यात्रा-वृत्तांत का शाब्दिक अर्थ है - 'एक स्थान से दूसरे स्थान तक के सफर की कहानी।' यात्रा करने वाला व्यक्ति जब अपनी यात्रा से जुड़े अनुभवों को बोलकर अथवा लिखकर दूसरों को बताता है तो उसे 'यात्रा-वृत्तांत' के नाम से जाना जाता है। इसे ही 'सफ़र नामा' अथवा 'घुमक्कड़ी की कहानियाँ' भी कहते हैं। आपने भी अब तक तमाम यात्राएँ की होंगी। लिखा है कोई अपना यात्रा-वृत्तांत? आज जरूर लिखना।
दुनिया का शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे घूमना (सैर करना) पसंद ना हो। आदि मानव हिन नहीं बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी अपनी ज्ञान-पिपाशा (जानने की इच्छा) शांत करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी यात्रा करते रहे हैं। यों कहें कि आज तक हमने जो भी विकास किया है, वो हमारी घुमक्कड़ी, जिज्ञासा (जानने की इच्छा) और दूरदर्शिता का ही परिणाम है। दुनिया भर के महान ज्ञानियों में अधिकतम खोजी और घुमक्कड़ रहे हैं।
उर्दू के मशहूर शायर 'मीर' साहब ने खूब लिखा है कि -
"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ ?
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ ?"
बॉलीवुड (सिनेमा जगत) का एक मशहूर गीत मुझे याद आ रहा है, "अराउंड द वर्ल्ड इन एट डॉलर्स।"
सौजन्य : यू-ट्यूब
अभ्यास कार्य 1 -
प्रश्न - हाल ही में आपके द्वारा की गई किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वृत्तांत लिखिए। आपके लेखन में निम्नलिखित बिंदुओं को अवश्य शामिल करें। आपका लेखन कार्य लगभग 120 शब्दों से कम न हो।
- यात्रा का स्थान और जाने की तैयारियाँ
- प्राकृतिक सौंदर्य और आकर्षण
- वहाँ के दर्शनीय स्थल और बाजार
आपको 3 अंक अंतर्वस्तु के लिए और 5 अंक सटीक भाषा एवं शैली के लिए दिए जाएंगे।
ऊटी की यात्रा
मेरा मन और मैं दोनों ही बड़े घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के हैं, चाहकर भी एक स्थान पर अधिक देर टिक नहीं पाते हैं। चंचलता की खुमारी तो जैसे सदा रगों में दौड़ती ही रहती है। इसी क्रम में मैं सर्दियों की छुट्टियों में चल पड़ा था पहाड़ों की सैर पर...।
सौजन्य: गूगल इमेज
मैं पहुँच गया 'उदगमंडलम्' अर्थात् 'ऊटी', नीलगिरि की पहाड़ियों में बसा एक सुरम्य 'हिल स्टेशन'। यकीन मानिए यहाँ की हरियाली (greenery) और खुशनुमा मौसम (pleasant weather) से भरे इस 'रिजॉर्ट टाउन' को 'पहाड़ों की रानी' (Queen of hill station) कहा जाय तो अतिशयोक्ति (hyperbole) न होगा। आश्चर्यजनक दृश्य, बड़े-बड़े चाय के बागानों और शांत झीलों से लेकर कल-कल करते झरने तथा बगीचों में घूमने का आनंद लेने के लिए बहुत कुछ है। आप भी अगर इस खूबसूरत पर्वतीय स्थल में कुछ दिन बिताना चाहते हैं, तो आपके लिए यह लेख उपयोगी हो सकेगा।
आइये आपको भी ले चलता हूँ मैं अपने साथ 'ऊटी' की मानसिक यात्रा पर। मैं एक मुंबईकर हूँ और यहाँ से 'ऊटी' की दूरी लगभग 1200 कि.मी. की है। यह दक्षिणी भारत का एक प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यह तमिलनाडु के नीलगिरी जिले मैं स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है। नीलगिरी पर्वत शृंखलाएँ इसे चहुँओर (all around) से घेरे हुई हैं। दरअसल इन पहाड़ों में कुरुंजी (flower name) नामक नीले रंग के फूलों के खिलने से ही इसका नाम नीलगिरी (ब्लू माउंटेन) पड़ा है। हालाँकि ये फूल बारह वर्षों में केवल एक बार खिलते हैं। जब भी खिलते हैं, तब पूरी घाटी नीली हो जाती है।
यहाँ पहुँचने के लिए सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग का साधन मौजूद हैं। लोग निकटतम (nearest) हवाई अड्डा कोयंबटूर से आसानी से पहुँच सकते हैं। देश विदेश के लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों से सीधी उड़ान ले सकते हैं। वैसे बस द्वारा सड़क मार्ग से पहुँचने का आनंद ही कुछ और है। यहाँ का मौसम वर्ष भर खुशनुमा (pleasant) रहता है। जबकि ठंड में दक्षिण भारत के अन्य भागों की तुलना में यहाँ का मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा होता है।
अभ्यास कार्य 2 -
डाउनलोड करने योग्य सामग्री (DOWNLOADABLES) हेतु नीचे क्लिक करें -
- पी.पी.टी. प्रेजेंटेशन
- नोट्स Handouts
- Worksheets
- मेरे यात्रा वृत्तांत
- हिंदी यात्रा-वृत्तांत की सूची
- यात्रा वृतांत : परिचय, तत्व, अर्थ, स्वरूप और विशेषताएँ
- हिन्दी साहित्य में प्रमुख यात्रा वृत्तांत व उनके यात्रा वृत्तांतकार
- मेरे मजेदार और सजीव और सच्चे यात्रा वृत्तांत
- यात्रा वृतांत - मेरी पहली झारखण्ड यात्रा
- यात्रा वृतांत - कुंजापुरी शक्तिपीठ
- यात्रा वृत्तांत - मेरी पहली नेपाल यात्रा
- यात्रा वृत्तांत - कुल्लू से नेहरुकुंड-वशिष्ठ वाया मानाली लेफ्ट बैंक
- यात्रा डायरी - शिमला के बीहड़ वनों में एकाकी सफर का रोमांच
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