर-दूर तक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। चाय में अदरक, इलायची और पारंपरिक मसालों का ऐसा अनूठा संगम है कि एक बार पीने के बाद इसका स्वाद जुबां से नहीं हटता। साथ ही, दूध की गाढ़ी मलाई जो इस चाय के लिए लगातार गर्म किया जाता रहता है उसके ऊपर बनती है, इसे और भी खास बना देती है। यही कारण है कि हर उम्र के लोग यहां आकर चाय का लुत्फ उठाते हैं।
लक्ष्मी चायवाले की दुकान बनारस के पुराने हिस्से में स्थित है, जहां गली के दोनों ओर छोटे-छोटे घर और दुकानें सजी रहती हैं। पर इन तंग गलियों और संकरे रास्तों के बावजूद लोग यहां पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जैसे ही आप इस गली में कदम रखते हैं, एक खास खुशबू आपकी नाक में प्रवेश करती है जो लक्ष्मी चाय की है। लोग कहते हैं कि यहां की चाय में बनारसी अंदाज का एक अलग ही जादू है। यही वजह है कि हर दिन यहां सुबह से ही ग्राहकों की भीड़ लग जाती है।
चाय के साथ यहां मिलने वाले टोस्ट की भी अपनी अलग पहचान है। ये टोस्ट दूध की मलाई के साथ परोसे जाते हैं और इनकी कुरकुरी बनावट चाय के साथ खाने का मजा दोगुना कर देती है। बनारस के लोगों के लिए यह केवल नाश्ता नहीं, बल्कि एक परंपरा है, जो सालों से चली आ रही है। लक्ष्मी चायवाले के यहाँ आने वाले लोग अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि यह चाय पीकर ऐसा लगता है मानो एक नई ताजगी और ऊर्जा मिल रही हो।
यहां हर रोज़ सुबह छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े तक, महिलाएं और पुरुष, सभी लक्ष्मी चायवाले की दुकान पर पहुंचते हैं। बच्चों के लिए यह चाय मीठी और मजेदार होती है, जबकि बूढ़े लोगों के लिए यह एक पुरानी यादों की तरह होती है। यहां के निवासी कहते हैं कि लक्ष्मी चायवाले की चाय उनके जीवन का हिस्सा बन गई है। चाहे मौसम गर्म हो या सर्द, चाय की यह दुकान कभी खाली नहीं रहती।
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क्ष्मी चायवाले का 70 साल पुराना यह सफर किसी चमत्कार से कम नहीं है। लोगों का इस चाय दुकान के प्रति जो प्रेम और जुड़ाव है, वह इसे वाराणसी के दिल में एक खास जगह बनाता है। यह न केवल एक चाय की दुकान है, बल्कि बनारस की आत्मा का हिस्सा है, जो सुबह की शुरुआत को खास और यादगार बना देती है।