📚 IGCSE हिंदी — अभ्यास एक (8 अंक)
🚀 अंतरिक्ष में बढ़ता मानव हस्तक्षेप: रोबोट और ग्रहों की खोज
📖 आलेख
पृथ्वी के बाहर क्या जीवन है — यह प्रश्न मानवता को सदियों से आकर्षित करता आया है। विज्ञान की प्रगति ने हमें उस दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया है, जहाँ कल्पना और वास्तविकता के बीच की दूरी धीरे-धीरे मिट रही है। आज मनुष्य अंतरिक्ष में केवल देखने नहीं, बल्कि खोज करने निकला है — और उसका सबसे बड़ा साथी बना है रोबोट। स्पुतनिक-1 पहला कृत्रिम उपग्रह था जिसने 1957 में अंतरिक्ष यात्रा शुरू कीQ1।
सबसे पहले कृत्रिम उपग्रह 'स्पुतनिक-1' ने जब 1957 में अंतरिक्ष की यात्रा की, तब से लेकर अब तक हजारों यान अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं। चंद्रमा पर मानव की पहली यात्रा 1969 में 'अपोलो-11' अभियान के माध्यम से हुई थी। तब से लेकर अब तक मनुष्य का ध्यान धीरे-धीरे मंगल, बृहस्पति और शनि जैसे ग्रहों की ओर गया है। लेकिन इन दूरस्थ ग्रहों तक पहुँचना न केवल कठिन है बल्कि मानव जीवन के लिए जोखिम भरा भी है। इसलिए वैज्ञानिकों ने रोबोटिक मिशन की सहायता लीQ3।
मंगल ग्रह की सतह पर क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस जैसे रोबोटिक यान वर्षों से काम कर रहे हैंQ2। ये न केवल मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करते हैं, बल्कि वहाँ के मौसम, तापमान और वातावरण की रासायनिक संरचना का भी अध्ययन करते हैं। इन रोबोटों की खास बात यह है कि इन्हें सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठा वैज्ञानिक दल नियंत्रित करता है। वे सौर ऊर्जा से चलते हैं और स्वचालित रूप से कठिन भूभागों पर संतुलन बनाए रखते हैं।
अब विज्ञान की दिशा और भी साहसिक हो गई है। निजी कंपनियाँ जैसे स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन जैसी कंपनियाँ भविष्य में मनुष्यों को दूसरी ग्रहों पर भेजने में सक्रिय हैंQ4। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले सौ वर्षों में मनुष्य अन्य ग्रहों पर बसावट शुरू कर सकता है।
फिर भी, इस उत्साह के साथ अनेक प्रश्न भी उठते हैं — क्या हमें दूसरे ग्रहों के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का अधिकार है? क्या अंतरिक्ष को भी हम पृथ्वी की तरह प्रदूषित नहीं कर देंगे? वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि यदि अंतरिक्ष में उपग्रहों और मलबे की मात्रा ऐसे ही बढ़ती रही तो भविष्य के अभियानों को गंभीर खतरा हो सकता है। रोबोट मानव के लिए सबसे बड़ा साथी हैं क्योंकि वे जोखिम भरे स्थानों पर कार्य करते हैंQ5।
इसलिए आवश्यक है कि मानव अपनी तकनीकी प्रगति के साथ-साथ नैतिक ज़िम्मेदारी भी निभाए। अंतरिक्ष की खोज हमें यह सिखाती है कि ब्रह्मांड कितना विशाल है, और हमारी पृथ्वी कितनी कीमती। ब्रह्मांड की विशालता हमें विनम्र बनाती है और नैतिक जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा देती हैQ6।
❓ अभ्यास प्रश्न
- स्पुतनिक-1 पहला कृत्रिम उपग्रह था जिसने 1957 में अंतरिक्ष यात्रा शुरू की।
- इसने मानव द्वारा अंतरिक्ष वैज्ञानिक पहल की नींव रखी।
- मंगल ग्रह की सतह पर ये रोबोटिक यान सक्रिय हैं।
- पृथ्वी से दूर वैज्ञानिक दल द्वारा दूरस्थ नियंत्रण में।
- सौर ऊर्जा से चलित और स्वचालित संतुलन बनाते हैं।
- स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन जैसी कंपनियाँ।
- वे मानव हिस्सों में जोखिम भरे स्थानों पर सुरक्षित कार्य करते हैं।
- दूरस्थ प्रयोग व जानकारी इकठ्ठा कर खोज को आगे बढ़ाते हैं।
- यह हमें विनम्र बनाती है और पृथ्वी के प्रति ज़िम्मेदार बनना सिखाती है।
- तकनीकी प्रगति के साथ नैतिकता जरूरी है।
📝 शिक्षक हेतु अंक वितरण निर्देश
प्रत्येक प्रश्न के अंक उसके सामने स्पष्ट रूप से लिखे हैं। विद्यार्थी से अपेक्षा की जाती है कि वे प्रमुख बिंदुओं में उत्तर दें। आंशिक उत्तरों को संबंधित अंकों का हिस्सा दें।
⚠️ छात्र सावधानियां
- प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें और मूल आलेख के हाइलाइट वाले भागों को समझें।
- उत्तर जांचने पर गलतियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं, इससे सीखना होगा।
- पढ़ते समय TTS का उपयोग कर सुनने की क्षमता भी बढ़ाएं।
- प्रिंट करते समय ध्यान दें कि जवाब मुद्रित नहीं होंगे, केवल प्रश्न और आलेख।
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