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बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

फिल्म समीक्षा (Film Review)

'फिल्म समीक्षा' को फ़िल्म आलोचना भी कहते हैं। किसी फिल्म की सफलता में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही समीक्षाएं फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और दर्शकों को बहुमूल्य प्रतिक्रिया (फीडबैक) प्रदान करतीं हैं, और फिल्म देखने या न देखने के दर्शकों के निर्णयों को प्रभावित करती है। एक अच्छी समीक्षा किसी फिल्म के बॉक्स-ऑफिस के संग्रह (क्लेक्शन) को बढ़ा सकती है, जबकि एक नकारात्मक समीक्षा इसके विपरीत नुकसान पहुँचा सकती है।

इसके अलावा, फिल्म समीक्षा फिल्मों के प्रचार और विपणन में मदद करती है। आमतौर पर समीक्षाएं समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और ऑनलाइन में प्रकाशित होते हैं।  

फ़िल्म समीक्षा पर आधारित संभावित अभ्यास प्रश्न -  

फिल्म समीक्षा को आपको अपने किसी मित्र/रिश्तेदार को पत्र/ईमेल द्वारा लिखकर भेजने को कहा जा सकता है, अथवा आपके विद्यालय की पत्रिका (मैगजीन) में छपवाने के लिए भेजने का आग्रह हो सकता है। छात्रों, यदि आपकी परीक्षा में पूछा जाये कि "हाल ही में आपके द्वारा देखी गई किसी (सामाजिक, विज्ञान परक, समस्या मूलक, खेल विशेष अथवा व्यक्तित्व पर आधारित) फ़िल्म  की समीक्षा कीजिए।" तो नीचे दी गई जानकारी आपको उत्तर लिखने में सहायक हो सकती है।

                                                             सौजन्य : विकिपीडिया 
अभ्यास प्रश्न 1. 

आपने हाल ही में प्रसिद्ध खिलाड़ी की जीवनी पर आधारित एक फ़िल्म देखी है। फ़िल्म देखकर आप  उनके जीवन से अत्यंत प्रभावित हुए। अपने विद्यालय की पत्रिका में इस फ़िल्म की समीक्षा छपवाने के लिए एक लेख लिखिए। 
आपके लेखन कार्य में निम्नलिखित बातें सम्मिलित होनी चाहिए। 
  • आप इस फिल्म से क्यों प्रभावित हुए?
  • फिल्म की कथा वस्तु और कलाकारों की भूमिका कैसी है? 
  • दर्शकों को फिल्म देखने सिनेमाघर ही क्यों जाना चाहिए? 
आपका लेख लगभग 200 शब्दों में होना चाहिए। 
आपको 8 अंक अंतर्वस्तु (Content) के लिए और 8 अंक सटीक भाषा एवं शैली (Language) के लिए दिए जाएंगे।      


उत्तर - 
मैंने कल प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी 'महिंदर सिंह धोनी' की जीवनी पर आधारित  फ़िल्म :' एम.एस. धोनीः एक अनकही कहानी' देखी थी। वैसे भी भारत समेत दुनिया भर में क्रिकेट प्रेमियों का सुमार है। ऐसे में हमारे पसंदीदा खिलाड़ी "धोनी" की बायोपिक यदि फ़िल्म जैसे बड़े पर्दे पर देखने को मिल जाये तो क्या कहने? मुझे आप सभी को इसके बारे में बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है। इसकी जानकारी निम्नलिखित है।
                                                           सौजन्य : गूगल डॉट कॉम 

  • फिल्म का नाम    - 'एम.एस. धोनीः एक अनकही कहानी' 
  • निर्माता का नाम    रिती स्पोर्ट मैनेजमेंट, इंसपायर्ड एंटरटैनमेंट तथा आदर्श टेलिमीडिया
  • निर्देशक               -   नीरज पांडेय  
  • प्रदर्शन वर्ष          30 सितम्बर 2016 (उपलब्ध है तो लिखे, आवश्यक नहीं है।)
  • फिल्म की लागत      100 करोड लगभग
  • श्रेणी  - जीवनी (बायोपिक)
  • मुख्य कलाकर         सुशांत सिंह राजपूत, कियारा आडवाणी, दिशा पटानी, अनुपम खेर आदि। 
प्रस्तावना (भूमिका) : दुनिया के महान क्रिकेट और कप्तान एम. एस. धोनी पर अगर फिल्म बनती है तो यकीनन बनने से पहले ही फ़िल्म का मीडिया की सुर्खियों में जगह बना लेना और दर्शकों में भी जबरदस्त उत्साह (क्रेज) होना स्वाभाविक हो जाता है।
  • फिल्म की कथा वस्तु  

नीरज पांडे निर्देशित हलिया रिलीज इस फिल्म को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं। निर्माता और निर्देशक की  तारीफ करनी होगी कि उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ एक ऐसी साफ-सुथरी बायॉपिक बनाई है, जिसे आप सपरिवार सिनेमा हाल में बेहिचक देखने जा सकते हैं। नीरज ने धोनी की लाइफ के कुछ ऐसे अनछुए पहलूओं को भी विस्तार से दिखाया है, जिनके बारे में उनके फैन्स ज्यादा नहीं जानते। इस फिल्म को हिंदी के साथ मराठी, तमिल और तेलुगू में भी बनाया है। 
  • कलाकारों की भूमिका -  
सुशांत सिंह ने धोनी का किरदार निभाने के लिए पूरा होम वर्क किया। हर रोज घंटों पसीना बहाया, माही के क्रिकेट खेलने के स्टाइल को सीखा। यही वजह है कि शुरू से अंत तक पूरी फिल्म में सुशांत ही छाए हुए हैं। अनुपम खेर ने एक बार फिर साबित किया कि वह हर रोल को अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग के दम पर जीवंत बना देते है। अन्य कलाकारों में प्रियंका के रोल में दिशा पटानी और धोनी की प्रेमिका और पत्नी के किरदार में कियारा आडवाणी जमी हैं। स्कूल में पहली बार माही को क्रिकेट के गुर सिखाने वाले कोच बैनर्जी बाबू के रोल में राजेश शर्मा का जवाब नहीं, धोनी की बहन के रोल भूमिका चावला ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। 
  • आपके निजी अनुभव (Personal experience)
क्रिकेट प्रेमी जो अब तक अपने चहेते खिलाड़ियों के मैच रेडियो अथवा टेलीविज़न पर सुनते/देखते आए हैं उनके लिए इस को सिनेमहाल के बड़े पर्दे पर देखने का आनंद बहुत ही रोमांचकारी होगा। सिनेमाघर में वे महसूस करेंगे कि वे स्टेडियम के बीच बैठकर मैच देख रहे हैं। यह अनुभव अपने आप में अनोखा होगा। धोनी जैसे सफल खिलाड़ी के जीवन में भी संघर्ष था यह देखकर "जीवन एक संघर्ष है।" की प्रेरणा मिलती है। हमें सघर्षों से घबराना नहीं चाहिए और अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी।  
  • आपकी संस्तुति (Recommendation)
इस फिल्म को प्र्त्येक युवा को अवश्य देखना चाहिए। क्रिकेट प्रेमियों के लिए तो यह किसी कुम्भ से कम नहीं है। फिल्म को देखने का असली मजा बड़े पर्दे पर ही लिया जा सकता हैं। टी.वी. अथवा मोबाइल पर देखकर अपना मजा किरकिरा न करें। 
  • पुस्तक का मूल्यांकन (Rating) 
फ़िल्म प्रदर्शन, दर्शकों की भीड़ और बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन को देखकर हम कह सकते हैं कि यह एक सफल फ़िल्म है। मूल्यांकन की दृष्टि से हम इसे दस में से नौ अंक दे सकते हैं।  

(शब्द सीमा यहाँ अधिक है, आप अपने अनुसार इसे कम अथवा सीमित रख सकते हैं, दिए गए मुख्य बिन्दुओं को आपके उत्तर में शामिल करना अनिवार्य है।) 


इंटरनेट, पत्र-पत्रिकाओं में आपने अकसर प्रकाशित होने वाली फ़िल्म समीक्षाओं को देखा है। समीक्षा पढ़कर दर्शकों को नई फिल्म के बारे में जानकारी मिल सके। यही यही फ़िल्म समीक्षा का मुख्य उद्देश्य होता है। इसके जरिए ही दर्शक को बिना फ़िल्म देखे ही उसके बारे में जानकारी मिल जाती है। समीक्षा करने वाले व्यक्ति को 'फ़िल्म समीक्षक' कहते हैं।  

यहाँ फ़िल्म समीक्षा की एक रूपरेखा दी जा रही है। इसे आप अपने रुचि तथा विचारों के अनुसार बदल सकते हैं।

फ़िल्म समीक्षा का प्रारूप (Film review format)

प्रस्तावना (भूमिका) : Introduction

  1. फिल्म का नाम -   - Film's Name
  2. निर्माता का नाम    Producer
  3. निर्देशक               -   Director
  4. प्रदर्शन वर्ष          (अगर उपलब्ध है तो लिखे, आवश्यक नहीं है।)
  5. फिल्म की लागत      (अगर उपलब्ध है तो लिखे, आवश्यक नहीं है।)
  6. श्रेणी  - सामाजिक/विज्ञान परक, समस्या मूलक, खेल,  अथवा जीवनी (बायोपिक)
  7. मुख्य कलाकर         अभिनेता, अभिनेत्री एवं सहायक कलाकार आदि।

  • फ़िल्म के निर्माता /निर्देशक का संक्षिप्त  परिचय (प्रोड्यूसर/डाइरेक्टर 's details) 

- फ़िल्म की शैली (Genre) -  बच्चों के लिए, पारवारिक, विज्ञान परक, सामाजिक, भक्ति, हास्य आदि।  

  • फ़िल्म की कथा का सारांश (Summery of movies) 

- समस्या / विषय के बारे में संक्षिप्त विवरण

- मुख्य पात्र या विषय के बारे में वर्णन

  • आपके निजी अनुभव (Experience)

- फिल्म के बारे में आपकी राय

- फिल्म में आपकी रुचि का कारण

- आपके अनुसार फिल्म का श्रेष्ठ अंश

- किसी ऐसी घटना का वर्णन जैसा आपका/आपके किसी परिचित के साथ घटित हुआ हो।

- फिल्म की कोई ऐसी घटना जिसे आप बदलना चाहें।

  • आपकी संस्तुति (Recommendation)

- आप इस फ़िल्म के बारे में दर्शकों को क्यों बताएंगे?

- लोगों को यह फ़िल्म क्यों पसंद आएगी?

  • फ़िल्म का मूल्यांकन (Rating) 

- फ़िल्म का मूल्यांकन उपलब्ध कराएँ, उदाहरण के लिए, पाँच या दस में से स्कोर।        

- यह दर्शको  को एक अच्छी अवधारणा देगा कि वे फ़िल्म देखने जाय या नहीं।

  • फ़िल्म समीक्षक का नाम और परिचय 

- आप समीक्षक बतौर अपना नाम अवश्य लिखें। अपने परिचय में कुछ जोड़ना चाहे तो लिख सकते हैं।  

👉ध्यान दें  - आप अपने नोट्स में एक परिचय (प्रस्तावना), मध्य (विषय-विस्तार) तथा निष्कर्ष (उपसंहार) लिखें।


  • अभ्यास कार्य (HW) - 
देशभक्ति की पृष्ठभूमि पर आधारित किसी फ़िल्म की समीक्षा करते हुए, सेना में तैनात अपने बड़े भाई को पत्र/ ई-मेल लिखकर बताइए कि आपको यह फ़िल्म देखकर उनकी बहुत याद आती है।
आपके लेखन कार्य में निम्नलिखित बातें सम्मिलित होनी चाहिए। 
                                                                                                               साभार : ज़ी न्यूज़ हिन्दी
  • फ़िल्म का परिचय। 
  • भाई की यादें। 
  • भाई के योगदान पर गर्व। 
आपका पत्र/ई-मेल लगभग 120 शब्दों में होना चाहिए। 
आपको 3 अंक अंतर्वस्तु (Content) के लिए और 5 अंक सटीक भाषा एवं शैली (Language) के लिए दिए जाएंगे।    

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महत्त्वपूर्ण स्रोत : 

  1. https://www.aajtak.in/entertainment/film-review

  2. फिल्म समीक्षा- 'pk' (पी.के.)

स्रोत साभार : अमर उजाला, गूगल आदि।

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