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सोमवार, 11 नवंबर 2024

साक्षात्कार: विजयश्री गुप्ता से प्रेरक मुलाकात

विजयश्री गुप्ता 
परिचय - मैं दीपाली, जो कि एक IBDP अध्ययनरत युवा छात्रा हूँ। मैंने 76 वर्षीया गोल्ला विजयश्री गुप्ता के बारे में काफी सुन रखा था। उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक रही हूँ। हाल ही में जब मैं एक खेल स्पर्धा में भाग लेने हैदराबाद गई तो सौभग्य से मेरी मुलाक़ात श्रीमती विजयश्री गुप्ता से हुई वह वहाँ मुख्य अतिथि बतौर आयी थीं। एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, उन्होंने 76 साल की उम्र में भी अपने जुनून को बरकरार रखते हुए फिटनेस और स्विमिंग के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 40 की उम्र में तैराकी सीखने से लेकर, 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतने तक की उनकी यात्रा अत्यंत प्रेरक है। उनसे बातचीत का वर्णन साक्षात्कार स्वरूप निम्नलिखित है।

साक्षात्कार

दीपाली: नमस्ते विजयश्री जी, मुझे बहुत खुशी है कि आज मैं आपके साथ बात कर रही हूँ। आपने अपनी उम्र के बावजूद इतनी ऊर्जा और फिटनेस को बनाए रखा है। क्या आप मुझे बता सकती हैं कि आपकी इस यात्रा की शुरुआत कैसे हुई?

विजयश्री का सतत अभ्यास  
विजयश्री गुप्ता: नमस्ते दीपाली! मेरी यह यात्रा काफी रोचक रही है। मैंने 40 की उम्र में स्विमिंग सीखना शुरू किया। उस समय मैं अपनी सबसे छोटी बेटी के साथ समय बिताने के लिए तैरना सीख रही थी। हालांकि, यह शौक धीरे-धीरे मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

दीपाली: 40 की उम्र में स्विमिंग सीखने का फैसला कैसे लिया? आमतौर पर लोग इस उम्र में कुछ नया सीखने के बारे में नहीं सोचते।

विजयश्री गुप्ता: सही कहा आपने, अक्सर जिम्मेदारियों के चलते महिलाएँ स्वयं को भूल जाती हैं। मद्रास यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद मेरी शादी  हो गई थी, और तीन बच्चों की देखभाल में व्यस्त हो गई। 1999 में, मैंने सोचा कि अब मुझे अपने लिए भी कुछ करना चाहिए। तभी मैंने स्विमिंग सीखना शुरू किया, शुरुआत में यह टाइम पास जैसा लगा, लेकिन धीरे-धीरे यह मेरा पैशन बन गया।

दीपाली: यह प्रेरणादायक है! फिर आपने स्विमिंग को प्रोफ़ेशनल स्तर पर ले जाने का फैसला कब किया?

विजयश्री गुप्ता: जब मेरा शौक बढ़ता गया तो मेरे परिवार ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मैंने 45-50 आयु वर्ग में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। 2007 में न्यू जर्सी सीनियर ओलंपिक चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीतने के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया, और मैंने अपनी फिटनेस और तकनीक पर और अधिक मेहनत की।

दीपाली: वाह, इतने सारे पदक जीतना एक बड़ी उपलब्धि है। आपको अब तक के अपने अनुभवों में सबसे यादगार पल कौन सा लगता है?

विजयश्री गुप्ता: हर पदक की अपनी कहानी है, पर न्यू जर्सी में तीन स्वर्ण पदक जीतना मेरे लिए खास था। वहां मुझे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मिली। इसके बाद तो मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब तक 100 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीत चुकी हूं।

दीपाली: यह जानकर बहुत अच्छा लगा। आप न केवल एक तैराक हैं बल्कि एक उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। क्या आप अपने अन्य कार्यों के बारे में भी कुछ बताएंगी?

विजयश्री गुप्ता: हाँ , मैं रेडियो पर भी कई कार्यक्रमों की मेजबानी कर चुकी हूँ। विजयवाड़ा में ऑल इंडिया रेडियो पर ‘युवा वाणी’ और ‘वनिता वाणी’ जैसे कार्यक्रमों का संचालन किया, जो मेरे लिए बेहद संतोषजनक अनुभव रहा। इसके अलावा, सामाजिक कार्यों में मेरी गहरी रुचि है। 

दीपाली: आपकी बातों से लगता है कि आपके लिए उम्र सिर्फ एक संख्या है। इस उम्र में भी आप इतनी सक्रिय कैसे रहती हैं?

विजयश्री गुप्ता: मैं 76 साल की हूँ और अभी भी हर दिन कम से कम एक किलोमीटर तैरती हूँ। यह सब मेरे नियमित अभ्यास और सकारात्मक सोच का परिणाम है। मेरा मानना ​​है कि हमें उम्र की परवाह किए बिना अपने मुश्किल लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयास करना चाहिए। मैं अभी भी उसी उत्साह के साथ प्रतियोगिताओं में जाती हूँ और लगातार अभ्यास की वजह से स्वस्थ और युवा दिखती हूँ। मेरा मानना है कि, महिलाएँ यदि ठान लें तो कुछ भी कर सकती हैं। उम्र कभी बाधा नहीं बनती, बल्कि इसे सिर्फ मानसिकता में बदलाव की जरूरत है।

दीपाली: अंत में, युवा महिलाओं के लिए आपका क्या संदेश है?

विजयश्री गुप्ता:  मैं सभी महिलाओं को यही संदेश देना चाहूंगी कि वे अपनी उम्र और जिम्मेदारियों को अपने सपनों के आड़े न आने दें। खुद पर भरोसा रखें, खुद को समय दें, और अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी लगन से प्रयास करें। आप किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकती हैं। साथ ही मैं उनके अभिभावकों को भी कहना चाहूंगी कि 'वे अपनी बेटियों को पारंपरिक भूमिकाओं तक सीमित न रखें, बल्कि उनकी रुचियों का समर्थन करें।' 

दीपाली: विजयश्री जी, आपके विचार और आपकी यात्रा सच में प्रेरणादायक है।

छात्रों के  निर्देश - 

प्रिय छात्रों, यदि आप भी इस प्रकार के प्रभावी साक्षात्कार लेखन करना चाहते हैं तो आपकी सहायता के लिए नीचे कुछ प्रश्न दिए जा रहे हैं, जिनके आधार पर उत्तर लिखकर आप अपनी कल्पनाशीलता और लेखन क्षमता का विकास करा सकते हैं। साक्षात्कार अभ्यास के लिए आप सभी को प्रोत्साहित करने हेतु निम्नलिखित प्रश्न सुझाए जा रहे हैं - 

  1. आपने यह क्षेत्र क्यों चुना, और आपकी प्रेरणा क्या रही?
  2. आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, और उसे हासिल करने के लिए आपने क्या प्रयास किए?
  3. आपने अपने करियर में सबसे बड़ी चुनौती का सामना कब किया, और उसे कैसे पार किया?
  4. अगर आपको पीछे मुड़कर देखने का मौका मिले, तो क्या कोई ऐसा निर्णय है जिसे आप बदलना चाहेंगे?
  5. सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण क्या हैं, जो हर किसी में होने चाहिए?\
  6. आपकी दिनचर्या कैसी होती है, और कैसे आप अपने काम और जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं?
  7. इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं को आप क्या सुझाव देंगे?
  8. आपकी नज़र में, असफलता से कैसे निपटना चाहिए?
  9. आपके अनुसार, समाज में बदलाव लाने के लिए युवा पीढ़ी की क्या भूमिका होनी चाहिए?
  10. आपके जीवन का कोई ऐसा अनुभव साझा करें जिसने आपको गहराई से प्रभावित किया हो।
  11. आपकी सफलता में परिवार और दोस्तों का क्या योगदान रहा?
  12. आपको कौन सी किताब या व्यक्ति सबसे ज्यादा प्रेरित करता है?
  13. आपने समय प्रबंधन कैसे सीखा, और इसके क्या फायदे होते हैं?
  14. भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं, और आप इन्हें कैसे पूरा करेंगे?
  15. आपकी सबसे पसंदीदा आदत क्या है, जो आपको हर दिन प्रेरित करती है?
इन प्रश्नों के माध्यम से आपको किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व, अनुभव और विचारों को समझने का मौका मिलेगा, जिससे आप साक्षात्कार में गहराई से संवाद करना सीख सकेंगे। शुभकामना।
ध्यानार्थ -

यह काल्पनिक साक्षात्कार है, जिसका उद्देश्य  विद्यार्थी व शिक्षकों हेतु सहायक सामग्री तक सीमित है। कुछ सूचनाएँ और तथ्य पाठ को रोचक बनाने के लिए ऑनलाइन मंचों से लिए गए हैं  इनका  किसी घटना, व्यक्ति अथवा स्थान से संबंध केवल संयोग मात्र है।


शनिवार, 2 नवंबर 2024

पाती गंगा माँ की ...!

मेरे प्यारे बच्चों, 

मैं गंगा हूँ, जिसे भारतवासी 'माँ' कहकर पुकारते हैं। हिमालय की शांत गोद से निकलकर, मैं इस धरती पर जीवन का संचार करती आई हूँ। सदियों से मैं इस देश की आत्मा और संकृति का आधार रही हूँ। मैं अपने अमृततुल्य जल से देश की धरती को सींचती आई हूँ। यहाँ के खेतों में लहलहाती फसलें और फसलों पर झूमती बालियाँ मेरे जल का गुणगान करती थीं। मेरे आँचल पर बसे गाँव, कस्बों और शहरों की रौनक मुझसे रही है। एक समय था जब लोग मेरे जल को अमृत समझते थे। भारतवासियों का कोई व्रत, त्यौहार, पर्व-संस्कार आदि 'गंगाजल' के बिना अधूरा रहा करता था। पर आजकल स्थिति बदल गए हैं। मेरे जल को गंदा किया जा रहा है। मेरे तटों पर कूड़ा फैलाया जा रहा है। कई उद्योगों का मलीन पानी भी मुझमें बहाया जा रहा है। मेरे जल में रहने वाले जीव-जंतु भी खत्म हो रहे हैं।

पवित्र गंगा नदी 

मैं देखी हूँ कि लोग कैसे मेरे तटों पर आकर मुझमें स्नान करते हैं और फिर उसी पानी को गंदा करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में कपड़े धोते हैं, बर्तन साफ करते हैं और यहां तक कि शौच भी करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में मूर्तियाँ विसर्जित करते हैं। मुझे बहुत दुख होता है जब मैं देखती हूँ कि लोग मेरे महत्त्व को भूल रहे हैं। वे मुझे सिर्फ मुझे एक नदी नहीं, बल्कि एक जिवंत देवी मानते थे। लेकिन आजकल वे मुझे सिर्फ एक गंदे नाले के रूप में समझने लगे हैं।

आपको पता है मुझमें बढ़ते हुए इस प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है आपका घरेलू कचरा। घरों से निकलने वाला कचरा सीधे गंगा में बहा दिया जाता है। उद्योगों का गंदा पानी भी गंगा को प्रदूषित करता है। कृषि रसायन जैसे कीटनाशक और उर्वरक भी गंगा के पानी को दूषित करते हैं। धार्मिक-अनुष्ठानों के दौरान मूर्तियाँ और अन्य सामग्री गंगा में विसर्जित की जाती है जो भी एक बड़ा कारण है। बढ़ता प्रदूषण यहाँ के पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इससे मनुष्यों के अलावा पशु-पक्षियों और जलीय जीवों का जीवन संकट में है, मत्स्य पालन का काम प्रभावित हो रहा है और मेरे पानी पीने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, जल-प्रदूषण आसपास के लोगों के आजीविका के साधन पर्यटन को भी प्रभावित कर रहा है।

अपनी गंगा को बचाने के लिए कई आवश्यक कदम उठाने होंगे। सबसे पहले आपको लोगों को गंगा प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा। कचरे को अलग-अलग करके उसका निस्तारण करना होगा। उद्योगों को अपने अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना होगा। खेतों में कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करना होगा। धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल करना होगा। सरकार को भी गंगा को बचाने के लिए सख्त कानून बनाना होगा।

मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मुझे बचाने में मेरी मदद करें। आप अपने घर से निकलने वाला कचरा कूड़ेदान में डालें। आप मेरे जल को प्रदूषित करने से बचें। आप मेरे तटों को साफ रखें। आप दूसरों को भी मेरे संरक्षण के लिए जागरूक करें। यदि आपने ऐसा किया तो मैं फिर से उतनी ही स्वच्छ और निर्मल हो जाऊंगी जैसी पहले थी। मैं फिर से लोगों को जीवनदान दूंगी। मैं फिर से धरती की शोभा बढ़ाऊंगी।

आप सभी से मेरी यही विनती है कि आप मुझे बचाएं। मैं आपकी माँ हूँ, आपकी बहन हूँ, आपकी दोस्त हूँ। आप मुझे बचाकर अपना कर्तव्य निभाएं।

आपकी अपनी नदी 

-  गंगा 

मंगलवार, 9 जनवरी 2024

पर्यटन - टेंट सिटी हनुवंतिया में जल महोत्सव का आनंद

साभार - जलमहोत्सव आधिकृत वेबसाइट

 

मध्यप्रदेश में खंडवा जिले का हनुवंतिया देश के खुशहाल द्वीपों में से एक है, जो आपके समय का सदुपयोग करने और आपके मन में रोमांच पैदा करने वाले कुछ साहसिक काम को खोजने के लिए एक आदर्श स्थान है। यह एशिया के दूसरे सबसे बड़े जलाशय, इंदिरा सागर झील में स्थित है। हनुवंतिया की सैर साहसिक टापुओं पर समय बिताने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है। इस गंतव्य का शांत वातावरण आपको जलाशय के लहरदार ज्वार, शानदार आवास के साथ ही जल एवं हवाई खेल वाली गतिविधियों के लिए एक भावपूर्ण यात्रा पर ले जाता है। मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा विकास के बाद, यह द्वीप एक दर्शनीय पर्यटन स्थल के रूप में सामने आया है जिसे हर वर्ष 'जल महोत्सव' के रूप में जाना जाता है। 

अपनी अगली बैठक या कार्यक्रम की मेजबानी के लिए एक अनोखी और प्रेरणादायक जगह की तलाश में, 'हनुवंतिया; द टेंट सिटी' से कहीं अधिक न देखें! प्रकृति के बीच में स्थित, टेंट सिटी शहर की हलचल से दूर रहने और अपनी टीम से जुड़ने के लिए एक आदर्श स्थान है। सभी के लिए पैर पसारकर आराम करने के लिए पर्याप्त जगह होने से, आप वास्तव में रचनात्मक वातावरण में विचार-मंथन और एक दूसरे को सहयोग करने में सक्षम होंगे। जब आराम करने का समय हो, तो खुले आकाश के नीचे तारों को देखते हुए समय बिताने से बेहतर कोई और काम क्या हो सकता है?

टेंट सिटी भारत के मध्य प्रदेश में स्थित 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो आगंतुकों के लिए इंद्र सागर बांध के तट पर बड़ी सोच के साथ विकसित किया गया है। सुंदर दृश्य वाला हनुवंतिया आपको अपने कॉर्पोरेट जगत के लिए मेल-जोल बढ़ाने, सभाएँ करने या टीम-निर्माण गतिविधियों के लिए आदर्श स्थान प्रदान करता है। चूँकि कॉर्पोरेट कार्यक्रम टीम के साथियों को कार्यालय से छुट्टी के आनंद के साथ आराम करते हुए आपसी रिश्तों को और मजबूत करने के लिए मज़ेदार और मनभावन तरीके से अन्य टीम के साथियों के साथ जुड़ने के लिए लाने के बारे में है।

किसी भी आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजन स्थल की अहम भूमिका होती है। टेंट सिटी में हम आपको आपकी कॉर्पोरेट बैठकों की योजना बनाने के लिए एक शानदार गंतव्य प्रदान करते हैं, जिसमें आपके कॉर्पोरेट प्रशिक्षण को आरामदायक बनाने के लिए सभी सुविधाएं हैं, अद्वितीय वास्तुकला आपको विशिष्ट आतिथ्य प्रदान करती है। ऑफसाइट स्थानों की तलाश करने वाली कंपनियां समूह गतिविधियों, अलाव, ट्रैकिंग, कैंपिंग की योजना बना सकती हैं और हनुवंतिया में चल रही जल गतिविधियों का हिस्सा बन सकती हैं।

टेंट सिटी में आपका स्वागत है!

  यहाँ आप छोटे अंतरंग मिलन समारोहों से लेकर बड़े पैमाने के आयोजनों तक, सभी प्रकार की सभाओं की योजना बना सकते हैं। आपके कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमारे पास टेंट और टेबल से लेकर कुर्सियाँ और लिनेन तक सब कुछ है। हमारे पास खानपान के व्यापक विकल्प भी उपलब्ध हैं, इसलिए आप निश्चिंत हो सकते हैं कि आपके मेहमानों को अच्छा भोजन मिलेगा और वे खुश होंगे। आगंतुकों को सर्वोत्तम सुविधा प्रदान करने के लिए जगह पर ठहरने के पैकेज अनुकूलित और अच्छी तरह से नियोजित हैं।

तो आइए और अपने अगले महान कार्यक्रम की योजना बनाना शुरू करें!

गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

हल्दी एक : गुण अनेक

कच्ची हल्दी
हल्दी भारतीय जायके और संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। यह एक गुणकारी वनस्पति है, जो भोजन का रंग और स्वाद बढ़ाने से लेकर हर मांगलिक कार्य में प्रथम प्रयुक्त सामग्री है। देखने में तो यह अदरक की प्रजाति का ५-६ फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसकी जड़ की गाठों के रूप में हल्दी मिलती है। हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता रही है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा, लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योषितप्रिया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं।
भारतीय परिवारों में हल्‍दी को एक सर्वसुलभ औषधि‍ के रूप में प्रयुक्त की जाती है। छोटी-मोटी चोट-मोच आदि के समय हल्दी को प्याज के साथ पकाकर लगाने का अनुभव सदियों से भारतीयों के पास रहा है। हमारी रसोई में भी बिना इसके दाल और सब्जी बदरंग ही लगती है। हमारे पारंपरिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम बिना हल्दी के शुभ नहीं समझे जाते हैं। आज के आधुनिक युग में भी मांगलिक अवसरों, पूजा-पाठ, आमंत्रण एवं विवाह के पूर्व वर और वधू दोनों के शरीर पर हल्दी के उबटन अथवा तिलक करने की प्रथा जारी है। संभवतः यह सब इसके औषधीय गुण और त्वरित लाभ को देखकर ही किया जाता है।   
पिसी हल्दी (चूर्ण)

  • लैटि‍न नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
  • अंग्रेजी नाम : टर्मरि‍क (Turmeric)
  • पारि‍वारि‍क नाम : जि‍न्‍जि‍बरऐसे (Zingiberaceae)

हालांकि लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ इसे हरिद्रा के रूप में भी जाना जाता है, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अनुसार, किसी भी बीमारी के इलाज के लिए हल्दी या उसके घटक, 'करक्यूमिन' का उपयोग करने की नैदानिक ​संस्तुति दी है। हल्दी को एक ऐन्टीसेप्टिक के रूप में सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों जैसे - साबुन, गोरेपन की  क्रीम,  त्वचा में प्रकृतिक निखार लाने, कील-मुहाँसे से बचने व दाग-धब्बे रहित त्वचा पाने के लिए हल्दी और चंदन के मिश्रण वाले उत्पादों की मांग रहती है।

हल्दी: भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण रंग और स्वास्थ्य का सूत्र"

हल्दी वाला दूध (उकाला) 

हल्दी (Turmeric) भारतीय साहित्य, संस्कृति, और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका महत्व शादी समारोह से लेकर रसोईघर तक कई पहलुओं में दिखता है। हल्दी के यह विभिन्न पहलु हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक, और आयुर्वेदिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमारे दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में उपस्थित होते हैं।

भारतीय परंपरा में हल्दी का महत्व:

शादी और अन्य समारोहों में: हल्दी का प्रयोग भारतीय शादियों में एक महत्वपूर्ण रस्म के रूप में किया जाता है। इसका मकसद दुल्हन और दुल्हे को उनकी त्वचा को सुंदर बनाने के लिए कुर्क्यूमिन के गुणकारी प्रभाव का उपयोग करना होता है। हल्दी के इस उपयोग से न केवल त्वचा की चमक बढ़ती है, बल्कि यह एक परिवारीय समारोह के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

धार्मिक और पौराणिक महत्व: हल्दी की रस्म का महत्व धार्मिक और पौराणिक कथाओं में भी पाया जाता है। कुछ समुदायों में, हल्दी का इस्तेमाल एक पवित्र घटना के रूप में किया जाता है और यह शुभकामनाओं के लिए और सुरक्षा के लिए प्राचीन रूप में मान्यता प्राप्त है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में: हल्दी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक प्रमुख औषधि माना जाता है। इसमें कुर्क्यूमिन के गुण होते हैं जो सूजन को कम करने, इंफ्लेमेशन को नियंत्रित करने, और अन्य बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं। हल्दी एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है जो हमें कई तरह की शारीरिक समस्याओं सहित त्वचा संबंधित समस्याओं से भी सुरक्षित रखती है। हल्दी का उपयोग त्वचा की देखभाल के लिए कोई आज से नहीं बल्कि सालों से किया जा रहा है। त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने में हल्दी बहुत ही फायदेमंद होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की लालिमा को शांत करने, दाग-धब्बों को कम करने, त्वचा को चमकदार बनाने और एक्ने की समस्या से छुटकारा दिलाने में प्रभावशाली होती हैं।

रसोईघर में: हल्दी का उपयोग रसोईघर में भी होता है, और यह खाने में और मसालों में रंग और स्वाद में भी उपयोग होता है। हल्दी वाला चाय और अन्य व्यंजनों का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

भारतीय समाज में हल्दी जन्म से लेकर आजीवन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमारे समाज, संस्कृति, और स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं के साथ इसका गहरा संबंध है। यह एक रंग के रूप में और स्वास्थ्य के सूत्र के रूप में हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे दैनिक जीवन को सजाने और सुंदर बनाने में मदद करता है।

संदर्भ ग्रंथ :- 


मंगलवार, 26 सितंबर 2023

पवित्र तुलसी: जीवन अमृत स्वरूपा, वनौषधियों की रानी

तुलसी का बिरवा हिंदूओं की आस्था और धर्म का प्रतीक माना जाता है। लोग इसे अपने घर के सामने, आँगन,  दरवाजे पर या बगीचे में लगाते हैं। भारतीय संस्कृति के चिर्-पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। आयुर्वेद के अतिरिक्त होमियोपैथी, ऐलोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है। तुलसी, जिसे जीवन के लिए अमृत और 'वनौषधियों की रानी' भी कहा जाता है। वास्तव में यह भारतीय मूल का एक झाड़ीनुमा पौधा होती है जो पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में महाद्वीप में पाई जाती है। 
भारतीय हिन्दू इसे "पवित्र तुलसी" कहते है क्योंकि यह तमाम मान्यताओं और मिथकों से घिरी हुई है। तुलसी के पौधे के अलावा इसकी पत्ती, फूल, बीज और जड़ आदि का अलग-अलग तरह से प्रयोग किया जाता है। इसका पौधा हिंदुओं द्वारा सर्वत्र पूजनीय है, और इसे स्वयं देवी का रूप माना जाता है। वास्तव में, यह घरों के अर्थत् में यह आंगन (केंद्र) में उगाई जाती है। इसके लिए विशेष चबूतरेनुमा गमला इस्तेमाल किया जाता है। जहाँ प्रतिदिन जल देकर और धूप, दीप, कपूर और पुष्प आदि अर्पण कर व्यवस्थित पूजा करने का विधान है। वास्तुशास्त्र के अनुसार इसे घर में उचित स्थान पर लगाने से यह किसी भी तरह के हानिकारक प्रभाव से घर का बचाव और सुरक्षा करती है। इसकी जीवाणुरोधी शक्तियों के कारण, घर के आस-पास के क्षेत्र में तुलसी की उपस्थिति कीटाणुओं के प्रसार को रोकती है और वातावरण को साफ़ रखने में मदद करती है।


इस पौधे का प्रत्येक भाग की किसी न किसी तरह के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है - इसकी जड़ें धार्मिक तीर्थों का प्रतीक हैं, इसकी टहनियाँ देवत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं, और इसका सबसे ऊपरी हिस्सा शास्त्रों की समझ को दर्शाता है। इसके पत्ते निश्चित रूप से सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों में से एक हैं - सर्दी, खाँसी, ठंडक अथवा गले की ख़राश व छाती में कफ़ की जकड़न आदि के लिए एक कारगर उपाय। हिंदू धर्म में, तुलसी को धूपबत्ती दिखाने और सिंदूर लगाकर एक देवी के रूप में भी पूजा जाता है। घरों में महिलाएँ सुबह-शाम इसकी पूजा करती हैं।

बीमारियों में रामबाण है तुलसी - 
तुलसी का औषधीय गुण जगजाहिर है। सबसे साधारण और लोकप्रिय प्रयोग चाय बनाकर पीना है। मुट्ठी भर साफ तुलसी की पत्तियों को पहले उबालना चाहिए और लगभग 10 मिनट तक धीमी आँच पर खदकाना चाहिए। यह प्रक्रिया पत्तियों से इसके सारे गुण निकाल लेती है। इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए, इसमें शहद या नींबू मिला  देने से यह अधिक असरदार और स्वादिष्ट बन जाती है। यह मिश्रण केवल एक प्रतिरक्षा वर्धक की तरह काम नहीं करता बल्कि ये खांसी, जुकाम, त्वचा संबंधी विकार जैसे मुँहासे, मुँह के छाले और यहाँ तक कि रक्त-शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। तुलसी को रक्त शोधक माना जाता है। तुलसी के पत्तों के बारे में एक उल्टा पक्ष यह है कि उन्हें चबाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उसमें पारा और लोहे की एक बड़ी मात्रा होती है, जो चबाने से निकलती है। पौधे का धार्मिक महत्व एक और कारक है जो लोगों को इसे चबाने से रोकता है। यह एक अमृत है जो दीर्घायु देता है, और इसकी अजेय औषधीय शक्तियाँ इसे चमत्कारी जड़ी-बूटी बनाती हैं जो अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण प्रदान करती है। हालांकि, भोजन की दुनिया में इसके उपयोग को केवल सजावट तक ही समेट दिया गया जिसे ज़्यादातर खाना खाने के बाद थाली में छोड़ा दिया जाता है। लेकिन यह एक निर्विवाद तथ्य है कि प्रकृति के सभी परोपकारों और आशीर्वादों के बीच, तुलसी के पौधे को पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली आरोग्यसाधकों में से एक माना जा सकता है!
साभार -  संस्कृति विभाग-भारत सरकार, अधिकृत वेबपेज


सोमवार, 17 जुलाई 2023

श्रवण अभ्यास (Listening practice) हेतु महत्त्वपूर्ण सामग्री

श्रवण कौशल हिंदी भाषा को सीखने में महत्वपूर्ण अंग है। यह छात्रों को हिंदी भाषा की ध्वनियों, शब्दों, वाक्यों और भाषा के नियमों को सही ढंग से सुनने और समझने में मदद मिलती है। इससे छात्रों को स्वर, व्यंजन, मात्राएँ, नवीन शब्दावली और उच्चारण के नियमों को समझने में सहायता मिलती है। श्रवण कौशल परीक्षा में निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित विभिन्न इकाइयों और उप-इकाइयों पर आधारित मानक हिंदी भाषा में निर्देश, सूचनाएँ, उद्घोषणाएँ (announcements), बातचीत, साक्षात्कार आदि सुनाए जाते हैं। छात्रों से अपेक्षा होती है कि वे शब्दों गिनतियों, महीनों, दिनों के नाम, वाक्यांशों और विचारों आदि को सुनकर समझने का कौशल विकसित कर सकें। ऐसा करने से वे नई शब्दावली और सही उच्चारण की क्षमता को विकसित करते हैं। 

श्रवण अभ्यास के दौरान शिक्षकों को भी सही शब्दों का चयन, सामग्री के स्पष्टीकरण और भाषा के नियमों को सिखाने में मदद करता है। इससे शिक्षक छात्रों की सुनने की क्षमता को विकसित करके उन्हें भाषा के विभिन्न पहलुओं को समझने और सही प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रदान करते हैं। 
श्रवण कौशल का महत्व 

श्रवण भाषा के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। श्रवण का मतलब होता है सुनना या सुनने की क्रिया। यह एक महत्वपूर्ण संचार कौशल है जो हमें अपने समाज में संप्रदायों, समुदायों, परिवारों, दोस्तों और संबंधित लोगों के साथ संवाद करने की अनुमति देता है। श्रवण का महत्वपूर्ण भूमिका भाषा सीखने और संचार करने में होती है। जब हम सुनते हैं, तो हम भाषा के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं, जैसे कि उच्चारण, वाक्य-रचना, व्याकरण नियम, शब्दावली आदि। यह हमें अन्य लोगों के विचारों, विचारधाराओं, अनुभवों और ज्ञान को समझने में मदद करता है। श्रवण माध्यम से हम अधिक सीखते हैं, अवधारणाएँ (concepts) और ज्ञान प्राप्त करते हैं। इसके माध्यम से हम विभिन्न प्रकार की सूचनाओं, संदेशों, कथाओं, विचारों, प्रेरणादायक बातचीतों आदि को समझते हैं। यह हमें सामाजिक संबंधों का निर्माण करने, नए विचारों और धारणाओं को स्वीकार करने, अभिभावकों, शिक्षकों, नेताओं और आदर्शों के साथ सीधे संवाद करने में मदद करता है। श्रवण का महत्वपूर्ण अंग होने के कारण ही, विभिन्न क्षेत्रों में सुनने का कौशल, जैसे कि संवाद, नेतृत्व, शिक्षण, व्यापार, साहित्य, संगीत, समाचार पत्रिका आदि, विकसित किया जाता है। इस प्रकार, श्रवण भाषा के महत्वपूर्ण पहलू है जो हमें समाज में संवाद करने और अधिक सीखने में मदद करता है। यह हमारे व्यक्तिगत (personal) और पेशेवर विकास (professional development) के लिए महत्वपूर्ण है।

श्रवण कौशल अभ्यास की कुछ महत्वपूर्ण सामग्री

यहाँ हम इंटरनेट पर उपलब्ध कुछ महत्वपूर्ण और स्तरीय श्रवण सामग्री की जानकारी साझा कर रहे हैं जिन्हें आप अपने अभ्यास में उपयोग कर सकते हैं।

साभार : बीबीसी न्यूज हिन्दी

बीबीसी हिंदी पॉडकास्ट एकऑनलाइन आवेदन है जो ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस पॉडकास्ट के माध्यम से हिंदी भाषा में विभिन्न विषयों पर चर्चाएं, साक्षात्कार और कथाएं प्रस्तुत की जाती हैं। यह पॉडकास्ट बीबीसी के पत्रकार और विशेषज्ञों की आवाज सुनाने का अवसर प्रदान करता है। यहाँ समाचार, साहित्य, संगीत, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचारों का प्रस्तुतिकरण मिलता है। इस पॉडकास्ट में अनुभवी पत्रकारों द्वारा तैयार की जाने वाली सामग्री श्रोताओं को नवीनतम समाचार, मनोरंजन, साहित्य, और विचारधारा से अवगत कराती है। इन्हें आप अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर या अन्य संचार उपकरणों के माध्यम से पॉडकास्ट सुन सकते हैं और खुद को नवीनतम ज्ञान के साथ अद्यतित रख सकते हैं। यह पॉडकास्ट आपको एक संवेदनशील और ज्ञानवर्धक सुनने का अनुभव प्रदान करता है। इनके कुछ महत्तवपूर्ण औडियो लिंक्स निम्नलिखित हैं

 
सौजन्य - नवभारत गोल्ड

यह एक ऑनलाइन पत्रिका है जो नवभारत टाइम्स द्वारा प्रकाशित की जाती है। जिसे पढ़ने के साथ साथ सुमधुर आवाज में सुनने का भी आनन्द ले सकते हैं। यह भारतीय समाचार, राजनीति, वित्त, बाजार, मनोरंजन, खेल, साहित्य, सामाजिक मुद्दों, और विचारधारा पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करती है। इसमें विश्वसनीय रिपोर्टिंग, व्यापक संगठनिक कवरेज, विशेष रिपोर्टेज, व्यापक साक्षात्कार, लेखकों के विचार और नवीनतम विचारधारा शामिल होती है। यह पत्रिका उच्चतम उपयोगिता, गुणवत्ता, और गहनता की प्रतीक है और विभिन्न शहरों में उपलब्ध है। जिसे आप हिंदी श्रावण कौशल अभ्यास में उपयोग कर सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण लिंक निम्नलिखित हैं। इसकी विशेषता यह है कि यहाँ आपको आडिओ एक्सटी के साथ टेक्स्ट भी मिल जाता है।

                                    सौजन्य-https://www.amarujala.com/podcast

यह 'अमर उजाला' नामक समाचार पत्र का ऑनलाइन पॉडकास्ट है। जहाँ से आप अपनी हिंदी में विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य विषयों पर खबरें, समाचार और विचारों पर ऑडिओ सुन सकते हैं। यह पत्रिका दिन भर की ताज़ा और गहराई से छानी गई खबरों का विस्तृत संग्रह प्रदान करती है और अपने पाठकों को देश और विदेश की महत्वपूर्ण घटनाओं से अवगत रखती है। यह एक Paid application है, जिसके इस्तेमाल के लिए आपको सदस्यता लेने का आग्रह किया जा सकता है। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण विषयों को यहाँ साझा कर रहे हैं, जिन्हें आप अपने अभ्यास के लिए प्रयोग कर सकते हैं।


सौजन्य - पुलयाबाजी डॉट इन 

'पुलियाबाजी' एपल का एक हिंदी पॉडकास्ट है जो मनोरंजन, साहित्य, कला, संगीत, समाजशास्त्र, इतिहास, प्रौद्योगिकी और कई अन्य विषयों पर चर्चा करता है। इस पॉडकास्ट का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज में मज़ेदार, उपयोगी और ज्ञानवर्धक सामग्री प्रदान करना है। इसके अच्छे अनुभव के लिए आपको एपल म्यूसिक की iTunes की सुविधा आपके सिस्टम में जरूरत पड़ सकती है। इसकी सदस्यता का आग्रह भी संभव है। इसका संचालन कुशल प्रवक्ता, लेखक, इतिहासवेत्ता और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ आदि की टीम के द्वारा किया जाता है। प्रत्येक धारावाहिक में, वे विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और उनके प्रतिष्ठित मेहमानों को भी बुलाते हैं जो अपने विषय के बारे में अपने दृष्टिकोण साझा करते हैं। इस पॉडकास्ट का मुख्य लक्ष्य अपने श्रोताओं को ज्ञान, मनोरंजन और सूचना की एक अद्वितीय मिश्रण प्रदान करना है। पुलियाबाजी का अपना विशेष अंदाज़ है जो इसे दर्शकों के लिए अनूठा बनाता है। कुछ महत्वपूर्ण लिंक निम्नलिखित हैं। जिन्हें आप आसानी से download भी कर सकते हैं।

इसी तरह से आप आकाशवाणी, विविधभारती, गूगल पॉडकास्ट, Sportify गानाडॉटकॉम  आदि के और भी उपयोगी शिक्षण साहित्य से दो-चार होने के लिए आप हमें फॉलो करके जुड़े रहिए हमारे ब्लॉग से और यदि आप चाहे तो आप इस जानकारी को अपने मित्रों, सहयोगियों अथवा छात्रों में साझा कर सकते हैं। अपने महत्वपूर्ण और प्रतिक्रियाओं से हमें कृतार्थ करते रहने के लिए धन्यवाद।

रविवार, 19 मार्च 2023

ईमेल (इलेक्ट्रोनिक पत्र)

ईमेल किसे कहते हैं?

ईमेल एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है जिसका उपयोग विशिष्ट एक्सेस कोड का प्रयोग करते हुए दूरस्थ स्थानों (distanced places) पर संदेशों को भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर, इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल कहलाता है। इंटरनेट आधारित यह सर्वाधिक लोकप्रिय संचार माध्यमों में से एक है जिसे व्यक्तिगत और व्यापारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।

                                                        सौ -गूगल इमेज 

ईमेल के प्रकार -

  1. निजी (पर्सनल) ईमेल : ये ईमेल व्यक्तिगत स्तर पर लिखे जाते हैं। आमतौर पर दो (या दो से अधिक व्यक्तियों - मित्रों, पारिवारिक सदस्यों आदि) के बीच संवाद स्थापित करने के लिए होते हैं। इनमें साधारण भाषा का प्रयोग किया जाता है और इन्हें निजी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए लिखा जाता है। यहाँ औपचारिकताएँ नहीं होती है। अतः इसे हम अनौपचारिक ईमेल के तहत रख सकते हैं। उदाहरण - भाई का बहन को ईमेल, मित्र को ईमेल आदि।
  2. आधिकारिक (ऑफ़िसियल) इमेल - ये ईमेल संबंधित संस्था, विभाग या किसी व्यापारिक संगठन को / द्वारा आम जनता के साथ अथवा अंतः संवाद के लिए भेजे जाते हैं। आधिकारिक ईमेल में औपचारिक व सम्मानजनक भाषा का प्रयोग किया जाता है तथा इनमें आधिकारिक नियमों और विधियों का पालन करना अपेक्षित होता है। इसे हम औपचारिक ईमेल के तहत रख सकते हैं। उदाहरण - अवकाश, नौकरी, पदोन्नति, संपादक के नाम, बिजली / पानी आदि के शिकायती आवेदन आदि के ईमेल। 
  3. व्यावसायिक (बिजनेस) पत्र : ये पत्र व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए लिखे जाते हैं, जैसे कि विपणन (marketing), बिक्री (Sales) और सेवाएं (services) आदि। इनमें व्यापक व्यावसायिक जानकारी होती है जो व्यवसाय की वृद्धि में मदद करती है। ये भी औपचारिक ईमेल के तहत ही आते हैं। उदाहरण - खेल की सामान/ पुस्तकें आदि मँगवाने के लिए ऑर्डर देने का ईमेल, उत्पाद (products) और सेवाओं में कमीं का शिकायती ईमेल आदि।
प्रमुख ईमेल सेवा-प्रदाता (service provider) :
स्रोत: गूगल इमेज 

अभ्यास 1 निजी (अनौपचारिक) ईमेल लेखन का नमूना

आपकी छोटी बहन को विज्ञान पढ़ने में रुचि नहीं है, जिसके कारण परीक्षा में विज्ञान विषय में उसके अंक कम आए हैं। उसे विज्ञान के चमत्कारों के बारे में बताते हुए एक पत्र लिखकर समझाइए, जिससे उसकी विज्ञान में रुचि बढ़ सके। आपके लेखन में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल करें -

  1. आधुनिक युग विज्ञान युग
  2. विज्ञान का मानव जीवन में महत्व
  3. विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान के चमत्कार उचित अंतर्वस्तु के लिए 3 अंक तथा वाक्य-रचना एवं सही भाषा के लिए 5 अंक दिए जाएंगे।
उत्तर -
  ध्यान दें:   तिथि : 18 मार्च 20XX 21:28:00 (ईमेल में तिथि लिखने की आवश्यकता नहीं है।)
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अभ्यास 2


रविवार, 26 फ़रवरी 2023

समीक्षा करना (Reviewing)

समीक्षा लेखन के तहत किसी विषय, वस्तु, सेवा अथवा उत्पाद के बारे में विस्तार से अपने विचार व राय दी जाती है ताकि इससे उसके गुणों, दोषों, फायदों, नुकसानों आदि का विश्लेषण किया जा सके। समीक्षा में अक्सर विभिन्न पहलुओं पर सविस्तार लिखा जाता हैं, जिनके आधार पर विषय का मूल्यांकन किया जाता है।

समीक्षा विभिन्न क्षेत्रों में की जाती  है, जैसे कि  - 

अभ्यास प्रश्न 

क) भारतीय रेल द्वारा अपनी पहली रेल यात्रा की समीक्षा करते हुए विद्यालय की पत्रिका में छपवाने के लिए एक चिट्ठा (ब्लॉग) लिखिए। अपने लेखन में आप निम्नलिखित बिन्दुओं का प्रयोग कर सकते हैं। 
  1. ट्रेन का नाम और गंतव्य स्थान (destination) का परिचय 
  2. यात्रा में मिलने वाली सुविधाओं अथवा असुविधाओं का वर्णन 
  3. इस ट्रेन में यात्रा के लिए अन्य लोगों को अनुसंशा   
आपका लेख लगभग 200 शब्दों में होना चाहिए। 
आपको 8 अंक अंतर्वस्तु (Content) के लिए और 8 अंक सटीक भाषा एवं शैली (Language) के लिए दिए जाएंगे।  

उत्तर - वंदे भारत ट्रेन से मेरी पहली रेल यात्रा 
वंदे भारत एक ऐसी ट्रेन है जो भारत के सबसे तेज ट्रेनों में से एक है। मैंने इस ट्रेन के माध्यम से मुंबई सेंट्रल से गांधी नगर तक की पहली रेल यात्रा की है और इस यात्रा का मुझे बहुत अच्छा अनुभव मिला।


यह ट्रेन सुविधाओं के मामले में बहुत अच्छी है। ट्रेन में बैठने के लिए बहुत कम समय लगता है और आरामदायक सीटों की सुविधा और आंतरिक साज-सज्जा बहुत अच्छी है। विभिन्न सुविधाएं जैसे कि खान-पान, वाई-फाई, वातानुकूलन (ए.सी.), डिजिटल स्क्रीन, सेवा के लिए परचायिकाएँ आदि भी उपलब्ध हैं। ट्रेन की खान-पान सेवा तो बहुत अच्छी है और उसमें लोगों की अभिरुचि के हिसाब से सामिष/निरामिष/जैन आदि भोजन के विकल्प  भी शामिल हैं। समय समय पर चाय-कॉफी, अल्पाहार (breakfast), दोपहर और रात्रि का भोजन आपकी सीट पर उपलब्ध हो जाता है। 

ट्रेन की यात्रा में सबसे अच्छी बात यह है कि इससे दूरी कम समय में कटती है और यात्रा का अनुभव भी अत्यंत सुखद (pleasant) होता है। मैंने मुंबई से गांधी नगर का सफर मात्र सिर्फ ७ घंटे में तय किया था। 

सम्पूर्ण रूप से, वंदे भारत एक अच्छी ट्रेन है जो अच्छी सुविधाओं से संपन्न और कम समय में लंबी दूरी वाले गंतव्यों तक पहुँचने का उपयुक्त आरामदायक (comfortable) पर्याय बन सकेगी। आप सभी को इसे जल्द ही  आजमाने की अनुसंशा करना चाहूँगा। 

रेटिंग के हिसाब से मैं इसे पाँच में से पाँच सितारे देना चाहूँगा। 
रेटिंग : ⭐⭐⭐⭐⭐

व्यवसाय / प्रकल्प (Project) की समीक्षा 
 
प्रश्न 1) हाल ही में आपके मित्र/सहेली ने एक नया व्यवसाय / प्रकल्प शुरू किया है। उसके व्यवसाय की समीक्षा करते हुए उसे ई-मेल लिखिए। अपने लेखन में आप निम्नलिखित बिन्दुओं का प्रयोग कर सकते हैं
  1. व्यवसाय का नाम और आधुनिक युग में उसकी उपयोगिता  
  2. उसके भविष्य के लिए एक सही करियर का चुनाव बन सकेगा  
  3. व्यवसाय विस्तार में आप उसकी कैसे मदद करेंगे?   
आपका लेख लगभग 200 शब्दों में होना चाहिए। 
आपको 8 अंक अंतर्वस्तु (Content) के लिए और 8 अंक सटीक भाषा एवं शैली (Language) के लिए दिए जाएंगे।  
                                                                                                         सौजन्य:फ्री स्किल्स इंडिया डॉट कॉम 

उत्तर - 

प्रेषक -  mani121@zmail.com
प्रति - myfriend@indicoach.com 

विषय - मोबाइल उद्योग की समीक्षा का ई-मेल

प्रिय मित्र/सहेली मनीष/मनीषा,

कल के ई-मेल में आपके नए व्यवसाय के बारे में जानकार बड़ी प्रसन्नता हुई। 

मैंने आपके इस मोबाइल व्यवसाय के बारे में अधिक जानने का प्रयास किया और मुझे आपके इस प्रयास और उत्साह से बहुत खुशी हुई। मुझे लगता है कि यह व्यवसाय आज के समय में बहुत ही लाभदायक हो सकता है, क्योंकि इसकी माँग लगातार बढ़ती जा रही है। 

आपके व्यवसाय में सफलता पाने के लिए, आपको अपने ग्राहकों के अनुसार बढ़ती माँग के नए उत्पादों (products) को अपनाने के लिए तैयार होना होगा। आपके व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए, आपको उचित स्थान का चयन करना होगा। जहाँ आप अधिक ग्राहकों को अपने उत्पादों की ओर आकर्षित (attract) कर सकोगे। आप अपनी विज्ञापन रणनीति में थोड़ा बदलाव कर उसे ऑनलाइन ले जा सकते हो ताकि तुम्हारे व्यावसायिक विकास अधिक प्रभावी हो सके और लोग इसके के बारे में अधिक जान सकें। 

आपके मोबाइल व्यवसाय के लिए मैं सफलता की शुभकामनाएं (best wishes) देता/ती हूँ। इसी तरह आगे भी मैं आपकी उन्नति और सफलता की कामना के साथ सदैव संपर्क में रहूंगा/गी। 
धन्यवाद, 
तुम्हारा/री मित्र/ सहेली 
मनीष/मनीषा


गृहकार्य (HW) : हॉटेल / रेस्तराँ (Restaurant) की समीक्षा 

हाल ही आपके घर के पास में एक नया हॉटेल / रेस्तरां (Restaurant) खुला है। अपने किसी मित्र/सहेली को इस  रेस्तरां की समीक्षा करते हुए एक ई-मेल/पत्र  लिखकर बताइये कि रेस्तरां के बारे में आपकी क्या राय है? 

आपके ई-मेल में निम्नलिखित बातें सम्मिलित होनी चाहिए।

  1. रेस्तरां का विवरण (आंतरिक और बाहरी सज्जा), सेवाएँ (बैठने का स्थान, माहौल, पार्किंग आदि।) 
  2. आपने अपने खाने में क्या मंगवाया?
  3. रेस्तरां के बारे में आपके व्यक्तिगत विचार और अनुसंशा

आपका ई-मेल लगभग 120 शब्दों में होना चाहिए। आपको 3 अंक अंतर्वस्तु के लिए और 5 अंक सटीक भाषा एवं शैली के लिए दिए जाएंगे। 



डाउनलोड करने योग्य सामग्री : 

  • पीपीटी (Presentation)
  • नोट्स (Handouts)
  • कार्य पत्रक (Worksheet)  

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

यात्रा वृत्तांत (Travelogue) : घुमक्कड़ी का आनंद

यात्रा-वृत्तांत का शाब्दिक अर्थ है - 'एक स्थान से दूसरे स्थान तक के सफर की कहानी।'  यात्रा करने वाला व्यक्ति जब अपनी यात्रा से जुड़े अनुभवों को बोलकर अथवा लिखकर दूसरों को बताता है तो उसे 'यात्रा-वृत्तांत' के नाम से जाना जाता है। इसे ही 'सफ़र नामा' अथवा 'घुमक्कड़ी की कहानियाँ' भी कहते हैं। आपने भी अब तक तमाम यात्राएँ की होंगी। लिखा है कोई अपना यात्रा-वृत्तांत? आज जरूर लिखना।        

दुनिया का शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे घूमना (सैर करना) पसंद ना हो। आदि मानव हिन नहीं बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी अपनी ज्ञान-पिपाशा (जानने की इच्छा) शांत करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी यात्रा करते रहे हैं। यों कहें कि आज तक हमने जो भी विकास किया है, वो हमारी घुमक्कड़ी, जिज्ञासा (जानने की इच्छा) और दूरदर्शिता का ही परिणाम है। दुनिया भर के महान ज्ञानियों में अधिकतम खोजी और घुमक्कड़ रहे हैं।    
उर्दू के मशहूर शायर 'मीर' साहब ने खूब लिखा है कि - 
"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ ?
                     ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ ?"          
बॉलीवुड (सिनेमा जगत) का एक मशहूर गीत मुझे याद आ रहा है, "अराउंड द वर्ल्ड इन एट डॉलर्स।"
                                                                                                          सौजन्य : यू-ट्यूब 
            अभ्यास कार्य 1 -
प्रश्न - हाल ही में आपके द्वारा की गई किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वृत्तांत लिखिए। आपके लेखन में निम्नलिखित बिंदुओं को अवश्य शामिल करें। आपका लेखन कार्य लगभग 120 शब्दों से कम न हो। 
  • यात्रा का स्थान और जाने की तैयारियाँ
  • प्राकृतिक सौंदर्य और आकर्षण 
  • वहाँ के दर्शनीय स्थल और बाजार   
आपको 3 अंक अंतर्वस्तु के लिए और 5 अंक सटीक भाषा एवं शैली के लिए दिए जाएंगे।  
     उत्तर - 
    ऊटी की यात्रा 

    मेरा मन और मैं दोनों ही बड़े घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के हैं, चाहकर भी एक स्थान पर अधिक देर टिक नहीं पाते हैं। चंचलता की खुमारी तो जैसे सदा रगों में दौड़ती ही रहती है। इसी क्रम में मैं सर्दियों की छुट्टियों में चल पड़ा था पहाड़ों की सैर पर...।  
                                                                                                                                     सौजन्य: गूगल इमेज

           मैं पहुँच गया 'उदगमंडलम्' अर्थात् 'ऊटी', नीलगिरि की पहाड़ियों में बसा एक सुरम्य 'हिल स्टेशन'। यकीन मानिए यहाँ की हरियाली (greenery) और खुशनुमा मौसम (pleasant weather) से भरे इस 'रिजॉर्ट टाउन' को 'पहाड़ों की रानी' (Queen of hill station) कहा जाय तो अतिशयोक्ति (hyperbole) न होगा। आश्चर्यजनक दृश्य, बड़े-बड़े चाय के बागानों और शांत झीलों से लेकर कल-कल करते झरने तथा बगीचों में घूमने का आनंद लेने के लिए बहुत कुछ है। आप भी अगर इस खूबसूरत पर्वतीय स्थल में कुछ दिन बिताना चाहते हैं, तो आपके लिए यह लेख उपयोगी हो सकेगा। 

             आइये आपको भी ले चलता हूँ मैं अपने साथ 'ऊटी' की मानसिक यात्रा पर। मैं एक मुंबईकर हूँ और यहाँ से 'ऊटी' की दूरी लगभग 1200 कि.मी. की है। यह दक्षिणी भारत का एक प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यह तमिलनाडु के नीलगिरी जिले मैं स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है। नीलगिरी पर्वत शृंखलाएँ इसे चहुँओर (all around) से घेरे हुई हैं। दरअसल इन पहाड़ों में कुरुंजी (flower name) नामक नीले रंग के फूलों के खिलने से ही इसका नाम नीलगिरी (ब्लू माउंटेन) पड़ा है। हालाँकि ये फूल बारह वर्षों में केवल एक बार खिलते हैं। जब भी खिलते हैं, तब पूरी घाटी नीली हो जाती है। 

              यहाँ पहुँचने के लिए सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग का साधन मौजूद हैं। लोग निकटतम (nearest) हवाई अड्डा कोयंबटूर से आसानी से पहुँच सकते हैं। देश विदेश के लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों से सीधी उड़ान ले सकते हैं। वैसे बस द्वारा सड़क मार्ग से पहुँचने का आनंद ही कुछ और है। यहाँ का मौसम वर्ष भर खुशनुमा (pleasant) रहता है। जबकि ठंड में दक्षिण भारत के अन्य भागों की तुलना में यहाँ का मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा होता है।

    अभ्यास कार्य 2 -

    माथेरान की यात्रा 





                                                                                    सौजन्य: गूगल इमेज

    डाउनलोड करने योग्य सामग्री (DOWNLOADABLES) हेतु नीचे क्लिक करें -

    • पी.पी.टी. प्रेजेंटेशन
    • नोट्स Handouts
    • Worksheets
    अन्य अध्ययन सामग्री - 
    1. मेरे यात्रा वृत्तांत
    2. हिंदी यात्रा-वृत्तांत की सूची
    3. यात्रा वृतांत : परिचय, तत्व, अर्थ, स्वरूप और विशेषताएँ
    4. हिन्दी साहित्य में प्रमुख यात्रा वृत्तांत व उनके यात्रा वृत्तांतकार 
    5. मेरे मजेदार और सजीव और सच्चे यात्रा वृत्तांत
    6. यात्रा वृतांत - मेरी पहली झारखण्ड यात्रा
    7. यात्रा वृतांत - कुंजापुरी शक्तिपीठ
    8. यात्रा वृत्तांत - मेरी पहली नेपाल यात्रा
    9. यात्रा वृत्तांत - कुल्लू से नेहरुकुंड-वशिष्ठ वाया मानाली लेफ्ट बैंक
    10. यात्रा डायरी - शिमला के बीहड़ वनों में एकाकी सफर का रोमांच
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