शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023

गरबा : गुजराती लोक-संस्कृति का अभिन्न अंग

गरबा (डांडिया) 
प्रस्तावना -  गुजराती संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा "गरबा" है। यह एक पौराणिक और लोकप्रिय गुजराती लोकनृत्य है, जिसे गुजरात सहित भारत के अन्य कई राज्यों में विशेषकर 'नवरात्रोत्सव' के दौरान आयोजित किए जाने वाले पारंपरिक नृत्यों का हिस्सा माना जाता है। यह एक पारंपरिक गुजराती नृत्य है, जिसमें संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम होता है। 'गरबा' शब्द की व्युत्पत्ति 'गर्भ-दीप' से मानी जाती है। दरअसल नवरात्रि के पहले दिन देवी के आगमन के स्वागत पर एक मिट्टी के घड़े में कई सारे छेद करके उसमें एक दीपक जलाया जाता था। जिसे गर्भ-दीप कहा जाता था। देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने इस गर्भ-दीप को जलाकर इसके चारों ओर घूम-घूम कर देवी के लिए स्वागत गीत गाए जाते थे। यह गर्भ-दीप नारी के सृजन-शक्ति का प्रतीक है। यही कालांतर में शब्दलोप होकर गर्भ-दीप से 'गरबा' में परिवर्तित हो गया। इसी प्रकार यह परंपरा आज तक चली आ रही है

गर्भ-दीप (घट दीप)
गरबा के परिधान: गरबा डांस के दौरान, महिलाएँ तरह-तरह के चटकीले, रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान व भारी आभूषण जैसे झुमके, राजस्थानी चूड़ियाँ, हार, माँगटीका, कर्णफूल आदि पहनकर गरबा की सुमधुर संगीत पर नाचती और गाती हैं। लडकियाँ चनिया-चोली पहनती हैं और साथ में विविध प्रकार के आभूषण पहनती हैं, तथा लडके गुजराती केडिया पहन कर सिर पर पगडी बांधते हैं। पुरुष भी गुजराती व राजस्थानी घाघरा और कफ़नी पाजामा या धोती के साथ सिर पर पगड़ी पहनते हैं। सभी लोग देवी की प्रतिमा के सम्मुख एक विशेष प्रकार से गोला बनाकर हाथों में बाँस की लकड़ी अथवा धातु की पाइपनुमा दाण्डिया (डांडिया) लेकर एक-दूसरे से संगीत पर थिरकते हुए। डांडिया को गरबा नृत्य करते समय आपसे में टकराकर नृत्य किया जाता है। इसीलिए 'गरबा' को 'डांडिया रास' भी कहते हैं। 

गरबा की पारंपरिक परिधान
गरबा का आधुनिक रूप: यह गुजराती संस्कृति और धार्मिक आयाम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गरबा के आदर्श और रंगीनता ने इसे दुनिया भर में मशहूर बना दिया है और लोग इसे उत्सवों और मनोरंजन के रूप में आनंद उठाते हैं। भाषा और संस्कृति का सहचरी है, अतः गुजराती समुदाय के लोग जहाँ-जहाँ गए हैं संस्कृतियों का संवहन भी किया। इसी कारण आज गरबा गुजरात के अलावा महाराष्ट्र और अन्य भारतीय प्रदेशों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। आजकल पारंपरिक गरबा गीतों के आलावा बॉलीवुड के आधुनिक फिल्मी धुनों को विशेष रूप से गरबा की धुन के साथ मिलाकर बड़े-बड़े पांडालों में सार्वजनिक गरबा का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रमों में सिरकत करने के लिए लोगों को महंगे एंट्री-पास बेंचे जाते हैं। इसी प्रकार विदेशों में रह रहे गुजराती समुदायों में भी गरबा मनाया जाना आम है। गरबा एक आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक अभिवादन का हिस्सा है और इसका महत्वपूर्ण रूप से हिन्दू नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाया जाता है। यह एक अद्वितीय तरीके से गाया और नृत्य किया जाता है जिसमें संगीत, नृत्य, और साहित्य का एक अद्वितीय संगम होता है

विदेशों में आधुनिक गरबा
गरबा के प्रकार -  गरबा का सबसे प्रसिद्ध और आम गरबा का प्रकार रास गरबा है जो नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाया जाता है। इसमें लोग एक ही दिशा में खड़े होकर गोल चक्कर में घूमते हैं और साथ में गीत गाते हैं। इसमें खासतर स्त्री-पुरुष डांस करते हैं। गरबा का दूसरा प्रकार 'खेल गरबा' है, यह गरबा का एक पुराना खेल है, जो विभिन्न खेलों के साथ खेला जाता है। यह खेलों की आत्मा को दर्शाता है और गरबा के गीतों के साथ मेल खाता है। 'आरासी गरबा' बहुत उत्साही और गतिशील होता है, जिसमें लोग आरासी की 36 बीट के साथ खेलते हैं। यह गरबा का अधिक तेजी से खेला जाने वाला प्रकार है। गुजरात का परम्परागत ड्रामा और नृत्य के साथ खेला जाने वाला गरबा 'भवाई' कहलाता है। जिसमें लोक-कथाओं को गरबा के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
उपसंहार - गरबा केवल एक नृत्य नहीं है; यह संस्कृति, परंपरा और एकता का उत्सव है। यह गुजरात की समृद्ध विरासत और यहां के लोगों की जीवंत भावना का प्रतीक है। गरबा की लयबद्ध तरंगों और ताल के माध्यम से, हम भारत की विविधता के दिल की धड़कन को महसूस कर सकते हैं, जहां सभी पृष्ठभूमि के लोग एकजुटता की खुशी का आनंद लेने के लिए एक साथ आते हैं। यह इस विचार का एक सुंदर प्रमाण है कि सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ दूरियों को पाट सकती हैं, बाधाओं को तोड़ सकती हैं और सीमाओं से परे अपनेपन की भावना को बढ़ावा दे सकती हैं। तो, अगली बार जब आप खुद को गरबा के आकर्षक वातावरण के बीच पाएं, तो रंगों, संगीत और सौहार्द को अपनाएं, और आप भारत की आत्मा के एक टुकड़े का अनुभव करेंगे जो हमेशा आपके साथ रहेगा।

सूचना (नोटिस) लेखन : सार्वजनिक जागरूकता का सशक्त माध्यम

"एक लेखन कौशल है जिसका उद्देश्य लोगों को अद्यतन जानकारी देना होता है।सूचना कम शब्दों में औपचारिक शैली में लिखी गई संक्षिप्त जानकारी होती है। किसी विशेष जानकारी को सार्वजनिक करना 'सूचना लेखन' कहलाता है।"

 अथवा 

"दिनांक और स्थान के साथ भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों आदि के विषय में दी गई लिखित जानकारी 'सूचना' कहलाती है।"

आधुनिक दुनिया में सूचना लेखन एक महत्वपूर्ण और प्रभावी कौशल है जो जानकारी पहुँचाने के काम आता है। आज के डिजिटल युग में, सूचना लेखन वेबसाइटों, ब्लॉगों, सोशल मीडिया पोस्टों और इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के माध्यम से अपार प्रभाव डालता है। इस लेखन विधि का उपयोग विभिन्न विषयों और आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत अथवा सामूहिक सूचना देने के लिए होता है। सूचना लेखन व्यक्तिगत के अलावा व्यावसायिक, अकादमिक और सरकारी परिसरों में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सही और प्रभावी संदेश प्रस्तुत करने का सटीक माध्यम है।

 उदाहरणार्थ - अपने नाम परिवर्तन की सूचना, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, व्यापारिक संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक कार्यक्रमों, सांस्कृतिक अवसरों पर की जाने वाली सूचनाएँ आदि।

सूचना लेखन में सरलता, सुसंगत और संक्षिप्त भाषा का उपयोग किया जाता है ताकि पाठक आसानी से सूचना को समझ सकें। सूचना लेखन का महत्वपूर्ण लक्ष्य यह होता है कि आपके पाठकों को अपनी सूचना को ठीक से समझाएं ताकि उन्हें अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त हो सके और वे अगले कदम की योजना बना सकें।

सूचना लेखन के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं, जैसे कि विषय को स्पष्ट करना, महत्वपूर्ण तथ्यों को व्यवस्थित करना, अनुक्रमाणिका या शीर्षक का उपयोग करना, संक्षेप और सरल भाषा का उपयोग करना, और आवश्यकता अनुसार ग्राफिक्स, चित्र, या टेबल का उपयोग करना।

साभार- www.hindi0549.com























यहाँ कुछ  उदाहरण दिए जा रहे हैं  - 
उदाहरण -  

सूचना लेखन:
विद्यालय का नाम: सेंट्रल पब्लिक स्कूल, दिल्ली
प्रिय विद्यार्थियों,
विद्यालय का वार्षिक खेल दिवस

हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हमारे विद्यालय का वार्षिक खेल दिवस 25 जून 2024 को विद्यालय के मुख्य खेल मैदान में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर विभिन्न खेलों और गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भाग लेने के लिए आप सभी को आमंत्रित किया जाता है।
खेल दिवस का कार्यक्रम निम्नलिखित है:
  • सुबह 9:00 बजे: उद्घाटन समारोह
  • सुबह 9:30 बजे: दौड़ प्रतियोगिता (100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर)
  • सुबह 11:00 बजे: लंबी कूद और ऊँची कूद प्रतियोगिताएं
  • दोपहर 12:30 बजे: भोजनावकाश
  • दोपहर 1:30 बजे: कबड्डी और खो-खो प्रतियोगिताएं
  • शाम 4:00 बजे: समापन समारोह और पुरस्कार वितरण
सभी विद्यार्थियों से अनुरोध है कि वे समय पर उपस्थित हों और अपने-अपने खेल वर्दी में आएं। जो विद्यार्थी विभिन्न खेलों में भाग लेना चाहते हैं, वे अपने कक्षा अध्यापक से संपर्क करके पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण की अंतिम तिथि 20 जून 2024 है।
ध्यान दें कि सभी प्रतिभागियों को समय पर मैदान में उपस्थित होना आवश्यक है और अनुशासन बनाए रखना है।
आइए, इस दिन को एक यादगार और सफल आयोजन बनाएं!
धन्यवाद 

सचिव 
खेल विभाग


उदाहरण 2) आप अपने विद्यालय के खेल परिषद् के सचित (सेक्रेटरी) हैं। आपके विद्यालय में खेल दिवस अपरिहार्य कारणों के वजह से रद्द करना पड़ रहा है। इसकी सूचना लिखिए। शब्द सीमा 200 शब्द है। 
आदर्श उत्तर - 

जनता स्थानीय  विद्यालय, दिल्ली

सूचना 
दिनांक : xx जून, 2024

प्रिय विद्यार्थियों,
खेल दिवस रद्द होने के सन्दर्भ में... 

यह अत्यंत खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि हमारे विद्यालय का वार्षिक खेल दिवस, जो कि 25 जून 2024 को आयोजित होने वाला था, अपरिहार्य कारणों से रद्द कर दिया गया है। इस निर्णय को लेना हमारे लिए भी कठिन था, परंतु आपकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक हो गया है।
खेल दिवस का आयोजन हमारी विद्यालय की महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है और हम जानते हैं कि आप सभी को इसका बेसब्री से इंतजार था। हम आपकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और आश्वासन देते हैं कि जैसे ही परिस्थितियाँ सामान्य होंगी, हम इस कार्यक्रम को पुनः आयोजित करने का प्रयास करेंगे।
जो विद्यार्थी खेल दिवस के लिए पंजीकृत हो चुके थे, उनके पंजीकरण स्वतः ही अगले आयोजन के लिए मान्य रहेंगे। इसके अतिरिक्त, किसी भी प्रश्न या जानकारी के लिए आप अपने कक्षा अध्यापक या खेल परिषद के सदस्य से संपर्क कर सकते हैं।
आपके सहयोग और समझदारी के लिए धन्यवाद। हमें विश्वास है कि आप इस निर्णय को समझेंगे और भविष्य में होने वाले अन्य आयोजनों के लिए भी उतनी ही उत्साह के साथ भाग लेंगे।
धन्यवाद,

सचिव, खेल परिषद्
सेंट्रल पब्लिक स्कूल, दिल्ली

अभ्यास 1.   

आप अपने को विद्यालय के छात्र परिषद का सचिव मानते हुए निम्नलिखित सूचना लेखन कीजिए। 

"रक्तदान, महादान"  
आपके परिसर में 'रक्तदान शिविर' का आयोजन किया जाना है। इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के स्वस्थ माता-पिता अथवा संबंधी स्वेच्छा से रक्तदान कर सकते हैं। छात्रों को रक्तदान पर जागरूक किया जाएगा। सभी से अधिक मात्रा में सहभाग लेने और कार्यक्रम को सफल बनाने का आग्रह करते हुए एक सूचना लिखिए। 

आपका लेखन 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

आप अपने लेखन में निम्नलिखित बिन्दुओं को अवश्य शामिल करें। 

  1. रक्त की जांच और रक्तदान प्रमाण-पत्र जांच मुफ्त।
  2. रक्तदान एक त्वरित, सरल और  सुरक्षित  प्रक्रिया है।
  3. 'रक्तदान महादान, बचाए जरूरतमंद लोगों की जान।' 

रविवार, 8 अक्टूबर 2023

तिल के बीजों में है ताकत पहाड़ सी

तिल का तेल 
किसी ने ठीक ही कहा है कि, "तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है।" आजमाने के आप चाहे तो किसी पर्वत का कोई कठोर पत्थर लेकर उसमें कटोरी के जैसा एक खड्डा बना लीजिए, उसमें पानी, दूध, घी अथवा तेजाब या संसार में कोई और ही कैमिकल, ऐसिड जैसे तरल पदार्थ डाल दीजिए, अन्य पदार्थ पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कहीं नहीं जायेगा। यदि उस कटोरीनुमा पत्थर को 'तिल के तेल' से भर दें। तो आप दो दिन बाद देखेंगे कि, 'तिल का तेल' पत्थर को पार करता हुआ पत्थर के नीचे आ भी गया है। यह होती है 'तिल' की ताकत, इसीलिए आयुर्वेद में इसे मालिश करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। यह तेल त्वचा, और माँस को पार करता हुआ, हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

आप को यह भी जानकार आश्चर्य होगा कि आज हम जिस 'तेल' शब्‍द का रोज़मर्रा के जीवन में प्रयोग करते हैं दरअसल उसकी उत्‍पत्ति भी 'तिल' से हुई है। संस्कृत भाषा में तेल के लिए 'तैल' शब्द का प्रयोग मिलता है। 'तैल' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिल' शब्द से ही हुई है। तैल का अर्थ है कि 'वह जो तिल से निकलता हो। अर्थात 'तेल' का असल अर्थ ही है 'तिल का तेल'। यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसका प्रयोग सदियों से भारतवर्ष में होता रहा है। प्रत्येक मांगलिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ तिल के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करके करने की प्राचीन परंपरा रही है। आज भी चाहे आपको कोई भी रोग हो तिल का तेल इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में उस व्याधि से लड़ने की क्षमता यह विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में विरले ही पाया जाता।

बादाम का तेल 

'तिल का तेल' ऐसा नैसर्गिक पदार्थ है जिसे कोई भी थोड़े प्रयास से भारतीय बाजारों में आसानी से प्राप्त कर सकता है। इसके लिए आपको किसी ब्रांड अथवा कंपनी विशेष का ही तेल खरीदने की आवश्यकता ही नहीं होगी। प्रयास करें कि बिना मिलावट के शुद्ध तेल उपलब्ध हो सके। आप इसके औषधीय गुण से चौक सकते हैं। मात्र सौ ग्राम सफेद तिल में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम उपलब्ध होता है। यदि बादाम में उपलब्ध कैल्सियम से हम तिल की तुलना करें तो पाएंगे कि तिल में लगभग चार गुना से भी अधिक कैल्शियम की मात्रा होती है। जबकि लौहतत्व की मात्र बादाम की तुलना में तिल के तेल में तीन गुना से भी अधिक होती है। तांबे के साथ ही मैग्निशियम, फॉस्फोरस, सेलनियम और जिंक की मात्राएँ भी इसमें अधिक ही होती है। तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।आमतौर पर तिल सफ़ेद, काला और लाल रंग के मिलते हैं। सफ़ेद तिल सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।

काला, सफ़ेद और लाल तिल 

तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एसिड होता है जो बीमारियों को दूर रखता है। सिस्मोल में विटामिन ई जैसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकते हैं। तिल के तेल के अंदर आपको बिटामिन- ए, बी, सी, डी, और ई का सारा संसार मिल जाता है। तिल के तेल का उपयोग भारतीय खाद्य व्यवसाय तथा खाद्य बाजार में कायम में होता है। यह तेल ज्यादातर खाद्य बनाने में प्रयोग होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, लड़्डू, चिक्‍की, पट्टी और बाड़ी आदि।  इनके अलावा, यह तेल को भोजन में भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है, खासकर साग और सब्ज़ियों के साथ। इसमें लौह की मात्रा भरपूर होने से महिलाओं के लिए अनेमिया के इलाज़ में भी कारगर सिद्ध होता है।

तिल के तेल के फायदे - 

  1. स्वास्‍थ्‍य लाभ: तिल के तेल में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-ई, बी, और ए के साथ-साथ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, फास्‍फोरस, पोटैसियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, आदि होते हैं, जो कि बड़े फायदेमंद होते हैं।
  2. त्‍वचा के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में प्राकृतिक तरीके से मौजूद विटामिन-ई की वजह से यह त्‍वचा को मुलायम बनाता है और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।
  3. हृदय रोग में फायदेमंद: तिल के तेल में पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं, जो ह्रदय के लिए फायदेमंद होते हैं।
  4. वजन नियंत्रण: तिल के तेल में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  5. बढ़ती ऊर्जा: तिल के तेल का सेवन करने से बॉडी में ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे थकान और कमी कम होती है।
  6. आंखों के लिए फायदेमंद: तिल के तेल में विटामिन-ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
  7. तंतु की समस्‍या के लिए: तिल के तेल का सेवन करने से तंतु सुस्‍त होती है, जिससे समय तक यौन संबंध बनाए रखना संभव होता है।
  8. मस्‍तिष्‍क के लिए फायदेमंद: तिल के तेल के सेवन से मस्‍तिष्‍क की कार्यशीलता बढ़ती है और मस्‍तिष्‍क के रक्‍तसंचार को सुधारता है।
  9. डायबीटीज का इलाज़: तिल के तेल का सेवन करने से डायबीटीज के लिए फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर का रक्‍तचाप और रक्‍त शर्करा कंट्रोल में आता है।
  10. कैंसर की रोकथाम: तिल के तेल में विटामिन ई और अंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो कैंसर के खिलाफ कार्य करते हैं।
तिल के तेल का इस्‍तेमाल कैसे करें?
  1. खाद्य व्यंजन: तिल के तेल का उपयोग बहुत सारे खाद्य व्‍यंजन बनाने में होता है, जैसे कि जलेबी, गज़क, बाड़ी, लड़्डू, चिक्‍की, और साग और सब्ज़ियों को बनाने में भी होता है।
  2. दूध या दही में: तिल के तेल को दूध या दही के साथ सलाद आदि में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  3. रोज़ के खाने के साथ: आप तिल के तेल को रोज़ के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि साग और सब्ज़ियों के साथ।
  4. मालिश में उपयोगी : मालिश  के रूप में तिल के तेल का सेवन किया जा सकता है, खासकर सर्दी के मौसम में। तिल के तेल से शारीरिक आराम और मानसिक सुख चैन के लिए एक अच्छे मालिश तेल के रूप में किया जा सकता है।

तिल के तेल के नुकसान

  • कॉलेस्‍ट्रॉल का वृद्धि: अगर आपका खून कॉलेस्‍ट्रॉल हाइ है, तो तिल के तेल का उपयोग कम करें, क्‍योंकि इसमें पॉलीयूनसैचरेटेड फैट्स होते हैं जो कॉलेस्‍ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।
  • अलर्ज़ी की समस्‍या: तिल के तेल से एलर्ज़ी की समस्‍या हो सकती है, जिसका स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान हो सकता है।
  • बच्‍चों के लिए खतरा: बच्‍चों के लिए तिल के तेल का सेवन विशेषत:रूप से सूजी और घी के साथ नहीं करें, क्‍योंकि इसमें फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जो कि उनके शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकती है।
  • मधुमेह के रोगियों को इसके सेवन में सतर्क रहना चाहिए क्‍योंकि तिल के तेल का सेवन से उनका रक्‍तचाप और रक्‍त-शर्करा बढ़ने की संभवना होती है। गर्भवती महिलाओं को तिल के तेल का सेवन कम करना चाहिए, क्‍योंकि यह गर्भावस्‍था के दौरान कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। इन बातों का ध्‍यान रखकर तिल के तेल का सेवन करें और इसके लाभ प्राप्‍त करें, लेकिन डॉक्‍टर की सलाह लेना न भूलें, खासकर अगर आपका किसी तरह का शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बंधी समस्‍या है।


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