शुक्रवार, 31 मार्च 2023

प्रतिवेदन (Report) लेखन

"किसी घटना, कार्य-योजना, समारोह अथवा शोध आदि के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देखकर या छानबीन करके तैयार की गई लिखित सामग्री को 'प्रतिवेदन' (रिपोर्ट) कहते हैं।"

प्रतिवेदन को अंग्रेजी में 'रिपोर्ट' के नाम से जानते हैं। यह एक लिखित विवरण होता है जो किसी घटना, स्थिति या समस्या के बारे में सार्वजनिक अथवा गोपनीय सूचना देने के लिए लिखा जाता है। यह रिपोर्ट उस संगठन, संस्था, या अन्य संबंधित पक्ष द्वारा इस घटना की जानकारी साझा करने अथवा समस्या को हल करने के लिए उचित कदमों को उठाने में मदद करता है। प्रतिवेदन आमतौर पर व्यवसाय, शिक्षा, सरकार, और अन्य संगठनों द्वारा उपयोग किया जाता है। 

हम कह सकते हैं कि 'प्रतिवेदन (रिपोर्ट) लेखन एक ऐसी विधि है जिसमें लेखक किसी घटना, उत्पाद या सेवा के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता है। यह जानकारी किसी विशिष्ट विषय के बारे में होती है जैसे कि कोई कार्यक्रम, घटना, दुर्घटना, नीति, प्रकल्प, उत्पाद विकसित करने के बारे में रिपोर्ट लिखा जाता है। 

प्रतिवेदन (रिपोर्ट) लेखन में सामान्यतया इस्तेमाल किए जाने वाले तकनीकी शब्दों का उपयोग किया जाता है। इसके लेखन का मुख्य उद्देश्य जानकारी का सही और सुगम तरीके से संचार करना होता है।

रिपोर्ट लिखने का प्रारूप : - 

  1. शीर्षक: रिपोर्ट का शीर्षक देखने वाले को आपके रिपोर्ट का मुख्य विषय पता चल जाता है।
  2. रिपोर्ट लिखने वाले का नाम: रिपोर्ट के प्रारंभ में रिपोर्ट लिखने वाले व्यक्ति (आपका नाम) का नाम उल्लेख करना चाहिए।
  3. तारीख: रिपोर्ट लिखने की तारीख दर्शाना आवश्यक है।
  4. संक्षिप्त सारांश (प्रस्तावना): रिपोर्ट के मुख्य विषय, मुख्य संदेश और मुख्य निष्कर्ष को संक्षिप्त में दर्शाना चाहिए।
  5. विस्तृत विवरण: रिपोर्ट के अंतर्गत विषय से संबंधित जानकारी के बारे में काल-क्रमानुसार सविस्तार लिखना चाहिए।
  6. संदर्भ: यदि आपने उपयोग की गई संदर्भ पुस्तकें, जानकारी, अध्ययन आदि का उल्लेख करना चाहिए।
  7. निष्कर्ष और सुझाव: रिपोर्ट के अंत में आपका निष्कर्ष और उन सुझावों को दर्शाना चाहिए जो समस्या को हल करने में मदद करें।
साभार - www.hindi0549.com

अभ्यास कार्य  -
 
अभ्यास 1 - कल रात आपने अपने क्षेत्र में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए। जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 थी। किसी के हताहत होने अथवा कहीं कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। इस घटना का  एक प्रतिवेदन (रिपोर्ट) लगभग 150 शब्दों में लिखिए।

उत्तर - शीर्षक - भूकंप से दहली धरती
________ (आपका नाम),
दिनांक : XX माह, 20XX
  
कल रात मुझे अपने क्षेत्र गांधी नगर में एक भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए। जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 थी। यह भूकंप मध्य रात्रि में आया था। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इसमें किसी व्यक्ति को कोई चोट नहीं पहुंची है और कोई भी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।
भूकंप से गिरे मकान  

        भूकंप के बाद, लोग डर से थोड़े सहमें लग रहे थे, लेकिन जल्द ही वे सामान्य रूप से अपनी गतिविधियों में वापस लौट गए। अधिकतर लोग घरों में ही रहे थे और कुछ लोगों ने उनके बाहर जाने से पहले ध्यान दिया कि उनके घरों के अंदर चीजें सुरक्षित हैं या नहीं?

        स्थानीय अधिकारियों ने भूकंप के बाद स्थिति का निरीक्षण किया और बताया कि हमारे यहाँ जान-माल का कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है। वे लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे अपने घरों में ही रहें और बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें। इस भूकंप से लोगों में थोड़े डर और दहशत का माहौल है, लोग हर समय अगले भूकंप के आने के इंतजार में बैठे रहते हैं। बताते चल कि भूकंप के आने के बाद अथवा उसके दौरान ही नुकसान संभव होता है, वो भी तब जब उसकी तीव्रता अधिक हो। उसके आने की कोई सटीक सूचना दे पाना संभव नहीं है।  
अतः आम जनता से निवेदन है कि सतर्क रहे, सावधान रहे, अपने और अपने परिवार की सुरक्षा का ख्याल रखें।  धन्यवाद। 

अभ्यास 2 

आपके विद्यालय में कल वार्षिकोत्सव (Annual day function) मनाया गया। समाचार पत्र में छपवाने के लिए उसकी एक प्रतिवेदन (रिपोर्ट) लेखन कीजिए। आपके लेखन में निम्नलिखित बिन्दु अवश्य शामिल होने चाहिए। आपका लेखन कार्य 200 शब्दों तक सीमित होना चाहिए। 
  1. उत्सव का स्थान, दिनांक और समय
  2. उत्सव में हुए कार्यक्रमों की जानकारी 
  3. उत्सव में आपकी भूमिका और अनुभव
आपको उचित विषय वस्तु के लिए 8 अंक तथा उचित भाषा के लिए 8 अंक मिल सकते हैं। 

साभार - गूगल इमेज 
उत्तर - हिंदवी अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय, यवतमाल का वार्षिकोत्सव हर्षोल्लास से सम्पन्न
यवतमाल के 'हिंदवी अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय' में कल दिनांक 30 मार्च 20XX को शाम को वार्षिकोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम में संस्था संस्थापक श्री बाजीराव पाटील ने मुख्य अतिथि सिने कलाकर नाना पाटेकर और उद्योगपति श्री अनुपम गुप्ता के साथ मिलकर माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप-प्रज्ज्वलन के साथ वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की शुरुवात की। उसके बाद प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना समूहिक गीत के माध्यम से प्रस्तुति दी। सभी अतिथियों और अभिभावकों के सभागार में आ जाने के बाद कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।
      
कार्यक्रम में विद्यालय के सभी बच्चों ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया। सर्वप्रथम कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों द्वारा देश के शहीदों की याद में एक नाटक प्रस्तुत किया गया। दर्शक उनकी संवाद कुशलता और अभिनय के लिए तालियों से उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया। कक्षा 9वीं और 8वीं का सामूहिक नृत्य की सुमधुर प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।      
        
        तदनंतर कक्षा 6वीं और 7 वीं के विद्यार्थियों ने फिल्मी गीतों पर आधारित अंत्याक्षरी से समां बांधा। उन्होने बड़े ही उत्साह से एक दूसरे के हराने के चक्कर में इतने अच्छे-अच्छे गीत सुनाये कि दर्शक भी उनके साथ लय में लय मिलाते गीत गुनगुनाते नजर आए। 

अंत में अतिथियों के हाथों मेधावी छात्र-छात्राओ का सम्मान स्मृति-चिह्न और प्रमाण-पत्र देकर से किया गया।  फिर राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। सभी ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

 
अभ्यास प्रश्न 3.
आपके विद्यालय में आज सांसद निधि से एक नए खेल के मैदान का उद्घाटन हुआ है। इस कार्यक्रम का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) लेखन कीजिए। अपने लेखन में आप निम्नलिखित मुद्दों को अवश्य शामिल करें। 
  1. खेल का मैदान न रहने से बच्चों को समस्या होती थी। 
  2. सांसद जी ने अपने हाथों से इस मैदान का उद्घाटन किया। 
  3. विद्यालय को नया खेल का मैदान मिलने से बच्चों पर होने वाला प्रभाव क्या होगा?   
आपका लेखन कार्य 200 शब्दों से अधिक न हो। आपको उपयुक्त विषय-वस्तु के लिए 3 अंक और सही भाषा-शैली के लिए 5 अंक मिलेंगे। 
उत्तर - आज पुणे के शिवाजी रोड स्थित, नवोदय विद्यालय में सांसद निधि से वित्तपोषित एक नए खेल के मैदान का उद्घाटन किया गया। इस उद्घाटन में विद्यालय के प्रधानाचार्य जी श्री नीरज कुमार ने हमारे माननीय सांसद श्री सतीश केवट को पुष्पगुच्छ, शाल और श्रीफल देकर उनका स्वागत किया। फिर सांसद महोदय ने अपने  कर-कमलों से हमारे नए खेल के मैदान का उद्घाटन किया गया। सभी बच्चों ने इस अवसर पर तालियाँ बचाकर खुशियाँ जताई। दरअसल  पहले, विद्यालय के बच्चों के लिए कोई खेल का मैदान नहीं था, जिससे वे बहुत दुःखी रहते थे। लेकिन सांसद जी की मेहनत और उनके संसाधनों से नया मैदान उपलब्ध हो गया है। अब बच्चों को खेलने का उचित अवसर व स्थान मिल सकेगा और उनके मानसिक के साथ-साथ शारीरिक विकास को भी बल मिलेगा। वे तरह-तरह के खेल पाएँगे। 
                                                                                     साभार - Image by upklyak on Freepik 
इस मैदान से विद्यालय के बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव होगा। वे अब खेल का मैदान मिलने से न तो केवल खुश होंगे, बल्कि ये मैदान उनके शारीरिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, बच्चों की मनोदशा भी खुशहाल होगी।

संक्षिप्त में कहा जाए तो, इस उद्घाटन कार्यक्रम से सांसद निधि जी ने विद्यालय के बच्चों को बहुत सम्मानित किया और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत मदद की।

सोमवार, 27 मार्च 2023

दैनंदिनी (डायरी) लेखन

दैनंदिनी को अंग्रेजी में 'डायरी' कहा जाता है। हिंदी में भी अब यही शब्द रूढ हो गया है।  दैनंदिनी लेखन गत-साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है। विश्व के लगभग सभी महान व्यक्ति 'डायरी लेखन' करते थे। उनकी डायरी के पन्नों में लिखे अनुभवों से उनके निधन के बाद भी कई लोग उनके आदर्श जीवन की प्रेरणा लेते हैं। कुछ लोग तो दैनंदिनी को मित्र मानते हैं। क्योंकि हम अपने सभी राज जैसे मित्र के साथ साझा करते हैं, वैसे ही हम अपनी लगभग सभी घटनाएँ दिल खोलकर डायरी में लिख देते हैं।   

  मित्रों, आपने अपने घर पर माता-पिता द्वारा दैनिक खर्चो को लिखने की पुस्तिका तो जरूर देखी होगी। वह भी डायरी लेखन का ही रूप है। ठीक वैसे ही दुकानदार अथवा व्यापारी भी अपने खर्चे का हिसाब अपने बही-खातों (अकाउंट बुक) में रखते हैं। नेता तथा उद्यमी अपने रोज की सभाओं (मीटिंग्स) तथा आने-जाने की जानकारी अपनी डायरियों में लिखकर रखते हैं ताकि उनसे कोई महत्त्वपूर्ण कार्य छुट न जाय। इस प्रकार जन साधारण भी अपनी व्यक्तिगत राज, बातें, घटनाएँ, दुर्घटनाएँ आदि को अपनी डायरी में लिख कर रखते हैं। कुछ लोग घटनाओं को यादगार बनाएँ रखने के लिए डायरी लेखन करते हैं। महान लोगों की लिखी डायरियाँ उनकी जीवनी (आत्मकथा) लिखने में बहुत सहयोगी होती है।     

दैनंदिनी (डायरी) की परिभाषा गढ़ते हुए हम कह सकते हैं कि - 

'डायरी लेखन' व्यक्ति के द्वारा लिखा गया व्यक्तिगत विचारों, अनुभवों और भावनाओं को लिखित रूप में अंकित करके संग्रह किया गया साहित्य है।"  

यह एक व्यक्तिगत कार्य होता है जो व्यक्ति के मन को शांत करता है और अपने जीवन को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, यह एक रोचक स्रोत भी होता है जो व्यक्ति को उनके अतीत की यादें ताजा करता है और उन्हें अपने भविष्य की योजनाओं के लिए उत्साहित करता है।

दैनंदिनी (डायरी) लेखन के लाभ - 

  • मानसिक शांति - कई उलझनों को केवल डायरी में लिख भर देने से मन को बड़ी शांति मिलती है। 
  • डायरी को बार-बार पढ़ते रहने से स्मरण शक्ति को अधिक कुशाग्र बनाया जा सकता है। 
  • यह सकारात्मक सोचने में मदद करता है तथा तनाव को कम करने में सहायता करता है।
  • जीवन में हुए अच्छे-बुरे पलों को याद रखने में अधिक सक्षम होते हैं।
  • समस्याओं के समाधान तलाशने में भी डायरी काफी कारगर सिद्ध होती है।    
  • संचार कौशल (communication skills) और लेखन कौशल (writing skills) विकसित करने में सहायक है।
  • अपने जीवन को व्यवस्थित रखने में सहायता करता है। 

इसके माध्यम से, व्यक्ति अपनी विचारों और अनुभवों को सुलभता और बेबाकी से व्यक्त कर पाता हैं जो उनकी सोच को अधिक स्पष्ट बनाता है। जीवन को अधिक स्पष्ट और उत्कृष्ट बनाने का उत्तम साधन होता है। 

डायरी लेखन के प्रकार

  1. व्यक्तिगत डायरी - इसमें आप अपने दैनिक जीवन के बारे में लिखते हैं। इसमें आप अपने अनुभवों, भावनाओं, विचारों और दैनिक कार्यों के बारे में लिख सकते हैं।
  2. शिक्षात्मक डायरी - इसमें आप विभिन्न विषयों पर अपनी विचारधारा, अनुभवों, ज्ञान और सीख संबंधित मुद्दों पर लिखते हैं। इससे आप अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने और अपनी स्मृति को बढ़ाने में मदद मिलती है।
  3. वास्तविक डायरी वास्तविक घटनाओं और अनुभवों के बारे में होती है, जो आपके दैनिक जीवन में होते हैं। 
  4. काल्पनिक डायरी इसमें कल्पनाशील घटनाएं और कहानियाँ होती हैं जो कि आपके मन में उत्पन्न होती हैं।
  5. साहित्यिक डायरी - यह एक ऐसी डायरी होती है जिसमें लेखक अपनी रचनाओं, कविताओं, छंदों और अन्य साहित्यिक उत्पादों के बारे में लिखता है। इसमें लेखक अपनी सृजनात्मक प्रक्रिया, लेखन की तकनीक और अन्य साहित्यिक बिंदुओं पर भी विचार करता है। इसमें लेखक अपने लेखन की प्रगति को ट्रैक कर सकता है। 

डायरी लेखन कैसे करें?

    डायरी लिखते समय आपको सबसे पहले अपनी दैनंदिनी (डायरी) का एक नया पाना ले लें। फिर सबसे पहले व स्थान का नाम जहां से आज लिख रहे हो, जैसे - मुंबई, विद्यालय छात्रावास, आदि कोई एक लिखिए। उसके नीचे आज की तारीख, दिन और समय अवश्य लिखें। अगली पंक्ति में प्रिय डायरी का संबोधन लिख सकते हैं, हालाँकि यह लिखना कोई आवश्यक नहीं है। फिर अगली पंक्ति में पूछे गए प्रश्न पर आधारित एक आकर्षक शीर्षक लिख। इससे यह पता चल जाएगा कि आप इसी विषय पर आगे विस्तार में लिखने वाले हैं। 
    विषय विस्तार आप एक नए अनुच्छेद में लिखना हैं। ध्यान रहे कि ये जानकारियाँ आपकी अपनी होने के कारण पूरी घटना की जानकारी आप 'उत्तम पुरुष' में ही लिखें। यथा - मैं, मैंने, मेरा, मेरी, मेरे, मुझको ... आदि।       

    संपूर्ण जानकारी को संक्षेप में प्रारंभ से लेकर अंत तक सभी घटनाओं को उनके काल क्रमानुसार वर्णित कीजिए। जैसे घटना, दुर्घटना, अनुभव, घटनास्थल या घटना से जुड़े व्यक्तियों की सटीक जानकारियाँ एक के बाद एक करके लिखने का प्रयास करें। फिर बता दे कि यह आपकी डायरी का पन्ना है अतः लेखक बतौर आप अपने दुख-दर्द, हँसी-खुशी आदि मनोभावों को विचारों के साथ महत्व देते हुटे लिखेँ। जिससे आपकी सर्वश्रेष्ठ रचनात्मकता और अभिव्यक्ति झलकनी चाहिए। 
      आपका सम्पूर्ण लेख जानकारी से भरा होना चाहिए, आपके लेखन में आपकी बताई जानकारियाँ जीवंत लगनी चाहिए।  ऐसे लिखें कि आप अभी भी उसे वास्तविक घटना का सामना कर रहें हैं। 
        आपकी लेखन शैली मैत्रीपूर्ण और संवादात्मक होनी चाहिए। डायरी में घटना की जानकारी लिख लेने पर आंत में आपका नाम और हस्ताक्षर कर दें। इस प्रकार आपकी डायरी लेखन का यह पाना पूरा हुआ। 

        डायरी  लेखन का प्रारूप - 

        वैसे तो डायरी लेखन का पूर्णतः व्यक्तिगत होता है  जिसे आप आपकी पसंद और आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग तरीकों से इसे लिख सकते हैं। फिर भी, हम डायरी लेखन के इस प्रारूप को 'आदर्श प्रारूप' के रूप में स्वीकार कर सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल कर सकते हैं: - 

        1. स्थान - घटनाओं का स्थान के साथ सीधा संबंध होता है। एक जैसी घटनाएँ कई बार, कई स्थानों पर घटित हो सकती हैं। उनको अलग-अलग व्यवस्थित याद रखने के लिए स्थान का उल्लेख अनिवार्य है। 
        2. दिनांक - घटनाओं का कालक्रम जानने और उन्हें सिलसिलेवार याद रखने के लिए दिन एवं तिथि अपनी डायरी लेखन में यथा-स्थान अवश्य लिखना चाहिए।  जैसे - 27 मार्च 20XX  अथवा  27 - मार्च - 20XX
        3. दिन -  सोमवार, 27 मार्च 20XX                    अथवा                  सोमवार, 10: 30 बजे रात्रि 
        4. समय - समय का महत्व दिन और तिथि से कहीं अधिक होता है। अतः समय लिखना न भूलें। यथा - समय रात्रि के 10:30 बजे अथवा रात्रि 10 बजकर 30 मिनट पर। 
        5. शीर्षक - डायरी में घटना का शीर्षक देखते ही हमें पूरी की पूरी घटना सविस्तार स्मरण हो जाती है। अतः आपकी डायरी लेखन में शीर्षक का लिखा जाना सम्पूर्ण घटना के मुख्य विषय को दर्शाता है। इसे लिखने से डायरी लेखन में थोड़ा सा अंतर लाया जा सकता है। शीर्षक डायरी में  लिखे गए ज्ञान का सार होता है। शीर्षक लिखने से आप अपनी डायरी में लिखे गए विषयों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर सकते हैं। 
        6. संबोधन - यह केवल डायरी लेखन को निजी बनाने के लिए लिखा जाता है। पूरी तरह से वैकल्पिक है।   
        7. विषय विस्तार - यह जानकारी आपके डायरी की जान होती है। इसमें पूरी घटना को भावपूर्ण ढंग से काल क्रमानुसार सविस्तार लिखना होता है। 
        8. नाम व हस्ताक्षर - डायरी को अपनी व्यक्तिगत बनाने के लिए उसपर आपका नाम व हस्ताक्षर अंत मे होना अंत्यन्त आवश्यक है। 

        अभ्यास प्रश्न  - 

        1. आपकी आज की दिनचर्या का वर्णन करते हुए एक डायरी लेखन कीजिए। 
        2. कल रात आपने एक स्वप्न देखा, जिसे याद करते हुए एक डायरी लेखन कीजिए। 
        3. आज आपको विद्यालय की ओर से एक 'बाल कल्याण आश्रम' में ले जाया गया था। वहाँ आपने देखा कि बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनकी व्यथा को अपने आज के अनुभव के साथ अपनी डायरी में लिखिए।     


        रविवार, 26 मार्च 2023

        चिट्ठाकारी (ब्लॉग) लेखन

        'ब्लॉग' को हिंदी में चिट्ठाकारी कहा जाता हैं। यह इंटरनेट आधारित एक ऑनलाइन मंच (प्लेटफ़ॉर्म) होता है। 'ब्लॉगिंग' शब्द की उत्पत्ति "वेब-लॉग" से हुई है, जो इंटरनेट पर पहले एक 'नोटपैड' या 'डायरी' की तरह था।   

        किसी विशिष्ट व्यक्ति को बिना संबोधित किए अपनी राय को सार्वजनिक रूप से संप्रेषित करने के लिए ब्लॉग (चिट्ठाकारी) लेखन सर्वाधिक उपयुक्त विधा है।  इसे व्यक्तिगत या व्यापारिक संचार (कॉम्युनिकेशन) करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक वेबसाइट की तरह होता है। 'ब्लॉग' को नियमित तौर पर अद्यतन (अपडेट) किया जाता है। हमेशा नए-नए विषयों पर नई ब्लॉग-पोस्ट जोड़ी जाती हैं।  

        • ब्लॉग लेखन (ब्लॉगिंग) - ब्लॉग लेखन कला को 'ब्लॉगिंग' कहते हैं। 
        • ब्लॉगर (ब्लॉग लेखक) - जो ब्लॉग का लेखन कार्य करता है। उसे ब्लॉगर कहते हैं।

        ब्लॉगिंग का इतिहास - 

        ब्लॉगिंग की शुरुआत 1994 में एक प्रोग्रामर जिन्न बीआर्नर्स-ली द्वारा हुई थी, जिन्होंने अपने वेबसाइट पर लोगों के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित लेख लिखना शुरू किया था। बाद में, 1997 में, ब्लॉगिंग के माध्यम से दुनिया के सबसे पहले पब्लिक वेबलॉग, "Links.net" लॉन्च किया गया था। उसके बाद से, ब्लॉगिंग ने वैश्विक भाषाओं में उभरते हुए इंटरनेट के माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंच प्राप्त की। 

        ब्लॉगिंग का उपयोग -  

        यह लोगों को उनके जीवन में होने वाली घटनाओं और उनकी दैनिक जिंदगी से संबंधित बातों के बारे में बताने का एक माध्यम बना। आजकल ब्लॉगिंग एक बड़ा उद्यम बन गया है। ब्लॉगिंग के माध्यम से ब्लॉगर मनपसंद विषयों पर अपने विचारों, अनुभवों और जानकारियों पर आधारित लेखों को सभी के साथ साझा कर सकते हैं। इसमें लेख, छवियाँ (फ़ोटो), वीडियो, ऑडियो आदि के माध्यम से ज्ञान, विचार और अनुभव सभी के साथ साझा किए जाते हैं। ब्लॉग द्वारा, लेखक अपने पाठकों से सीधे जुड़ सकते हैं। 'ब्लॉग' एक अहम् साधन है जो लोगों को विश्व समुदाय में अपने विचार और अनुभव साझा करने का मौका देता है।

        हिंदी चिट्ठाकारी (ब्लॉगिंग) - देवनागरी लिपि (हिंदी) में लिखे गए ब्लॉग को 'हिंदी ब्लॉग' के नाम से जाने जाते हैं।

        ब्लॉगिंग के कुछ महत्वपूर्ण उपयोग निम्नलिखित हैं: -

        1. अपने विचारों, ज्ञान, और अनुभवों को साझा करना - ब्लॉगिंग के माध्यम से, आप अपने विचार, ज्ञान, और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं। आप लोगों को अपने विषय के बारे में बता सकते हैं और उन्हें अपनी दृष्टि से दुनिया देखने की प्रेरणा दे सकते हैं।
        2. व्यवसाय के लिए उपयोग - ब्लॉगिंग एक अच्छा माध्यम हो सकता है अपने व्यवसाय के बारे में जानकारी साझा करने के लिए। आप लोगों को अपने उत्पाद या सेवाओं के बारे में बता सकते हैं और अपने व्यवसाय को प्रचारित कर सकते हैं।
        3. व्यक्तिगत विकास के लिए उपयोग - ब्लॉगिंग अपने व्यक्तिगत विकास के लिए भी उपयोगी हो सकता है। इससे आप अपने लेखन कौशल, विचारों और ज्ञान को सुधार सकते हैं।
        4. ज्ञान संचय के लिए उपयोग - आप ब्लॉगिंग के माध्यम से ज्ञान संचय कर सकते हैं।
        5. सुधार के लिए - ब्लॉग के माध्यम से हम अपने पाठकों से उनकी प्रतिक्रिया ले सकते हैं। सुधार के लिए सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ अहम् भूमिका निभाती हैं।

        ब्लॉगिंग के विषय -

        वैसे तो ब्लॉगिंग किसी भी विषय पर की जा सकती है, फिर भी जिन विषयों पर ब्लॉगिंग अधिक की जाती है, उन विषयों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं -
        • खाने-पीने के स्थान - खाने-पीने की जगहों के बारे में ब्लॉगिंग की जा सकती है। इसमें होटल अथवा रेस्टोरेंट की रिव्यूज़, फ़ूड एवं ड्रिंक की रेसिपी शामिल होती है।
        • फैशनेबल कपड़ों और सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं पर - फैशन ब्लॉगिंग भी एक प्रसिद्ध विषय है। इसमें फैशन ट्रेंड्स, कपड़ों और ऐक्सेसरीज़ की सलाह तथा शॉपिंग टिप्स शामिल होते हैं।
        • स्वास्थ्य - स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारी साझा (शेयर) करने के लिए ब्लॉगिंग एक अच्छा माध्यम हो सकती है। यहाँ आप फिटनेस, डाइट, वज़न घटाने की टिप्स आदि शेयर कर सकते हैं।
        • यात्रा - यात्रा से संबंधित ब्लॉग लिखना भी बहुत प्रसिद्ध है। इसमें आप यात्रा गाइड, यात्रा के लिए बजट तथा यात्रा के बाद अनुभवों को शेयर कर सकते हैं।
        • विज्ञान और तकनीकी - टेक्नोलॉजी आज का ट्रेंडिंग विषय है, क्योंकि रोज कोई न कोई शोध, आविष्कार एवं नवाचार आते रहते हैं।
        वीडियो ब्लॉगिंग (व्लोग्गिंग) - लेखन के बदले में कुछ लोग चलते-फिरते अपने कैमरे की सहायता से ब्लॉग की तरह ही विभिन्न विषयों से संबंधित जानकारियाँ एकत्रित करके उन्हे वीडियो के रूप में लोगों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते हैं। इस वीडियो ब्लॉगिंग को ही "व्लोग्गिंग" कहते हैं। आप Youtube आदि पर आप ऐसे कई व्लोग्गिंग के नमूने देख सकते हैं।

        अभ्यास -
        किसी पर्यटन स्थल पर आधारित एक ब्लॉग लेखन कीजिए। आपका ब्लॉग 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। आप अपने अपने ब्लॉग में निम्नलिखित बिन्दुओं को अवश्य शामिल करें।
        • किस प्रकार का पर्यटन स्थल है, उसका सामान्य परिचय
        • इस पर्यटन स्थल तक कैसे पहुँचे ? साधन, दूरी, सुविधाएँ आदि।
        • देखने / घूमने योग्य जगहें (प्लेस ऑफ इंटरेस्ट) कौन-कौन हैं?
        सौजन्य - गूगल इमेज
        आपके इस लेखन कार्य में सही विषय-वस्तु के लिए 8 अंक तथा उचित भाषा के लिए 8 अंक दिए जाएंगे।

        गुरुवार, 23 मार्च 2023

        वाद-विवाद : तथ्यात्मक जानकारी के साथ अपनी मौखिक क्षमता का विकास।

        वाद-विवाद क्या है?

        'वाद-विवाद' दो शब्दों के मेल से बना हैं, वाद और विवाद। इसे समझने के पूर्व उनको भी समझ लेना में आवश्यक समझा हूँ। दोनों ही शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'वद्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ बोलना होता है।

        वाद - वाद एक तरह की विचार-विनिमय प्रक्रिया होती है, जिसमें दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक मुद्दे पर विचारों का विनिमय होता है। वाद में हर व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करता है और दूसरों के विचारों को समझने की कोशिश करता है। वाद का मुख्य उद्देश्य होता है अधिक से अधिक सटीकता और सत्यता को प्राप्त करना।

        विवाद - विवाद को सरल भाषा में हम बहस भी कहते हैं। जो दो व्यक्तियों अथवा दो गुटों के बीच किसी मुद्दे पर वैचारिक मतभेद के कारण उत्पन्न होती है। उस विषय पर वे असहमत होते हैं और उनके बीच तनाव उत्पन्न होता है। यह तनाव अकसर भिन्न मतों, विचारों, मान्यताओं या उनके विवेकों के विपरीत होने के कारण भी हो सकता है और समाधान की खोज में समय लगता है। अतः विवाद में व्यक्तियों का मुख्य उद्देश्य बन जाता है और अपनी बात को दूसरे के बात से श्रेयस्कर साबित करना होता है। विवाद कई अवस्थाओं में हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत या सामाजिक मुद्दों पर, राजनीतिक विषयों पर, आर्थिक मुद्दों पर या किसी अन्य विषय पर असहमति होने की स्थिति में।

        वाद-विवाद

        सौजन्य - गूगल इमेज

        अतः 'वाद-विवाद', 'वाद और विवाद' दोनों का मिला-जुला रूप है। वैसे तो यह पूर्णतः संभाषण कौशल विकसित करने से संबंधित एक उत्कृष्ट कला है। इसमें भी दो या दो से अधिक लोग अथवा समूह किसी एक विषय पर आपस में विवाद करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कौशल है जो व्यक्ति की अपनी मौखिक क्षमता का विकास करने में शायक होता है।

        वाद-विवाद के दौरान, आपको तथ्यात्मक जानकारी का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। तथ्य आपको बिना भावनाओं या पक्षपात के विषय पर बात करने में मदद करते हैं। वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है। इसके अलावा, आपको विवाद के दौरान अपनी मौखिक क्षमता का उपयोग करना चाहिए। यह हमारी सहनशीलता को भी बढ़ाता हैं। बिना किसी को चोट पहुंचाए, अथवा उसकी भावना को बिना आहत किए। सबकी बातों को कड़वी और असह्य बातों को धैर्यपूर्वक सुनकर उन बातों का अपने तथ्यों से सम्मानजनक से खंडन करते हुए अपने विचारों को आत्मविश्वास से मंडित करने की कला वास्तव में वाद-विवाद की आत्मा और परम कौशल है।

        वाद-विवाद के माध्यम से आप न केवल तथ्यों को समझने में महारत हासिल करते हैं, बल्कि अपनी मौखिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वाद-विवाद आपको अपनी सोच को तैयार करने और अपनी बात को आदर्शपूर्ण तरीके से व्यक्त करने की संभावनाएं प्रदान करता है।

        वाद-विवाद कैसे होता है?

        वाद-विवाद में आमतौर पर दो टीमें होती हैं। प्रत्येक टीम अपने विषय पर आरंभिक भाषण देती है जो दोनों टीमों के सदस्यों द्वारा सुना जाता है। फिर उनके पास एक-दूसरे को प्रतिभागियों के विषय पर प्रश्न और उत्तर देने का मौका होता है। उसके बाद, प्रत्येक टीम को अपने विषय के बारे में अपने दलील देनी होती है जो उन्हें समर्थन करती है। अंत में, प्रत्येक टीम को अपने विषय पर एक संक्षेप में आरंभिक भाषण देना होता है। वाद-विवाद में सामान्यतः समय सीमा होती है जो समय-सीमित रहता है, जिसके बाद टीमों को अपने विषय के बारे में कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिलता है। इसके अलावा, दलीलें और आरंभिक भाषणों के लिए समय सीमा भी होती है। वाद-विवाद के नियम के तहत सभी प्रतिभागी संयुक्त रूप से नियंत्रक द्वारा निर्दिष्ट नियमों का पालन करने के लिए भी दबाव में रहते हैं।


        वाद विवाद के ज्वलंत शीर्षकों की सूची दी जा रही है आप किसी एक पर पक्ष / विपक्ष में आपने विचार लिखने का प्रयास करें।

        1. क्या विज्ञान और धर्म के बीच एक विरोध है?
        2. आधुनिक तकनीकी का मानव जीवन पर असर: सकारात्मक या नकारात्मक?
        3. क्या प्रतियोगिता या सहयोग समाज के लिए अधिक उपयोगी है?
        4. क्या धर्म आतंकवाद का मूल है?
        5. क्या भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण विकास के रास्ते का रुख है?
        6. क्या नागरिकता संशोधन बिल नागरिकों के अधिकारों को छीनने की तरफ है?
        7. क्या विदेशी नीति देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है?
        8. समाज के लिए शिक्षा का महत्व: सरकारी या निजी संस्थाएं?
        9. आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष: शक्ति या सहनशीलता?
        10. आज के आधुनिक युग में भी परम्पराओं से जुड़े रहना जरूरी हैं?

        अन्य सहायक सामग्री -

        भाषण लेखन

        आपने अपने विद्यालयीन सभाओं, सार्वजनिक आयोजनों अथवा राजनैतिक रैलियों आदि में प्रधानाध्यापक,  शिक्षकों, अतिथियों,  राजनेताओं  अथवा अपने सहपाठियों के भाषण तो अवश्य सुने होंगे। शैक्षिक संस्थानों में तो अकसर भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। क्या आप कभी किसी भाषण प्रतियोगिता में सहभाग लिए हो? 

        भाषण किसे कहते हैं?   

        "भाषण एक ऐसा लिखित / मौखिक स्वरूप होता है जो एक निर्दिष्ट विषय पर लिखा अथवा बोला जाता है।" 

        भाषण स्वतंत्र अभिव्यक्ति का एक सशक्त और महत्वपूर्ण साधन होता है जिसके माध्यम से वक्ता अपने विचारों, दृष्टिकोणों को दिए गए विषय पर उपलब्ध संदर्भों / उद्धरणों के साथ अपनी बात को अधिक से अधिक लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुँच पाता है। 

        भाषण कहाँ होते हैं?  

        सामान्यतया भाषण को शैक्षिक कार्यक्रमों, सार्वजनिक समारोहों, राजनीतिक या सामाजिक संघर्षों, या किसी अन्य सार्वजनिक आयोजन में दिया जाता है। 

        भाषण का प्रभाव  

        भाषण एक प्रभावी और सुसंगत भाषा और वाक्य संरचना का उपयोग करते हुए लिखा जाता है। भाषण के माध्यम से वक्ता अपने श्रोताओं को प्रेरित करता है, उन्हें उनके मन में संदेश को समझने और उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है। भाषण में वक्ता दर्शकों को अपने साथ खड़ा करने के लिए भावनाओं के साथ संवाद करता है, उनकी ध्यान व स्मरण शक्ति को सक्रिय करता है, उन्हें सहयोग और समर्थन के लिए प्रेरित करता है और उन्हें अपने विचार पर आगे की कार्रवाई के लिए प्रेरित करता है।

        भाषण के चरण (Steps) - 

        एक प्रभावी भाषण लिखने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं: -

        1. विषय चयन - भाषण लेखन के लिए सबसे पहला चरण विषय का चयन है। (अकसर विषय पूर्व निर्धारित होते हैं) आपको वह विषय चुनना चाहिए जो आपके रुझानों, रुचियों और दूसरों के लिए रोचक हो। विषय का चयन करने के लिए, विशिष्ट सामाजिक मुद्दे जैसे रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के बारे में सोचें और उनके संबंध में अपने विचारों को बताएँ।
        2. अध्ययन करें - अपने विषय पर लिखने से पहले थोड़ा अध्ययन करें और विभिन्न संदर्भों को समझें। यदि आप अपने विषय के बारे में पूरी तरह से जानते हों तो आप अपने भाषण को सटीक, विस्तृत और संवेदनशील बनाने में सक्षम होंगे।
        3. श्रोताओं के बारे में सोचें - अपने लेख में जनता के बारे में सोचें। उनके अधिकांश रुचि और अपेक्षाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें। भाषण उनके लिए होता है, इसलिए उन्हें अपनी बात को समझने में आसानी होनी चाहिए।
        4. लक्ष्य का निर्धारण - आपको लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए कि आपका भाषण किस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हो रहा है।
        5. प्रारंभ और समाप्ति - आपके भाषण की प्रारंभिक भाग में ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ रोचक तथ्य या कुछ उद्धरण दिए जा सकते हैं। समाप्ति में, आपको अपने भाषण का एक संक्षिप्त समीक्षा (रिव्यू) देना चाहिए। 

          अपने भाषण का खाका (संरचना) तैयार करें?
          अपने भाषण का संरचना तैयार करें। भाषण लेखन के लिए खाका (आरंभिक रूप से) निम्नलिखित हो सकता है:
            • संबोधन (नमस्ते / नमस्कार मुख्य अतिथि / निर्णायक मण्डल गण / प्रधानाध्यापक)
            • विषय का चयन और उसके महत्व का वर्णन
            • अपने विषय पर विस्तृत जानकारी का प्रस्ताव
            • विषय से संबंधित उदाहरण या सबूतों का प्रस्ताव
            • अपने विषय के विपरीत मतों या विवादों का संज्ञान कराना
            • समस्याओं को समझाने और उन्हें हल करने के लिए उपाय की सुझाव देना
            • अपने उद्देश्य को उजागर करना
            • उपलब्ध संसाधनों और लोगों का ब्योरा देना
            • समाप्ति टिप्पणी/समीक्षा (रिव्यू) और धन्यवाद देना
                              आप अपने भाषण को उपरोक्त खाके के अनुसार व्यवस्थित कर सकते हैं और अपनी बात को स्पष्ट और असरदार बना सकते हैं।

                              भाषण लेखन का प्रारूप : 

                              1. प्रस्तावना - भाषण की प्रस्तावना में आपको अपने विषय को संक्षेप में पेश करना चाहिए। आप भाषण के विषय को संबोधन करके या कुछ रोचक उद्धरण देकर अपने श्रोताओं को ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
                              2. मुख्य भाग - भाषण का मुख्य भाग आपके विषय पर विस्तृत रूप से विचार करता है। आप अपने विषय को कुछ मुख्य बिंदुओं में विभाजित कर सकते हैं और उन्हें विस्तार से वर्णन कर सकते हैं। यहां, आप अपनी विचारधारा के साथ अपने दृष्टिकोण, विचार और उन्नयन के बारे में बता सकते हैं।
                              3. उपसंहार - भाषण के विषय विस्तार में, आप अपने विषय के बारे में दिए गए जानकारी को एकत्र करते हुए अपने मुख्य बिंदुओं को फिर से समझा सकते हैं। आप अपनी विचारधारा के साथ अपने श्रोताओं को उन विचारों की अनुमति देते हुए अपने भाषण का मुख्य बोध दोहरा सकते हैं।
                              4. समापन - समाप्ति के पहले एक संक्षिप्त रिव्यू पाठकों के ध्यान को अपनी बात की समझ में बढ़ाने के लिए करें। ऐसा करने से श्रोताओं के लिए आसान होगा कि आपने भाषण में क्या कहा था। अपने भाषण में शामिल हुए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को वापस लेकर अपनी बात को समझाएं। श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करें, उनके समय के लिए धन्यवाद दें और उनसे संपर्क बनाए रखने के लिए उन्हें आग्रह कर सकते हैं। 

                              भाषण लेखन का उदाहरण - 

                              आपको अपने विद्यालय की पत्रिका में छपवाने के लिए 'स्वच्छ भारत मिशन' विषय पर एक भाषण लेखन कीजिए।  

                              उत्तर - 
                              अभ्यास 2. 
                              आपके विद्यालय में 'पर्यावरण दिवस' पर एक भाषण लेखन कीजिए। जिसका शीर्षक है - "पर्यावरण बचना है, धरती को स्वर्ग बनाना है।" आपका लेख 200 शब्दों में सीमित होना चाहिए। 
                                 

                              अतिरिक्त संसाधन सामग्री - 

                              निबंध लेखन

                              निबंध गठित लेख होता है। इसमें लेखक अपने विचार, अनुभव, दृष्टिकोण, अभिप्राय और विश्लेषण के माध्यम से अमुक विषय को समझाता है। आमतौर पर निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है जिसका लेखक खुद चयन करता है या उसे दिया जाता है। 

                              निबंध अपने विषय को समझाने और उसके बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए उपयोगी होते हैं। निबंध विभिन्न विषयों जैसे समाज, विज्ञान, तकनीक या राजनीति, आदि पर लिखा जा सकते हैं। निबंध लेखन के दौरान, लेखक को अपने विषय पर अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए खोज करता है और अपने विचारों को सुसंगत ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। फिर वह अपनी जानकारी को अपने विचारों के माध्यम से संगठित करता है।


                                     निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल होता है, जिससे लोग अपनी अभिव्यक्ति और विचारों को लेखन के माध्यम से साझा कर सकते हैं। इसकी उपयोगिता प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा व परीक्षाओं के साथ ही नौकरी अथवा आम संचार में भी है।

                              निबंध के प्रकार - 

                              1. वर्णनात्मक निबंधइस निबंध में किसी घटना, वस्तु अथवा स्थान आदि का वर्णन होता है। वर्णन के लिए लेखन शैली रोचक और भाषा सरल तथा ओजस्वी होनी चाहिए। आपके निबंध पढ़कर उस वस्तु घटना या स्थान का पूरा दृश्य पाठक की आँखों के सामने आ जाना चाहिए। जैसे किसी त्यौहार - होली, दीपावली, ईद या क्रिसमस, कोई स्थान, दृश्य, यात्रा, घटना/दुर्घटना, गणतंत्र दिवस की परेड, गंगा नदी अथवा खेल समारोह आदि पर विषयों पर लिखे गए निबंध वर्णनात्मक निबंध के अंतर्गत आते हैं।
                              2. विचारात्मक निबंध - इसमें विचार तत्व की प्रधानता होते हैं। जिसमें चिंतन और मनन करना पड़ता है, जिसके कारण इन्हें विचारात्मक निबंध कहते हैं। इस प्रकार के निबंध लिखना थोड़ा कठिन होता है।  जैसे - वसुधैव-कुटुम्बकं, अहिंसा परमोधर्म:, अस्पृश्यता, बाल-विवाह, राष्ट्रीय एकता, विश्व बंधुत्व, परमात्मा, आत्मा, स्वर्ग-नर्क आदि विषय आते हैं। 
                              3. भावात्मक निबंध - ये भावना प्रधान विषयों पर आधारित होते हैं जैसे - चांदनी रात में नौका विहार, बरसात का एक दिन, पाठशाला का पहला दिन, मेरे सपनों का जीवन आदि। इनमें भावना के साथ कल्पना की भी काफी गुंजाइश होती हैं। अतः 'कल्पनात्मक निबंध' भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसके उदाहरण - मेरी अभिलाषा, 'टूटी कलम की आत्मकथा,  ‘यदि मैं प्रधानमंत्री होता’  घायल सैनिक की आत्मकथा’ आदि।
                              4. साहित्यिक (आलोनात्मक) निबंध - किसी साहित्यिक विधा, साहित्यिक प्रवृत्ति अथवा साहित्यकार पर लिखा गया निबंध साहित्यिक/आलोचनात्मक निबंध कहलाता है, जैसे कबीर, सूर, तुलसीदास, मुंशी प्रेमचंद, आधुनिक हिन्दी कविता, छायावाद हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग आदि। 'ललित निबंध' भी इसी के अंतर्गत रखे जा सकते हैं। बस इनकी भाषा काव्यात्मक तथा रसात्मक होती है। ऐसे निबंध शोध-पत्र के रूप में अधिक लिखे जाते हैं।
                              5. तथ्यात्मक निबंधइनमें लेखक एक विषय के बारे में तथ्यों की जानकारी देता है। इसमें सामान्यतया विषय के बारे में अधिक जानकारी होती है पर ये विवरणी या वर्णन से भिन्न माना जाता है।
                              6. विवादास्पद निबंध - इस प्रकार के निबंध में लेखक दो विपक्षी दृष्टि कोणों के बीच तर्क करता है और अपनी राय देता है। इस प्रकार के निबंध में लेखक को अपनी राय के समर्थन में तर्क देना होता है। इनके विषय अकसर विभिन्न व्यक्तियों के बीच मतभेद (विवाद) पैदा करा सकते हैं। इसलिए, इन्हें विवादास्पद निबंध कहते हैं। ये अकसर उलझनकारी होते हैं जिससे जो दो या दो से अधिक व्यक्ति अपने विचारों के बीच कोई समझौता नहीं कर पाते हैं, बल्कि और उलझते जाते हैं। कुछ उदाहरण: - 
                                • राष्ट्रपति शासन ही भारत के लिए सुशासन है। 
                                • ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी समस्याओं पर चिंताएं बेकार हैं। 
                                • आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरी है कि आम जनता सहभाग करें?
                                • समलैंगिकता आधुनिक समाज का नियमित हिस्सा है। 

                              इन उदाहरणों के साथ धर्म, राजनीति, सामाजिक न्याय, विज्ञान आदि पर भी तमाम विवादास्पद निबंध हो सकते हैं।

                              निबंध का प्रारूप -

                              निबंध विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारे विचारों और अभिव्यक्ति का माध्यम है जो हमारे व्यक्तित्व को दर्शाता है। एक अच्छे निबंध लेखन के लिए, एक अच्छी योजना, संरचना, भाषा, और अर्थ का प्रयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। निबंध लेखन के आदर्श प्रारूप के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं :-
                              1. प्रस्तावना (Introduction): निबंध लेखन के लिए, आपको सबसे पहले एक उत्प्रेरक प्रस्तावना से शुरुआत करनी चाहिए। एक अच्छी शुरुआत वास्तविकता, समस्या या विषय के बारे में जागरूकता उत्पन्न कराती है। एक अच्छे प्रारंभ के लिए, आपको अपने विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी और पाठकों को आकर्षित करने वाली कुछ पंक्तियाँ अवश्य लिखनी चाहिए।
                              2. विषय-विस्तार (Body): निबंध का मध्य भाग विषय के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है। यहां आप अपने दृष्टिकोण को विस्तार से व्यक्त करने का अवसर पर निबंध का मध्य भाग विषय के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस भाग में, लेखक अपने विषय को विस्तार से विवरण देता है और अपने दृष्टिकोण को विस्तार से व्यक्त करता है। यहां, लेखक अपने विषय को परिपूर्ण तरीके से समझाता है और इसकी पूरी जानकारी देता है।
                              3. निष्कर्ष (Conclusion): निबंध का निष्कर्ष अपने दृष्टिकोण का सार होता है। इसमें, लेखक अपने विषय के बारे में एक अंतिम धारणा देता है। लेखक अपने निबंध के मुख्य बिंदुओं को फिर से समझाता है और अपने दृष्टिकोण को पुनर्प्रस्तुत करता है।
                              • संदर्भ पृष्ठ (References): संदर्भ पृष्ठ एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जो लेखक द्वारा उपयोग किए गए स्रोतों की सूची होती है। इस सूची में, लेखक अपने उपयोग किए गए पुस्तकों, जरनल्स अन्य लेखों, वेबलिंक्स आदि को लिख सकता हैं। (यदि उपयोग किया गया हो तो ही, अन्यथा नहीं लिखेँ।)

                              अभ्यास -























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                              प्रिय दोस्तों, मैं मैत्री पटेल, आज आपके समक्ष खड़े होकर गौरवान्वित...

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