वाद-विवाद क्या है?
'वाद-विवाद' दो शब्दों के मेल से बना हैं, वाद और विवाद। इसे समझने के पूर्व उनको भी समझ लेना में आवश्यक समझा हूँ। दोनों ही शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'वद्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ बोलना होता है।
वाद - वाद एक तरह की विचार-विनिमय प्रक्रिया होती है, जिसमें दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक मुद्दे पर विचारों का विनिमय होता है। वाद में हर व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करता है और दूसरों के विचारों को समझने की कोशिश करता है। वाद का मुख्य उद्देश्य होता है अधिक से अधिक सटीकता और सत्यता को प्राप्त करना।
विवाद - विवाद को सरल भाषा में हम बहस भी कहते हैं। जो दो व्यक्तियों अथवा दो गुटों के बीच किसी मुद्दे पर वैचारिक मतभेद के कारण उत्पन्न होती है। उस विषय पर वे असहमत होते हैं और उनके बीच तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव अकसर भिन्न मतों, विचारों, मान्यताओं या उनके विवेकों के विपरीत होने के कारण भी हो सकता है और समाधान की खोज में समय लगता है। अतः विवाद में व्यक्तियों का मुख्य उद्देश्य बन जाता है और अपनी बात को दूसरे के बात से श्रेयस्कर साबित करना होता है। विवाद कई अवस्थाओं में हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत या सामाजिक मुद्दों पर, राजनीतिक विषयों पर, आर्थिक मुद्दों पर या किसी अन्य विषय पर असहमति होने की स्थिति में।
वाद-विवाद
अतः 'वाद-विवाद', 'वाद और विवाद' दोनों का मिला-जुला रूप है। वैसे तो यह पूर्णतः संभाषण कौशल विकसित करने से संबंधित एक उत्कृष्ट कला है। इसमें भी दो या दो से अधिक लोग अथवा समूह किसी एक विषय पर आपस में विवाद करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कौशल है जो व्यक्ति की अपनी मौखिक क्षमता का विकास करने में शायक होता है।
वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है।
वाद-विवाद कैसे होता है?
वाद-विवाद में आमतौर पर दो टीमें होती हैं। प्रत्येक टीम अपने विषय पर आरंभिक भाषण देती है जो दोनों टीमों के सदस्यों द्वारा सुना जाता है। फिर उनके पास एक-दूसरे को प्रतिभागियों के विषय पर प्रश्न और उत्तर देने का मौका होता है। उसके बाद, प्रत्येक टीम को अपने विषय के बारे में अपने दलील देनी होती है जो उन्हें समर्थन करती है। अंत में, प्रत्येक टीम को अपने विषय पर एक संक्षेप में आरंभिक भाषण देना होता है। वाद-विवाद में सामान्यतः समय सीमा होती है जो समय-सीमित रहता है, जिसके बाद टीमों को अपने विषय के बारे में कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिलता है। इसके अलावा, दलीलें और आरंभिक भाषणों के लिए समय सीमा भी होती है। वाद-विवाद के नियम के तहत सभी प्रतिभागी संयुक्त रूप से नियंत्रक द्वारा निर्दिष्ट नियमों का पालन करने के लिए भी दबाव में रहते हैं।
वाद विवाद के ज्वलंत शीर्षकों की सूची दी जा रही है आप किसी एक पर पक्ष / विपक्ष में आपने विचार लिखने का प्रयास करें।
- क्या विज्ञान और धर्म के बीच एक विरोध है?
- आधुनिक तकनीकी का मानव जीवन पर असर: सकारात्मक या नकारात्मक?
- क्या प्रतियोगिता या सहयोग समाज के लिए अधिक उपयोगी है?
- क्या धर्म आतंकवाद का मूल है?
- क्या भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण विकास के रास्ते का रुख है?
- क्या नागरिकता संशोधन बिल नागरिकों के अधिकारों को छीनने की तरफ है?
- क्या विदेशी नीति देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है?
- समाज के लिए शिक्षा का महत्व: सरकारी या निजी संस्थाएं?
- आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष: शक्ति या सहनशीलता?
- आज के आधुनिक युग में भी परम्पराओं से जुड़े रहना जरूरी हैं?
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