सोमवार, 27 मार्च 2023

दैनंदिनी (डायरी) लेखन

दैनंदिनी को अंग्रेजी में 'डायरी' कहा जाता है। हिंदी में भी अब यही शब्द रूढ हो गया है।  दैनंदिनी लेखन गत-साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है। विश्व के लगभग सभी महान व्यक्ति 'डायरी लेखन' करते थे। उनकी डायरी के पन्नों में लिखे अनुभवों से उनके निधन के बाद भी कई लोग उनके आदर्श जीवन की प्रेरणा लेते हैं। कुछ लोग तो दैनंदिनी को मित्र मानते हैं। क्योंकि हम अपने सभी राज जैसे मित्र के साथ साझा करते हैं, वैसे ही हम अपनी लगभग सभी घटनाएँ दिल खोलकर डायरी में लिख देते हैं।   

  मित्रों, आपने अपने घर पर माता-पिता द्वारा दैनिक खर्चो को लिखने की पुस्तिका तो जरूर देखी होगी। वह भी डायरी लेखन का ही रूप है। ठीक वैसे ही दुकानदार अथवा व्यापारी भी अपने खर्चे का हिसाब अपने बही-खातों (अकाउंट बुक) में रखते हैं। नेता तथा उद्यमी अपने रोज की सभाओं (मीटिंग्स) तथा आने-जाने की जानकारी अपनी डायरियों में लिखकर रखते हैं ताकि उनसे कोई महत्त्वपूर्ण कार्य छुट न जाय। इस प्रकार जन साधारण भी अपनी व्यक्तिगत राज, बातें, घटनाएँ, दुर्घटनाएँ आदि को अपनी डायरी में लिख कर रखते हैं। कुछ लोग घटनाओं को यादगार बनाएँ रखने के लिए डायरी लेखन करते हैं। महान लोगों की लिखी डायरियाँ उनकी जीवनी (आत्मकथा) लिखने में बहुत सहयोगी होती है।     

दैनंदिनी (डायरी) की परिभाषा गढ़ते हुए हम कह सकते हैं कि - 

'डायरी लेखन' व्यक्ति के द्वारा लिखा गया व्यक्तिगत विचारों, अनुभवों और भावनाओं को लिखित रूप में अंकित करके संग्रह किया गया साहित्य है।"  

यह एक व्यक्तिगत कार्य होता है जो व्यक्ति के मन को शांत करता है और अपने जीवन को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, यह एक रोचक स्रोत भी होता है जो व्यक्ति को उनके अतीत की यादें ताजा करता है और उन्हें अपने भविष्य की योजनाओं के लिए उत्साहित करता है।

दैनंदिनी (डायरी) लेखन के लाभ - 

  • मानसिक शांति - कई उलझनों को केवल डायरी में लिख भर देने से मन को बड़ी शांति मिलती है। 
  • डायरी को बार-बार पढ़ते रहने से स्मरण शक्ति को अधिक कुशाग्र बनाया जा सकता है। 
  • यह सकारात्मक सोचने में मदद करता है तथा तनाव को कम करने में सहायता करता है।
  • जीवन में हुए अच्छे-बुरे पलों को याद रखने में अधिक सक्षम होते हैं।
  • समस्याओं के समाधान तलाशने में भी डायरी काफी कारगर सिद्ध होती है।    
  • संचार कौशल (communication skills) और लेखन कौशल (writing skills) विकसित करने में सहायक है।
  • अपने जीवन को व्यवस्थित रखने में सहायता करता है। 

इसके माध्यम से, व्यक्ति अपनी विचारों और अनुभवों को सुलभता और बेबाकी से व्यक्त कर पाता हैं जो उनकी सोच को अधिक स्पष्ट बनाता है। जीवन को अधिक स्पष्ट और उत्कृष्ट बनाने का उत्तम साधन होता है। 

डायरी लेखन के प्रकार

  1. व्यक्तिगत डायरी - इसमें आप अपने दैनिक जीवन के बारे में लिखते हैं। इसमें आप अपने अनुभवों, भावनाओं, विचारों और दैनिक कार्यों के बारे में लिख सकते हैं।
  2. शिक्षात्मक डायरी - इसमें आप विभिन्न विषयों पर अपनी विचारधारा, अनुभवों, ज्ञान और सीख संबंधित मुद्दों पर लिखते हैं। इससे आप अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने और अपनी स्मृति को बढ़ाने में मदद मिलती है।
  3. वास्तविक डायरी वास्तविक घटनाओं और अनुभवों के बारे में होती है, जो आपके दैनिक जीवन में होते हैं। 
  4. काल्पनिक डायरी इसमें कल्पनाशील घटनाएं और कहानियाँ होती हैं जो कि आपके मन में उत्पन्न होती हैं।
  5. साहित्यिक डायरी - यह एक ऐसी डायरी होती है जिसमें लेखक अपनी रचनाओं, कविताओं, छंदों और अन्य साहित्यिक उत्पादों के बारे में लिखता है। इसमें लेखक अपनी सृजनात्मक प्रक्रिया, लेखन की तकनीक और अन्य साहित्यिक बिंदुओं पर भी विचार करता है। इसमें लेखक अपने लेखन की प्रगति को ट्रैक कर सकता है। 

डायरी लेखन कैसे करें?

    डायरी लिखते समय आपको सबसे पहले अपनी दैनंदिनी (डायरी) का एक नया पाना ले लें। फिर सबसे पहले व स्थान का नाम जहां से आज लिख रहे हो, जैसे - मुंबई, विद्यालय छात्रावास, आदि कोई एक लिखिए। उसके नीचे आज की तारीख, दिन और समय अवश्य लिखें। अगली पंक्ति में प्रिय डायरी का संबोधन लिख सकते हैं, हालाँकि यह लिखना कोई आवश्यक नहीं है। फिर अगली पंक्ति में पूछे गए प्रश्न पर आधारित एक आकर्षक शीर्षक लिख। इससे यह पता चल जाएगा कि आप इसी विषय पर आगे विस्तार में लिखने वाले हैं। 
    विषय विस्तार आप एक नए अनुच्छेद में लिखना हैं। ध्यान रहे कि ये जानकारियाँ आपकी अपनी होने के कारण पूरी घटना की जानकारी आप 'उत्तम पुरुष' में ही लिखें। यथा - मैं, मैंने, मेरा, मेरी, मेरे, मुझको ... आदि।       

    संपूर्ण जानकारी को संक्षेप में प्रारंभ से लेकर अंत तक सभी घटनाओं को उनके काल क्रमानुसार वर्णित कीजिए। जैसे घटना, दुर्घटना, अनुभव, घटनास्थल या घटना से जुड़े व्यक्तियों की सटीक जानकारियाँ एक के बाद एक करके लिखने का प्रयास करें। फिर बता दे कि यह आपकी डायरी का पन्ना है अतः लेखक बतौर आप अपने दुख-दर्द, हँसी-खुशी आदि मनोभावों को विचारों के साथ महत्व देते हुटे लिखेँ। जिससे आपकी सर्वश्रेष्ठ रचनात्मकता और अभिव्यक्ति झलकनी चाहिए। 
      आपका सम्पूर्ण लेख जानकारी से भरा होना चाहिए, आपके लेखन में आपकी बताई जानकारियाँ जीवंत लगनी चाहिए।  ऐसे लिखें कि आप अभी भी उसे वास्तविक घटना का सामना कर रहें हैं। 
        आपकी लेखन शैली मैत्रीपूर्ण और संवादात्मक होनी चाहिए। डायरी में घटना की जानकारी लिख लेने पर आंत में आपका नाम और हस्ताक्षर कर दें। इस प्रकार आपकी डायरी लेखन का यह पाना पूरा हुआ। 

        डायरी  लेखन का प्रारूप - 

        वैसे तो डायरी लेखन का पूर्णतः व्यक्तिगत होता है  जिसे आप आपकी पसंद और आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग तरीकों से इसे लिख सकते हैं। फिर भी, हम डायरी लेखन के इस प्रारूप को 'आदर्श प्रारूप' के रूप में स्वीकार कर सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल कर सकते हैं: - 

        1. स्थान - घटनाओं का स्थान के साथ सीधा संबंध होता है। एक जैसी घटनाएँ कई बार, कई स्थानों पर घटित हो सकती हैं। उनको अलग-अलग व्यवस्थित याद रखने के लिए स्थान का उल्लेख अनिवार्य है। 
        2. दिनांक - घटनाओं का कालक्रम जानने और उन्हें सिलसिलेवार याद रखने के लिए दिन एवं तिथि अपनी डायरी लेखन में यथा-स्थान अवश्य लिखना चाहिए।  जैसे - 27 मार्च 20XX  अथवा  27 - मार्च - 20XX
        3. दिन -  सोमवार, 27 मार्च 20XX                    अथवा                  सोमवार, 10: 30 बजे रात्रि 
        4. समय - समय का महत्व दिन और तिथि से कहीं अधिक होता है। अतः समय लिखना न भूलें। यथा - समय रात्रि के 10:30 बजे अथवा रात्रि 10 बजकर 30 मिनट पर। 
        5. शीर्षक - डायरी में घटना का शीर्षक देखते ही हमें पूरी की पूरी घटना सविस्तार स्मरण हो जाती है। अतः आपकी डायरी लेखन में शीर्षक का लिखा जाना सम्पूर्ण घटना के मुख्य विषय को दर्शाता है। इसे लिखने से डायरी लेखन में थोड़ा सा अंतर लाया जा सकता है। शीर्षक डायरी में  लिखे गए ज्ञान का सार होता है। शीर्षक लिखने से आप अपनी डायरी में लिखे गए विषयों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर सकते हैं। 
        6. संबोधन - यह केवल डायरी लेखन को निजी बनाने के लिए लिखा जाता है। पूरी तरह से वैकल्पिक है।   
        7. विषय विस्तार - यह जानकारी आपके डायरी की जान होती है। इसमें पूरी घटना को भावपूर्ण ढंग से काल क्रमानुसार सविस्तार लिखना होता है। 
        8. नाम व हस्ताक्षर - डायरी को अपनी व्यक्तिगत बनाने के लिए उसपर आपका नाम व हस्ताक्षर अंत मे होना अंत्यन्त आवश्यक है। 

        अभ्यास प्रश्न  - 

        1. आपकी आज की दिनचर्या का वर्णन करते हुए एक डायरी लेखन कीजिए। 
        2. कल रात आपने एक स्वप्न देखा, जिसे याद करते हुए एक डायरी लेखन कीजिए। 
        3. आज आपको विद्यालय की ओर से एक 'बाल कल्याण आश्रम' में ले जाया गया था। वहाँ आपने देखा कि बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनकी व्यथा को अपने आज के अनुभव के साथ अपनी डायरी में लिखिए।     


        रविवार, 26 मार्च 2023

        चिट्ठाकारी (ब्लॉग) लेखन

        'ब्लॉग' को हिंदी में चिट्ठाकारी कहा जाता हैं। यह इंटरनेट आधारित एक ऑनलाइन मंच (प्लेटफ़ॉर्म) होता है। 'ब्लॉगिंग' शब्द की उत्पत्ति "वेब-लॉग" से हुई है, जो इंटरनेट पर पहले एक 'नोटपैड' या 'डायरी' की तरह था।   

        किसी विशिष्ट व्यक्ति को बिना संबोधित किए अपनी राय को सार्वजनिक रूप से संप्रेषित करने के लिए ब्लॉग (चिट्ठाकारी) लेखन सर्वाधिक उपयुक्त विधा है।  इसे व्यक्तिगत या व्यापारिक संचार (कॉम्युनिकेशन) करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक वेबसाइट की तरह होता है। 'ब्लॉग' को नियमित तौर पर अद्यतन (अपडेट) किया जाता है। हमेशा नए-नए विषयों पर नई ब्लॉग-पोस्ट जोड़ी जाती हैं।  

        • ब्लॉग लेखन (ब्लॉगिंग) - ब्लॉग लेखन कला को 'ब्लॉगिंग' कहते हैं। 
        • ब्लॉगर (ब्लॉग लेखक) - जो ब्लॉग का लेखन कार्य करता है। उसे ब्लॉगर कहते हैं।

        ब्लॉगिंग का इतिहास - 

        ब्लॉगिंग की शुरुआत 1994 में एक प्रोग्रामर जिन्न बीआर्नर्स-ली द्वारा हुई थी, जिन्होंने अपने वेबसाइट पर लोगों के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित लेख लिखना शुरू किया था। बाद में, 1997 में, ब्लॉगिंग के माध्यम से दुनिया के सबसे पहले पब्लिक वेबलॉग, "Links.net" लॉन्च किया गया था। उसके बाद से, ब्लॉगिंग ने वैश्विक भाषाओं में उभरते हुए इंटरनेट के माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंच प्राप्त की। 

        ब्लॉगिंग का उपयोग -  

        यह लोगों को उनके जीवन में होने वाली घटनाओं और उनकी दैनिक जिंदगी से संबंधित बातों के बारे में बताने का एक माध्यम बना। आजकल ब्लॉगिंग एक बड़ा उद्यम बन गया है। ब्लॉगिंग के माध्यम से ब्लॉगर मनपसंद विषयों पर अपने विचारों, अनुभवों और जानकारियों पर आधारित लेखों को सभी के साथ साझा कर सकते हैं। इसमें लेख, छवियाँ (फ़ोटो), वीडियो, ऑडियो आदि के माध्यम से ज्ञान, विचार और अनुभव सभी के साथ साझा किए जाते हैं। ब्लॉग द्वारा, लेखक अपने पाठकों से सीधे जुड़ सकते हैं। 'ब्लॉग' एक अहम् साधन है जो लोगों को विश्व समुदाय में अपने विचार और अनुभव साझा करने का मौका देता है।

        हिंदी चिट्ठाकारी (ब्लॉगिंग) - देवनागरी लिपि (हिंदी) में लिखे गए ब्लॉग को 'हिंदी ब्लॉग' के नाम से जाने जाते हैं।

        ब्लॉगिंग के कुछ महत्वपूर्ण उपयोग निम्नलिखित हैं: -

        1. अपने विचारों, ज्ञान, और अनुभवों को साझा करना - ब्लॉगिंग के माध्यम से, आप अपने विचार, ज्ञान, और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं। आप लोगों को अपने विषय के बारे में बता सकते हैं और उन्हें अपनी दृष्टि से दुनिया देखने की प्रेरणा दे सकते हैं।
        2. व्यवसाय के लिए उपयोग - ब्लॉगिंग एक अच्छा माध्यम हो सकता है अपने व्यवसाय के बारे में जानकारी साझा करने के लिए। आप लोगों को अपने उत्पाद या सेवाओं के बारे में बता सकते हैं और अपने व्यवसाय को प्रचारित कर सकते हैं।
        3. व्यक्तिगत विकास के लिए उपयोग - ब्लॉगिंग अपने व्यक्तिगत विकास के लिए भी उपयोगी हो सकता है। इससे आप अपने लेखन कौशल, विचारों और ज्ञान को सुधार सकते हैं।
        4. ज्ञान संचय के लिए उपयोग - आप ब्लॉगिंग के माध्यम से ज्ञान संचय कर सकते हैं।
        5. सुधार के लिए - ब्लॉग के माध्यम से हम अपने पाठकों से उनकी प्रतिक्रिया ले सकते हैं। सुधार के लिए सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ अहम् भूमिका निभाती हैं।

        ब्लॉगिंग के विषय -

        वैसे तो ब्लॉगिंग किसी भी विषय पर की जा सकती है, फिर भी जिन विषयों पर ब्लॉगिंग अधिक की जाती है, उन विषयों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं -
        • खाने-पीने के स्थान - खाने-पीने की जगहों के बारे में ब्लॉगिंग की जा सकती है। इसमें होटल अथवा रेस्टोरेंट की रिव्यूज़, फ़ूड एवं ड्रिंक की रेसिपी शामिल होती है।
        • फैशनेबल कपड़ों और सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं पर - फैशन ब्लॉगिंग भी एक प्रसिद्ध विषय है। इसमें फैशन ट्रेंड्स, कपड़ों और ऐक्सेसरीज़ की सलाह तथा शॉपिंग टिप्स शामिल होते हैं।
        • स्वास्थ्य - स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारी साझा (शेयर) करने के लिए ब्लॉगिंग एक अच्छा माध्यम हो सकती है। यहाँ आप फिटनेस, डाइट, वज़न घटाने की टिप्स आदि शेयर कर सकते हैं।
        • यात्रा - यात्रा से संबंधित ब्लॉग लिखना भी बहुत प्रसिद्ध है। इसमें आप यात्रा गाइड, यात्रा के लिए बजट तथा यात्रा के बाद अनुभवों को शेयर कर सकते हैं।
        • विज्ञान और तकनीकी - टेक्नोलॉजी आज का ट्रेंडिंग विषय है, क्योंकि रोज कोई न कोई शोध, आविष्कार एवं नवाचार आते रहते हैं।
        वीडियो ब्लॉगिंग (व्लोग्गिंग) - लेखन के बदले में कुछ लोग चलते-फिरते अपने कैमरे की सहायता से ब्लॉग की तरह ही विभिन्न विषयों से संबंधित जानकारियाँ एकत्रित करके उन्हे वीडियो के रूप में लोगों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते हैं। इस वीडियो ब्लॉगिंग को ही "व्लोग्गिंग" कहते हैं। आप Youtube आदि पर आप ऐसे कई व्लोग्गिंग के नमूने देख सकते हैं।

        अभ्यास -
        किसी पर्यटन स्थल पर आधारित एक ब्लॉग लेखन कीजिए। आपका ब्लॉग 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। आप अपने अपने ब्लॉग में निम्नलिखित बिन्दुओं को अवश्य शामिल करें।
        • किस प्रकार का पर्यटन स्थल है, उसका सामान्य परिचय
        • इस पर्यटन स्थल तक कैसे पहुँचे ? साधन, दूरी, सुविधाएँ आदि।
        • देखने / घूमने योग्य जगहें (प्लेस ऑफ इंटरेस्ट) कौन-कौन हैं?
        सौजन्य - गूगल इमेज
        आपके इस लेखन कार्य में सही विषय-वस्तु के लिए 8 अंक तथा उचित भाषा के लिए 8 अंक दिए जाएंगे।

        गुरुवार, 23 मार्च 2023

        वाद-विवाद : तथ्यात्मक जानकारी के साथ अपनी मौखिक क्षमता का विकास।

        वाद-विवाद क्या है?

        'वाद-विवाद' दो शब्दों के मेल से बना हैं, वाद और विवाद। इसे समझने के पूर्व उनको भी समझ लेना में आवश्यक समझा हूँ। दोनों ही शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'वद्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ बोलना होता है।

        वाद - वाद एक तरह की विचार-विनिमय प्रक्रिया होती है, जिसमें दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक मुद्दे पर विचारों का विनिमय होता है। वाद में हर व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करता है और दूसरों के विचारों को समझने की कोशिश करता है। वाद का मुख्य उद्देश्य होता है अधिक से अधिक सटीकता और सत्यता को प्राप्त करना।

        विवाद - विवाद को सरल भाषा में हम बहस भी कहते हैं। जो दो व्यक्तियों अथवा दो गुटों के बीच किसी मुद्दे पर वैचारिक मतभेद के कारण उत्पन्न होती है। उस विषय पर वे असहमत होते हैं और उनके बीच तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव अकसर भिन्न मतों, विचारों, मान्यताओं या उनके विवेकों के विपरीत होने के कारण भी हो सकता है और समाधान की खोज में समय लगता है। अतः विवाद में व्यक्तियों का मुख्य उद्देश्य बन जाता है और अपनी बात को दूसरे के बात से श्रेयस्कर साबित करना होता है। विवाद कई अवस्थाओं में हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत या सामाजिक मुद्दों पर, राजनीतिक विषयों पर, आर्थिक मुद्दों पर या किसी अन्य विषय पर असहमति होने की स्थिति में।

        वाद-विवाद

        सौजन्य - गूगल इमेज

        अतः 'वाद-विवाद', 'वाद और विवाद' दोनों का मिला-जुला रूप है। वैसे तो यह पूर्णतः संभाषण कौशल विकसित करने से संबंधित एक उत्कृष्ट कला है। इसमें भी दो या दो से अधिक लोग अथवा समूह किसी एक विषय पर आपस में विवाद करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कौशल है जो व्यक्ति की अपनी मौखिक क्षमता का विकास करने में शायक होता है।

        वाद-विवाद के दौरान, आपको तथ्यात्मक जानकारी का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। तथ्य आपको बिना भावनाओं या पक्षपात के विषय पर बात करने में मदद करते हैं। वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है। इसके अलावा, आपको विवाद के दौरान अपनी मौखिक क्षमता का उपयोग करना चाहिए। यह हमारी सहनशीलता को भी बढ़ाता हैं। बिना किसी को चोट पहुंचाए, अथवा उसकी भावना को बिना आहत किए। सबकी बातों को कड़वी और असह्य बातों को धैर्यपूर्वक सुनकर उन बातों का अपने तथ्यों से सम्मानजनक से खंडन करते हुए अपने विचारों को आत्मविश्वास से मंडित करने की कला वास्तव में वाद-विवाद की आत्मा और परम कौशल है।

        वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है।

        वाद-विवाद कैसे होता है?

        वाद-विवाद में आमतौर पर दो टीमें होती हैं। प्रत्येक टीम अपने विषय पर आरंभिक भाषण देती है जो दोनों टीमों के सदस्यों द्वारा सुना जाता है। फिर उनके पास एक-दूसरे को प्रतिभागियों के विषय पर प्रश्न और उत्तर देने का मौका होता है। उसके बाद, प्रत्येक टीम को अपने विषय के बारे में अपने दलील देनी होती है जो उन्हें समर्थन करती है। अंत में, प्रत्येक टीम को अपने विषय पर एक संक्षेप में आरंभिक भाषण देना होता है। वाद-विवाद में सामान्यतः समय सीमा होती है जो समय-सीमित रहता है, जिसके बाद टीमों को अपने विषय के बारे में कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिलता है। इसके अलावा, दलीलें और आरंभिक भाषणों के लिए समय सीमा भी होती है। वाद-विवाद के नियम के तहत सभी प्रतिभागी संयुक्त रूप से नियंत्रक द्वारा निर्दिष्ट नियमों का पालन करने के लिए भी दबाव में रहते हैं।


        वाद विवाद के ज्वलंत शीर्षकों की सूची दी जा रही है आप किसी एक पर पक्ष / विपक्ष में आपने विचार लिखने का प्रयास करें।

        1. क्या विज्ञान और धर्म के बीच एक विरोध है?
        2. आधुनिक तकनीकी का मानव जीवन पर असर: सकारात्मक या नकारात्मक?
        3. क्या प्रतियोगिता या सहयोग समाज के लिए अधिक उपयोगी है?
        4. क्या धर्म आतंकवाद का मूल है?
        5. क्या भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण विकास के रास्ते का रुख है?
        6. क्या नागरिकता संशोधन बिल नागरिकों के अधिकारों को छीनने की तरफ है?
        7. क्या विदेशी नीति देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है?
        8. समाज के लिए शिक्षा का महत्व: सरकारी या निजी संस्थाएं?
        9. आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष: शक्ति या सहनशीलता?
        10. आज के आधुनिक युग में भी परम्पराओं से जुड़े रहना जरूरी हैं?

        अन्य सहायक सामग्री -

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        भाषण - "सपनों को सच करने का हौसला" – मैत्री पटेल

        प्रिय दोस्तों, मैं मैत्री पटेल, आज आपके समक्ष खड़े होकर गौरवान्वित...

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