📚 IGCSE हिंदी — अभ्यास एक (8 अंक)
🇮🇳 द्रौपदी मुर्मू: संघर्ष से सर्वोच्च पद तक
📖 आलेख
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का नाम एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में दर्ज है, जिन्होंने सामाजिक सीमाओं को तोड़ते हुए राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक की यात्रा की। वे भारत की पहली आदिवासी तथा दलित पृष्ठभूमि से आने वाली राष्ट्रपति हैं। उनका जीवन इस सत्य का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के सामने परिस्थितियाँ अंततः झुक जाती हैं।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के एक साधारण आदिवासी परिवार में हुआ। आर्थिक संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने शिक्षा को अपने जीवन का सबसे मजबूत आधार बनाया। वे आरंभिक जीवन में शिक्षिका रहीं और शिक्षा के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने में विश्वास रखती थीं। शिक्षा ने उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया।
उनका जीवन व्यक्तिगत कठिनाइयों से भी भरा रहा। अपने पति और दो पुत्रों को खोने का दुःख किसी भी व्यक्ति को तोड़ सकता था, परंतु द्रौपदी मुर्मू ने इन आघातों को आत्मिक शक्ति में परिवर्तित किया। उन्होंने स्वयं को सामाजिक सेवा और जनकल्याण के कार्यों में और अधिक समर्पित कर दिया।
राजनीतिक जीवन में प्रवेश के बाद उन्होंने विधायक, मंत्री तथा झारखंड की राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। राज्यपाल के रूप में उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करते हुए जनजातीय अधिकारों और सामाजिक न्याय के प्रश्नों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाया।
वर्ष 2022 में उनका राष्ट्रपति पद पर चयन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से एक ऐतिहासिक मोड़ था। यह चयन इस संदेश का प्रतीक है कि लोकतंत्र में अवसर जाति या वर्ग से नहीं, बल्कि क्षमता और चरित्र से तय होते हैं। उनकी सफलता लाखों वंचित वर्गों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
✨ संदेश: द्रौपदी मुर्मू का जीवन हमें सिखाता है कि संघर्ष पथरीला हो सकता है, पर मंज़िल असंभव नहीं।
❓ अभ्यास प्रश्न
- भारत की राष्ट्रपति
- आदिवासी एवं दलित पृष्ठभूमि
- जीवन का मजबूत आधार
- दुःख को आत्मिक शक्ति में बदलना
- झारखंड की राज्यपाल
- क्षमता और चरित्र से अवसर मिलना
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