पारिजात का फूल |
हरसिंगार के फूल सफ़ेद रंग के होते हैं और इनमें नारंगी रंग का तना होता है। इन फूलों में पांच से सात पंखुड़ियां होती हैं। यह फूल रात के समय खिलने के लिए प्रसिद्ध है, जिसके कारण इसे 'निशागंधा' भी कहा जाता है। हरसिंगार के पौधों का उनकी पत्तियों के साथ विशेष संबंध है, जो रात्रि के समय फूलों के साथ खुलती हैं और सूर्योदय के साथ ही मुरझाने लगती है। इस प्रक्रिया के कारण इसे लोग अधिक पसंद करते हैं। चलिए, हम इसके रहस्यों से उजागर करने के लिए इस फूल को जानने निकलते हैं और उसके विस्तार से अध्ययन करते हैं।
इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। है, और यह भारत के उत्तरी भागों, जैसे कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, एवं पूर्वी भारत में पाया जाता है। इसके अलावा, बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस आदि देशों में भी हरसिंगार की खेती की जाती है। जनश्रुति के अनुसार इसकी उत्पत्ति समुद्र-मंथन से हुई थी। समुद्र-मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से एक हरसिंगार का पौधा भी है। यह पौधा देवताओं को मिला था। जिसे इंद्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। मान्यता के अनुसार नरकासुर के वध के पश्चात इंद्र ने भगवान श्रीकृष्ण को हरसिंगार के पुष्प भेंट किये थे, जिसे उन्होंने देवी रुक्मिणी को भेंट किया था।
समुद्र मंथन |
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार पौधे की चाह में सत्यभामा ने हठ किया, जिसके फल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण जब हरसिंगार का पेड़ इंद्र देव से युद्ध में जीत कर स्वर्ग से धरती पर लेकर आ रहे थे तब देवराज इंद्र ने क्रोध में आकर पेड़ को श्राप दे दिया। माना जाता है कि इसी श्राप की वजह से हरसिंगार के फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और इस पर फल भी कभी नही आते। हरसिंगार के पौधे में फूल आने का समय बारिश के बाद अगस्त माह से सर्दियों में दिसंबर माह तक होता है। केवल हरसिंगार ही एक ऐसा पौधा है जिसके पुष्प जमीन पर गिरे हुए होने के बाद ही भगवान को स्वीकार होते है। हरसिंगार के पुष्प गोधूलि बेला के बाद खिलते हैं जो प्रातः स्वयं ही पौधे से झड़ जाते हैं।
पारिजात का पौधा |
उगाने के बाद हरसिंगार के पौधे को दिन की 5 से 6 घंटे की धूप में रखें। समय-समय पर गोबर की खाद, मिट्टी की गुड़ाई करके, गमले में डाले, उसे ऊपर मिट्टी से ढक दें। मिट्टी सुखने से पहले गुड़ाई करें फिर पानी अवश्य दें। पौधे को घना करने के लिए समय समय पर 15 से 20 दिनों के अंतर में बसंत से जुलाई तक हल्की छंटाई करते रहिए। गर्मियो के दिन में 2 से 3 बार गमले में पानी डालें। सर्दियों में इस पौधे को नियमित रूप से पानी देने से बचें। पौधे को धूप में रखें और ठंडी हवा से बचाये।
पारिजात की पत्तियाँ |
मंगलवार के दिन हरसिंगार के पौधे को हनुमान जी के मंदिर के पास, किसी नदी के पास या सामाजिक स्थल पर लगाने से स्वर्ण दान के समान पुण्य प्राप्त होता है। हरसिंगार के पौधे को किसी शुभ मुहूर्त पर अपने घर के उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में लगाएं, नियमित रूप से उसकी देखभाल करें। ऐसा करने से घर के सभी वास्तु दोष दूर होते है। देवी लक्ष्मी और श्री हरि को इसके फूल अति प्रिय है। जहाँ भी यह पौधा लगा होता है वहां माँ लक्ष्मी का वास माना जाता है।