बुधवार, 13 नवंबर 2024

विजय स्तंभ: चित्तौड़गढ़ की शान

पिछले सप्ताह मैंने राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक, चित्तौड़गढ़ का विजय स्तंभ देखने का निश्चय किया। इस यात्रा की योजना बनाते समय मेरे मन में एक अनोखा उत्साह था, मानो मैं भारतीय इतिहास की जड़ों से जुड़ने जा रहा हूँ। मैंने हमेशा से चित्तौड़गढ़ की कई रोचक कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन इस बार मैं खुद इस ऐतिहासिक स्थल पर जाकर उसकी भव्यता का अनुभव करना चाहता था।
जैसे ही मैंने चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश किया, मेरे मन में एक विशेष प्रकार की गर्व की भावना जाग उठी। यह किला भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है, और इसके विशाल द्वार से प्रवेश करते ही इतिहास जीवंत हो उठा। यहाँ के हर पत्थर, हर दीवार में शौर्य और बलिदान की कहानियाँ छिपी हुई हैं। लेकिन मेरा मन विजय स्तंभ को देखने के लिए व्यग्र था, जिसे महाराणा कुम्भा ने 1440 ईस्वी में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में बनवाया था।
जब मैंने पहली बार विजय स्तंभ को देखा, तो मैं उसकी ऊँचाई और स्थापत्य सौंदर्य से स्तब्ध रह गया। यह 37 मीटर ऊँचा स्तंभ दूर से ही अपनी भव्यता और उत्कृष्टता से मन मोह लेता है। 9 मंजिला इस स्तंभ की जटिल नक्काशियां और सुंदर मूर्तियां भारतीय शिल्पकारों की अद्वितीय कला का प्रतीक हैं। जैसे-जैसे मैं इसके पास पहुंचा, मेरे भीतर एक अजीब सी अनुभूति हो रही थी, मानो मैं इतिहास के किसी स्वर्णिम अध्याय का हिस्सा बन गया हूँ।
विजय स्तंभ के अंदर प्रवेश करते ही मैंने उसके भीतर की सीढ़ियों की ओर देखा। मैं जैसे-जैसे ऊपर की ओर चढ़ता गया, हर मंजिल पर देवी-देवताओं की मूर्तियों और पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे हुए थे। इन नक्काशियों को देखते ही मन में यह सवाल उठने लगा कि कैसे हमारे पूर्वजों ने बिना किसी आधुनिक तकनीक के इतनी बारीकी और सटीकता से इस कृति का निर्माण किया होगा। हर मंजिल पर ठहरकर मैंने इन कलाकृतियों को निहारने का प्रयास किया, और हर बार उनमें कुछ नया, कुछ अनोखा दिखा।
जब मैं विजय स्तंभ की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुँचा, तो वहाँ से पूरे चित्तौड़गढ़ किले का विहंगम दृश्य देखने को मिला। हवा में हल्की ठंडक थी, और दूर-दूर तक फैला किला मेरे सामने था। उस पल, मुझे महसूस हुआ कि मैं सिर्फ एक पर्यटक नहीं हूँ, बल्कि इस किले के इतिहास का साक्षी भी हूँ। यह दृश्य मेरे मन में गहराई से बस गया, और मैं गर्व महसूस कर रहा था कि हमारे पूर्वजों ने अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए किस तरह से संघर्ष किया था।
यह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक पर्यटक स्थल की खोज नहीं थी, बल्कि यह मेरे इतिहास से जुड़ने का एक मौका था। मैंने विजय स्तंभ की भव्यता में भारतीय कला, संस्कृति और वीरता का अनूठा मिश्रण देखा। वहाँ खड़े होकर मुझे महसूस हुआ कि यह स्तंभ केवल पत्थरों से बनी संरचना नहीं है, बल्कि यह हमारे गौरवशाली अतीत का एक जीवंत प्रमाण है।
विजय स्तंभ से उतरते समय मेरे मन में संतोष था, और मैं सोच रहा था कि इस तरह की धरोहरें हमें न केवल अपने अतीत को समझने का अवसर देती हैं, बल्कि हमें भविष्य के लिए प्रेरित भी करती हैं।

सोमवार, 11 नवंबर 2024

साक्षात्कार: विजयश्री गुप्ता से प्रेरक मुलाकात

विजयश्री गुप्ता 
परिचय - मैं दीपाली, जो कि एक IBDP अध्ययनरत युवा छात्रा हूँ। मैंने 76 वर्षीया गोल्ला विजयश्री गुप्ता के बारे में काफी सुन रखा था। उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक रही हूँ। हाल ही में जब मैं एक खेल स्पर्धा में भाग लेने हैदराबाद गई तो सौभग्य से मेरी मुलाक़ात श्रीमती विजयश्री गुप्ता से हुई वह वहाँ मुख्य अतिथि बतौर आयी थीं। एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, उन्होंने 76 साल की उम्र में भी अपने जुनून को बरकरार रखते हुए फिटनेस और स्विमिंग के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 40 की उम्र में तैराकी सीखने से लेकर, 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतने तक की उनकी यात्रा अत्यंत प्रेरक है। उनसे बातचीत का वर्णन साक्षात्कार स्वरूप निम्नलिखित है।

साक्षात्कार

दीपाली: नमस्ते विजयश्री जी, मुझे बहुत खुशी है कि आज मैं आपके साथ बात कर रही हूँ। आपने अपनी उम्र के बावजूद इतनी ऊर्जा और फिटनेस को बनाए रखा है। क्या आप मुझे बता सकती हैं कि आपकी इस यात्रा की शुरुआत कैसे हुई?

विजयश्री का सतत अभ्यास  
विजयश्री गुप्ता: नमस्ते दीपाली! मेरी यह यात्रा काफी रोचक रही है। मैंने 40 की उम्र में स्विमिंग सीखना शुरू किया। उस समय मैं अपनी सबसे छोटी बेटी के साथ समय बिताने के लिए तैरना सीख रही थी। हालांकि, यह शौक धीरे-धीरे मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

दीपाली: 40 की उम्र में स्विमिंग सीखने का फैसला कैसे लिया? आमतौर पर लोग इस उम्र में कुछ नया सीखने के बारे में नहीं सोचते।

विजयश्री गुप्ता: सही कहा आपने, अक्सर जिम्मेदारियों के चलते महिलाएँ स्वयं को भूल जाती हैं। मद्रास यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद मेरी शादी  हो गई थी, और तीन बच्चों की देखभाल में व्यस्त हो गई। 1999 में, मैंने सोचा कि अब मुझे अपने लिए भी कुछ करना चाहिए। तभी मैंने स्विमिंग सीखना शुरू किया, शुरुआत में यह टाइम पास जैसा लगा, लेकिन धीरे-धीरे यह मेरा पैशन बन गया।

दीपाली: यह प्रेरणादायक है! फिर आपने स्विमिंग को प्रोफ़ेशनल स्तर पर ले जाने का फैसला कब किया?

विजयश्री गुप्ता: जब मेरा शौक बढ़ता गया तो मेरे परिवार ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मैंने 45-50 आयु वर्ग में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। 2007 में न्यू जर्सी सीनियर ओलंपिक चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीतने के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया, और मैंने अपनी फिटनेस और तकनीक पर और अधिक मेहनत की।

दीपाली: वाह, इतने सारे पदक जीतना एक बड़ी उपलब्धि है। आपको अब तक के अपने अनुभवों में सबसे यादगार पल कौन सा लगता है?

विजयश्री गुप्ता: हर पदक की अपनी कहानी है, पर न्यू जर्सी में तीन स्वर्ण पदक जीतना मेरे लिए खास था। वहां मुझे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मिली। इसके बाद तो मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब तक 100 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीत चुकी हूं।

दीपाली: यह जानकर बहुत अच्छा लगा। आप न केवल एक तैराक हैं बल्कि एक उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। क्या आप अपने अन्य कार्यों के बारे में भी कुछ बताएंगी?

विजयश्री गुप्ता: हाँ , मैं रेडियो पर भी कई कार्यक्रमों की मेजबानी कर चुकी हूँ। विजयवाड़ा में ऑल इंडिया रेडियो पर ‘युवा वाणी’ और ‘वनिता वाणी’ जैसे कार्यक्रमों का संचालन किया, जो मेरे लिए बेहद संतोषजनक अनुभव रहा। इसके अलावा, सामाजिक कार्यों में मेरी गहरी रुचि है। 

दीपाली: आपकी बातों से लगता है कि आपके लिए उम्र सिर्फ एक संख्या है। इस उम्र में भी आप इतनी सक्रिय कैसे रहती हैं?

विजयश्री गुप्ता: मैं 76 साल की हूँ और अभी भी हर दिन कम से कम एक किलोमीटर तैरती हूँ। यह सब मेरे नियमित अभ्यास और सकारात्मक सोच का परिणाम है। मेरा मानना ​​है कि हमें उम्र की परवाह किए बिना अपने मुश्किल लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयास करना चाहिए। मैं अभी भी उसी उत्साह के साथ प्रतियोगिताओं में जाती हूँ और लगातार अभ्यास की वजह से स्वस्थ और युवा दिखती हूँ। मेरा मानना है कि, महिलाएँ यदि ठान लें तो कुछ भी कर सकती हैं। उम्र कभी बाधा नहीं बनती, बल्कि इसे सिर्फ मानसिकता में बदलाव की जरूरत है।

दीपाली: अंत में, युवा महिलाओं के लिए आपका क्या संदेश है?

विजयश्री गुप्ता:  मैं सभी महिलाओं को यही संदेश देना चाहूंगी कि वे अपनी उम्र और जिम्मेदारियों को अपने सपनों के आड़े न आने दें। खुद पर भरोसा रखें, खुद को समय दें, और अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी लगन से प्रयास करें। आप किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकती हैं। साथ ही मैं उनके अभिभावकों को भी कहना चाहूंगी कि 'वे अपनी बेटियों को पारंपरिक भूमिकाओं तक सीमित न रखें, बल्कि उनकी रुचियों का समर्थन करें।' 

दीपाली: विजयश्री जी, आपके विचार और आपकी यात्रा सच में प्रेरणादायक है।

उदाहरण 2 
हाल ही में आपके विद्यालय में प्रसिद्ध उद्योगपति 'पीटर जैक्सन' अतिथि स्वरूप आए थे। वहां आपकी मुलाकात उनसे हुई। आपसे हुई उनकी बातचीत को साक्षात्कार के रूप में (IBDP हेतु) 450 शब्दों में लिखिए। 
आदर्श उत्तर 
प्रश्न 1: सर, कृपया हमें अपने बारे में बताएं।  
उत्तर: मैं पीटर जैक्सन हूं, "इनोवेटिव टेक सॉल्यूशंस" का संस्थापक और सीईओ। मैंने एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लिया। बचपन से ही मैं तकनीकी नवाचारों और समस्याओं को हल करने के तरीकों में रुचि रखता था। मेरा मानना है कि हर समस्या अपने साथ एक नया समाधान लेकर आती है।  
प्रश्न 2: आपने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?  
उत्तर: शुरुआत में मैंने अपने गैरेज में एक छोटा प्रोजेक्ट शुरू किया। मुझे तकनीकी उपकरणों की कमी और वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन मैंने हर दिन अपने काम में कुछ नया जोड़ने की कोशिश की। मेरी पहली बड़ी सफलता तब मिली जब मैंने एक सॉफ़्टवेयर डेवेलप किया जिसने छोटे व्यवसायों के लिए बड़े बदलाव किए।  

प्रश्न 3: अपने व्यवसाय को सफल बनाने के लिए आपने कौन-से कदम उठाए?
उत्तर: मैंने सबसे पहले अपने ग्राहकों की जरूरतों को समझा और उनके अनुसार समाधान तैयार किए। इसके अलावा, मैंने एक मजबूत टीम का निर्माण किया, जहां हर व्यक्ति की प्रतिभा का उपयोग हो। हमने तकनीकी अनुसंधान और उत्पाद की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया। ग्राहकों की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर लगातार सुधार करना हमारी सफलता का बड़ा कारण बना।  

प्रश्न 4: शुरुआती संघर्षों का सामना करते समय आपकी सबसे बड़ी प्रेरणा क्या थी? 
उत्तर: मेरी प्रेरणा मेरे माता-पिता थे। उन्होंने मुझे सिखाया कि कठिनाइयों से भागना समाधान नहीं है। उनका यह कहना कि "असफलता केवल एक सीढ़ी है, सफलता तक पहुंचने की," मेरे जीवन का मूल मंत्र बन गया।  
प्रश्न 5: आपके जीवन का सबसे कठिन निर्णय कौन-सा था?
उत्तर: मेरे जीवन का सबसे कठिन निर्णय था जब मुझे अपनी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू करना पड़ा। यह बहुत जोखिम भरा था, लेकिन मैंने अपने सपनों पर भरोसा किया। यदि मैं यह कदम नहीं उठाता, तो शायद आज इस मुकाम पर नहीं होता।  
प्रश्न 6: नव उद्योगपतियों के लिए आपका क्या संदेश है? 
उत्तर: असफलताओं से डरें नहीं। धैर्य और लगन के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। हर असफलता को सीखने का एक मौका मानें और अपने आसपास की समस्याओं को समाधान में बदलने की कोशिश करें।  
प्रश्न 7: आपकी सफलता का मूल मंत्र क्या है?  
उत्तर: मेरा मंत्र है— "मेहनत, ईमानदारी और कभी न रुकने वाला सीखने का जुनून।" इसके साथ-साथ, टीम के साथ सही तालमेल और ग्राहकों का विश्वास भी सफलता के अहम स्तंभ हैं।  
प्रश्न 8: आप भविष्य में क्या लक्ष्य लेकर चल रहे हैं?
उत्तर: मेरा उद्देश्य है तकनीक के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना। मैं चाहता हूं कि हमारी कंपनी ऐसी परियोजनाओं पर काम करे जो पर्यावरण को बेहतर बनाए और दुनिया के हर कोने में तकनीकी सुविधा पहुंचे।  
निष्कर्ष:
इस साक्षात्कार से हमने सीखा कि "असफलताओं और कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कैसे आगे बढ़ा जा सकता है।" पीटर जैक्सन का जीवन प्रेरणा देता है कि यदि मेहनत और ईमानदारी से काम किया जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।

छात्रों के  निर्देश - 

प्रिय छात्रों, यदि आप भी इस प्रकार के प्रभावी साक्षात्कार लेखन करना चाहते हैं तो आपकी सहायता के लिए नीचे कुछ प्रश्न दिए जा रहे हैं, जिनके आधार पर उत्तर लिखकर आप अपनी कल्पनाशीलता और लेखन क्षमता का विकास करा सकते हैं। साक्षात्कार अभ्यास के लिए आप सभी को प्रोत्साहित करने हेतु निम्नलिखित प्रश्न सुझाए जा रहे हैं - 

  1. आपने यह क्षेत्र क्यों चुना, और आपकी प्रेरणा क्या रही?
  2. आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, और उसे हासिल करने के लिए आपने क्या प्रयास किए?
  3. आपने अपने करियर में सबसे बड़ी चुनौती का सामना कब किया, और उसे कैसे पार किया?
  4. अगर आपको पीछे मुड़कर देखने का मौका मिले, तो क्या कोई ऐसा निर्णय है जिसे आप बदलना चाहेंगे?
  5. सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण क्या हैं, जो हर किसी में होने चाहिए?\
  6. आपकी दिनचर्या कैसी होती है, और कैसे आप अपने काम और जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं?
  7. इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं को आप क्या सुझाव देंगे?
  8. आपकी नज़र में, असफलता से कैसे निपटना चाहिए?
  9. आपके अनुसार, समाज में बदलाव लाने के लिए युवा पीढ़ी की क्या भूमिका होनी चाहिए?
  10. आपके जीवन का कोई ऐसा अनुभव साझा करें जिसने आपको गहराई से प्रभावित किया हो।
  11. आपकी सफलता में परिवार और दोस्तों का क्या योगदान रहा?
  12. आपको कौन सी किताब या व्यक्ति सबसे ज्यादा प्रेरित करता है?
  13. आपने समय प्रबंधन कैसे सीखा, और इसके क्या फायदे होते हैं?
  14. भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं, और आप इन्हें कैसे पूरा करेंगे?
  15. आपकी सबसे पसंदीदा आदत क्या है, जो आपको हर दिन प्रेरित करती है?
इन प्रश्नों के माध्यम से आपको किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व, अनुभव और विचारों को समझने का मौका मिलेगा, जिससे आप साक्षात्कार में गहराई से संवाद करना सीख सकेंगे। शुभकामना।

ध्यानार्थ - उपरोक्त साक्षात्कार पूर्णतः काल्पनिक है, जिसका उद्देश्य  विद्यार्थी व शिक्षकों हेतु सहायक सामग्री तक सीमित है। कुछ सूचनाएँ और तथ्य पाठ को रोचक बनाने के लिए ऑनलाइन मंचों से लिए गए हैं  इनका  किसी घटना, व्यक्ति अथवा स्थान से संबंध केवल संयोग मात्र है।

रविवार, 10 नवंबर 2024

हँसने वाला अनोखा पेड़ (Unique laughing Tree)

हँसने वाला अनोखा पेड़  
उत्तराखंड के नैनीताल जिला का 'कालाढूंगी जंगल' अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ एक ऐसा पेड़ पाया जाता है, जो अपनी अनोखी विशेषता के कारण "हँसने वाला पेड़" कहलाता है। इस पेड़ को हल्का-सा स्पर्श करने, सहलाने अथवा गुदगुदी करने पर इसकी शाखाएं हिलने लगती हैं, मानो यह हँस रहा हो। यह विचित्र गुण इसे अन्य पेड़ों से अलग और विशिष्ट बनाता है। इस पेड़ का वानस्पतिक नाम “रेंडिया डूमिटोरम” है, लेकिन स्थानीय लोग इसे 'हँसने वाला पेड़' के नाम से जानते हैं।

हँसने वाले पेड़ को गुदगुदाते पर्यटक (विडियो)
"हँसने वाले पेड़" की यह विशेषता स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इसकी शाखाओं में हल्का स्पर्श करते ही यह किसी संवेदनशील जीव की तरह प्रतिक्रिया देने लगता है। जैसे ही कोई इसकी शाखाओं को गुदगुदाता है, यह हिलने लगता है, मानो कोई इसे छूकर हँसा रहा हो। इस पेड़ की यह विशेषता वैज्ञानिकों और वनस्पति शास्त्रियों के लिए भी रहस्यमयी है। वैज्ञानिक इस पेड़ की संवेदनशीलता का अध्ययन कर रहे हैं ताकि इसकी अनोखी प्रतिक्रिया के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके।

इस पेड़ की शाखाओं में कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं, जो स्पर्श (गुदगुदी) के प्रति संवेदनशील होती हैं। ऐसा माना जा सकता है कि पेड़ के ऊतकों में कुछ रासायनिक तत्व होते हैं जो इसे बाहरी स्पर्श के प्रति संवेदनशील बनाते हैं। साथ ही, यह भी संभावना है कि इसका हिलना पेड़ के अंदर मौजूद जल की मात्रा, तापमान या तनाव में होने वाले बदलावों के कारण हो सकता है। पेड़ के इस अनोखे गुण को लेकर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं, और भविष्य में इसके बारे में और भी जानकारी मिलने की उम्मीद है।

"हँसने वाला पेड़" केवल एक प्राकृतिक अचंभा नहीं है, बल्कि जैव विविधता में भी इसका खास योगदान है। क्षेत्रीय लोग इसे 'माजूफल' या 'मंजूफल' से पुकारते हैं, जो वास्तव में संस्कृत भाषा के 'मञ्जरी' शब्द से आया है। यह एक छोटा या मध्यम आकार का पेड़ है। इसकी पत्तियाँ चमकदार हरी और अंडाकार होती हैं। इसके फल गोल और पीले रंग के होते हैं। इसके बीजों का रंग काला होता है। इसके फल और छाल को कई बीमारियों जैसे कि बुखार, दस्त, और त्वचा रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। इसके फूल और फल कई छोटे जीवों और पक्षियों के लिए भोजन का स्रोत हैं, जिससे इसके आस-पास का पर्यावरण संतुलित और स्वस्थ बना रहता है। यह पेड़ आसपास के वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को सहयोग प्रदान करता है, जो पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में सहायक है।

कालाढूंगी जंगल में यह पेड़ पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक विशेष केंद्र बन गया है। दूर-दूर से लोग इस पेड़ को देखने आते हैं और इसके अनोखे गुण को महसूस करने आते हैं। स्थानीय लोगों ने भी इस पेड़ को अपनी कहानियों और लोककथाओं का हिस्सा बना लिया है। उनके अनुसार, इस पेड़ की हँसी किसी अदृश्य शक्ति का संकेत है। कुछ लोग इसे प्रकृति का चमत्कार मानते हैं, तो कुछ इसे अलौकिक मानते हैं। नैनीताल के कालाढूंगी जंगल का यह हँसने वाला पेड़ वास्तव में प्रकृति की एक अनोखी देन है। इसकी विशेषता लोगों में जिज्ञासा और कौतूहल का विषय बनी हुई है, और यह पेड़ न केवल पर्यावरणीय संतुलन में योगदान देता है, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। इसके प्रति वैज्ञानिकों का शोध और अध्ययन भविष्य में इसके और भी अनोखे पहलुओं को उजागर कर सकता है।
शब्दावली अधिग्रहण - निम्नलिखित शब्दों पर कर्सर ले जाकर उनका अर्थ जानें।

प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, अनोखी विशेषता, स्पर्श, गुदगुदी, शाखाएँ, विशिष्ट, वानस्पतिक, चर्चा का विषय, संवेदनशील, जीव, स्थानीय, निवासियों, पर्यटकों, प्रतिक्रिया, वैज्ञानिकों, वनस्पति शास्त्रियों, रहस्यमयी, अध्ययन, कोशिकाएँ, ऊतकों, रासायनिक तत्व, मौजूद, मात्रा, तापमान, तनाव, अनोखे गुण, शोध, भविष्य, अचंभा, योगदान, वास्तव, मध्यम, चमकदार, अंडाकार, बीजों, छाल, बीमारियों, बुखार, दस्त, त्वचा रोगों, इलाज, इस्तेमाल, जीवों, पक्षियों, भोजन, स्रोत, पर्यावरण संतुलित, सहयोग, प्रदान, सहायक, आकर्षण, विशेष केंद्र, लोककथाओं, अदृश्य शक्ति, संकेत, चमत्कार, अलौकिक, जिज्ञासा, कौतूहल, पर्यटन, पहलुओं, उजागर.

प्रचलित पोस्ट

विशिष्ट पोस्ट

भाषण - "सपनों को सच करने का हौसला" – मैत्री पटेल

प्रिय दोस्तों, मैं मैत्री पटेल, आज आपके समक्ष खड़े होकर गौरवान्वित...

हमारी प्रसिद्धि

Google Analytics Data

Active Users