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बुधवार, 13 नवंबर 2024

विजय स्तंभ: चित्तौड़गढ़ की शान

पिछले सप्ताह मैंने राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक, चित्तौड़गढ़ का विजय स्तंभ देखने का निश्चय किया। इस यात्रा की योजना बनाते समय मेरे मन में एक अनोखा उत्साह था, मानो मैं भारतीय इतिहास की जड़ों से जुड़ने जा रहा हूँ। मैंने हमेशा से चित्तौड़गढ़ की कई रोचक कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन इस बार मैं खुद इस ऐतिहासिक स्थल पर जाकर उसकी भव्यता का अनुभव करना चाहता था।
जैसे ही मैंने चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश किया, मेरे मन में एक विशेष प्रकार की गर्व की भावना जाग उठी। यह किला भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है, और इसके विशाल द्वार से प्रवेश करते ही इतिहास जीवंत हो उठा। यहाँ के हर पत्थर, हर दीवार में शौर्य और बलिदान की कहानियाँ छिपी हुई हैं। लेकिन मेरा मन विजय स्तंभ को देखने के लिए व्यग्र था, जिसे महाराणा कुम्भा ने 1440 ईस्वी में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में बनवाया था।
जब मैंने पहली बार विजय स्तंभ को देखा, तो मैं उसकी ऊँचाई और स्थापत्य सौंदर्य से स्तब्ध रह गया। यह 37 मीटर ऊँचा स्तंभ दूर से ही अपनी भव्यता और उत्कृष्टता से मन मोह लेता है। 9 मंजिला इस स्तंभ की जटिल नक्काशियां और सुंदर मूर्तियां भारतीय शिल्पकारों की अद्वितीय कला का प्रतीक हैं। जैसे-जैसे मैं इसके पास पहुंचा, मेरे भीतर एक अजीब सी अनुभूति हो रही थी, मानो मैं इतिहास के किसी स्वर्णिम अध्याय का हिस्सा बन गया हूँ।
विजय स्तंभ के अंदर प्रवेश करते ही मैंने उसके भीतर की सीढ़ियों की ओर देखा। मैं जैसे-जैसे ऊपर की ओर चढ़ता गया, हर मंजिल पर देवी-देवताओं की मूर्तियों और पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे हुए थे। इन नक्काशियों को देखते ही मन में यह सवाल उठने लगा कि कैसे हमारे पूर्वजों ने बिना किसी आधुनिक तकनीक के इतनी बारीकी और सटीकता से इस कृति का निर्माण किया होगा। हर मंजिल पर ठहरकर मैंने इन कलाकृतियों को निहारने का प्रयास किया, और हर बार उनमें कुछ नया, कुछ अनोखा दिखा।
जब मैं विजय स्तंभ की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुँचा, तो वहाँ से पूरे चित्तौड़गढ़ किले का विहंगम दृश्य देखने को मिला। हवा में हल्की ठंडक थी, और दूर-दूर तक फैला किला मेरे सामने था। उस पल, मुझे महसूस हुआ कि मैं सिर्फ एक पर्यटक नहीं हूँ, बल्कि इस किले के इतिहास का साक्षी भी हूँ। यह दृश्य मेरे मन में गहराई से बस गया, और मैं गर्व महसूस कर रहा था कि हमारे पूर्वजों ने अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए किस तरह से संघर्ष किया था।
यह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक पर्यटक स्थल की खोज नहीं थी, बल्कि यह मेरे इतिहास से जुड़ने का एक मौका था। मैंने विजय स्तंभ की भव्यता में भारतीय कला, संस्कृति और वीरता का अनूठा मिश्रण देखा। वहाँ खड़े होकर मुझे महसूस हुआ कि यह स्तंभ केवल पत्थरों से बनी संरचना नहीं है, बल्कि यह हमारे गौरवशाली अतीत का एक जीवंत प्रमाण है।
विजय स्तंभ से उतरते समय मेरे मन में संतोष था, और मैं सोच रहा था कि इस तरह की धरोहरें हमें न केवल अपने अतीत को समझने का अवसर देती हैं, बल्कि हमें भविष्य के लिए प्रेरित भी करती हैं।

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

यात्रा वृत्तांत (Travelogue) : घुमक्कड़ी का आनंद

यात्रा-वृत्तांत का शाब्दिक अर्थ है - 'एक स्थान से दूसरे स्थान तक के सफर की कहानी।'  यात्रा करने वाला व्यक्ति जब अपनी यात्रा से जुड़े अनुभवों को बोलकर अथवा लिखकर दूसरों को बताता है तो उसे 'यात्रा-वृत्तांत' के नाम से जाना जाता है। इसे ही 'सफ़र नामा' अथवा 'घुमक्कड़ी की कहानियाँ' भी कहते हैं। आपने भी अब तक तमाम यात्राएँ की होंगी। लिखा है कोई अपना यात्रा-वृत्तांत? आज जरूर लिखना।        

दुनिया का शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे घूमना (सैर करना) पसंद ना हो। आदि मानव हिन नहीं बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी अपनी ज्ञान-पिपाशा (जानने की इच्छा) शांत करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी यात्रा करते रहे हैं। यों कहें कि आज तक हमने जो भी विकास किया है, वो हमारी घुमक्कड़ी, जिज्ञासा (जानने की इच्छा) और दूरदर्शिता का ही परिणाम है। दुनिया भर के महान ज्ञानियों में अधिकतम खोजी और घुमक्कड़ रहे हैं।    
उर्दू के मशहूर शायर 'मीर' साहब ने खूब लिखा है कि - 
"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ ?
                     ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ ?"          
बॉलीवुड (सिनेमा जगत) का एक मशहूर गीत मुझे याद आ रहा है, "अराउंड द वर्ल्ड इन एट डॉलर्स।"
                                                                                                          सौजन्य : यू-ट्यूब 
            अभ्यास कार्य 1 -
प्रश्न - हाल ही में आपके द्वारा की गई किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वृत्तांत लिखिए। आपके लेखन में निम्नलिखित बिंदुओं को अवश्य शामिल करें। आपका लेखन कार्य लगभग 120 शब्दों से कम न हो। 
  • यात्रा का स्थान और जाने की तैयारियाँ
  • प्राकृतिक सौंदर्य और आकर्षण 
  • वहाँ के दर्शनीय स्थल और बाजार   
आपको 3 अंक अंतर्वस्तु के लिए और 5 अंक सटीक भाषा एवं शैली के लिए दिए जाएंगे।  
     उत्तर - 
    ऊटी की यात्रा 

    मेरा मन और मैं दोनों ही बड़े घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के हैं, चाहकर भी एक स्थान पर अधिक देर टिक नहीं पाते हैं। चंचलता की खुमारी तो जैसे सदा रगों में दौड़ती ही रहती है। इसी क्रम में मैं सर्दियों की छुट्टियों में चल पड़ा था पहाड़ों की सैर पर...।  
                                                                                                                                     सौजन्य: गूगल इमेज

           मैं पहुँच गया 'उदगमंडलम्' अर्थात् 'ऊटी', नीलगिरि की पहाड़ियों में बसा एक सुरम्य 'हिल स्टेशन'। यकीन मानिए यहाँ की हरियाली (greenery) और खुशनुमा मौसम (pleasant weather) से भरे इस 'रिजॉर्ट टाउन' को 'पहाड़ों की रानी' (Queen of hill station) कहा जाय तो अतिशयोक्ति (hyperbole) न होगा। आश्चर्यजनक दृश्य, बड़े-बड़े चाय के बागानों और शांत झीलों से लेकर कल-कल करते झरने तथा बगीचों में घूमने का आनंद लेने के लिए बहुत कुछ है। आप भी अगर इस खूबसूरत पर्वतीय स्थल में कुछ दिन बिताना चाहते हैं, तो आपके लिए यह लेख उपयोगी हो सकेगा। 

             आइये आपको भी ले चलता हूँ मैं अपने साथ 'ऊटी' की मानसिक यात्रा पर। मैं एक मुंबईकर हूँ और यहाँ से 'ऊटी' की दूरी लगभग 1200 कि.मी. की है। यह दक्षिणी भारत का एक प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यह तमिलनाडु के नीलगिरी जिले मैं स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है। नीलगिरी पर्वत शृंखलाएँ इसे चहुँओर (all around) से घेरे हुई हैं। दरअसल इन पहाड़ों में कुरुंजी (flower name) नामक नीले रंग के फूलों के खिलने से ही इसका नाम नीलगिरी (ब्लू माउंटेन) पड़ा है। हालाँकि ये फूल बारह वर्षों में केवल एक बार खिलते हैं। जब भी खिलते हैं, तब पूरी घाटी नीली हो जाती है। 

              यहाँ पहुँचने के लिए सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग का साधन मौजूद हैं। लोग निकटतम (nearest) हवाई अड्डा कोयंबटूर से आसानी से पहुँच सकते हैं। देश विदेश के लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों से सीधी उड़ान ले सकते हैं। वैसे बस द्वारा सड़क मार्ग से पहुँचने का आनंद ही कुछ और है। यहाँ का मौसम वर्ष भर खुशनुमा (pleasant) रहता है। जबकि ठंड में दक्षिण भारत के अन्य भागों की तुलना में यहाँ का मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा होता है।

    अभ्यास कार्य 2 -

    माथेरान की यात्रा 





                                                                                    सौजन्य: गूगल इमेज

    डाउनलोड करने योग्य सामग्री (DOWNLOADABLES) हेतु नीचे क्लिक करें -

    • पी.पी.टी. प्रेजेंटेशन
    • नोट्स Handouts
    • Worksheets
    अन्य अध्ययन सामग्री - 
    1. मेरे यात्रा वृत्तांत
    2. हिंदी यात्रा-वृत्तांत की सूची
    3. यात्रा वृतांत : परिचय, तत्व, अर्थ, स्वरूप और विशेषताएँ
    4. हिन्दी साहित्य में प्रमुख यात्रा वृत्तांत व उनके यात्रा वृत्तांतकार 
    5. मेरे मजेदार और सजीव और सच्चे यात्रा वृत्तांत
    6. यात्रा वृतांत - मेरी पहली झारखण्ड यात्रा
    7. यात्रा वृतांत - कुंजापुरी शक्तिपीठ
    8. यात्रा वृत्तांत - मेरी पहली नेपाल यात्रा
    9. यात्रा वृत्तांत - कुल्लू से नेहरुकुंड-वशिष्ठ वाया मानाली लेफ्ट बैंक
    10. यात्रा डायरी - शिमला के बीहड़ वनों में एकाकी सफर का रोमांच
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