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गरबा (डांडिया) |
प्रस्तावना - गुजराती संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा "गरबा" है। यह एक पौराणिक और लोकप्रिय गुजराती लोकनृत्य है, जिसे गुजरात सहित भारत के अन्य कई राज्यों में विशेषकर 'नवरात्रोत्सव' के दौरान आयोजित किए जाने वाले पारंपरिक नृत्यों का हिस्सा माना जाता है। यह एक पारंपरिक गुजराती नृत्य है, जिसमें संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम होता है। 'गरबा' शब्द की व्युत्पत्ति 'गर्भ-दीप' से मानी जाती है। दरअसल नवरात्रि के पहले दिन देवी के आगमन के स्वागत पर एक मिट्टी के घड़े में कई सारे छेद करके उसमें एक दीपक जलाया जाता था। जिसे गर्भ-दीप कहा जाता था। देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने इस गर्भ-दीप को जलाकर इसके चारों ओर घूम-घूम कर देवी के लिए स्वागत गीत गाए जाते थे। यह गर्भ-दीप नारी के सृजन-शक्ति का प्रतीक है। यही कालांतर में शब्दलोप होकर गर्भ-दीप से 'गरबा' में परिवर्तित हो गया। इसी प्रकार यह परंपरा आज तक चली आ रही है।
गर्भ-दीप (घट दीप) |
गरबा की पारंपरिक परिधान |
गरबा का आधुनिक रूप: यह गुजराती संस्कृति और धार्मिक आयाम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गरबा के आदर्श और रंगीनता ने इसे दुनिया भर में मशहूर बना दिया है और लोग इसे उत्सवों और मनोरंजन के रूप में आनंद उठाते हैं। भाषा और संस्कृति का सहचरी है, अतः गुजराती समुदाय के लोग जहाँ-जहाँ गए हैं संस्कृतियों का संवहन भी किया। इसी कारण आज गरबा गुजरात के अलावा महाराष्ट्र और अन्य भारतीय प्रदेशों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। आजकल पारंपरिक गरबा गीतों के आलावा बॉलीवुड के आधुनिक फिल्मी धुनों को विशेष रूप से गरबा की धुन के साथ मिलाकर बड़े-बड़े पांडालों में सार्वजनिक गरबा का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रमों में सिरकत करने के लिए लोगों को महंगे एंट्री-पास बेंचे जाते हैं। इसी प्रकार विदेशों में रह रहे गुजराती समुदायों में भी गरबा मनाया जाना आम है। गरबा एक आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक अभिवादन का हिस्सा है और इसका महत्वपूर्ण रूप से हिन्दू नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाया जाता है। यह एक अद्वितीय तरीके से गाया और नृत्य किया जाता है जिसमें संगीत, नृत्य, और साहित्य का एक अद्वितीय संगम होता है।
विदेशों में आधुनिक गरबा |
गरबा के प्रकार - गरबा का सबसे प्रसिद्ध और आम गरबा का प्रकार रास गरबा है जो नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाया जाता है। इसमें लोग एक ही दिशा में खड़े होकर गोल चक्कर में घूमते हैं और साथ में गीत गाते हैं। इसमें खासतर स्त्री-पुरुष डांस करते हैं। गरबा का दूसरा प्रकार 'खेल गरबा' है, यह गरबा का एक पुराना खेल है, जो विभिन्न खेलों के साथ खेला जाता है। यह खेलों की आत्मा को दर्शाता है और गरबा के गीतों के साथ मेल खाता है। 'आरासी गरबा' बहुत उत्साही और गतिशील होता है, जिसमें लोग आरासी की 36 बीट के साथ खेलते हैं। यह गरबा का अधिक तेजी से खेला जाने वाला प्रकार है। गुजरात का परम्परागत ड्रामा और नृत्य के साथ खेला जाने वाला गरबा 'भवाई' कहलाता है। जिसमें लोक-कथाओं को गरबा के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
उपसंहार - गरबा केवल एक नृत्य नहीं है; यह संस्कृति, परंपरा और एकता का उत्सव है। यह गुजरात की समृद्ध विरासत और यहां के लोगों की जीवंत भावना का प्रतीक है। गरबा की लयबद्ध तरंगों और ताल के माध्यम से, हम भारत की विविधता के दिल की धड़कन को महसूस कर सकते हैं, जहां सभी पृष्ठभूमि के लोग एकजुटता की खुशी का आनंद लेने के लिए एक साथ आते हैं। यह इस विचार का एक सुंदर प्रमाण है कि सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ दूरियों को पाट सकती हैं, बाधाओं को तोड़ सकती हैं और सीमाओं से परे अपनेपन की भावना को बढ़ावा दे सकती हैं। तो, अगली बार जब आप खुद को गरबा के आकर्षक वातावरण के बीच पाएं, तो रंगों, संगीत और सौहार्द को अपनाएं, और आप भारत की आत्मा के एक टुकड़े का अनुभव करेंगे जो हमेशा आपके साथ रहेगा।
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