वेदप्रेमी जोनास मेसेट्टी का इंडीकोच स्टूडियो विशेष साक्षात्कार
प्रश्न (अरविंद बारी):
आचार्य जी, हमारे श्रोताओं को पहले अपने बारे में कुछ बताएँ; ताकि वे हमसे सीधे जुड़ सकें।
जवाब (जोनास मेसेट्टी): मैं रियो डी जेनेरियो, ब्राज़ील से हूँ। मैंने इंजीनियरिंग पढ़ी, कॉर्पोरेट करियर बनाया — पर एक अंदरूनी ख्वाहिश ने मुझे अलग राह पकड़ने को कहा। भारत की ओर वह खींचाव मेरे लिए अंतर्मुखी जगत का दरवाज़ा बन गया।
प्रश्न:
वेदों या वेदांत की ओर झुकाव कैसे हुआ?
जवाब: भगवद्गीता का एक श्लोक मेरे भीतर बिजली की तरह हुआ। वहीं मैंने सीखा कि सत्य की खोज बाहर नहीं, भीतर होती है। वेदांत ने उसका मार्ग दिखाया — और जीवन बदल गया।
प्रश्न:
आपने वेदांत कहां से सीखा और ब्राज़ील में इसे कैसे पढ़ाया?
जवाब: मैंने भारत में स्वयं का अध्ययन किया और बाद में विश्व विद्या गुरुकुलम् जैसी पहलों के ज़रिये यह ज्ञान ब्राज़ील और लैटिन अमेरिका तक पहुँचाया। युवा जब इसे आधुनिक भाषा में समझे, तो वे तुरंत जुड़ जाते हैं।
प्रश्न:
क्या आधुनिक जीवन और साधना साथ चल सकते हैं?
जवाब: बिल्कुल। साधना भागना नहीं, समझना है। मैं तकनीक और साधना दोनों को संग रखता हूँ — और यही वेदांत का असली उपयोग है: जीवन में संतुलन लाना।

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