दैनंदिनी को अंग्रेजी में 'डायरी' कहा जाता है। हिंदी में भी अब यही शब्द रूढ हो गया है। दैनंदिनी लेखन गत-साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है। विश्व के लगभग सभी महान व्यक्ति 'डायरी लेखन' करते थे। उनकी डायरी के पन्नों में लिखे अनुभवों से उनके निधन के बाद भी कई लोग उनके आदर्श जीवन की प्रेरणा लेते हैं। कुछ लोग तो दैनंदिनी को मित्र मानते हैं। क्योंकि हम अपने सभी राज जैसे मित्र के साथ साझा करते हैं, वैसे ही हम अपनी लगभग सभी घटनाएँ दिल खोलकर डायरी में लिख देते हैं।
मित्रों, आपने अपने घर पर माता-पिता द्वारा दैनिक खर्चो को लिखने की पुस्तिका तो जरूर देखी होगी। वह भी डायरी लेखन का ही रूप है। ठीक वैसे ही दुकानदार अथवा व्यापारी भी अपने खर्चे का हिसाब अपने बही-खातों (अकाउंट बुक) में रखते हैं। नेता तथा उद्यमी अपने रोज की सभाओं (मीटिंग्स) तथा आने-जाने की जानकारी अपनी डायरियों में लिखकर रखते हैं ताकि उनसे कोई महत्त्वपूर्ण कार्य छुट न जाय। इस प्रकार जन साधारण भी अपनी व्यक्तिगत राज, बातें, घटनाएँ, दुर्घटनाएँ आदि को अपनी डायरी में लिख कर रखते हैं। कुछ लोग घटनाओं को यादगार बनाएँ रखने के लिए डायरी लेखन करते हैं। महान लोगों की लिखी डायरियाँ उनकी जीवनी (आत्मकथा) लिखने में बहुत सहयोगी होती है।
दैनंदिनी (डायरी) की परिभाषा गढ़ते हुए हम कह सकते हैं कि -
'डायरी लेखन' व्यक्ति के द्वारा लिखा गया व्यक्तिगत विचारों, अनुभवों और भावनाओं को लिखित रूप में अंकित करके संग्रह किया गया साहित्य है।"
यह एक व्यक्तिगत कार्य होता है जो व्यक्ति के मन को शांत करता है और अपने जीवन को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, यह एक रोचक स्रोत भी होता है जो व्यक्ति को उनके अतीत की यादें ताजा करता है और उन्हें अपने भविष्य की योजनाओं के लिए उत्साहित करता है।
दैनंदिनी (डायरी) लेखन के लाभ -
- मानसिक शांति - कई उलझनों को केवल डायरी में लिख भर देने से मन को बड़ी शांति मिलती है।
- डायरी को बार-बार पढ़ते रहने से स्मरण शक्ति को अधिक कुशाग्र बनाया जा सकता है।
- यह सकारात्मक सोचने में मदद करता है तथा तनाव को कम करने में सहायता करता है।
- जीवन में हुए अच्छे-बुरे पलों को याद रखने में अधिक सक्षम होते हैं।
- समस्याओं के समाधान तलाशने में भी डायरी काफी कारगर सिद्ध होती है।
- संचार कौशल (communication skills) और लेखन कौशल (writing skills) विकसित करने में सहायक है।
- अपने जीवन को व्यवस्थित रखने में सहायता करता है।
इसके माध्यम से, व्यक्ति अपनी विचारों और अनुभवों को सुलभता और बेबाकी से व्यक्त कर पाता हैं जो उनकी सोच को अधिक स्पष्ट बनाता है। जीवन को अधिक स्पष्ट और उत्कृष्ट बनाने का उत्तम साधन होता है।
डायरी लेखन के प्रकार -
- व्यक्तिगत डायरी - इसमें आप अपने दैनिक जीवन के बारे में लिखते हैं। इसमें आप अपने अनुभवों, भावनाओं, विचारों और दैनिक कार्यों के बारे में लिख सकते हैं।
- शिक्षात्मक डायरी - इसमें आप विभिन्न विषयों पर अपनी विचारधारा, अनुभवों, ज्ञान और सीख संबंधित मुद्दों पर लिखते हैं। इससे आप अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने और अपनी स्मृति को बढ़ाने में मदद मिलती है।
- वास्तविक डायरी - वास्तविक घटनाओं और अनुभवों के बारे में होती है, जो आपके दैनिक जीवन में होते हैं।
- काल्पनिक डायरी - इसमें कल्पनाशील घटनाएं और कहानियाँ होती हैं जो कि आपके मन में उत्पन्न होती हैं।
- साहित्यिक डायरी - यह एक ऐसी डायरी होती है जिसमें लेखक अपनी रचनाओं, कविताओं, छंदों और अन्य साहित्यिक उत्पादों के बारे में लिखता है। इसमें लेखक अपनी सृजनात्मक प्रक्रिया, लेखन की तकनीक और अन्य साहित्यिक बिंदुओं पर भी विचार करता है। इसमें लेखक अपने लेखन की प्रगति को ट्रैक कर सकता है।
डायरी लेखन कैसे करें?
वैसे तो डायरी लेखन का पूर्णतः व्यक्तिगत होता है जिसे आप आपकी पसंद और आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग तरीकों से इसे लिख सकते हैं। फिर भी, हम डायरी लेखन के इस प्रारूप को 'आदर्श प्रारूप' के रूप में स्वीकार कर सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल कर सकते हैं: -
- स्थान - घटनाओं का स्थान के साथ सीधा संबंध होता है। एक जैसी घटनाएँ कई बार, कई स्थानों पर घटित हो सकती हैं। उनको अलग-अलग व्यवस्थित याद रखने के लिए स्थान का उल्लेख अनिवार्य है।
- दिनांक - घटनाओं का कालक्रम जानने और उन्हें सिलसिलेवार याद रखने के लिए दिन एवं तिथि अपनी डायरी लेखन में यथा-स्थान अवश्य लिखना चाहिए। जैसे - 27 मार्च 20XX अथवा 27 - मार्च - 20XX
- दिन - सोमवार, 27 मार्च 20XX अथवा सोमवार, 10: 30 बजे रात्रि
- समय - समय का महत्व दिन और तिथि से कहीं अधिक होता है। अतः समय लिखना न भूलें। यथा - समय रात्रि के 10:30 बजे अथवा रात्रि 10 बजकर 30 मिनट पर।
- शीर्षक - डायरी में घटना का शीर्षक देखते ही हमें पूरी की पूरी घटना सविस्तार स्मरण हो जाती है। अतः आपकी डायरी लेखन में शीर्षक का लिखा जाना सम्पूर्ण घटना के मुख्य विषय को दर्शाता है। इसे लिखने से डायरी लेखन में थोड़ा सा अंतर लाया जा सकता है। शीर्षक डायरी में लिखे गए ज्ञान का सार होता है। शीर्षक लिखने से आप अपनी डायरी में लिखे गए विषयों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर सकते हैं।
- संबोधन - यह केवल डायरी लेखन को निजी बनाने के लिए लिखा जाता है। पूरी तरह से वैकल्पिक है।
- विषय विस्तार - यह जानकारी आपके डायरी की जान होती है। इसमें पूरी घटना को भावपूर्ण ढंग से काल क्रमानुसार सविस्तार लिखना होता है।
- नाम व हस्ताक्षर - डायरी को अपनी व्यक्तिगत बनाने के लिए उसपर आपका नाम व हस्ताक्षर अंत मे होना अंत्यन्त आवश्यक है।
अभ्यास प्रश्न -
- आपकी आज की दिनचर्या का वर्णन करते हुए एक डायरी लेखन कीजिए।
- कल रात आपने एक स्वप्न देखा, जिसे याद करते हुए एक डायरी लेखन कीजिए।
- आज आपको विद्यालय की ओर से एक 'बाल कल्याण आश्रम' में ले जाया गया था। वहाँ आपने देखा कि बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनकी व्यथा को अपने आज के अनुभव के साथ अपनी डायरी में लिखिए।