प्रकृति की ओर लौटना समाधान है — पद्मश्री यानुंग जामोह लेगो
🎙️ इंडीकोच संवाद · 🎧 IBDP श्रवण अभ्यास · ⏱️ 8–10 मिनट
प्रकृति आधारित उपचार, हर्बल ज्ञान और स्वास्थ्य पर प्रेरक बातचीत
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साक्षात्कार लेखन
अरविंद बारी: नमस्कार! स्वागत है आपका 'इंडीकोच संवाद' के एक नए एपिसोड में..; आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी महिला से, जिनका जीवन प्रकृति के ज्ञान, धैर्य और समर्पण का अद्भुत संगम है। वह अरुणाचल प्रदेश की "जड़ी-बूटियों की रानी" कहलाती हैं—और 2024 में पद्मश्री से सम्मानित हुईं। उन्होंने अकेले दम पर 'आदिवासी समुदाय' की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को पुनः जीवित किया और हजारों लोगों को प्रकृति से उपचार दिलाया। आइए उनसे मिलते हैं; पद्मश्री यानुंग जामोह लेगो से ..! अरविंद: यानुंग जी, 'इंडीकोच संवाद' में आपका स्वागत है। शुरुआत उसी जगह से करते हैं जहां यह यात्रा शुरू हुई — आपका बचपन। “सुना है कि आपने जंगलों में काफी समय बिताया है। इस अनुभव ने आपके जीवन को किस तरह प्रभावित किया है?” यानुंग जामोह लेगो: धन्यवाद, अरविंद। सच कहूँ तो, मेरे माता-पिता ही मेरे पहले शिक्षक थे। जंगल हमारी पुस्तक थी, और हर पौधा उसका एक पन्ना। वे बताते कि कौन-सा पौधा किस दर्द का साथी है। उस समय समझ नहीं आता था, पर प्रकृति की भाषा धीरे-धीरे मेरे भीतर उतरती चली गई। अरविंद: आपने तीन दशक से अधिक समय दुर्लभ औषधीय पौधों को बचाने और उनके अध्ययन में दिया। चुनौतियाँ भी बहुत आई होंगी? — यह यात्रा कैसी रही? यानुंग: हाँ, चुनौती बहुत थीं—कभी आर्थिक संकट, कभी समाज का विरोध, कभी लोगों की गलतफहमियाँ। यहाँ तक कि धमकियाँ भी मिलीं। पर मैंने सोचा—अगर मैं चुप रही, तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएँगी। बस, यही सोच मुझे रास्ते पर बनाए रखती है। अरविंद: लोग आपको "जड़ी-बूटियों की रानी" कहते हैं। कैसा लगता है? यानुंग: (हल्की हँसी) यह मेरा नहीं, पौधों का सम्मान है। लोगों ने राहत पाई, इसलिए उन्होंने मुझे यह प्यार दिया। अरविंद: सुना है कि आपने 10,000 से अधिक लोगों का हर्बल उपचार किया—यह संख्या स्वयं अपनी कहानी कहती है। यानुंग: जब कोई कहता है कि "दर्द कम हो गया", "बच्चा अब ठीक है"—तो वही असली इनाम होता है। पद्मश्री बहुत गर्व की बात है, लेकिन प्रकृति के उपचार के बाद किसी के चेहरे पर लौटती मुस्कान—वही मेरे दिल का पद्मश्री है। अरविंद: हर साल आप 5,000 से ज़्यादा औषधीय पौधे लगाती हैं। यह प्रेरणा कहाँ से आती है? यानुंग: पौधे सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी ठीक करते हैं। मुझे लगता है कि हम उनसे जितना लेते हैं, उतना लौटाना भी चाहिए। यह मेरे लिए सेवा है, आदत भी है, और शायद पूजा भी। अरविंद: आज कई घरों में हर्बल किचन गार्डन बनने लगे हैं—इस बदलाव को देखकर आपको कैसा लगता है? यानुंग: बहुत खुशी होती है। जब लोग कहते हैं — "हमने घर पर अपनी गिलोय उगाई है", "हमने खुद हल्दी लगाई" — तो लगता है कि प्रकृति की आवाज़ लोगों तक पहुँच रही है। यह सिर्फ पौधा उगाना नहीं, एक संस्कृति को वापस बुलाना है। अरविंद: आप युवा पीढ़ी को हमेशा प्रकृति की ओर लौटने का संदेश देती हैं। आज के युवाओं के लिए आपका मुख्य संदेश क्या है? यानुंग: (गंभीर, शांत आवाज़ में): मैं बस इतना कहना चाहूँगी — सच कहूँ तो, प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करने का दंड ही 'बीमारी' है, और प्रकृति की ओर लौटना उसका 'उपचार' है। यह कोई विकल्प नहीं…, बल्कि 'यह भविष्य का समाधान है।' हमारा भोजन, हमारी हवा, हमारी मिट्टी, हमारी दवा—सब प्रकृति से ही आती है। इसीलिए उस ओर लौटना, सिर्फ हमरी परंपरा नहीं, समझदारी भी है। अरविंद: यानुंग जी, हमें इतने सरल शब्दों में, इतनी गूढ़ बातों पर मार्गदर्शन देने के लिए हमारे सुबुद्ध श्रोताओं और इंडीकोच की ओर से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
IBDP अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1: यानुंग जामोह लेगो के अनुसार, प्रकृति से दूर जाना और प्रकृति की ओर लौटना क्या दर्शाता है?
उत्तर: यानुंग जी का मानना है कि प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करना बीमारी है, और प्रकृति की ओर लौटना उसका उपचार है।
प्रश्न 2: यानुंग जामोह लेगो ने पारंपरिक चिकित्सा को पुनर्जीवित करने में किन चुनौतियों का सामना किया?
उत्तर: उन्हें आर्थिक संकट, समाज का विरोध और धमकियों तक का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 3: हर्बल किचन गार्डन का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह पौधे उगाने से अधिक संस्कृति और प्रकृति की ओर लौटने का संकेत है।
प्रश्न 4: यानुंग जी के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार क्या है?
उत्तर: उपचार के बाद लोगों के चेहरे पर लौटती मुस्कान ही उनका वास्तविक पुरस्कार है।
प्रश्न 5: युवा पीढ़ी के लिए यानुंग जी का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: प्रकृति की ओर लौटना कोई विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य का समाधान है।
प्रश्न 6: यानुंग जी हर साल 5,000+ पौधे क्यों लगाती हैं?
उत्तर: वे मानती हैं कि पौधे शरीर और मन दोनों को उपचार देते हैं, इसलिए उन्हें बचाना हमारा कर्तव्य है।
और संसाधन
- 🎨 Featured image prompt (AI): "Portrait-in-nature of a wise Arunachal tribal herbal healer woman, dramatic rim lighting, bamboo basket, misty forest, 8k"
- 📧 पॉडकास्ट होस्ट: अरविंद बारी — arvind@indicoach.com
- 🔗 अधिक जानकारी: इंडीकोच ब्लॉग
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