शनिवार, 28 दिसंबर 2024

💐श्रद्धांजलि: आखिर क्यों रह गए श्रीनाथ, अनाथ?

वाराणसी, जो भारतीय संस्कृति और साहित्य का गढ़ माना जाता है, आज 28 दिसंबर 2024 को अपने एक मूर्धन्य साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल को खो बैठा। वे 2023 में पद्मश्री से विभूषित और अस्सी करोड़ की मिल्कियत के मालिक लगभग 500 पुस्तकों के रचनाकारअनुवादक थे। उन्होंने महाभारत, गीता, वेद, पुराण, तंत्र आदि की कई दुर्लभ किताबों का संस्कृत से हिंदी में अनुवाद भी किया। सामाजिक विडंबना देखिए हिंदी के ये आध्यात्मिक साहित्यकार मृत्यु पश्चात अपनों के चार कंधे के लिए भी तरस गए। उनकी मृत्यु वाराणसी के 'काशी कुष्ठ वृद्धा आश्रम' में हुई, जहाँ उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए। यह घटना न केवल साहित्यिक जगत के लिए, बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक बड़ा प्रश्न खड़ा करनी है: क्या हम अपनी जड़ों और अपने बुजुर्गों के प्रति इतने उदासीन हो गए हैं कि उनके अंतिम समय में भी उन्हें परिवार का सहारा भी नहीं दे सकते? उनकी मृत्यु ने हमें हमारी जिम्मेदारियों और संवेदनाओं पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है।

जीवन और साहित्यिक योगदान

1935 में वाराणसी के एक प्रतिष्ठित व्यापारी परिवार में जन्मे श्रीनाथ खंडेलवाल का जीवन साहित्य और समाजसेवा के प्रति समर्पित रहा। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर किया और अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत कविताओं और निबंधों से की। खंडेलवाल जी ने संस्कृत साहित्य को हिंदी में अनुवाद कर इसे आम जनता तक पहुँचाने का अनमोल कार्य किया। उनकी अनूदित कृतियों में "श्रीरघुवंशम" (कालिदास का महाकाव्य), "मेघदूत" और "अभिज्ञान शाकुंतलम" विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इन अनुवादों में उनकी गहन विद्वता और भाषा पर अद्भुत पकड़ झलकती है। उन्होंने कहा था -
"संस्कृत हमारे अतीत का अमृत है, और हिंदी उसका आधुनिक कलश।"
उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाएँ, जैसे "जीवन के परे", "अंधेरों का सूर्य", और "शब्दों की छाया", समाज के हर पहलू को गहराई से उजागर करती हैं।
खंडेलवाल जी को याद करते हुए उनके समकालीन साहित्यकार, डॉ. महेश त्रिपाठी, ने कहा था कि -
"खंडेलवाल जी का साहित्य मानवता का दर्पण है। उनके शब्द जीवन को परिभाषित करने की शक्ति रखते हैं।"
खंडेलवाल जी ने स्वयं अपनी एक कृति में लिखा था कि -
"मृत्यु से बड़ा सत्य कुछ नहीं, और सत्य से बड़ा साहित्य कुछ नहीं।"
उनके अनन्य मित्र और सहयोगी प्रो. शरद मिश्रा ने उनके निधन पर कहा -
"वे केवल साहित्यकार नहीं, समाज के मार्गदर्शक थे। उनकी अनुपस्थिति से साहित्य की आत्मा शून्य हो गई है।"

परिवार का विमुख होना: समाज का आईना

श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपना पूरा जीवन साहित्य और समाज को समर्पित किया, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में वे उपेक्षा का शिकार रहे। उनकी पत्नी का निधन 2009 में हो गया था। उनके दो बेटे और एक बेटी, जो विदेश में रहते हैं, ने उनसे वर्षों तक संपर्क नहीं किया। वृद्धाश्रम में उन्होंने अकेलेपन में अपने दिन बिताए। उनकी मृत्यु के बाद जब वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने परिवार को सूचित किया, तो कोई भी अंतिम संस्कार के लिए नहीं आया। अंततः वृद्धाश्रम के कर्मचारियों, कुछ समाजसेवी एवं साहित्यकारों ने उनका अंतिम संस्कार किया।

संस्कारों की चेतावनी और समाज का दायित्व

यह घटना आज की पीढ़ी के लिए एक कड़वी सच्चाई उजागर करती है। खंडेलवाल जी ने एक बार लिखा था -
"अगर बुजुर्ग हमारे जीवन का आशीर्वाद हैं, तो उनकी उपेक्षा हमारा सबसे बड़ा पाप है।"
यह विचार हमें यह समझने पर मजबूर करता है कि परिवार केवल भौतिक संबंध नहीं, बल्कि भावनाओं और जिम्मेदारियों का बंधन है।

श्रद्धांजलि और प्रेरणा

खंडेलवाल जी के निधन पर साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके सम्मान में वाराणसी के साहित्य मंडल ने विशेष सभा आयोजित की। सभा में उनके प्रिय शिष्य अमितेश वर्मा ने कहा -
"वे साहित्य की वह अमिट ज्योति हैं, जो पीढ़ियों तक हमें रोशनी देती रहेगी।"
आज की पीढ़ी को यह समझना होगा कि बुजुर्गों का सम्मान और देखभाल हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। श्रीनाथ खंडेलवाल जैसे महान साहित्यकार का जीवन और उनकी दुखद मृत्यु हमें यह सिखाती है कि मानवीय संवेदनशीलता और परिवार का महत्व किसी भी भौतिक उपलब्धि से बड़ा है।
🙏 श्रीनाथ खंडेलवाल को शत-शत नमन 💐

इस आलेख को सुनने के लिए इस ऑडियो बॉक्स को क्लिक करें - 

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

प्रस्तुति (Presentation)

प्रस्तुति करता युवक 
किसी विषय पर अपने विचारों को दूसरों के सामने बोलकर व्यक्त करना ही 'प्रस्तुति' है। यह एक ऐसा तरीका है जिसमें हम बातचीत के माध्यम से दूसरों के समक्ष जानकारी देते हैं, उन्हें समझाते हैं या उन्हें प्रभावित करते हैं। यह प्रस्तुति व्यक्तिगत या एक समूह के सामने की जा सकती है। इसका उद्देश्य श्रोताओं को योग्यता प्रदर्शन, जानकारी देना, प्रशिक्षित करना, मनोरंजन करना या उन्हें किसी बात के लिए राजी करना हो सकता है। 

किसी लक्षित व्यक्ति या वर्ग तक अपने विचार पहुँचाने सर्वाधिक उपयुक्त विधा मानी जाती है। अर्थात् इसका उद्देश्य अपने विचारों को इस प्रकार व्यक्त करना होता है कि वे उस लक्ष्य समूह (यानी जिन लोगों के लिए प्रस्तुति बनाई गई है) से जुड़ सकें और उन्हें भली-भांति समझ में आएं।

अर्थात, प्रस्तुति को इस तरह तैयार किया जाता है कि वह सुनने वालों की रुचि, ज़रूरत और समझ के अनुरूप हो।

  • शैक्षणिक संस्थानों में प्रस्तुतियाँ अक्सर छात्रों के मूल्यांकन का एक हिस्सा होती हैं। छात्रों को एक निश्चित समय के भीतर अपने विषय पर बोलना होता है और इस दौरान उन्हें अपनी बात को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से रखना होता है।
  • दृश्य सहायताएँ: प्रस्तुति में अक्सर चित्र, ग्राफ, या वीडियो जैसे दृश्य सहायताएँ इस्तेमाल की जाती हैं। ये सहायताएँ श्रोताओं को जानकारी को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती हैं।
  • दर्शकों की भागीदारी: प्रस्तुति में श्रोताओं से प्रश्न पूछे जा सकते हैं या उनकी राय ली जा सकती है। इससे प्रस्तुति अधिक इंटरेक्टिव और प्रभावी बनती है।
व्यक्तिगत प्रस्तुतियों के प्रकार और उनके उद्देश्य निम्नलिखित हैं: - 
  1. आत्मपरिचय (Self-Introduction)

    • नए माहौल, इंटरव्यू, या मंच पर खुद का परिचय देने के लिए।
    • उद्देश्य: अपनी पहचान और क्षमताओं को प्रस्तुत करना।
  2. स्वागत भाषण (Welcome Speech)

    • किसी कार्यक्रम या आयोजन में अतिथियों का स्वागत करने के लिए।
    • उद्देश्य: सम्मान व्यक्त करना और माहौल को अनुकूल बनाना।
  3. धन्यवाद ज्ञापन (Vote of Thanks)

    • किसी कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त करने के लिए।
    • उद्देश्य: कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों का धन्यवाद करना।
  4. विचार प्रस्तुतिकरण (Idea Presentation)

    • किसी विचार, योजना या परियोजना को समझाने के लिए।
    • उद्देश्य: अपने विचार को दूसरों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाना।
  5. कथा-कथन (Storytelling)

    • प्रेरणा देने, मनोरंजन करने, या शिक्षा देने के लिए कहानी प्रस्तुत करना।
    • उद्देश्य: श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ना।
  6. भाषण (Speech)

    • किसी विषय पर सुनियोजित और प्रभावशाली ढंग से विचार व्यक्त करना।
    • उद्देश्य: श्रोताओं को जानकारी देना, प्रेरित करना, या विचारशील बनाना।
  7. प्रेरक भाषण (Motivational Speech)

    • किसी को प्रेरित करने और उत्साह बढ़ाने के लिए।
    • उद्देश्य: श्रोताओं में आत्मविश्वास और सकारात्मकता लाना।
  8. विचार-विमर्श (Discussion)

    • किसी विषय पर चर्चा या बहस के दौरान विचार रखना।
    • उद्देश्य: समस्या का समाधान निकालना या ज्ञान साझा करना।
  9. सामाजिक मुद्दों पर प्रस्तुति (Presentation on Social Issues)

    • सामाजिक समस्याओं जैसे पर्यावरण, शिक्षा, या स्वास्थ्य पर।
    • उद्देश्य: जागरूकता फैलाना और समाधान सुझाना।
  10. शैक्षणिक प्रस्तुति (Educational Presentation)

    • शिक्षण या प्रशिक्षण के लिए।
    • उद्देश्य: छात्रों या प्रशिक्षुओं को ज्ञान प्रदान करना।
  11. व्यक्तिगत अनुभव साझा करना (Sharing Personal Experiences)

    • अपने जीवन के अनुभवों को दूसरों से साझा करना।
    • उद्देश्य: सीख देना या प्रेरणा देना।
  12. रचनात्मक प्रस्तुति (Creative Presentation)

    • कविता, गीत, या नाटक के रूप में।
    • उद्देश्य: अपनी रचनात्मकता दिखाना और मनोरंजन करना।
  13. वाद-विवाद (Debate)

    • किसी विषय पर दो पक्षों के बीच तर्क-वितर्क करना।
    • उद्देश्य: अपने पक्ष को सही साबित करना और श्रोताओं को प्रभावित करना।
प्रस्तुतियाँ व्यक्तिगत जीवन, व्यावसायिक जगत, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में हर दिन उपयोग की जाती है. मौखिक प्रस्तुति से जुड़ी कुछ खास बातेंः - 
  • प्रस्तुति में विराम लेना चाहिए 
  • प्रस्तुति में भाषा का बहुत महत्व है 
  • प्रस्तुति के लिए अभ्यास करना चाहिए 
  • प्रस्तुति के लिए समय सीमा पर ध्यान देना चाहिए 
  • प्रस्तुति में दृश्य सामग्री का उपयोग करने पर विचार किया जा सकता है 
  • प्रस्तुति को स्पष्ट रूप से और आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए 
  • प्रस्तुति में मुख्य बिंदुओं को तार्किक क्रम में एक-एक करके प्रस्तुत करना चाहिए 
  • प्रस्तुति में लोगों को नोट्स लेने या आप जो कह रहे हैं उसके बारे में सोचने का समय देना चाहिए
  • प्रस्तुति, संचार का एक रूप है इसमें आप अपने श्रोताओं को जानकारी देते हैं और फिर उनके साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं 
अन्य अध्ययन सामग्री - 

बुधवार, 25 दिसंबर 2024

निर्देश / दिशा-निर्देश✍️लेखन (Writing instructions)

निर्देश लेखन को 'अनुदेश लेखन' भी कहते हैं। यह एक लेखन शैली है जिसमें किसी कार्य को करने या किसी प्रक्रिया को समझाने के लिए स्पष्ट, सरल और व्यवस्थित तरीके से निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य पाठक या उपयोगकर्ता को किसी कार्य को बिना किसी भ्रम के सही तरीके से पूरा करने में सहायता करना होता है।

निर्देश दिशा-निर्देश लेखन का मुख्य उद्देश्य किसी भी कार्य को व्यवस्थित और कुशलता से संपन्न करना है। 

'निर्देश लेखन' और 'दिशा-निर्देश लेखन' के बीच मूल रूप से बहुत अधिक अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों का उद्देश्य किसी कार्य या प्रक्रिया के लिए स्पष्ट और व्यवस्थित जानकारी प्रदान करना है। फिर भी, दोनों के बीच कुछ बारीक भिन्नताएँ होती हैं


1. निर्देश लेखन:

  • केंद्र: निर्देश लेखन में सीधे और संक्षिप्त तरीके से किसी विशेष कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यक कदमों को समझाया जाता है।
  • लक्ष्य: एक विशेष कार्य या प्रक्रिया पर केंद्रित।
  • उदाहरण:
    • परीक्षा कक्ष में पालन किए जाने वाले निर्देश।
    • किसी उपकरण को चालू करने या उपयोग करने के तरीके।
    • "कृपया पानी बचाने के लिए नल को बंद करें।"

2. दिशा-निर्देश लेखन:

  • केंद्र: दिशा-निर्देश लेखन में व्यापक और विस्तृत तरीके से किसी प्रक्रिया, कार्य, या व्यवहार के लिए नियमों और अपेक्षाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
  • लक्ष्य: एक कार्य या प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उपयोगी जानकारी और सुझाव प्रदान करना।
  • उदाहरण:
    • किसी अभियान के लिए दिशा-निर्देश, जैसे स्वच्छता अभियान।
    • यात्रा या आयोजन के लिए विस्तृत गाइडलाइन।
    • स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों के पालन के लिए दिशा-निर्देश।

मुख्य अंतर:

पहलूनिर्देश लेखनदिशा-निर्देश लेखन
स्वरूपसंक्षिप्त और सीधे।विस्तृत और व्यापक।
लक्ष्य समूहकार्य विशेष को पूरा करने वाले लोग।       प्रक्रिया या अभियान से जुड़े सभी व्यक्ति।
उदाहरण का स्वरूप    कदम-दर-कदम निर्देश।नियम और सुझावों का संग्रह।

संक्षेप में कहें तो, 'निर्देश लेखन' विशिष्ट और संक्षिप्त होता है, जबकि 'दिशा-निर्देश लेखन' अधिक विस्तृत और व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। दोनों का उद्देश्य पाठक को मार्गदर्शन देना है, लेकिन उनका दायरा अलग-अलग होता है।

निर्देश लेखन की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. स्पष्टता (Clarity): निर्देश स्पष्ट और संक्षिप्त होते हैं।
  2. सटीकता (Accuracy): सही और प्रासंगिक जानकारी दी जाती है।
  3. क्रमबद्धता (Sequence): सभी बिंदुओं को तर्कसंगत और क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
  4. आज्ञा वाचक वाक्य (Imperative sentence): अधिकतर वाक्य आज्ञा वाचक रूप में होते हैं। 
  5. सीधी भाषा: जटिल शब्दों से बचा जाता है और भाषा पाठक के स्तर के अनुसार होती है।

उपयोग:

  1. शैक्षणिक क्षेत्र में: परीक्षाओं या प्रकल्प के लिए निर्देश।
  2. घरेलू उपयोग में: उपकरणों के उपयोग के लिए दिशा-निर्देश।
  3. सार्वजनिक क्षेत्र में: किसी कार्यक्रम, यात्रा या आयोजन के लिए निर्देश।
  4. सुरक्षा एवं स्वास्थ्य: आपातकालीन स्थितियों के लिए सुरक्षा निर्देश।

उदाहरण 1. आपके विद्यालय में अगले सप्ताह परीक्षा आयोजित होनी है। परीक्षा में सामिल होने वाले छात्रों को परीक्षा संबंधी प्रक्रियायों, सावधानियों आदि की जानकारी देने के लिए निम्नलिखित में से किसी एक उचित विधा का चुनाव करके अपना लेखन कार्य संपन्न कीजिए।

सूचना लेखन                  निर्देश लेखन                   प्रावरण लेखन 

आदर्श उत्तर -  

निर्देश लेखन

विद्यालय की परीक्षा के लिए निर्देश -

  1. समय का पालन करें: परीक्षा कक्ष में निर्धारित समय से कम से कम 15 मिनट पहले उपस्थित होना अनिवार्य है। विलंब होने पर परीक्षा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  2. पहचान पत्र साथ रखें: सभी विद्यार्थियों को अपने विद्यालय का पहचान पत्र परीक्षा के समय साथ रखना आवश्यक है।
  3. परीक्षा सामग्री: परीक्षा के लिए केवल अनुमति प्राप्त सामग्री, जैसे पेन, पेंसिल, रबर, और ज्योमेट्री बॉक्स साथ लाएं। गैर-आवश्यक सामग्री लाने से बचें।
  4. मोबाइल फोन का निषेध: परीक्षा कक्ष में मोबाइल फोन, स्मार्टवॉच, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लाना सख्त वर्जित है। 
  5. परीक्षा कक्ष में प्रवेश: परीक्षा कक्ष में प्रवेश से पहले सभी विद्यार्थियों को चेकिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। अनुचित सामग्री पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
  6. बैठने की व्यवस्था: अपनी सीट पर बैठने से पहले सीट नंबर और स्थान की पुष्टि करें। अन्यत्र बैठने की अनुमति नहीं होगी। 
  7. उत्तर पुस्तिका का उपयोग: उत्तर पुस्तिका प्राप्त होने पर सबसे पहले अपना रोल नंबर, नाम (यदि निर्देशित हो), और अन्य विवरण सही-सही भरें। 
  8. प्रश्न पत्र पढ़ने का समय: प्रश्न पत्र मिलने के बाद, पहले 10 मिनट केवल उसे ध्यानपूर्वक पढ़ने के लिए दिए जाएंगे। इस दौरान उत्तर लिखने की अनुमति नहीं होगी। 
  9. लिखावट और प्रस्तुति: उत्तर पुस्तिका में उत्तर साफ-सुथरे और सुगठित तरीके से लिखें। गंदे या अस्पष्ट उत्तरों के लिए अंक कट सकते हैं। 
  10. अनुशासन बनाए रखें: परीक्षा के दौरान अनुशासन का पालन करें। किसी भी प्रकार की अशांति या बातचीत अनुचित मानी जाएगी। 
  11. सहायता की अनुमति नहीं: परीक्षा के दौरान एक-दूसरे से बात करना, किसी से सहायता लेना, या उत्तरों की नकल करना सख्त वर्जित है। 
  12. समय प्रबंधन: सभी प्रश्नों को हल करने के लिए समय का उचित प्रबंधन करें। अंतिम समय में हड़बड़ी से बचें। 
  13. उत्तर पुस्तिका का समर्पण: परीक्षा समाप्त होने पर उत्तर पुस्तिका को ध्यानपूर्वक अपने पर्यवेक्षक को सौंपें। अपनी उत्तर पुस्तिका अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं है। 
  14. शिष्टाचार का पालन करें: परीक्षा समाप्त होने के बाद शांति बनाए रखें और अन्य विद्यार्थियों को परेशान न करें। 
  15. विशेष परिस्थितियों में: यदि परीक्षा के दौरान कोई समस्या हो, जैसे प्रश्न पत्र में त्रुटि या अन्य कठिनाई, तो तुरंत पर्यवेक्षक को सूचित करें। बिना अनुमति कक्ष छोड़ने की कोशिश न करें।

उदाहरण 2आपके विद्यालय में आगामी सप्ताह में छात्रों के लिए एक विदेश यात्रा का आयोजित होनी है। इस यात्रा में सामिल होने वाले छात्रों को यात्रा संबंधी प्रक्रियायों, सावधानियों, विशेष सूचनाओं आदि की जानकारी देने के लिए निम्नलिखित में से किसी एक उचित विधा का चुनाव करके अपना लेखन कार्य संपन्न कीजिए।

सूचना लेखन                  दिश-निर्देश लेखन                   प्रावरण लेखन  

    आदर्श उत्तर -  

    दिशा-निर्देश लेखन

    विदेश यात्रा हेतु दिशा-निर्देश : 

    1. सभी छात्र निर्धारित समय पर विद्यालय के मुख्य गेट पर एकत्रित हों। देरी करने वाले छात्रों को यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    2. अपने साथ विद्यालय द्वारा जारी किया गया पहचान पत्र और पासपोर्ट अवश्य रखें। दस्तावेज़ों की एक अतिरिक्त फोटोकॉपी अपने बैग में रखें।

    3. यात्रा के दौरान विद्यालय द्वारा दिए गए समूह और प्रभारी शिक्षक का पालन करें। किसी भी स्थिति में समूह से अलग न हों।

    4. अपने बैग में केवल आवश्यक वस्तुएं रखें, जैसे कपड़े, दवाइयां, और यात्रा से संबंधित आवश्यक सामग्री। अतिरिक्त और अनावश्यक सामान लाने से बचें।

    5. यात्रा के दौरान अनुशासन बनाए रखें। सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार शिष्ट और मर्यादित होना चाहिए।

    6. विमान यात्रा के लिए सुरक्षा जांच के सभी नियमों का पालन करें। ज्वलनशील पदार्थ, तेजधार उपकरण, या अन्य प्रतिबंधित सामग्री साथ न लाएं।

    7. समूह के प्रभारी द्वारा दी गई यात्रा कार्यक्रम का ध्यानपूर्वक पालन करें। प्रत्येक गतिविधि के समय और स्थान का पालन करें।

    8. यात्रा के दौरान विद्यालय का ड्रेस कोड (यदि लागू हो) का पालन करें और अपने पहनावे को संस्कृति और मौसम के अनुसार रखें।

    9. किसी भी समस्या या कठिनाई के मामले में तुरंत अपने समूह के प्रभारी शिक्षक को सूचित करें।

    10. अपने पास थोड़ा नकद और डेबिट/क्रेडिट कार्ड रखें। पैसों का उपयोग सोच-समझकर करें।

    11. विदेश में स्थानीय नियमों और कानूनों का सम्मान करें। किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल न हों।

    12. भोजन और पानी का ध्यान रखें। केवल स्वच्छ और सुरक्षित भोजन का ही सेवन करें। अनजान स्रोतों से खाना खाने से बचें।

    13. महत्वपूर्ण सामान, जैसे पासपोर्ट, वीजा, और मूल्यवान वस्तुएं अपने साथ सुरक्षित रखें। इन्हें दूसरों को न सौंपें।

    14. यात्रा के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें। किसी भी प्रकार का कचरा सार्वजनिक स्थानों पर न डालें।

    15. यात्रा समाप्त होने के बाद सभी छात्र निर्धारित समय पर वापस विद्यालय पहुंचें और अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।

    इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने से यात्रा सुरक्षित, आनंदमय और सुव्यवस्थित रहेगी।

    इसी प्रकार अब आप निम्नलिखित विषयों पर निर्देश अथवा दिशा निर्देश लिखने का अभ्यास कर सकते हैं। 

    अभ्यास प्रश्न

    अभ्यास प्रश्न:

    इन प्रश्नों के अभ्यास से आपको विभिन्न अवसरों पर दिशा-निर्देश लेखन का अभ्यास मिलेगा और वे बेहतर ढंग से इसे समझ पाएंगे। 

    प्रचलित पोस्ट

    विशिष्ट पोस्ट

    भाषण - "सपनों को सच करने का हौसला" – मैत्री पटेल

    प्रिय दोस्तों, मैं मैत्री पटेल, आज आपके समक्ष खड़े होकर गौरवान्वित...

    हमारी प्रसिद्धि

    Google Analytics Data

    Active Users