गुरुवार, 23 मार्च 2023

वाद-विवाद : तथ्यात्मक जानकारी के साथ अपनी मौखिक क्षमता का विकास।

वाद-विवाद क्या है?

'वाद-विवाद' दो शब्दों के मेल से बना हैं, वाद और विवाद। इसे समझने के पूर्व उनको भी समझ लेना में आवश्यक समझा हूँ। दोनों ही शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'वद्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ बोलना होता है।

वाद - वाद एक तरह की विचार-विनिमय प्रक्रिया होती है, जिसमें दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक मुद्दे पर विचारों का विनिमय होता है। वाद में हर व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करता है और दूसरों के विचारों को समझने की कोशिश करता है। वाद का मुख्य उद्देश्य होता है अधिक से अधिक सटीकता और सत्यता को प्राप्त करना।

विवाद - विवाद को सरल भाषा में हम बहस भी कहते हैं। जो दो व्यक्तियों अथवा दो गुटों के बीच किसी मुद्दे पर वैचारिक मतभेद के कारण उत्पन्न होती है। उस विषय पर वे असहमत होते हैं और उनके बीच तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव अकसर भिन्न मतों, विचारों, मान्यताओं या उनके विवेकों के विपरीत होने के कारण भी हो सकता है और समाधान की खोज में समय लगता है। अतः विवाद में व्यक्तियों का मुख्य उद्देश्य बन जाता है और अपनी बात को दूसरे के बात से श्रेयस्कर साबित करना होता है। विवाद कई अवस्थाओं में हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत या सामाजिक मुद्दों पर, राजनीतिक विषयों पर, आर्थिक मुद्दों पर या किसी अन्य विषय पर असहमति होने की स्थिति में।

वाद-विवाद

सौजन्य - गूगल इमेज

अतः 'वाद-विवाद', 'वाद और विवाद' दोनों का मिला-जुला रूप है। वैसे तो यह पूर्णतः संभाषण कौशल विकसित करने से संबंधित एक उत्कृष्ट कला है। इसमें भी दो या दो से अधिक लोग अथवा समूह किसी एक विषय पर आपस में विवाद करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कौशल है जो व्यक्ति की अपनी मौखिक क्षमता का विकास करने में शायक होता है।

वाद-विवाद के दौरान, आपको तथ्यात्मक जानकारी का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। तथ्य आपको बिना भावनाओं या पक्षपात के विषय पर बात करने में मदद करते हैं। वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है। इसके अलावा, आपको विवाद के दौरान अपनी मौखिक क्षमता का उपयोग करना चाहिए। यह हमारी सहनशीलता को भी बढ़ाता हैं। बिना किसी को चोट पहुंचाए, अथवा उसकी भावना को बिना आहत किए। सबकी बातों को कड़वी और असह्य बातों को धैर्यपूर्वक सुनकर उन बातों का अपने तथ्यों से सम्मानजनक से खंडन करते हुए अपने विचारों को आत्मविश्वास से मंडित करने की कला वास्तव में वाद-विवाद की आत्मा और परम कौशल है।

वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है।

वाद-विवाद कैसे होता है?

वाद-विवाद में आमतौर पर दो टीमें होती हैं। प्रत्येक टीम अपने विषय पर आरंभिक भाषण देती है जो दोनों टीमों के सदस्यों द्वारा सुना जाता है। फिर उनके पास एक-दूसरे को प्रतिभागियों के विषय पर प्रश्न और उत्तर देने का मौका होता है। उसके बाद, प्रत्येक टीम को अपने विषय के बारे में अपने दलील देनी होती है जो उन्हें समर्थन करती है। अंत में, प्रत्येक टीम को अपने विषय पर एक संक्षेप में आरंभिक भाषण देना होता है। वाद-विवाद में सामान्यतः समय सीमा होती है जो समय-सीमित रहता है, जिसके बाद टीमों को अपने विषय के बारे में कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिलता है। इसके अलावा, दलीलें और आरंभिक भाषणों के लिए समय सीमा भी होती है। वाद-विवाद के नियम के तहत सभी प्रतिभागी संयुक्त रूप से नियंत्रक द्वारा निर्दिष्ट नियमों का पालन करने के लिए भी दबाव में रहते हैं।


वाद विवाद के ज्वलंत शीर्षकों की सूची दी जा रही है आप किसी एक पर पक्ष / विपक्ष में आपने विचार लिखने का प्रयास करें।

  1. क्या विज्ञान और धर्म के बीच एक विरोध है?
  2. आधुनिक तकनीकी का मानव जीवन पर असर: सकारात्मक या नकारात्मक?
  3. क्या प्रतियोगिता या सहयोग समाज के लिए अधिक उपयोगी है?
  4. क्या धर्म आतंकवाद का मूल है?
  5. क्या भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण विकास के रास्ते का रुख है?
  6. क्या नागरिकता संशोधन बिल नागरिकों के अधिकारों को छीनने की तरफ है?
  7. क्या विदेशी नीति देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है?
  8. समाज के लिए शिक्षा का महत्व: सरकारी या निजी संस्थाएं?
  9. आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष: शक्ति या सहनशीलता?
  10. आज के आधुनिक युग में भी परम्पराओं से जुड़े रहना जरूरी हैं?

अन्य सहायक सामग्री -

भाषण लेखन

आपने अपने विद्यालयीन सभाओं, सार्वजनिक आयोजनों अथवा राजनैतिक रैलियों आदि में प्रधानाध्यापक,  शिक्षकों, अतिथियों,  राजनेताओं  अथवा अपने सहपाठियों के भाषण तो अवश्य सुने होंगे। शैक्षिक संस्थानों में तो अकसर भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। क्या आप कभी किसी भाषण प्रतियोगिता में सहभाग लिए हो? 

भाषण किसे कहते हैं?   

"भाषण एक ऐसा लिखित / मौखिक स्वरूप होता है जो एक निर्दिष्ट विषय पर लिखा अथवा बोला जाता है।" 

भाषण स्वतंत्र अभिव्यक्ति का एक सशक्त और महत्वपूर्ण साधन होता है जिसके माध्यम से वक्ता अपने विचारों, दृष्टिकोणों को दिए गए विषय पर उपलब्ध संदर्भों / उद्धरणों के साथ अपनी बात को अधिक से अधिक लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुँच पाता है। 

भाषण कहाँ होते हैं?  

सामान्यतया भाषण को शैक्षिक कार्यक्रमों, सार्वजनिक समारोहों, राजनीतिक या सामाजिक संघर्षों, या किसी अन्य सार्वजनिक आयोजन में दिया जाता है। 

भाषण का प्रभाव  

भाषण एक प्रभावी और सुसंगत भाषा और वाक्य संरचना का उपयोग करते हुए लिखा जाता है। भाषण के माध्यम से वक्ता अपने श्रोताओं को प्रेरित करता है, उन्हें उनके मन में संदेश को समझने और उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है। भाषण में वक्ता दर्शकों को अपने साथ खड़ा करने के लिए भावनाओं के साथ संवाद करता है, उनकी ध्यान व स्मरण शक्ति को सक्रिय करता है, उन्हें सहयोग और समर्थन के लिए प्रेरित करता है और उन्हें अपने विचार पर आगे की कार्रवाई के लिए प्रेरित करता है।

भाषण के चरण (Steps) - 

एक प्रभावी भाषण लिखने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं: -

  1. विषय चयन - भाषण लेखन के लिए सबसे पहला चरण विषय का चयन है। (अकसर विषय पूर्व निर्धारित होते हैं) आपको वह विषय चुनना चाहिए जो आपके रुझानों, रुचियों और दूसरों के लिए रोचक हो। विषय का चयन करने के लिए, विशिष्ट सामाजिक मुद्दे जैसे रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के बारे में सोचें और उनके संबंध में अपने विचारों को बताएँ।
  2. अध्ययन करें - अपने विषय पर लिखने से पहले थोड़ा अध्ययन करें और विभिन्न संदर्भों को समझें। यदि आप अपने विषय के बारे में पूरी तरह से जानते हों तो आप अपने भाषण को सटीक, विस्तृत और संवेदनशील बनाने में सक्षम होंगे।
  3. श्रोताओं के बारे में सोचें - अपने लेख में जनता के बारे में सोचें। उनके अधिकांश रुचि और अपेक्षाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें। भाषण उनके लिए होता है, इसलिए उन्हें अपनी बात को समझने में आसानी होनी चाहिए।
  4. लक्ष्य का निर्धारण - आपको लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए कि आपका भाषण किस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हो रहा है।
  5. प्रारंभ और समाप्ति - आपके भाषण की प्रारंभिक भाग में ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ रोचक तथ्य या कुछ उद्धरण दिए जा सकते हैं। समाप्ति में, आपको अपने भाषण का एक संक्षिप्त समीक्षा (रिव्यू) देना चाहिए। 

    अपने भाषण का खाका (संरचना) तैयार करें?
    अपने भाषण का संरचना तैयार करें। भाषण लेखन के लिए खाका (आरंभिक रूप से) निम्नलिखित हो सकता है:
      • संबोधन (नमस्ते / नमस्कार मुख्य अतिथि / निर्णायक मण्डल गण / प्रधानाध्यापक)
      • विषय का चयन और उसके महत्व का वर्णन
      • अपने विषय पर विस्तृत जानकारी का प्रस्ताव
      • विषय से संबंधित उदाहरण या सबूतों का प्रस्ताव
      • अपने विषय के विपरीत मतों या विवादों का संज्ञान कराना
      • समस्याओं को समझाने और उन्हें हल करने के लिए उपाय की सुझाव देना
      • अपने उद्देश्य को उजागर करना
      • उपलब्ध संसाधनों और लोगों का ब्योरा देना
      • समाप्ति टिप्पणी/समीक्षा (रिव्यू) और धन्यवाद देना
                        आप अपने भाषण को उपरोक्त खाके के अनुसार व्यवस्थित कर सकते हैं और अपनी बात को स्पष्ट और असरदार बना सकते हैं।

                        भाषण लेखन का प्रारूप : 

                        1. प्रस्तावना - भाषण की प्रस्तावना में आपको अपने विषय को संक्षेप में पेश करना चाहिए। आप भाषण के विषय को संबोधन करके या कुछ रोचक उद्धरण देकर अपने श्रोताओं को ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
                        2. मुख्य भाग - भाषण का मुख्य भाग आपके विषय पर विस्तृत रूप से विचार करता है। आप अपने विषय को कुछ मुख्य बिंदुओं में विभाजित कर सकते हैं और उन्हें विस्तार से वर्णन कर सकते हैं। यहां, आप अपनी विचारधारा के साथ अपने दृष्टिकोण, विचार और उन्नयन के बारे में बता सकते हैं।
                        3. उपसंहार - भाषण के विषय विस्तार में, आप अपने विषय के बारे में दिए गए जानकारी को एकत्र करते हुए अपने मुख्य बिंदुओं को फिर से समझा सकते हैं। आप अपनी विचारधारा के साथ अपने श्रोताओं को उन विचारों की अनुमति देते हुए अपने भाषण का मुख्य बोध दोहरा सकते हैं।
                        4. समापन - समाप्ति के पहले एक संक्षिप्त रिव्यू पाठकों के ध्यान को अपनी बात की समझ में बढ़ाने के लिए करें। ऐसा करने से श्रोताओं के लिए आसान होगा कि आपने भाषण में क्या कहा था। अपने भाषण में शामिल हुए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को वापस लेकर अपनी बात को समझाएं। श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करें, उनके समय के लिए धन्यवाद दें और उनसे संपर्क बनाए रखने के लिए उन्हें आग्रह कर सकते हैं। 

                        भाषण लेखन का उदाहरण - 

                        आपको अपने विद्यालय की पत्रिका में छपवाने के लिए 'स्वच्छ भारत मिशन' विषय पर एक भाषण लेखन कीजिए।  

                        उत्तर - 
                        अभ्यास 2. 
                        आपके विद्यालय में 'पर्यावरण दिवस' पर एक भाषण लेखन कीजिए। जिसका शीर्षक है - "पर्यावरण बचना है, धरती को स्वर्ग बनाना है।" आपका लेख 200 शब्दों में सीमित होना चाहिए। 
                           

                        अतिरिक्त संसाधन सामग्री - 

                        निबंध लेखन

                        निबंध गठित लेख होता है। इसमें लेखक अपने विचार, अनुभव, दृष्टिकोण, अभिप्राय और विश्लेषण के माध्यम से अमुक विषय को समझाता है। आमतौर पर निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है जिसका लेखक खुद चयन करता है या उसे दिया जाता है। 

                        निबंध अपने विषय को समझाने और उसके बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए उपयोगी होते हैं। निबंध विभिन्न विषयों जैसे समाज, विज्ञान, तकनीक या राजनीति, आदि पर लिखा जा सकते हैं। निबंध लेखन के दौरान, लेखक को अपने विषय पर अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए खोज करता है और अपने विचारों को सुसंगत ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। फिर वह अपनी जानकारी को अपने विचारों के माध्यम से संगठित करता है।


                               निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल होता है, जिससे लोग अपनी अभिव्यक्ति और विचारों को लेखन के माध्यम से साझा कर सकते हैं। इसकी उपयोगिता प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा व परीक्षाओं के साथ ही नौकरी अथवा आम संचार में भी है।

                        निबंध के प्रकार - 

                        1. वर्णनात्मक निबंधइस निबंध में किसी घटना, वस्तु अथवा स्थान आदि का वर्णन होता है। वर्णन के लिए लेखन शैली रोचक और भाषा सरल तथा ओजस्वी होनी चाहिए। आपके निबंध पढ़कर उस वस्तु घटना या स्थान का पूरा दृश्य पाठक की आँखों के सामने आ जाना चाहिए। जैसे किसी त्यौहार - होली, दीपावली, ईद या क्रिसमस, कोई स्थान, दृश्य, यात्रा, घटना/दुर्घटना, गणतंत्र दिवस की परेड, गंगा नदी अथवा खेल समारोह आदि पर विषयों पर लिखे गए निबंध वर्णनात्मक निबंध के अंतर्गत आते हैं।
                        2. विचारात्मक निबंध - इसमें विचार तत्व की प्रधानता होते हैं। जिसमें चिंतन और मनन करना पड़ता है, जिसके कारण इन्हें विचारात्मक निबंध कहते हैं। इस प्रकार के निबंध लिखना थोड़ा कठिन होता है।  जैसे - वसुधैव-कुटुम्बकं, अहिंसा परमोधर्म:, अस्पृश्यता, बाल-विवाह, राष्ट्रीय एकता, विश्व बंधुत्व, परमात्मा, आत्मा, स्वर्ग-नर्क आदि विषय आते हैं। 
                        3. भावात्मक निबंध - ये भावना प्रधान विषयों पर आधारित होते हैं जैसे - चांदनी रात में नौका विहार, बरसात का एक दिन, पाठशाला का पहला दिन, मेरे सपनों का जीवन आदि। इनमें भावना के साथ कल्पना की भी काफी गुंजाइश होती हैं। अतः 'कल्पनात्मक निबंध' भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसके उदाहरण - मेरी अभिलाषा, 'टूटी कलम की आत्मकथा,  ‘यदि मैं प्रधानमंत्री होता’  घायल सैनिक की आत्मकथा’ आदि।
                        4. साहित्यिक (आलोनात्मक) निबंध - किसी साहित्यिक विधा, साहित्यिक प्रवृत्ति अथवा साहित्यकार पर लिखा गया निबंध साहित्यिक/आलोचनात्मक निबंध कहलाता है, जैसे कबीर, सूर, तुलसीदास, मुंशी प्रेमचंद, आधुनिक हिन्दी कविता, छायावाद हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग आदि। 'ललित निबंध' भी इसी के अंतर्गत रखे जा सकते हैं। बस इनकी भाषा काव्यात्मक तथा रसात्मक होती है। ऐसे निबंध शोध-पत्र के रूप में अधिक लिखे जाते हैं।
                        5. तथ्यात्मक निबंधइनमें लेखक एक विषय के बारे में तथ्यों की जानकारी देता है। इसमें सामान्यतया विषय के बारे में अधिक जानकारी होती है पर ये विवरणी या वर्णन से भिन्न माना जाता है।
                        6. विवादास्पद निबंध - इस प्रकार के निबंध में लेखक दो विपक्षी दृष्टि कोणों के बीच तर्क करता है और अपनी राय देता है। इस प्रकार के निबंध में लेखक को अपनी राय के समर्थन में तर्क देना होता है। इनके विषय अकसर विभिन्न व्यक्तियों के बीच मतभेद (विवाद) पैदा करा सकते हैं। इसलिए, इन्हें विवादास्पद निबंध कहते हैं। ये अकसर उलझनकारी होते हैं जिससे जो दो या दो से अधिक व्यक्ति अपने विचारों के बीच कोई समझौता नहीं कर पाते हैं, बल्कि और उलझते जाते हैं। कुछ उदाहरण: - 
                          • राष्ट्रपति शासन ही भारत के लिए सुशासन है। 
                          • ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी समस्याओं पर चिंताएं बेकार हैं। 
                          • आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरी है कि आम जनता सहभाग करें?
                          • समलैंगिकता आधुनिक समाज का नियमित हिस्सा है। 

                        इन उदाहरणों के साथ धर्म, राजनीति, सामाजिक न्याय, विज्ञान आदि पर भी तमाम विवादास्पद निबंध हो सकते हैं।

                        निबंध का प्रारूप -

                        निबंध विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारे विचारों और अभिव्यक्ति का माध्यम है जो हमारे व्यक्तित्व को दर्शाता है। एक अच्छे निबंध लेखन के लिए, एक अच्छी योजना, संरचना, भाषा, और अर्थ का प्रयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। निबंध लेखन के आदर्श प्रारूप के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं :-
                        1. प्रस्तावना (Introduction): निबंध लेखन के लिए, आपको सबसे पहले एक उत्प्रेरक प्रस्तावना से शुरुआत करनी चाहिए। एक अच्छी शुरुआत वास्तविकता, समस्या या विषय के बारे में जागरूकता उत्पन्न कराती है। एक अच्छे प्रारंभ के लिए, आपको अपने विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी और पाठकों को आकर्षित करने वाली कुछ पंक्तियाँ अवश्य लिखनी चाहिए।
                        2. विषय-विस्तार (Body): निबंध का मध्य भाग विषय के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है। यहां आप अपने दृष्टिकोण को विस्तार से व्यक्त करने का अवसर पर निबंध का मध्य भाग विषय के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस भाग में, लेखक अपने विषय को विस्तार से विवरण देता है और अपने दृष्टिकोण को विस्तार से व्यक्त करता है। यहां, लेखक अपने विषय को परिपूर्ण तरीके से समझाता है और इसकी पूरी जानकारी देता है।
                        3. निष्कर्ष (Conclusion): निबंध का निष्कर्ष अपने दृष्टिकोण का सार होता है। इसमें, लेखक अपने विषय के बारे में एक अंतिम धारणा देता है। लेखक अपने निबंध के मुख्य बिंदुओं को फिर से समझाता है और अपने दृष्टिकोण को पुनर्प्रस्तुत करता है।
                        • संदर्भ पृष्ठ (References): संदर्भ पृष्ठ एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जो लेखक द्वारा उपयोग किए गए स्रोतों की सूची होती है। इस सूची में, लेखक अपने उपयोग किए गए पुस्तकों, जरनल्स अन्य लेखों, वेबलिंक्स आदि को लिख सकता हैं। (यदि उपयोग किया गया हो तो ही, अन्यथा नहीं लिखेँ।)

                        अभ्यास -























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