शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

भालो पहाड़ के जनक: "वृक्षनाथ"

कमल चक्रवर्ती
कमल चक्रवर्ती, 78 वर्षीय, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में पर्यावरण और समाज सेवा का एक अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं। उनकी 26 वर्षों की अथक मेहनत का परिणाम 'भालो पहाड़' नामक एक घना जंगल है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है। कमल चक्रवर्ती ने इस जंगल को 50 एकड़ भूमि पर तैयार किया है, जिसमें उन्होंने 30 लाख पेड़ लगाए हैं। यह न केवल एक जंगल है, बल्कि एक समर्पित प्रयास है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वायु, जैव विविधता और एक हरित भविष्य की गारंटी देता है।

कमल चक्रवर्ती का यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जिस समय वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्याएं बढ़ रही हैं, उस समय उन्होंने एक विशाल जंगल तैयार किया है, जो प्रकृति के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाता है। 26 साल की इस लंबी अवधि में उन्होंने न केवल पर्यावरण को बचाने की दिशा में योगदान दिया, बल्कि यह साबित किया कि एक व्यक्ति के प्रयासों से भी बड़े बदलाव संभव हैं। उनके इस प्रयास ने स्थानीय जलवायु को भी बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भालो पहाड़ अब क्षेत्र के वन्यजीवों के लिए भी एक सुरक्षित आवास बन गया है, जहां पक्षियों और अन्य जीवों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

कमल चक्रवर्ती केवल एक पर्यावरणविद नहीं हैं; वह एक प्रसिद्ध बंगाली लेखक और इंजीनियर भी हैं। उनकी लेखन शैली में समाज की समस्याओं और उनके समाधान की गहरी समझ झलकती है। साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पर्यावरण संरक्षण में। उनका लेखन समाज की जटिलताओं और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रहता है, और यह लोगों को जागरूक करने में सहायक सिद्ध हुआ है। उनका साहित्यिक कार्य समाज को नई दिशा प्रदान करता है और जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

समाज सेवा के क्षेत्र में भी कमल दादा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने केवल पर्यावरण संरक्षण तक ही अपने प्रयास सीमित नहीं रखे, बल्कि उन्होंने स्थानीय आदिवासी समुदायों की भलाई के लिए भी काम किया है। पुरुलिया जिले में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना उनकी प्राथमिकताओं में से एक रहा है। उन्होंने इन समुदायों के बच्चों के लिए विद्यालय स्थापित किए और उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं का भी प्रबंधन किया, जिससे इन समुदायों के लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सके। उनके ये प्रयास समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के लिए एक नई आशा की किरण बने हैं।

कमल चक्रवर्ती के जीवन का यह सफर केवल पर्यावरण या समाज सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा है कि किस तरह से एक व्यक्ति के विचार और कर्म समाज में बड़े बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने न केवल अपनी व्यक्तिगत सफलता पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि समाज और पर्यावरण की भलाई के लिए काम किया। उनके प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब व्यक्ति में समर्पण और संकल्प होता है, तो वह किसी भी चुनौती को पार कर सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। 

इस प्रकार, कमल चक्रवर्ती का जीवन और उनकी उपलब्धियां हमें प्रेरित करती हैं कि हम भी अपने आसपास के समाज और पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाएं।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

बुलेटप्रूफ कॉफी : परंपरा और आधुनिकता का अभूतपूर्व संगम

साभार - ओन्ली माइ हेल्थ

आजकल लोगों में नए-नए खाद्य एवं पेय पदार्थों को आजमाने का चलन है। इसी क्रम में आप हिमालय की तराई व तिब्बत समेत दुनियाभर में पी जाने वाली स्वादिष्ट, मलाईदार और आम कॉफी से कुछ हटके है - बुलेटप्रूफ कॉफी। जैसे गेहूं के जवारों का रस (व्हीटग्रास शॉट) या किसी अन्य रसीले फल का रस अथवा कोई भी जायकेदार पेय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है जो इसके पीने वालों को इसे 'सुबह की रस्म' बनाता है। यह आपकी पसंदीदा कॉफी भी नहीं है जो आपको अपने स्थानीय कैफे में मिलती हो; बल्कि यह मक्खन, कॉफी और नारियल के तेल के स्वादिष्ट मिश्रण से बनी होती है, और इसका सेवन आपके सुबह के अल्पाहार को थोड़ा और "स्वादिष्ट" बनाता है। इसके अतिरिक्त, यह हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। यह किसी भी कैफीन युक्त पेय से कहीं अधिक अच्छा है जिसके बारे में आपने कभी सुना होगा, जो इसे विचार करने योग्य बनाता है। 

मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

कला और संस्कृति

    
        कला और मानव जीवन का एक अटूट संबंध रहा है, कला का हमारे जीवन के हर पहलू पर गहराई तक प्रभाव पड़ता है। मानव को जब भी अवकाश मिला उसने अपनी भावनाओं को विभिन्न कलाओं के माध्यम से अभिव्यक्ति दी। यही कारण है कि कलाओं को हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्वीकार किया जाता है। इनके अध्ययन से पता चलता है कि 'कलाएँ मानव की पहचान ही नहीं बल्कि वे हमारे विचारों, भावनाओं, और अनुभवों को साझा करने की क्षमता रखती हैं।' कला का उद्गम मानव उत्पत्ति और विकास के साथ जुड़ा है। ये हमें हमारे पूर्वजों की सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक और धार्मिक समृद्धि और साहस का संदेश सुनाती है। आधुनिक काल में, कलाएँ न केवल विचारशीलता को प्रोत्साहित करती है, बल्कि वह सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय को भी प्रेरित करती है। 

यह लेख 'कला और मानव जीवन' के बारे में है, जिसका उद्देश्य है इस महत्वपूर्ण और गहराई से जुड़े संबंध को समझाना। इस लेख में, हम देखेंगे कि कला कैसे मानव जीवन की समृद्धि, समाजिक संबंध, और सामूहिक अभिवृद्धि की दिशा में नेतृत्व करती है। हम इसे उदाहरणों के साथ समझेंगे और इसके उपयोग से कैसे हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, इसका भी विश्लेषण किया जाएगा। इससे हमें कला के महत्व को समझने में मदद मिलेगी और इसके असीम गुणों का महत्व को समाझा जा सकेगा जो हमारे जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाते हैं।

"कला" एक व्यापक शब्द है, जिसका अर्थ है - 'सृजनात्मक अभिव्यक्ति'। इसमें मानव के सोचने, अनुभव करने, और संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने के विभिन्न माध्यम हो सकते हैं। कला का उद्देश्य आमतौर पर जीवन के अनुभवों, विचारों, और भावनाओं को साझा करना होता है।

कला के उद्गम का संबंध मानव की प्राचीन सभ्यता से है, आदिम सभ्यताओं की संस्कृति और समाज में चित्रकला, मूर्तिकला, गायन, नृत्य, और अन्य कलाओं का महत्वपूर्ण योगदान था। इन कलाओं की विकास यात्रा का प्रारंभ  आदि मानव समुदायों की सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक आवश्यकताओं से हुआ। इन कलाओं के माध्यम से लोग अपनी भावनाओं को, धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं को, और सामाजिक संदेशों को साझा करते थे।  अपनी विकास यात्रा में कलाएं कई रूपों में प्रकट हुई। आधुनिक कला भी विभिन्न रूपों में प्रस्तुत होती है, जैसे कि चित्रकला, मूर्तिकला, छायाचित्र, चलचित्र, संगीत, नृत्य और नाटक आदि। आज कला न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक संदेश का वाहक भी है। इसका विकास धीरे-धीरे लगातार हुआ है और इसमें विभिन्न क्षेत्रों का प्रभाव है। इस विकास यात्रा को हम तीन मुख्य भागों में बाँट सकते हैं।  

सिंधु सभ्यता कालीन मूर्तिकला 
  • प्राचीन काल: यह उद्गम काल था। प्राचीन मानव समुदायों में, कला धार्मिक और सामाजिक आयोजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। मानव की आदिम जीवन शैली में उसकी संस्कृति और धर्म के साथ-साथ कलाओं का उद्गम हुआ था। प्राचीन काल के कलाकार अपनी पहचान जताने के लिए विभिन्न रूपों में विभिन्न आकृतियों, ध्वनियों, नृत्य, संगीत, भित्तिचित्र अथवा मूर्तियों आदि का उपयोग करते थे। इस प्रकार विभिन्न समुदायों और समाज में अपनी-अपनी कलाओं का विकास किया। 
ताजमहल - मध्ययुगीन कला का नमूना 
  • मध्य काल: कलाओं के विकास की दृष्टि से मध्ययुग काल को संचरण काल कहा जा सकता है।  इसमें भारतीय और पश्चिमी कलाओं का मिश्रित विकास हुआ। राजाश्रय में कला और कलाकारों को विकास के अच्छे अवसर मिले। यह काल दृश्य और दृक्-श्रव्य कलाओं के विकास का स्वर्णिमकाल रहा। इस काल में चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्य कला, पाक-कला, साहित्य, संगीत, नृत्य और रंगमंच के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ। 
फिल्मांकन - आधुनिक कला का नमूना 
  • आधुनिक काल: आधुनिक काल में भी कला के क्षेत्र में निरंतर विकास होता रहा है। उन्नत तकनीक, प्रचार-प्रसार के नए माध्यमों का प्रयोग और नित नवीन सामाजिक परिवर्तनों ने कला विकास के क्ष्रेत्र को नई दिशा प्रदान की। आधुनिक कला अब बहु-आयामी हो गई है, जिसमें पुरातन कलाओं के साथ छायांकन और फिल्मांकन (चलचित्र) जैसी नवीन तकनीकी कलाएं भी शामिल हुई हैं। कला का विकास न केवल समाज की धार्मिक और सामाजिक आवश्यकताओं को प्रतिबिम्बित करता है, बल्कि यह मानवता के उत्थान-पतन, धारणा और अवधारणाओं के साथ संबंधित है।

कला के प्रकार 

दृश्य कला और श्रव्य कला दोनों ही कलाओं के विभाग होते हैं, लेकिन उनमें अंतर होता है। यहां इस अंतर को समझाया गया है:-

  1. दृश्य कला (Visual Arts): दृश्य कला उन कलाओं को कहते हैं जो देखने में सुख देती हैं। इसमें  चित्रकारी, रेखांकन, मूर्ति बनाना, छायाचित्र खींचना, फिल्म-बनाना आदि शामिल होते हैं। इसमें कलाकार रंग, रूप, आकार, और संरचना के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। इनमें सांस्कृतिक, सामाजिक, या नैतिक संदेश भी छुपे होते हैं जो दर्शकों को समझाने का काम करते हैं।
  2. श्रव्य (प्रदर्शन) कला (Performing Arts): श्रव्य कला वह कलाएं हैं जो सुनने और देखने में आनंद देती हैं, जैसे - संगीत कला, नृत्यकला, नाट्य-कला, काव्य-कला आदि। इसमें कलाकार अपने शरीर, आवाज, और अभिनय के माध्यम से कहानी को सामने लाते हैं और दर्शकों को एक अनुभव प्रदान करते हैं। इसमें समय, स्थान, और दृश्य का प्रयोग किया जाता है जो जीवंत या रिकॉर्डेड रूप में हो सकता है।

सार्वजनिक रूप से, दृश्य कला और श्रव्य कला दोनों का महत्व बहुत है। ये कलाएँ मानव समाज में संवेदनशीलता, समाजिक समर्थन, और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देती हैं। दृश्य कला रंग, रूप, और स्वरूप की भावना को अभिव्यक्त करती है। यह चित्रकला, नक्शा, आदि के माध्यम से किया जा सकता है। बच्चों को वाणिज्यिक कला के माध्यम से उनकी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता मिलती है, जिससे उनका सोचने का तरीका विकसित होता है।

  • संगीत कला (Musical Arts):

संगीत कला के अंतर्गत किसी गीत या कविता आदि को गाना ही गायन कहलाया जाता है। इसके लिए किसी गायक गायिका की आवश्यकता पड़ती है, जो गीत के शब्दों को अपने मुख के माध्यम से उच्चारित कर गायन करता है। गायन भाषा की सीमा से बंधा होता है। गायन में किसी गीत कविता को गाया जाता है, जो कि किसी भी भाषा में हो सकती है। जबकि वादन वाद्य यंत्रों की सहायता से प्रस्तुत किया जाता है। वादन के लिए व्यक्ति को संबंधित वाद्य यंत्र बजाने में निपुण होना चाहिए। एक साथ कई वाद्ययंत्रों को बजाना ही वादन कहलाता है। वादन भाषा की सीमा से नहीं बना होता। वाद्य यंत्रों द्वारा उत्पन्न ध्वनि-ताल को किसी भी भाषा का व्यक्ति समझ सकता है।

  • रंगमंच कला (Performing Arts):

रंगमंच कला एक जानकारी की अभिव्यक्ति है जो नृत्य, नाटक, और नाट्य के माध्यम से होती है। इसके माध्यम से, बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, साथ ही उनका आत्मविश्वास और संवेदनशीलता भी बढ़ता है।

  • साहित्यिक कला (Literary Arts):

साहित्यिक कला में शब्दों का उपयोग किया जाता है जैसे कि कविता, कहानी, निबंध, आदि। इसके माध्यम से, बच्चे विचारों को अभिव्यक्त करते हैं और भाषा कौशल को सुधारते हैं।

  • रचनात्मक कला (Creative Arts):

रचनात्मक कला विभिन्न कलाओं को मिलाकर एक नया काम बनाने में मदद करती है। इसमें अभिव्यक्ति की अनंत रूप और रचनात्मकता का महत्व है। यह विभिन्न प्रकार की कलात्मक गतिविधियों का वर्णन करता है जो बच्चों को विभिन्न माध्यमों में अपनी कल्पना, रचनात्मकता और विचारों को व्यक्त करने की अनुमति देता है।

अन्य अध्ययन सामग्री : - 

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