Creme Biscuit : स्वाद बनाम स्वास्थ्य
क्या हर मीठा सचमुच बच्चों के लिए अच्छा होता है?
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आज के समय में बच्चों की खान-पान की आदतें केवल घर की रसोई तक सीमित नहीं रहीं। टेलीविजन, मोबाइल और सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाले आकर्षक विज्ञापनों ने उनके भोजन चयन को गहराई से प्रभावित किया है। रंग-बिरंगे पैकेट, मीठा स्वाद और हँसते-खेलते बच्चों की छवियाँ क्रीम बिस्कुट को एक आकर्षक और सुरक्षित खाद्य पदार्थ के रूप में प्रस्तुत करती हैं। परंतु स्वास्थ्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों की राय में यह आकर्षण जितना बाहरी है, उतना ही भीतर से भ्रामक भी हो सकता है।¹।क्रीम बिस्कुट का स्वाद बच्चों को तुरंत अच्छा लगता है, पर इसका नियमित सेवन उनके शरीर की वास्तविक ज़रूरतों को पूरा नहीं करता।
बाजार में उपलब्ध अधिकांश क्रीम बिस्कुटों में जिस “क्रीम” का उल्लेख किया जाता है, वह वास्तव में दूध या मलाई से नहीं बनती। पोषण विशेषज्ञों के अनुसार इसमें प्रायः हाइड्रोजेनेटेड वनस्पति तेल, पाम तेल, अधिक मात्रा में चीनी, कृत्रिम फ्लेवर और अन्य खाद्य योजक होते हैं²। डॉक्टरों का मानना है कि यह संयोजन शरीर को थोड़ी देर के लिए ऊर्जा तो देता है, लेकिन लंबे समय तक इसका कोई पोषणात्मक लाभ नहीं होता। इसके विपरीत, अत्यधिक चीनी और प्रोसेस्ड वसा शरीर में असंतुलन पैदा कर सकती है।
चिकित्सकों द्वारा बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि बच्चों में बढ़ता मोटापा, दाँतों की समस्याएँ और ऊर्जा का अस्थिर स्तर ऐसे ही प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से जुड़ा हुआ है³। जब बच्चे रोज़मर्रा के नाश्ते में क्रीम बिस्कुट जैसे उत्पाद लेने लगते हैं, तो उनका झुकाव फल, अनाज, दही और घर के बने भोजन से हटने लगता है। यह आदत धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और एकाग्रता पर भी असर डाल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए अत्यधिक चीनी और ट्रांस फैट का सेवन हृदय रोग, मधुमेह और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है⁴। क्रीम बिस्कुट में प्रयुक्त हाइड्रोजेनेटेड तेलों में ट्रांस फैट की संभावना रहती है, जो “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” को घटाकर “बुरे कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ाता है। इसका प्रभाव तुरंत दिखाई नहीं देता, लेकिन लंबे समय में यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।
भारत में FSSAI द्वारा भी यह सलाह दी गई है कि बच्चों के आहार में उच्च शुगर और ट्रांस फैट वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा सीमित रखी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में होने वाली जीवनशैली संबंधी बीमारियों से बचा जा सके⁵। इसका उद्देश्य डर पैदा करना नहीं, बल्कि संतुलित और समझदारीपूर्ण भोजन की आदत को बढ़ावा देना है। यह भी सच है कि क्रीम बिस्कुट कभी-कभार खाने से तुरंत कोई गंभीर नुकसान नहीं होता, पर समस्या तब उत्पन्न होती है जब वे रोज़ाना के भोजन का स्थान लेने लगते हैं। समस्या किसी एक खाद्य पदार्थ में नहीं, बल्कि उसके अत्यधिक और नियमित सेवन में निहित है।
इस संदर्भ में यह समझना आवश्यक है कि हर स्वादिष्ट चीज़ स्वास्थ्यवर्धक नहीं होती। विज्ञापन अक्सर भावनाओं को छूते हैं, पर शरीर की ज़रूरतें भावनाओं से नहीं, पोषण से पूरी होती हैं। बच्चों को यह सिखाना ज़रूरी है कि वे भोजन का चयन पैकेट की चमक या विज्ञापन के आकर्षण से नहीं, बल्कि उसके पोषण मूल्य से करें। जब बच्चे स्वयं यह समझ विकसित करते हैं, तभी वे जीवन भर के लिए स्वस्थ आदतें अपना पाते हैं।
अंततः यह कहा जा सकता है कि क्रीम बिस्कुट अपने आप में कोई ज़हर नहीं हैं, लेकिन उन्हें स्वास्थ्यवर्धक भोजन का विकल्प मान लेना एक भूल है। संतुलित आहार वही है जिसमें स्वाद के साथ-साथ पोषण भी हो। सच्चा स्वास्थ्य विज्ञापन से नहीं, बल्कि सही जानकारी और समझदारी से चुने गए भोजन से प्राप्त होता है।
संदर्भ
- NDTV Health Desk – Harmful Effects of Cream Biscuits for Children
- Times of India – What Is Really Inside Cream Biscuits?
- Indian Dietetic Association – Processed Foods and Child Health
- World Health Organization – Healthy Diet Factsheet
- FSSAI – Eat Right India Advisory on Sugar and Trans Fat
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