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सोमवार, 8 जनवरी 2024

2023-Oct/Nov IGCSE Hindi प्रश्नपत्र-1 (उत्तर सहित)

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अभ्यास 1: प्रश्न 1-6

'कम्बोडिया की महिला - चैम्पियन' आलेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

कम्बोडिया के लगभग 75 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और कृषि तथा मछली पालन पर निर्भर करते हैं। मानसून के मौसम में कम्बोडिया का अधिकांश समतल भाग बाढ़ग्रस्त हो जाता है। हाल के वर्षों में जलवायु के चरम स्वरूप और मौसम की अनिश्चितता का किसान और मछुआरों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कम्पोट जैसे तटवर्ती प्रदेश के लगभग आधे वन नष्ट हो गए जो तूफानों को धीमा करने का काम करते थे। वहाँ के निवासी जो पहले से ही जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे, अब स्वच्छ जल, भोजन और रहने की जगह तक से वंचित हो गए। ऐसी स्थिति में बाहरी सहायता मिले बिना एक पूरा समुदाय अपना सब कुछ खो देने की आशंका से डरा हुआ था। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव स्त्रियों और बच्चों पर पड़ा।

36 वर्षीय हैंग, कम्पोट में कम्बोडिया की सबसे बड़ी झील तोनले सैप के पास रहती है। उसका परिवार मछली - पालन पर निर्भर है, पर जलवायु परिवर्तन के अतिरेक ने उसको भोजन जुटाने तक के लिए कर्ज लेने को विवश कर दिया । हैंग का कहना है कि जब वह मछली पकड़कर पैसा नहीं कमा सकती, वह अपने बच्चों के साथ जाकर रद्दी सामान बटोरकर उसे बेचने से मिले पैसों से अपने बच्चों के लिए चावल ख़रीदती है। परिवार की इस दयनीय दशा का प्रभाव हैंग की 11 वर्षीय बेटी पुंथिया की शिक्षा पर पड़ा। वह अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए स्कूल जाने की जगह कचरा इकट्ठा करके उसे बेचकर कुछ पैसे बना लेती है। हेंग को लगा कि पुंथिया के भविष्य के लिए कुछ करना आवश्यक है। यदि परिवार की स्थिति में थोड़ा सा भी सुधार हो तो वह सबसे पहले अपनी बेटी को शिक्षा दिलाना चाहती है ताकि उसका जीवन उसके अपने जीवन जैसा न हो ।

इस संकट की स्थिति से बाहर आने के लिए कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने मिलकर 'महिला-चैम्पियन' योजना प्रारंभ की। उसके अंतर्गत स्त्रियों को जलवायु संकट का सामना करने के लिए जलवायु के अनुकूल खेती और मछली पकड़ने की तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षित 'महिला - चैम्पियन' ने स्त्रियों को मिलजुलकर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करना सिखाया और वे अपने समुदाय की मदद करने लगीं। वे उन्हें बतातीं कि सूखे और बाढ़ को रोका तो नहीं जा सकता, पर उनको अपने अनुकूल बनाने के तरीके खोजे जा सकते हैं। इस योजना के तहत स्त्रियों में आत्मविश्वास बढ़ा और उनकी रोजी-रोटी के साधन भी जुट गए। हैंग की 11 वर्षीय बेटी पुंथिया अब स्कूल जाकर पढ़-लिखकर डॉक्टर बनने के सपने देख रही है ताकि वह अपने बीमार दादा-दादी का इलाज कर सके ।

प्रश्न 1. कम्बोडिया के अधिकांश लोग कहाँ रहते हैं ? [1]
उत्तर - ग्रामीण क्षेत्र में 

प्रश्न 2. जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव किन पर पड़ा ? [1]
उत्तर - स्त्रियों और बच्चों पर 

प्रश्न 3. हैंग की आर्थिक समस्या बढ़ने का कारण लिखिए। [1]
उत्तर - जलवायु परिवर्तन का अतिरेका / बाढ़ के कारण मछली न पकड़ पाना / मछली न बेच पाना

प्रश्न 4. पुंथिया पर आर्थिक समस्या के दो प्रभाव लिखिए। [2] 
उत्तर - ii) उसकी शिक्षा पर पड़ा।
  iii) उसे अपनी माँ के साथ जाकर रद्दी सामान बटोरने जाना पड़ा।  

प्रश्न 5. हेंग क्या चाहती थी? [1]
उत्तर - अपनी बेटी को शिक्षा दिलाना चाहती है, ताकि उसका जीवन उसके अपने जीवन जैसा न हो । 

प्रश्न 6.  जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए कौन से दो उपाय किए जा सकते हैं? [2]
उत्तर - i) जलवायु के अनुकूल खेती और 
  ii) मछली पकड़ने की नई तकनीकों का प्रशिक्षण लिया जा सकता है। 

अभ्यास 2: प्रश्न 7-15

'त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग' आलेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

A) महाराष्ट्र के नासिक शहर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर गौतमी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर हिन्दुओं के पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। त्र्यंबकेश्वर में विराजित ज्योतिर्लिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वहाँ भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों एक ही स्थान में विराजित हैं। भगवान शिव के इस पुरातन मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। प्रसिद्ध तीर्थस्थल होने के साथ-साथ यह मंदिर पुरातत्व - विशेषज्ञों को भी आकर्षित करता है।

B) मंदिर के ज्योतिर्लिंग से गौतम ऋषि और गंगा नदी की प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है। उसके अनुसार प्राचीन समय में त्र्यंबकेश्वर में अकाल पड़ने से लोग मरने लगे थे। लेकिन वर्षा के देवता इंद्र देव, गौतम ऋषि की भक्ति से प्रसन्न होने के कारण उनके आश्रम में ही वर्षा करवाते थे। एक बार अन्य ऋषियों ने गौतम ऋषि पर छल से गौ हत्या का आरोप लगा दिया एवं उनको अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए देवी गंगा में स्नान करने को कहा। गौतम ऋषि ने ब्रह्मगिरि पर्वत पर जाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की और देवी गंगा के त्र्यंबकेश्वर में प्रवाहित होने का वरदान माँगा। लेकिन देवी गंगा इस शर्त पर प्रवाहित होने के लिए राजी हुईं कि जब भगवान शंकर इस स्थान पर रहेंगे, तभी वे इस स्थान पर प्रवाहित होंगी। देवी गंगा के आग्रह पर शिवजी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहीं वास करने को तैयार हो गए। इस तरह त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग वहाँ स्वयं प्रकट हुए और गंगा नदी गौतमी नदी के रूप में वहाँ से बहने लगी।

C) इतिहासकारों के अनुसार इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण पेशवा नानासाहेब ने एक शर्त में हारने पर करवाया था। मंदिर में विराजित शिव की प्रतिमा को हीरों से जड़ा गया था जो कालांतर में विदेशियों ने लूट लिए। स्थापत्य कला का आर्कषक और अद्वितीय नमूना, सुंदर नक्काशी से अलंकृत और भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है। मंदिर में पूर्व की तरफ एक बड़ा चौकोर मंडप है एवं मंदिर के चारों तरफ दरवाज़े बने हुए हैं, मंदिर के पश्चिम की तरफ बना हुआ दरवाज़ा विशेष अवसरों पर ही खोला जाता है। अन्य दिनों में सिर्फ तीन द्वारों से ही भक्तजन इस मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश कर सकते हैं। इस प्राचीन मंदिर के शिखर में सुंदर स्वर्ण कलश और भगवान शिव की प्रतिमा के पास हीरों और रत्नों से जड़ा मुकुट रखा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग दिखाई देते हैं जो कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार माने जाते हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास तीन पर्वत स्थित हैं, जिन्हें नीलगिरि, ब्रह्मगिरि, और गंगाद्वार के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के गंगा द्वार पर देवी गंगा का मंदिर बना हुआ है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में स्थापित शिव जी की मूर्ति के चरणों से बूंद-बूंद करके जल टपकता रहता है, जो कि मंदिर के पास में बने एक कुंड में एकत्रित होता है।

D) त्र्यंबकेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक एवं कुछ विशेष पूजा करवाने का भी अपना अलग महत्व है। इस मंदिर में भक्तजन दोष-शांति एवं स्वस्थ जीवन के लिए महामृत्युंजय का पाठ करते हैं। इसके अलावा यहाँ गाय को हरा चारा खिलाने का विशेष महत्व है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर के प्रमुख आर्कषणों में कालाराम मंदिर, मुक्तिधाम मंदिर, पंचवटी, पांडवलेनी गुफाएँ, इगतपुरी आदि हैं। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में भक्तजन आते हैं। इस पवित्र धाम में यात्री रेल, सड़क और वायु तीनों मार्गों द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं। सबसे पास का हवाईअड्डा, नासिक एयरपोर्ट है जो कि करीब 31 किलोमीटर की दूरी पर है एवं निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रेलवे स्टेशन है जहाँ से टैक्सी या फिर बस के द्वारा आप त्र्यंबकेश्वर आसानी से पहुँच सकते हैं।

नीचे दिए गए प्रश्नों (7-15) के उत्तर देने के लिए उनके नीचे दिए गए अनुच्छेदों (A से D) में से सही अनुच्छेद चुन कर उसके सामने के कोष्ठक में सही का निशान लगा कर बताएँ कि कौन सा अनुच्छेद किस वक्तव्य से सम्बंधित है। अनुच्छेदों को एक से अधिक बार चुना जा सकता है।
  • उदाहरण: त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर प्राचीन काल में बना था ।
उत्तर - A B C D [1]
7)  एक शर्त हारने के कारण यह मंदिर बनवाया गया था।
उत्तर -  A B C D [1]

8) मंदिर के पास बहने वाली नदी के बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है।
उत्तर -  A B C D [1]

9) त्र्यंबकेश्वर मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की मान्यता। 
उत्तर -  A B C D [1]

10) भक्तजन अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए वहाँ विशेष पूजा करवाते हैं।
उत्तर -  A B C D [1]

11) मंदिर में प्रवेश करने के चार द्वार हैं।
उत्तर -  A B C D [1]

12) दर्शनार्थियों के लिए मंदिर तक पहुँचने के लिए यातायात की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
उत्तर -  A B C D [1]
13) मंदिर के पास तीन पर्वत हैं।
उत्तर -  A B C D [1]

14) गौतम ऋषि के कारण गंगा नदी वहाँ गौतमी नदी के नाम से जानी जाती है।
उत्तर -  A B C D [1]

15) मंदिर में भगवान की रत्नजड़ित मूर्ति उस काल की स्थापत्य कला का श्रेष्ठ उदाहरण है।
उत्तर -  A B C D [1]                                                                        
[पूर्णांक:9 अंक]

अभ्यास 3: प्रश्न 16-19

'भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी' के बारे में निम्नलिखित आलेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए।

31 मार्च 1865 को पुणे शहर में जन्मी, आनंदीबाई जोशी चिकित्सा की डिग्री प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं। जिस समय महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर चिकित्सा की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक उदाहरण है। उनका विवाह कच्ची उम्र में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हो गया था और छोटी उम्र में ही वे माँ बन गईं। कम उम्र में प्रसूति होने के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिसके बाद उन्होंने यह प्रण किया कि वे एक दिन डॉक्टर बनेंगी और भविष्य में प्रसूति की पूरी प्रक्रिया को सुरक्षित बनाएँगी।

गोपालराव ने आनंदीबाई को चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1880 में उन्होंने एक प्रसिद्ध अमरीकी मिशनरी, रॉयल वाइल्डर को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने चिकित्सा के अध्ययन में आनंदीबाई की रूचि के बारे में बताया और अमरीका में उनके रहने के लिए एक उपयुक्त स्थान के बारे में पूछताछ की। वाइल्डर ने उनका पत्र प्रिंसटन की मिशनरी समीक्षा में प्रकाशित किया। न्यू जर्सी निवासी थॉडिसीया कार्पेन्टर नामक महिला ने अपने दंत चिकित्सक के लिए इंतजार करते समय वह पत्र पढ़ा। चिकित्सा के अध्ययन करने के लिए आनंदीबाई की इच्छा और उनके प्रगतिशील विचारों वाले स्त्री-शिक्षा के पक्षधर पति के समर्थन से प्रभावित होकर उन्होंने उनके लिए अमरीका में रहने की व्यवस्था की ।

1883 में गोपालराव ने चिकित्सा के अध्ययन के लिए आनंदीबाई को अमरीका भेजने का फैसला किया और उन्हें अपनी पहचान बनाने और उच्च शिक्षा के लिए अन्य महिलाओं के लिए उदाहरण बनने के लिए प्रेरित किया। डॉ थॉबॉर्न के सुझाव पर आनंदीबाई को दुनिया के दूसरे महिला चिकित्सा कॉलेज, पेंसिल्वेनिया के विमेंस मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला। एक विवाहित हिंदू स्त्री के पश्चिम में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने की आनंदीबाई की योजना की सूचना का तत्कालीन रूढ़िवादी समाज ने बहुत दृढ़ता से विरोध किया। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्चयी महिला थीं और उनके पति उनको पूरा सहयोग दे रहे थे। उन्होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। अमरीका जाने से पहले अपने भाषण में भारत में महिला डॉक्टरों के अभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इस अभाव की पूर्ति करने का संकल्प लिया और भारत में महिलाओं के लिए एक मेडिकल कॉलेज खोलने के अपने लक्ष्य के बारे में बात की।

सन 1883 में आनंदीबाई ने पानी के जहाज़ द्वारा कोलकाता से न्यूयॉर्क की यात्रा की। वहाँ पहुँचकर उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू किया। अमरीका में ठंडे मौसम और अपरिचित आहार के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो कर उन्हें तपेदिक हो गया था फिर भी उन्होंने 1885 में चिकित्सा की डिग्री हासिल की। उनके शोध का विषय 'हिंदुओं के बीच प्रसूति था। परीक्षा में सफलता पर महारानी विक्टोरिया और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने उन्हें बधाई संदेश भेजे थे। आनंदीबाई जोशी का जीवन महिलाओं के लिए चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करने के लिए प्रेरणास्रोत है।

सन 1886 के अंत में, भारत लौटने पर आनंदीबाई का भव्य स्वागत हुआ। कोल्हापुर की रियासत ने उन्हें स्थानीय अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल की चिकित्सा प्रभारी के रूप में नियुक्त किया। 1888 में अमरीका में नारी- विमर्श की चर्चा में उनका नाम उद्धृत किया गया। दूरदर्शन, पर उनके जीवन पर आधारित 'आनंदी गोपाल' नाम की एक हिंदी श्रृंखला प्रसारित हुई। श्रीकृष्ण जनार्दन जोशी ने मराठी भाषा में उनके जीवन पर आधारित उपन्यास 'आनंदी गोपाल' लिखा और उसको नाटक में रूपांतरित किया। डॉ. अंजलि कीर्तन ने डॉ. आनंदीबाई जोशी के जीवन पर बड़े पैमाने पर शोध किया और उनके समय और उपलब्धियों के बारे में एक मराठी पुस्तक 'डॉ. आनंदीबाई जोशी काळ आणि कर्तृत्व' लिखी। इसमें डॉ. आनंदीबाई जोशी की दुर्लभ तस्वीरें भी हैं।

लखनऊ के एक गैर-सरकारी संगठन के तहत भारत में चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए उनके शुरुआती योगदान के सम्मान में आनंदीबाई जोशी चिकित्सा पुरस्कार दिया जाता है और महाराष्ट्र सरकार द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य पर काम करने वाली युवा महिलाओं के लिए उनके नाम पर एक शिक्षावृत्ति दी जाती है। उनके सम्मान में शुक्र ग्रह पर एक गड्ढे का नाम 'जोशी' रखा गया है। 31 मार्च 2018 को, गूगल ने उनकी 153वीं जयंती के उपलक्ष्य में उन्हें 'गूगल डूडल' से सम्मानित किया। 2019 में, मराठी में उनके जीवन पर एक फिल्म 'आनंदी गोपाल' नाम से बनाई गई है। उनकी असली विरासत वे असंख्य महिला डॉक्टर हैं जो पूरी लगन और प्रतिबद्धता से चिकित्सा जगत में कार्यरत हैं।

'भारत की प्रथम महिला डॉक्टर, आनंदीबाई जोशी आलेख के आधार पर नीचे दिए गए प्रत्येक शीर्षक (16-19) के अंतर्गत संक्षिप्त नोट लिखें।

प्रश्न 16)  प्रारंभिक जीवन - [3]
  • कच्ची उम्र में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से उनका विवाह हुआ। 
  • छोटी उम्र में ही वे माँ बन गईं।
  • कम उम्र में प्रसूति होने के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 
प्रश्न 17)  चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा में कठिनाइयाँ और गोपालराव का सहयोग - [3] (कोई तीन) 
  • गोपालराव ने आनंदीबाई को चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया। 
  • गोपालराव ने उन्हें अमेरिका भेजा और उनके वहाँ रहने की व्यवस्था कारवाई।  
  • अमरीका में ठंडे मौसम और अपरिचित आहार के कारण उनका स्वास्थ्य खराब होना। 
  • विवाहित हिंदू स्त्री के पश्चिम में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने का तत्कालीन रूढ़िवादी समाज से विरोध का सामना।
प्रश्न 18)  भारत वापसी - [1]
  • कोल्हापुर के अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल में चिकित्सा प्रभारी के रूप में नियुक्ति। 
प्रश्न 19 डॉ. आनंदीबाई की देन - [2]
  • उनका जीवन महिलाओं के लिए चिकित्सा शास्त्र अध्ययन करने के लिए प्रेरणास्रोत है।
  • असंख्य महिला डॉक्टर पूरी लगन और प्रतिबद्धता से चिकित्सा जगत में कार्यरत हैं।
[पूर्णांक:9 अंक]
अभ्यास 4: प्रश्न 20
अभ्यास 3 के आलेख 'भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी' में बाल-विवाह और स्त्री शिक्षा के प्रति सामाजिक रूढ़ियों के बावजूद गोपालराव के प्रगतिशील विचार और आनंदीबाई के दृढ़संकल्प तथा उनकी विरासत की प्रेरक कथा है। अभ्यास 3 के आलेख और अपने बनाए नोट्स के आधार पर आलेख का सारांश लिखें।
आपका सारांश अधिकतम 100 शब्दों में होना चाहिए। आप यथासंभव अपने शब्दों में लिखें।
आपको अंतर्वस्तु के लिए अधिकतम 4 अंक और सटीक एवं संक्षिप्त भाषा शैली के लिए अधिकतम 6 अंक दिए
जाएँगे ।

उत्तर - 'भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी' 
आनंदीबाई जोशी भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं। बाल-विवाह की यातना और स्त्री शिक्षा के प्रति सामाजिक रूढ़िवादियों के विरोध सहन करने के बावजूद गोपालराव के प्रगतिशील विचार, प्रोत्साहन और समर्थन के सहारे वह अमेरिका जाकर चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई पूरी की। 
कोल्हापुर के अस्पताल की चिकित्सा प्रभारी का पद संभाला। भारत में महिला चिकित्सा के क्षेत्र में उनका नाम अग्रणी था। उनकी सेवा और योगदान से महिलाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शन मिला। उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान मिले और विभिन्न पुस्तकों, फिल्मों और इन्टरनेट पर चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए याद किया गया।
(110 शब्द)
[पूर्णांक:9 अंक]

अभ्यास 5: प्रश्न 21

आपके मोहल्ले में एक नया खरीदारी केंद्र (शॉपिंग सेंटर) खुलने वाला है। नगरपालिका को पत्र द्वारा अपने सुझाव भेजें। आपके पत्र में निम्नलिखित बातें सम्मिलित होनी चाहिए।  
  1. हर उम्र के लिए आकर्षण 
  2. कार पार्किंग की सुविधा 
  3. बनने वाली दुकानों की विभिन्नता      
आपका नोट लगभग 120 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।  
आपको 3 अंक अंतर्वस्तु के लिए और 5 अंक सटीक भाषा एवं शैली के लिए दिए जाएँगे।
उत्तर - 

दिनाँक - XX-अक्टूबर-2024
 
सेवा में,
नगरपालिका अधिकारी,
नगर क्षेत्र

विषय - नए खुलने वाले ख़रीददारी केंद्र के संदर्भ में... 
 
सविनय निवेदन है कि मैं (आपका नाम), हमारे मोहल्ले में खुलने वाले नए खरीददारी केंद्र के बारे में आपको कुछ सुझाव ज्ञापित करना चाहता हूँ।

इसे बनवाते समय कृपया ध्यान दें कि यह केंद्र विभिन्न उम्र के लोगों को ध्यान में रखते हुए उनके आकर्षक की वस्तुओं से सुसज्जित हो, जैसे कि बच्चों के लिए खिलौने, युवाओं के लिए फैशन के सामान व वृद्धजनों के लिए आरोग्य सामग्री आदि।

इस परिसर में बनने वाली दुकानों में भी विभिन्नता रहने से हमारे मोहल्ले की आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगी, जैसे कि स्थानीय और पारंपरिक खाद्य सामग्री के साथ आधुनिक खान-पान के सामान, कपड़े, और अन्य आवश्यक घरेलू बर्तन एवं औज़ार आदि की सामग्री।

यदि यहाँ एक अच्छी कार पार्किंग सुविधा भी होगी तो हमारे नगरसभा क्षेत्र के लोगों को आसानी से इस केंद्र तक पहुँचना सुनिश्चित होगा।
इन सुझाओं पर विचार किया जाना यह सुनिश्चित करेगा कि नया केंद्र हमारे समुदाय के सभी वर्गों की आवश्यकताओं को समर्थन करता है।

आपके सहयोग की आशा करता हूँ।

भवदीय
(आपका नाम व पता)  


दिनांक: XX - अक्बटूर, 2023
नोट लेखन

हमारे मोहल्ले के आस-पास अबतक कोई शॉपिंग मॉल नहीं था। ऐसे में नगरपालिका नए ख़रीदारी केंद्र खुलने की खबर ने लोगों में खुशी का माहौल भर दिया है। उसे बनाते समय नगरपालिका यदि निम्नलिखित बातों का ध्यान रखे तो यह यहाँ के रहिवासियों के लिए अत्यंत सुविधाजनक साबित होगा। मेरा सुझाव है कि - 
  1. हर उम्र के लिए आकर्षण - विभिन्न उम्र के लोगों को ध्यान में रखते हुए उनके आकर्षक की वस्तुओं से सुसज्जित हो, जैसे कि बच्चों के लिए खिलौने, युवाओं के लिए फैशन के सामान व वृद्धजनों के लिए आरोग्य सामग्री आदि।
  2. कार पार्किंग की सुविधा - पार्किंग की समुचित व्यवस्था होने से दूर-दराज के लोग भी अपने वाहनों के साथ यहाँ तक आकर अपनी ख़रीदारी के अनुभव को सुखद बना सकेगे।   
  3. दुकानों की विभिन्नता - परिसर में बनने वाली दुकानों में भी विभिन्नता से हमारे मोहल्ले की आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगी, जैसे कि स्थानीय और पारंपरिक वस्त्र, खाद्य-सामग्री के साथ आधुनिक खान-पान के सामान, कपड़े, जूते और अन्य आवश्यक घरेलू बर्तन एवं औज़ार आदि की सामग्री।      
इन सुझाओं पर विचार किया गया तो यह केंद्र हमारे समुदाय के सभी वर्गों की आवश्यकताओं को सुनिश्चित करेगा है।  

अभ्यास 6: प्रश्न 21

आप कहाँ तक इस मत से सहमत हैं? 

'धन गया, कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो सब कुछ गया ।'

'If wealth is lost, nothing is lost, if health is lost, everything is lost.' (अंग्रेज़ी अनुवाद) 

अपने विचारों को समझाते हुए अपनी स्कूल पत्रिका के लिए एक लेख लगभग 200 शब्दों में लिखिए। आपका लेख विषय से सम्बंधित जानकारी पर केन्द्रित होना चाहिए।

स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन             अथवा                पेट भरने के लिए पैसा चाहिए

ऊपर दी गई टिप्पणियाँ आपके लेखन के लिए दिशा प्रदान कर सकती हैं। इनके माध्यम से आप अपने विचारों को विस्तार दीजिए ।

लिखित प्रस्तुति पर अंर्तवस्तु के लिए 8 अंक तक और सटीक भाषा के लिए भी 8 अंक तक दिए जाएँगे ।

उत्तर -  मेरे दादा जी से मैंने कई बार यह कहावत सुनी है कि 'धन गया, कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो सब कुछ गया।' दरअसल यह कहावत 'स्वस्थ जीवन' के महत्ता को बताती है। स्वास्थ्य व्यक्ति को जीवन का सबसे मूल्यवान धन प्रदान करता है। स्वस्थ रहने के लिए पैसे कमाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें आवश्यक आहार, चिकित्सा सुविधाएं और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद करता है। लेकिन धन की अधिकता स्वस्थ जीवन की प्राप्ति में योगदान नहीं कर सकती।

जरा सोचिए कि आपके पास बहुत पैसे हों, लेकिन एक गिलास दूध भी हजम करने की क्षमता न हो, या आपके चिकत्सक ने मधुमेह के नाते आपको स्वातिष्ट मीठे फल, मिठाइयाँ,  आलू अथवा चावल आदि खाने को मना कर रखा हो। तो आपका धन किस काम का? 

अतः व्यक्ति को स्वस्थ बने रहने के लिए सही आहार, नियमित व्यायाम, और स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है। इसके लिए पैसे की अधिकता जरुरी नहीं है, बल्कि आपकी स्वस्थ जीवनशैली और आत्म-नियंत्रण की आवश्यकता है। धन की कमी में भी स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ाना महत्वपूर्ण है। योग, ध्यान, और स्वस्थ आदतें अपनाकर हम स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।

इसलिए, स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण धन मानकर हमें इसे सुरक्षित रखने के लिए सही दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए, ताकि हम जीवन को पूरी तरह से जी सकें।


यदि उपरोक्त सामग्री आपके लिए सहायक हो तो, नीचे कॉमेंट करना न भूले। धन्यवाद। 

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