🤔 क्या आपने कभी सोचा है कि सरकार देश को कैसे चलाती है?
💡 सोचिए !
✅ बजट क्यों ज़रूरी है?
✅ सरकार को पैसा कहाँ से मिलता है?
✅ यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित करता है?
अगर हमारे घर में बिना किसी योजना के पैसे खर्च किए जाएं; जो चाहे खरीदा जाए, बिना भविष्य की चिंता किए जरूरी चीजों के लिए पैसे बचाए ही न जाएं!तो क्या होगा? शायद महीने के अंत में पैसे के लाले पड़ जाएंगे और हमें उधार लेना पड़ेगा ! यही हाल देश का भी हो सकता है, अगर सरकार बिना बजट बनाए खर्च करे।
बजट किसी भी देश की आर्थिक सेहत का दर्पण होता है, जो बताता है कि सरकार पैसे कैसे कमाएगी और उसे कहाँ खर्च करेगी।
जिस तरह आपके माता-पिता घर चलाने के लिए महीने की आमदनी का सही उपयोग करते हैं, उसी तरह सरकार भी पूरे देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए बजट बनाती है। मान लीजिए, आपके पिताजी ₹50,000 कमाते हैं। अब इस पैसे से पूरे परिवार का खर्च चलाना है। ज़रूरी खर्चों में घर का किराया, राशन, बिजली-पानी का बिल, स्कूल की फीस जैसी आवश्यक चीजें आती हैं। इसके बाद, कुछ पैसे बचत के लिए बैंक में जमा किए जाते हैं या किसी आपातकालीन स्थिति के लिए रखे जाते हैं। इसके अलावा, त्योहारों, घूमने-फिरने, नए कपड़े खरीदने जैसे मनोरंजन के खर्च भी होते हैं। अगर आपके माता-पिता बिना सोचे-समझे सारा पैसा खर्च कर दें, तो क्या होगा? हो सकता है कि महीने के अंत में पैसे खत्म हो जाएं और ज़रूरी चीजों के लिए परेशानी हो। यही कारण है कि बजट बनाना ज़रूरी है—चाहे वह घर का हो या पूरे देश का!
अब ज़रा यह सोचिए कि जब सरकार देश के लिए बजट बनाती है, तो वह पैसा कहां से लाती है और उसे कहां खर्च करती है? जिस तरह माता-पिता की आमदनी से घर चलता है, उसी तरह सरकार को भी पैसे की जरूरत होती है। सरकार की आय मुख्य रूप से कर (टैक्स) से होती है, जो आम लोगों और कंपनियों से लिया जाता है। इसमें आयकर, वस्तु एवं सेवा कर (GST), सीमा शुल्क और एक्साइज ड्यूटी जैसे कर शामिल होते हैं। इसके अलावा, सरकार रेलवे, हवाई अड्डे, कोयला खदानें जैसी सरकारी संपत्तियों से भी कमाई करती है। कभी-कभी सरकार को उधार भी लेना पड़ता है, जैसे कि बैंकों या अन्य देशों से।
अब जब सरकार के पास पैसा आ गया, तो इसे कैसे खर्च किया जाए? सरकार इसे अलग-अलग क्षेत्रों में लगाती है, जैसे सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं पर। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सड़कें, पुल, रेलवे और हवाई अड्डे बनाए जाते हैं। देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना और पुलिस पर खर्च किया जाता है। इसके अलावा, गरीबों और किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, जैसे मनरेगा (रोजगार योजना), प्रधानमंत्री आवास योजना, और फसल बीमा योजना।
अगर सरकार बिना किसी योजना के खर्च करने लगे, तो देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ सकती है। महंगाई बढ़ सकती है, विकास रुक सकता है और रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं। इसलिए हर साल सरकार बजट बनाकर यह तय करती है कि कितना पैसा कहां खर्च करना है। भारत सरकार हर साल 1 फरवरी को बजट पेश करती है। यह बजट अगले वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के लिए होता है, जिसमें बताया जाता है कि सरकार किन योजनाओं पर ध्यान देगी और देश को आर्थिक रूप से कैसे मजबूत बनाएगी।
अब आप सोच रहे होंगे कि "बजट से हमारा क्या लेना-देना?" पर ऐसा नहीं है! जब आप पॉकेट मनी का सही उपयोग करना सीखते हैं—जरूरी चीजों पर खर्च करना, थोड़ा बचाना और फिजूलखर्ची से बचना—तो आप अपने निजी बजट को संभालना सीखते हैं। अगर हर बच्चा, हर नागरिक अपने पैसे को समझदारी से खर्च करे, तो देश की अर्थव्यवस्था खुद-ब-खुद मजबूत हो जाएगी।
बजट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, यह हमारे और आपके भविष्य की नींव रखता है। जैसे परिवार का सही बजट उसे खुशहाल बनाता है, वैसे ही देश का सही बजट उसे समृद्ध और शक्तिशाली बनाता है। अगली बार जब बजट की चर्चा हो, तो आप न सिर्फ इसे समझेंगे, बल्कि दूसरों को भी समझा सकेंगे!