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रविवार, 8 अक्तूबर 2023

तिल के बीजों में है ताकत पहाड़ सी

तिल का तेल 
किसी ने ठीक ही कहा है कि, "तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है।" आजमाने के आप चाहे तो किसी पर्वत का कोई कठोर पत्थर लेकर उसमें कटोरी के जैसा एक खड्डा बना लीजिए, उसमें पानी, दूध, घी अथवा तेजाब या संसार में कोई और ही कैमिकल, ऐसिड जैसे तरल पदार्थ डाल दीजिए, अन्य पदार्थ पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कहीं नहीं जायेगा। यदि उस कटोरीनुमा पत्थर को 'तिल के तेल' से भर दें। तो आप दो दिन बाद देखेंगे कि, 'तिल का तेल' पत्थर को पार करता हुआ पत्थर के नीचे आ भी गया है। यह होती है 'तिल' की ताकत, इसीलिए आयुर्वेद में इसे मालिश करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। यह तेल त्वचा, और माँस को पार करता हुआ, हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

आप को यह भी जानकार आश्चर्य होगा कि आज हम जिस 'तेल' शब्‍द का रोज़मर्रा के जीवन में प्रयोग करते हैं दरअसल उसकी उत्‍पत्ति भी 'तिल' से हुई है। संस्कृत भाषा में तेल के लिए 'तैल' शब्द का प्रयोग मिलता है। 'तैल' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिल' शब्द से ही हुई है। तैल का अर्थ है कि 'वह जो तिल से निकलता हो। अर्थात 'तेल' का असल अर्थ ही है 'तिल का तेल'। यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसका प्रयोग सदियों से भारतवर्ष में होता रहा है। प्रत्येक मांगलिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ तिल के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करके करने की प्राचीन परंपरा रही है। आज भी चाहे आपको कोई भी रोग हो तिल का तेल इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में उस व्याधि से लड़ने की क्षमता यह विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में विरले ही पाया जाता।

बादाम का तेल 

'तिल का तेल' ऐसा नैसर्गिक पदार्थ है जिसे कोई भी थोड़े प्रयास से भारतीय बाजारों में आसानी से प्राप्त कर सकता है। इसके लिए आपको किसी ब्रांड अथवा कंपनी विशेष का ही तेल खरीदने की आवश्यकता ही नहीं होगी। प्रयास करें कि बिना मिलावट के शुद्ध तेल उपलब्ध हो सके। आप इसके औषधीय गुण से चौक सकते हैं। मात्र सौ ग्राम सफेद तिल में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम उपलब्ध होता है। यदि बादाम में उपलब्ध कैल्सियम से हम तिल की तुलना करें तो पाएंगे कि तिल में लगभग चार गुना से भी अधिक कैल्शियम की मात्रा होती है। जबकि लौहतत्व की मात्र बादाम की तुलना में तिल के तेल में तीन गुना से भी अधिक होती है। तांबे के साथ ही मैग्निशियम, फॉस्फोरस, सेलनियम और जिंक की मात्राएँ भी इसमें अधिक ही होती है। तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।आमतौर पर तिल सफ़ेद, काला और लाल रंग के मिलते हैं। सफ़ेद तिल सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।

काला, सफ़ेद और लाल तिल 

तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एसिड होता है जो बीमारियों को दूर रखता है। सिस्मोल में विटामिन ई जैसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकते हैं। तिल के तेल के अंदर आपको बिटामिन- ए, बी, सी, डी, और ई का सारा संसार मिल जाता है। तिल के तेल का उपयोग भारतीय खाद्य व्यवसाय तथा खाद्य बाजार में कायम में होता है। यह तेल ज्यादातर खाद्य बनाने में प्रयोग होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, लड़्डू, चिक्‍की, पट्टी और बाड़ी आदि।  इनके अलावा, यह तेल को भोजन में भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है, खासकर साग और सब्ज़ियों के साथ। इसमें लौह की मात्रा भरपूर होने से महिलाओं के लिए अनेमिया के इलाज़ में भी कारगर सिद्ध होता है।

तिल के तेल के फायदे - 

  1. स्वास्‍थ्‍य लाभ: तिल के तेल में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-ई, बी, और ए के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, फास्‍फोरस, पोटैसियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, आदि होते हैं, जो कि बड़े फायदेमंद होते हैं।
  2. त्‍वचा के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में प्राकृतिक तरीके से मौजूद विटामिन-ई की वजह से यह त्‍वचा को मुलायम बनाता है और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
  3. हृदय रोग में फायदेमंद: तिल के तेल में पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं, जो ह्रदय के लिए फायदेमंद होते हैं।
  4. वजन नियंत्रण: तिल के तेल में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  5. बढ़ती ऊर्जा: तिल के तेल का सेवन करने से बॉडी में ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे थकान और कमी कम होती है।
  6. आंखों के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में विटामिन-ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
  7. तंतु की समस्‍या के लिए: तिल के तेल का सेवन करने से तंतु सुस्‍त होती है, जिससे समय तक यौन संबंध बनाए रखना संभव होता है।
  8. मस्‍तिष्‍क के लिए फायदेमंद: तिल के तेल के सेवन से मस्‍तिष्‍क की कार्यशीलता बढ़ती है और मस्‍तिष्‍क के रक्‍तसंचार को सुधारता है।
  9. डायबीटीज का इलाज़: तिल के तेल का सेवन करने से डायबीटीज के लिए फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर का रक्‍तचाप और रक्‍त शर्करा कंट्रोल में आता है।
  10. कैंसर की रोकथाम: तिल के तेल में विटामिन ई और अंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो कैंसर के खिलाफ कार्य करते हैं।
तिल के तेल का इस्‍तेमाल कैसे करें?
  1. खाद्य व्यंजन: तिल के तेल का उपयोग बहुत सारे खाद्य व्‍यंजन बनाने में होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, बाड़ी, लड़्डू, चिक्‍की, और साग और सब्ज़ियों को बनाने में भी होता है।
  2. दूध या दही में: तिल के तेल को दूध या दही के साथ सलाद आदि में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  3. रोज़ के खाने के साथ: आप तिल के तेल को रोज़ के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि साग और सब्ज़ियों के साथ।
  4. मालिश में उपयोगी : मालिश  के रूप में तिल के तेल का सेवन किया जा सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में। तिल के तेल से शारीरिक आराम और मानसिक सुख चैन के लिए एक अच्छे मालिश तेल के रूप में किया जा सकता है।

तिल के तेल के नुकसान

  • कॉलेस्‍ट्रॉल का वृद्धि: अगर आपका खून कॉलेस्‍ट्रॉल हाइ है, तो तिल के तेल का उपयोग कम करें, क्‍योंकि इसमें पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं जो कॉलेस्‍ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।
  • अलर्ज़ी की समस्‍या: तिल के तेल से एलर्ज़ी की समस्‍या हो सकती है, जिसका स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान हो सकता है।
  • बच्‍चों के लिए खतरा: बच्‍चों के लिए तिल के तेल का सेवन विशेषत:रूप से सूजी और घी के साथ नहीं करें, क्‍योंकि इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो कि उनके शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकती है।
  • मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन में सतर्क रहना चाहिए क्‍योंकि तिल के तेल का सेवन से उनका रक्‍तचाप और रक्‍त-शर्करा बढ़ने की संभवना होती है। गर्भवती महिलाओं को तिल के तेल का सेवन कम करना चाहिए, क्‍योंकि यह गर्भावस्‍था के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। इन बातों का ध्‍यान रखकर तिल के तेल का सेवन करें और इसके लाभ प्राप्‍त करें, लेकिन डॉक्‍टर की सलाह लेना न भूलें, खासकर अगर आपका किसी तरह का शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बंधी समस्‍या है।


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