यह पेज हिंदी के विद्यार्थियों और शिक्षकों के अध्ययन-अध्यापन हेतु शैक्षणिक-सामग्री उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिखा जाता है। यदि यह किसी की सफलता में काम आ सके तो यही इसका मुख्य उद्देश्य और हमारे श्रम का उचित पारिश्रमिक होगा। जय हिन्द, जय हिन्दी।
आप भी बन सकते हैं 'हिंदी कोच'
सोमवार, 18 नवंबर 2024
युवाओं की उड़ान, स्टार्टअप के नाम...!
रविवार, 10 नवंबर 2024
हँसने वाला अनोखा पेड़ (Unique laughing Tree)
हँसने वाला अनोखा पेड़ |
हँसने वाले पेड़ को गुदगुदाते पर्यटक (विडियो) |
प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, अनोखी विशेषता, स्पर्श, गुदगुदी, शाखाएँ, विशिष्ट, वानस्पतिक, चर्चा का विषय, संवेदनशील, जीव, स्थानीय, निवासियों, पर्यटकों, प्रतिक्रिया, वैज्ञानिकों, वनस्पति शास्त्रियों, रहस्यमयी, अध्ययन, कोशिकाएँ, ऊतकों, रासायनिक तत्व, मौजूद, मात्रा, तापमान, तनाव, अनोखे गुण, शोध, भविष्य, अचंभा, योगदान, वास्तव, मध्यम, चमकदार, अंडाकार, बीजों, छाल, बीमारियों, बुखार, दस्त, त्वचा रोगों, इलाज, इस्तेमाल, जीवों, पक्षियों, भोजन, स्रोत, पर्यावरण संतुलित, सहयोग, प्रदान, सहायक, आकर्षण, विशेष केंद्र, लोककथाओं, अदृश्य शक्ति, संकेत, चमत्कार, अलौकिक, जिज्ञासा, कौतूहल, पर्यटन, पहलुओं, उजागर.
मंगलवार, 5 नवंबर 2024
स्तंभ लेखन (Column Writing)
समाचार पत्रों में स्तंभ लेखन |
स्तंभ लेखन पत्रकारिता का ऐसा रूप है, जिसमें लेखक किसी विशेष मुद्दे पर अपने विचारों को गहराई से प्रस्तुत करता है। अखबार, पत्रिकाओं या ऑनलाइन मंचों पर नियमित प्रकाशित होने वाले ये लेख समाज, राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, पर्यावरण आदि हर विषय पर हो सकते हैं। नियमित रूप से, विशिष्ट विषय पर लिखना। यह साप्ताहिक या पाक्षिक होता है; मतलब उसकी बारंबारिता (frequency) पहले ही तय की होती है। स्तंभ लेखन के लिए विषय की कोई सीमा नहीं होती - पाठकों को जो विषय रुचिपूर्ण लगते है, उन्हीं विषयों पर स्तंभ लेखन आमंत्रित किया जाता है।
- ज्ञान और जानकारी का स्रोत - स्तंभ लेख लोगों को कई विषयों पर जागरूक करते हैं और उनका ज्ञान बढ़ाते हैं।
- प्रेरणा और समाधान - जीवनशैली या व्यक्तिगत विकास पर लिखे स्तंभ लोगों को प्रेरणा और समस्याओं के हल का रास्ता दिखाते हैं।
- समाज में बदलाव - स्तंभ लेखन के जरिए लेखक समाज में व्याप्त समस्याओं पर रोशनी डालते हैं, जिससे लोग बदलाव के लिए जागरूक होते हैं।
स्तंभ लेखन का प्रारूप (फॉर्मेट)
1. शीर्षक - लेख का शीर्षक प्रभावशाली और आकर्षक होना चाहिए, ताकि पाठक की रुचि बनी रहे। शीर्षक विषय के मुख्य विचार को संक्षेप में प्रस्तुत करना चाहिए।
2. परिचय - लेख के आरंभ में विषय का संक्षिप्त परिचय देना चाहिए। परिचय में पाठक को यह समझाना होता है कि लेख किस विषय पर है और लेख का मुख्य उद्देश्य क्या है।
3. मुख्य विषय - इस भाग में आप अपने विचारों, तर्कों, उदाहरणों और तथ्यों का उल्लेख करते हैं। इसे पैराग्राफ में विभाजित किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक पैराग्राफ एक अलग बिंदु या विचार प्रस्तुत करता है। जानकारी सरल और व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करनी चाहिए।
4. विवरणात्मक दृष्टिकोण - यदि संभव हो, तो व्यक्तिगत अनुभव, शोध या विश्लेषण का उपयोग करें। इससे लेख अधिक रोचक और विश्वसनीय बनता है।
5. समाप्ति - लेख का समापन संक्षिप्त और प्रभावी ढंग से करें। इसमें विषय का निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें आप अपनी राय, सुझाव या संभावित समाधान दे सकते हैं।
6. लेखक का परिचय - लेख के अंत में लेखक का संक्षिप्त परिचय होता है। इसमें लेखक का नाम, पेशा, और संबंधित क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता का उल्लेख किया जा सकता है।
उदाहरण -
जलवायु परिवर्तन और हमारा भविष्य
शनिवार, 2 नवंबर 2024
पाती गंगा माँ की ...!
मेरे प्यारे बच्चों,
मैं गंगा हूँ, जिसे भारतवासी 'माँ' कहकर पुकारते हैं। हिमालय की शांत गोद से निकलकर, मैं इस धरती पर जीवन का संचार करती आई हूँ। सदियों से मैं इस देश की आत्मा और संकृति का आधार रही हूँ। मैं अपने अमृततुल्य जल से देश की धरती को सींचती आई हूँ। यहाँ के खेतों में लहलहाती फसलें और फसलों पर झूमती बालियाँ मेरे जल का गुणगान करती थीं। मेरे आँचल पर बसे गाँव, कस्बों और शहरों की रौनक मुझसे रही है। एक समय था जब लोग मेरे जल को अमृत समझते थे। भारतवासियों का कोई व्रत, त्यौहार, पर्व-संस्कार आदि 'गंगाजल' के बिना अधूरा रहा करता था। पर आजकल स्थिति बदल गए हैं। मेरे जल को गंदा किया जा रहा है। मेरे तटों पर कूड़ा फैलाया जा रहा है। कई उद्योगों का मलीन पानी भी मुझमें बहाया जा रहा है। मेरे जल में रहने वाले जीव-जंतु भी खत्म हो रहे हैं।
पवित्र गंगा नदी |
मैं देखी हूँ कि लोग कैसे मेरे तटों पर आकर मुझमें स्नान करते हैं और फिर उसी पानी को गंदा करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में कपड़े धोते हैं, बर्तन साफ करते हैं और यहां तक कि शौच भी करते हैं। मैं देखती हूँ कि कैसे लोग मेरे जल में मूर्तियाँ विसर्जित करते हैं। मुझे बहुत दुख होता है जब मैं देखती हूँ कि लोग मेरे महत्त्व को भूल रहे हैं। वे मुझे सिर्फ मुझे एक नदी नहीं, बल्कि एक जिवंत देवी मानते थे। लेकिन आजकल वे मुझे सिर्फ एक गंदे नाले के रूप में समझने लगे हैं।
आपको पता है मुझमें बढ़ते हुए इस प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है आपका घरेलू कचरा। घरों से निकलने वाला कचरा सीधे गंगा में बहा दिया जाता है। उद्योगों का गंदा पानी भी गंगा को प्रदूषित करता है। कृषि रसायन जैसे कीटनाशक और उर्वरक भी गंगा के पानी को दूषित करते हैं। धार्मिक-अनुष्ठानों के दौरान मूर्तियाँ और अन्य सामग्री गंगा में विसर्जित की जाती है जो भी एक बड़ा कारण है। बढ़ता प्रदूषण यहाँ के पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इससे मनुष्यों के अलावा पशु-पक्षियों और जलीय जीवों का जीवन संकट में है, मत्स्य पालन का काम प्रभावित हो रहा है और मेरे पानी पीने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, जल-प्रदूषण आसपास के लोगों के आजीविका के साधन पर्यटन को भी प्रभावित कर रहा है।
अपनी गंगा को बचाने के लिए कई आवश्यक कदम उठाने होंगे। सबसे पहले आपको लोगों को गंगा प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा। कचरे को अलग-अलग करके उसका निस्तारण करना होगा। उद्योगों को अपने अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना होगा। खेतों में कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करना होगा। धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल करना होगा। सरकार को भी गंगा को बचाने के लिए सख्त कानून बनाना होगा।
मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मुझे बचाने में मेरी मदद करें। आप अपने घर से निकलने वाला कचरा कूड़ेदान में डालें। आप मेरे जल को प्रदूषित करने से बचें। आप मेरे तटों को साफ रखें। आप दूसरों को भी मेरे संरक्षण के लिए जागरूक करें। यदि आपने ऐसा किया तो मैं फिर से उतनी ही स्वच्छ और निर्मल हो जाऊंगी जैसी पहले थी। मैं फिर से लोगों को जीवनदान दूंगी। मैं फिर से धरती की शोभा बढ़ाऊंगी।
आप सभी से मेरी यही विनती है कि आप मुझे बचाएं। मैं आपकी माँ हूँ, आपकी बहन हूँ, आपकी दोस्त हूँ। आप मुझे बचाकर अपना कर्तव्य निभाएं।
आपकी अपनी नदी
- गंगा
रविवार, 8 अक्तूबर 2023
तिल के बीजों में है ताकत पहाड़ सी
तिल का तेल |
आप को यह भी जानकार आश्चर्य होगा कि आज हम जिस 'तेल' शब्द का रोज़मर्रा के जीवन में प्रयोग करते हैं दरअसल उसकी उत्पत्ति भी 'तिल' से हुई है। संस्कृत भाषा में तेल के लिए 'तैल' शब्द का प्रयोग मिलता है। 'तैल' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिल' शब्द से ही हुई है। तैल का अर्थ है कि 'वह जो तिल से निकलता हो। अर्थात 'तेल' का असल अर्थ ही है 'तिल का तेल'। यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसका प्रयोग सदियों से भारतवर्ष में होता रहा है। प्रत्येक मांगलिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ तिल के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करके करने की प्राचीन परंपरा रही है। आज भी चाहे आपको कोई भी रोग हो तिल का तेल इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में उस व्याधि से लड़ने की क्षमता यह विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में विरले ही पाया जाता।
बादाम का तेल |
काला, सफ़ेद और लाल तिल |
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एसिड होता है जो बीमारियों को दूर रखता है। सिस्मोल में विटामिन ई जैसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकते हैं। तिल के तेल के अंदर आपको बिटामिन- ए, बी, सी, डी, और ई का सारा संसार मिल जाता है। तिल के तेल का उपयोग भारतीय खाद्य व्यवसाय तथा खाद्य बाजार में कायम में होता है। यह तेल ज्यादातर खाद्य बनाने में प्रयोग होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, लड़्डू, चिक्की, पट्टी और बाड़ी आदि। इनके अलावा, यह तेल को भोजन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, खासकर साग और सब्ज़ियों के साथ। इसमें लौह की मात्रा भरपूर होने से महिलाओं के लिए अनेमिया के इलाज़ में भी कारगर सिद्ध होता है।
तिल के तेल के फायदे -
- स्वास्थ्य लाभ: तिल के तेल में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-ई, बी, और ए के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैसियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, आदि होते हैं, जो कि बड़े फायदेमंद होते हैं।
- त्वचा के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में प्राकृतिक तरीके से मौजूद विटामिन-ई की वजह से यह त्वचा को मुलायम बनाता है और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
- हृदय रोग में फायदेमंद: तिल के तेल में पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं, जो ह्रदय के लिए फायदेमंद होते हैं।
- वजन नियंत्रण: तिल के तेल में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
- बढ़ती ऊर्जा: तिल के तेल का सेवन करने से बॉडी में ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे थकान और कमी कम होती है।
- आंखों के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में विटामिन-ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
- तंतु की समस्या के लिए: तिल के तेल का सेवन करने से तंतु सुस्त होती है, जिससे समय तक यौन संबंध बनाए रखना संभव होता है।
- मस्तिष्क के लिए फायदेमंद: तिल के तेल के सेवन से मस्तिष्क की कार्यशीलता बढ़ती है और मस्तिष्क के रक्तसंचार को सुधारता है।
- डायबीटीज का इलाज़: तिल के तेल का सेवन करने से डायबीटीज के लिए फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर का रक्तचाप और रक्त शर्करा कंट्रोल में आता है।
- कैंसर की रोकथाम: तिल के तेल में विटामिन ई और अंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कैंसर के खिलाफ कार्य करते हैं।
- खाद्य व्यंजन: तिल के तेल का उपयोग बहुत सारे खाद्य व्यंजन बनाने में होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, बाड़ी, लड़्डू, चिक्की, और साग और सब्ज़ियों को बनाने में भी होता है।
- दूध या दही में: तिल के तेल को दूध या दही के साथ सलाद आदि में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
- रोज़ के खाने के साथ: आप तिल के तेल को रोज़ के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि साग और सब्ज़ियों के साथ।
- मालिश में उपयोगी : मालिश के रूप में तिल के तेल का सेवन किया जा सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में। तिल के तेल से शारीरिक आराम और मानसिक सुख चैन के लिए एक अच्छे मालिश तेल के रूप में किया जा सकता है।
तिल के तेल के नुकसान
- कॉलेस्ट्रॉल का वृद्धि: अगर आपका खून कॉलेस्ट्रॉल हाइ है, तो तिल के तेल का उपयोग कम करें, क्योंकि इसमें पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं जो कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।
- अलर्ज़ी की समस्या: तिल के तेल से एलर्ज़ी की समस्या हो सकती है, जिसका स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
- बच्चों के लिए खतरा: बच्चों के लिए तिल के तेल का सेवन विशेषत:रूप से सूजी और घी के साथ नहीं करें, क्योंकि इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो कि उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
- मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन में सतर्क रहना चाहिए क्योंकि तिल के तेल का सेवन से उनका रक्तचाप और रक्त-शर्करा बढ़ने की संभवना होती है। गर्भवती महिलाओं को तिल के तेल का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भावस्था के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। इन बातों का ध्यान रखकर तिल के तेल का सेवन करें और इसके लाभ प्राप्त करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें, खासकर अगर आपका किसी तरह का शारीरिक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या है।
मंगलवार, 26 सितंबर 2023
पवित्र तुलसी: जीवन अमृत स्वरूपा, वनौषधियों की रानी
शुक्रवार, 22 सितंबर 2023
आदर्श विद्यार्थी जीवन: नेतृत्व प्रदर्शन का प्रथम सोपान
विद्यार्थी जीवन छात्रों के लिए नेतृत्व कौशलों को विकसित करने का पहला महत्वपूर्ण माध्यम होता है। यह जीवन का अवसर होता है जब छात्र अपने आप को व्यक्त करने, अन्यों को प्रेरित करने, और वैयक्तिक और सामाजिक स्तर पर नेतृत्व कौशल विकसित कर सकते हैं।
विद्यार्थी जीवन के नेतृत्व से सीख: गर्व नहीं, सहयोग
छात्र-परिषद का चुनाव |
मानव वादी नेता: आदर्श विद्यार्थी का पूर्ण रूप से वर्णन
मानव वादी नेता ही "आदर्श विद्यार्थी" का पूरक होता है। मानववादी नेता को समझने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि आदर्श विद्यार्थी कौन होता है और क्यों वह मानव वादी नेता के रूप में कैसे मान्यता प्राप्त करता है?
आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएँ:
- शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: आदर्श विद्यार्थी शिक्षा के प्रति गहरा समर्पण और प्रतिबद्धता रखता है। वह अपनी शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देता है और ज्ञान के माध्यम से समाज को बदलने का संकल्प रखता है।
- सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पालन: वह उच्च सामाजिक और नैतिक मूल्यों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध पूर्वक अनुसरण करता है। उसके व्यवहार में ईमानदारी, साहस, सहयोग झलकता है।
- सकारात्मक सेवा भाव: आदर्श विद्यार्थी समाज के उत्थान के लिए सकारात्मक योगदान करने के लिए प्रोत्साहित रहता है। वह समाज में सेवा के क्षेत्र में अपने समय और योग्यता का दान करता है।
- नेतृत्व कौशल: वह नेतृत्व कौशलों को समझता है और अपनी प्राकृतिक नेतृत्व का उपयोग समुदाय के लाभ के लिए करता है। वह दूसरों को प्रेरित करने और मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है।
- संवाद कौशल और जागरूकता: आदर्श विद्यार्थी समाज में जागरूकता पैदा करता है और विभिन्न मुद्दों पर जन-संवाद करने के लिए सक्षम होता है। वह समस्याओं के समाधान के लिए समाज के साथ सहयोग करता है।
- स्वतंत्रता का मूल्यांकन: वह स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण मानता है और सोचने और विचार करने के लिए स्वतंत्रता का समर्थन करता है, जिससे वह नई विचार और समाधानों का खोज कर सकता है।
- आदर्श साथी: वह अपने साथी छात्रों के प्रति समर्पित होता है और उनके उत्तरदायित्व का पूरा करता है। वह एक साथी के रूप में संबंध बनाने, सहयोग करने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करता है।
- समाज में प्रेरणा: आदर्श विद्यार्थी अपने व्यक्तिगत और शैली से समाज को प्रेरित करता है। उसकी उपलब्धियाँ और सफलता दूसरों को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है।
- निःस्वार्थ सेवा: आदर्श विद्यार्थी अपने समाज के प्रति निःस्वार्थ और समर्पण भाव से सेवा करता है, वह बिना किसी पद अथवा उपाधि की लालसा के केवल कर्म के प्रति ईमानदार नेता होना चाहिए। वह सेवा का आनंद लेने वाला होना चाहिए। 'सेवापरमोधरमः' अर्थात् ' सेवा ही सर्वोच्च धर्म है।' यही मानकर समाज को बेहतर बनाने का संकल्प करना चाहिए।
आदर्श विद्यार्थी अपने सभी गुणों और कौशलों के साथ एक मानववादी नेता के रूप में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह शिक्षा का प्रणेता होता है, सामाजिक सेवा करता है, और नेतृत्व कौशलों का प्रयोग करके समाज को सुधारने में मदद करता है। इस तरह के आदर्श विद्यार्थी हमारे समाज के नेतृत्व की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हैं और एक बेहतर और समर्थक समाज की दिशा में मानववादी नेताओं की तरह काम करते हैं।आदर्श विद्यार्थी जीवन छात्रों को नेतृत्व कौशल विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, लेकिन सच है कि आदर्श नेतृत्व के लिए केवल अच्छे छात्र होने से काम नहीं चलेगा। नेतृत्व विशेषज्ञता, विश्वास, और सेवा के प्रति निरंतर समर्पण से बनता है।
अभ्यास कार्य -
सोमवार, 4 सितंबर 2023
शब्दबोध - शिक्षा (Education related vocabulary)
यहाँ हिन्दी में प्रयोग होने वाली कुछ शिक्षा संबंधी आम शब्दावली की सूची दी गई है:
- शिक्षा (shiksha) - Education
- शिक्षक (shikshak) - Teacher
- छात्र (chhatra) - Student
- पाठशाला (pathshala) - School
- विश्वविद्यालय (vishwavidyalaya) - University
- विद्यार्थी (vidyarthi) - Student
- पढ़ाई (padhai) - Study
- पाठ्यक्रम (pathyakram) - Curriculum
- प्रिय प्राध्यापक (priya pradhyapak) - Favorite Teacher
- प्राध्यापक (pradhyapak) - Professor
- पाठ (path) - Lesson
- शिक्षा मंत्री (shiksha mantri) - Education Minister
- शिक्षा अधिकारी (shiksha adhikari) - Education Officer
- विद्यालय जीवन (vidyalay jeevan) - School Life
- प्रमाणपत्र (pramanpatra) - Certificate
- प्राध्यापक तथा छात्र संघ (pradhyapak tatha chhatra sangh) - Teachers and Students Association
- शिक्षा नीति (shiksha neeti) - Education Policy
- शैक्षिक संस्थान (shaikshik sansthan) - Educational Institution
- अध्ययन (adhyayan) - Study
- पाठ्यपुस्तक (pathyapustak) - Textbook
- प्रशासनिक कर्मचारी (prashasanik karmachari) - Administrative Staff
- शिक्षा संगठन (shiksha sangathan) - Education Organization
- शैक्षिक योजना (shaikshik yojana) - Educational Plan
- विद्यालय प्रबंधन (vidyalay prabandhan) - School Management
- शैक्षिक अद्यतन (shaikshik adyatan) - Educational Update
ये कुछ शिक्षा संबंधी शब्द हैं जो आपके लिए सहायक साबित हो सकते हैं।
इस शृंखला विषयक अन्य साधन सामग्री
- शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति, सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
- शब्दबोध - स्वास्थ्य (Health): आरोग्य, औषधि, प्रौद्योगिकी, रोग प्रतिरोधक, शारीरिक देखभाल आदि।
- शब्दबोध - पर्यावरण और भूगोल (Environment & Geography): प्रदूषण, जलवायु, जैव-विविधता, ऊर्जा-संरक्षण आदि।
- शब्दबोध - विज्ञान और प्रोद्योगिकी (Science & Communication): विज्ञान, प्रयोगशाला, गणित, भौतिकी, जीवविज्ञान आदि।
- शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति, सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
- शब्दबोध - पर्यटन / यातायात (Tour & Transportation): साधन, सड़क, रेल, हवाई, सवारी, परिवहन आदि।
- शब्दबोध - रोजगार (Employment): नौकरी, उद्यमिता, रोजगार क्षेत्र, कौशल, पेशेवर विकास आदि।
- शब्दबोध - राजनीति (Politics): शासन, लोकतंत्र, राजनीतिक दल, चुनाव, शासक आदि।
- शब्दबोध - आर्थिक (Economy): अर्थव्यवस्था, वित्तीय, विनिमय, उद्योग, विकास आदि।
- शब्दबोध - समसामयिक (Contemporary): आपदा, भूकंप, महामारी, युद्ध, प्रतियोगिता आदि।
शब्दबोध - स्वास्थ्य (Health related Vocabulary)
स्वास्थ्य विषयक महत्वपूर्ण शब्दावली की सूची निम्नलिखित है:
शब्द उच्चारण अर्थ (अंग्रेजी में)
- आरोग्य Ārogya Health
- रोग Roga Disease
- दवा/दवाई Davā/Davāi Medicine
- जीवनशैली Jīvanśailī Lifestyle
- आहार Āhār Nutrition
- व्यायाम Vyāyāma Exercise
- स्वस्थ Svastha Healthy
- स्वास्थ्य Svāsthya Health
- बीमार Bīmār Sick
- बीमारी Bīmārī Sickness
- चिकित्सा Cikitsā Therapy
- चिकित्सक Cikitsaka Doctor
- औषधि Auṣadhi Medication
- औषधीय Auṣadhīya Medicinal
- रोगी Rogī Patient
- प्राकृतिक चिकित्सा Prākṛtika Cikitsā Naturopathy
- शारीरिक स्वास्थ्य Śārīrika Svasthya Physical Fitness / Health
- मानसिक स्वास्थ्य Mānsik Svāsthy Mental Health
- रोग प्रतिरोधक Roga Pratirodhaka Immunity
- आरोग्य सेवाएं Ārogya Sevāẏeṁ Healthcare Services
- बीमारी का पूर्वाग्रह Bīmārī Kā Pūrvāgraha Disease Prevention
- बीमारी का नियंत्रण Bīmārī Kā Niyaṁtraṇa Disease Control
- वैद्य Vaidya Ayurvedic Doctor
- तीमारदार Teemardaar Care Taker of Patient
यह सूची स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों का एक उपयोगी संग्रह है।
इस शृंखला विषयक अन्य साधन सामग्री
- शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति, सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
- शब्दबोध - पर्यावरण (Environment): प्रदूषण, वनस्पति, जलवायु, जैव-विविधता, ऊर्जा-संरक्षण आदि।
- शब्दबोध - शिक्षा (Education): शिक्षक, शिक्षार्थी, पाठ्यक्रम, ज्ञान, शैक्षिक संस्थान आदि।
- शब्दबोध - विज्ञान (Science): विज्ञान, प्रयोगशाला, गणित, भौतिकी, जीवविज्ञान आदि।
- शब्दबोध - सामाजिक मुद्दे (Social Issues): समाज, संस्कृति, सुधार, न्याय, समानता, सामाजिक संरचना आदि।
- शब्दबोध - पर्यटन / यातायात (Tour & Transportation): साधन, सड़क, रेल, हवाई, सवारी, परिवहन आदि।
- शब्दबोध - रोजगार (Employment): नौकरी, उद्यमिता, रोजगार क्षेत्र, कौशल, पेशेवर विकास आदि।
- शब्दबोध - राजनीति (Politics): शासन, लोकतंत्र, राजनीतिक दल, चुनाव, शासक आदि।
- शब्दबोध - आर्थिक (Economy): अर्थव्यवस्था, वित्तीय, विनिमय, उद्योग, विकास आदि।
प्रचलित पोस्ट
-
छात्रों को निम्नलिखित लेखन विधाओं का अभ्यास करना अपेक्षित है - क) लेखन विधाएँ पत्र लेखन : (अनौपचारिक, औपचारिक और कार्यालयीन (व्यावसायिक) प...
-
नोट लेखन किसे कहते हैं? जब आप किसी विषय विशेष पर कोई महत्त्वपूर्ण सूचना, जानकारी अथवा विचारों संक्षिप्त रूप में लिखते हैं ताकि आप उन्हें बाद...
-
परिचय - पत्र लेखन एक ऐसी कला है जिसमें व्यक्ति अपने विचार, अभिव्यक्ति, अनुभव या जानकारी को लिखित रूप में दूसरों के साथ साझा करता है। यह एक प...
-
ईमेल किसे कहते हैं? ईमेल एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है जिसका उपयोग विशिष्ट एक्सेस कोड का प्रयोग करते हुए दूरस्थ स्थानों (distanced places) ...
-
" विभिन्न ऑनलाइन मीडिया मंचों पर साझा की जानी वाली हर एक प्रविष्टि (पोस्ट), 'संचार-प्रविष्टि' कहलाती है।" सोशल मीडिया ...
-
"किसी घटना, कार्य-योजना, समारोह अथवा शोध आदि के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देखकर या छानबीन करके तैयार की गई लिखित सामग्री...
-
चिट्ठाकारी को 'ब्लॉग' कहा जाता हैं। यह इंटरनेट आधारित एक ऑनलाइन मंच (प्लेटफ़ॉर्म) होता है। 'ब्लॉगिंग' शब्द की उत्पत्ति &quo...
-
श्रवण कौशल हिंदी भाषा को सीखने में महत्वपूर्ण अंग है। यह छात्रों को हिंदी भाषा की ध्वनियों, शब्दों, वाक्यों और भाषा के नियमों को सही ढंग स...
-
साभार - ओन्ली माइ हेल्थ आजकल लोगों में नए-नए खाद्य एवं पेय पदार्थों को आजमाने का चलन है। इसी क्रम में आप हिमालय की तराई व तिब्बत समेत दुन...
-
समीक्षा लेखन के तहत किसी विषय, वस्तु, सेवा अथवा उत्पाद के बारे में विस्तार से अपने विचार व राय दी जाती है ताकि इससे उसके गुणों, दोषों, फायदो...