निबंध गठित लेख होता है। इसमें लेखक अपने विचार, अनुभव, दृष्टिकोण, अभिप्राय और विश्लेषण के माध्यम से अमुक विषय को समझाता है। आमतौर पर निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है जिसका लेखक खुद चयन करता है या उसे दिया जाता है।
निबंध अपने विषय को समझाने और उसके बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए उपयोगी होते हैं। निबंध विभिन्न विषयों जैसे समाज, विज्ञान, तकनीक या राजनीति, आदि पर लिखा जा सकते हैं। निबंध लेखन के दौरान, लेखक को अपने विषय पर अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए खोज करता है और अपने विचारों को सुसंगत ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। फिर वह अपनी जानकारी को अपने विचारों के माध्यम से संगठित करता है।
निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल होता है, जिससे लोग अपनी अभिव्यक्ति और विचारों को लेखन के माध्यम से साझा कर सकते हैं। इसकी उपयोगिता प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा व परीक्षाओं के साथ ही नौकरी अथवा आम संचार में भी है।
निबंध के प्रकार -
- वर्णनात्मक निबंध - इस निबंध में किसी घटना, वस्तु अथवा स्थान आदि का वर्णन होता है। वर्णन के लिए लेखन शैली रोचक और भाषा सरल तथा ओजस्वी होनी चाहिए। आपके निबंध पढ़कर उस वस्तु घटना या स्थान का पूरा दृश्य पाठक की आँखों के सामने आ जाना चाहिए। जैसे किसी त्यौहार - होली, दीपावली, ईद या क्रिसमस, कोई स्थान, दृश्य, यात्रा, घटना/दुर्घटना, गणतंत्र दिवस की परेड, गंगा नदी अथवा खेल समारोह आदि पर विषयों पर लिखे गए निबंध वर्णनात्मक निबंध के अंतर्गत आते हैं।
- विचारात्मक निबंध - इसमें विचार तत्व की प्रधानता होते हैं। जिसमें चिंतन और मनन करना पड़ता है, जिसके कारण इन्हें विचारात्मक निबंध कहते हैं। इस प्रकार के निबंध लिखना थोड़ा कठिन होता है। जैसे - वसुधैव-कुटुम्बकं, अहिंसा परमोधर्म:, अस्पृश्यता, बाल-विवाह, राष्ट्रीय एकता, विश्व बंधुत्व, परमात्मा, आत्मा, स्वर्ग-नर्क आदि विषय आते हैं।
- भावात्मक निबंध - ये भावना प्रधान विषयों पर आधारित होते हैं जैसे - चांदनी रात में नौका विहार, बरसात का एक दिन, पाठशाला का पहला दिन, मेरे सपनों का जीवन आदि। इनमें भावना के साथ कल्पना की भी काफी गुंजाइश होती हैं। अतः 'कल्पनात्मक निबंध' भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसके उदाहरण - मेरी अभिलाषा, 'टूटी कलम की आत्मकथा, ‘यदि मैं प्रधानमंत्री होता’ घायल सैनिक की आत्मकथा’ आदि।
- साहित्यिक (आलोनात्मक) निबंध - किसी साहित्यिक विधा, साहित्यिक प्रवृत्ति अथवा साहित्यकार पर लिखा गया निबंध साहित्यिक/आलोचनात्मक निबंध कहलाता है, जैसे कबीर, सूर, तुलसीदास, मुंशी प्रेमचंद, आधुनिक हिन्दी कविता, छायावाद हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग आदि। 'ललित निबंध' भी इसी के अंतर्गत रखे जा सकते हैं। बस इनकी भाषा काव्यात्मक तथा रसात्मक होती है। ऐसे निबंध शोध-पत्र के रूप में अधिक लिखे जाते हैं।
- तथ्यात्मक निबंध - इनमें लेखक एक विषय के बारे में तथ्यों की जानकारी देता है। इसमें सामान्यतया विषय के बारे में अधिक जानकारी होती है पर ये विवरणी या वर्णन से भिन्न माना जाता है।
- विवादास्पद निबंध - इस प्रकार के निबंध में लेखक दो विपक्षी दृष्टि कोणों के बीच तर्क करता है और अपनी राय देता है। इस प्रकार के निबंध में लेखक को अपनी राय के समर्थन में तर्क देना होता है। इनके विषय अकसर विभिन्न व्यक्तियों के बीच मतभेद (विवाद) पैदा करा सकते हैं। इसलिए, इन्हें विवादास्पद निबंध कहते हैं। ये अकसर उलझनकारी होते हैं जिससे जो दो या दो से अधिक व्यक्ति अपने विचारों के बीच कोई समझौता नहीं कर पाते हैं, बल्कि और उलझते जाते हैं। कुछ उदाहरण: -
- राष्ट्रपति शासन ही भारत के लिए सुशासन है।
- ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी समस्याओं पर चिंताएं बेकार हैं।
- आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरी है कि आम जनता सहभाग करें?
- समलैंगिकता आधुनिक समाज का नियमित हिस्सा है।
- प्रस्तावना (Introduction): निबंध लेखन के लिए, आपको सबसे पहले एक उत्प्रेरक प्रस्तावना से शुरुआत करनी चाहिए। एक अच्छी शुरुआत वास्तविकता, समस्या या विषय के बारे में जागरूकता उत्पन्न कराती है। एक अच्छे प्रारंभ के लिए, आपको अपने विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी और पाठकों को आकर्षित करने वाली कुछ पंक्तियाँ अवश्य लिखनी चाहिए।
- विषय-विस्तार (Body): निबंध का मध्य भाग विषय के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है। यहां आप अपने दृष्टिकोण को विस्तार से व्यक्त करने का अवसर पर निबंध का मध्य भाग विषय के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस भाग में, लेखक अपने विषय को विस्तार से विवरण देता है और अपने दृष्टिकोण को विस्तार से व्यक्त करता है। यहां, लेखक अपने विषय को परिपूर्ण तरीके से समझाता है और इसकी पूरी जानकारी देता है।
- निष्कर्ष (Conclusion): निबंध का निष्कर्ष अपने दृष्टिकोण का सार होता है। इसमें, लेखक अपने विषय के बारे में एक अंतिम धारणा देता है। लेखक अपने निबंध के मुख्य बिंदुओं को फिर से समझाता है और अपने दृष्टिकोण को पुनर्प्रस्तुत करता है।
- संदर्भ पृष्ठ (References): संदर्भ पृष्ठ एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जो लेखक द्वारा उपयोग किए गए स्रोतों की सूची होती है। इस सूची में, लेखक अपने उपयोग किए गए पुस्तकों, जरनल्स अन्य लेखों, वेबलिंक्स आदि को लिख सकता हैं। (यदि उपयोग किया गया हो तो ही, अन्यथा नहीं लिखेँ।)
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