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मंगलवार, 26 नवंबर 2024

प्रकृति के सुरम्य आंचल में एक अद्भुत गांव पंगोट (यात्रा वृतांत)

पंगोट गाँव का दृश्य 
एक ठंडी सुबह, जब सूरज की पहली किरणें नैनीताल की वादियों को सुनहरे रंग में रंग रही थीं, मैंने अपनी यात्रा शुरू की। मेरा गंतव्य था पंगोट, नैनीताल से लगभग 15 किलोमीटर दूर बसा एक छोटा, शांत और सुंदर गाँव। हर कदम पर हिमालय की ठंडी हवा और हरे-भरे जंगलों की महक मेरे उत्साह को और बढ़ा रही थी।

जैसे ही मैंने 'पंगोट' की ओर बढ़ना शुरू किया, रास्ते में ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से घिरी घाटियां और पक्षियों की मीठी चहचहाहट ने मेरा स्वागत किया। यह अनुभव शहरी भाग-दौड़ से कोसों दूर किसी और ही दुनिया का प्रतीत हो रहा था। सड़कें पतली और घुमावदार थीं, लेकिन हर मोड़ पर प्रकृति की एक नई तस्वीर मेरी आँखों के सामने आ जाती।

'पंगोट' पहुँचते ही, मुझे यह समझ आ गया कि इसे पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग क्यों कहा जाता है। होम-स्टे पर चाय की चुस्कियाँ लेते हुए मैंने दूरबीन उठाई और आस-पास के पेड़ों पर नज़र डाली। मेरी नज़रें रंग-बिरंगे पक्षियों पर टिक गईं — चीयर फीजेंट, हिल पार्ट्रिज, और काली बैकड टिट जैसे पक्षी हर तरफ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे। पक्षियों के फोटोग्राफर वहाँ पहले से ही अपनी जगह ले चुके थे। उनके विशाल लेंस और गहरे ध्यान को देखकर पता चल रहा था कि वे भी इन दुर्लभ पलों को कैमरे में कैद करने का इंतजार कर रहे हैं।

पक्षियों को देखने के बाद मैंने आस-पास के जंगलों की सैर करने का मन बनाया। एक स्थानीय गाइड के साथ मैंने 'किलबरी ट्रेल' पर कदम रखा। यह ट्रेकिंग पथ ओक, चीड़ (पाइन) और बुरांस (रोडोडेंड्रॉन) के पेड़ों से भरा हुआ था। चलते-चलते मुझे चारों ओर हरियाली और पक्षियों की आवाजें सुनाई देती रहीं। यह नज़ारा इतना मंत्रमुग्ध कर देने वाला था कि मैं इस यात्रा को और लंबा करना चाहता था। गाइड ने मुझे यहाँ के पेड़-पौधों और उनकी खासियतों के बारे में बताया, जिससे यह यात्रा और भी ज्ञानवर्धक बन गई।

शाम होते-होते मैं गाँव लौट आया। 'पंगोट' के छोटे-छोटे होम-स्टे स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली का सटीक परिचय कराते हैं। मैंने अपने मेजबान से बातचीत की और यहाँ के खाने का आनंद लिया। गरमागरम पहाड़ी आलू के गुटके और मंडुए की रोटी ने मेरी भूख को शांत किया। गाँव के लोगों की सादगी और आवभगत (मेहमाननवाजी) ने मेरा दिल छू लिया।

अगली सुबह सूरज की किरणों के साथ पंगोट और भी सुंदर लग रहा था। मैंने अपने कैमरे से घाटियों के नज़ारे कैद किए। यह जगह हर मायने में खास है — शांत, सुंदर और प्रकृति से भरपूर। यहाँ बिताए गए पल मुझे लंबे समय तक याद रहेंगे।

'पंगोट' की इस यात्रा ने मुझे न केवल प्रकृति के करीब आने का मौका दिया, बल्कि मुझे यह भी सिखाया कि असली शांति कहां मिलती है। पक्षियों की चहचहाहट, हरे-भरे जंगल, और स्थानीय लोगों की सरल जीवनशैली ने मुझे भीतर तक छू लिया। अगर आप भी शहरी शोरगुल से दूर, प्रकृति के बीच सुकून के पल बिताना चाहते हैं, तो पंगोट से बेहतर जगह नहीं हो सकती।

इस यात्रा ने मुझे एहसास कराया कि कभी-कभी सच्ची खुशी और शांति दूर-दराज के गांवों में ही छुपी होती है। पंगोट की इस अद्भुत यात्रा को मैं हमेशा अपने दिल में सँजोकर रखूँगी ।

फिर मिलेंगे ऐसी ही किसी और रोचक यात्रा पर..।


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