रविवार, 3 अगस्त 2025

प्रतिवेदन: अयोध्या की अंतरराष्ट्रीय रामलीला

IGCSE Hindi - Report Writing Practice

📚 प्रतिवेदन लेखन - अयोध्या भ्रमण

IBDP Hindi (SL/HL) - Paper 1

अयोध्या भ्रमण

IBDP पाठ्यक्रम के अंतर्गत भारतीय संस्कृति, परंपरा और विश्व के अन्य समाजों से सांस्कृतिक संवाद को जानने की दृष्टि से हमारी कक्षा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण था – उत्तर प्रदेश संस्कृति और कला विभाग के तत्वावधान में आयोजित जावा और सुमात्रा (इंडोनेशिया) के कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन, जिसे हमने सजीव देखा।


राम की नगरी अयोध्या में रामलीला एक पारंपरिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, परंतु जब इसमें विदेशी कलाकार भाग लेते हैं, तो यह मंचन केवल नाट्य प्रस्तुतियाँ नहीं रह जातीं, बल्कि वे संस्कृति, परंपरा और वैश्विक संवाद का जीवंत उदाहरण बन जाती हैं। जावा और सुमात्रा से आए कलाकारों ने वाल्मीकि रामायण पर आधारित प्रसंगों को पारंपरिक बैले नृत्य, छाया-चित्र कला (Wayang Kulit), और गमेलन संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया।


प्रस्तुति में भाषा की दीवार नहीं थी — भाव, संगीत, मुद्राएँ और प्रकाश का संयोजन इतना प्रभावी था कि छात्रों ने राम बनवास, सीता हरण और लंकाकांड जैसे प्रसंगों को हृदय से अनुभव किया। छात्रों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि किस प्रकार एक दूरस्थ देश की संस्कृति में भी रामकथा रची-बसी है, और उसका मंचन हमारी परंपरा से मिलकर एक नया रूप लेता है।


छात्रों ने मंचन के बाद कलाकारों से बातचीत की, जिसमें उन्हें इंडोनेशियाई रामलीला की विशिष्टता – जैसे धार्मिकता और नृत्य का एकात्म – के बारे में जानने को मिला। उन्होंने यह भी समझा कि भारतीय संस्कृति केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सांस्कृतिक विश्वग्राम का आधार है।


यह अनुभव न केवल शैक्षणिक रूप से समृद्ध था, बल्कि सांस्कृतिक सहिष्णुता, वैश्विक समझ और भारतीय परंपरा पर गर्व की भावना भी छात्रों में उत्पन्न हुई।

📝 📚 IGCSE Hindi (0549) - Paper 1

अभ्यास 1: महाराष्ट्र सांस्कृतिक सप्ताह
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प्रश्न 1 आपके विद्यालय में एक "राज्यीय सांस्कृतिक सप्ताह" का आयोजन किया गया। इस आयोजन की रिपोर्ट विद्यालय पत्रिका में छपवानी हैं।

आपने महाराष्ट्र राज्य की सांस्कृतिक झलकियों के अंतर्गत वहाँ के पारंपरिक पकवान पर एक प्रस्तुति दी। अपने लेखन में निम्नलिखित बिंदुओं को अवश्य शामिल करें:

  • महाराष्ट्र के प्रसिद्ध सांस्कृतिक खाद्य पदार्थ
  • खाद्य पदार्थों की विशेषताएँ – स्वाद, पकाने की विधि, और अवसर
  • आयोजन में विद्यार्थियों की सहभागिता और प्रतिक्रिया और उनका व्यक्तिगत अनुभव
शब्द सीमा: 150–200 शब्द
अंक: विषय वस्तु 3 अंक और सूचित भाषा शैली और वाक्य रचना हेतु 5 अंक
आदर्श उत्तर
प्रतिवेदन
महाराष्ट्र के सांस्कृतिक खाद्य पदार्थों पर प्रस्तुति

लेखक: आरव मेहता (कक्षा 10)
दिनांक: 31 जुलाई 2025

हमारे विद्यालय में आयोजित राज्यीय सांस्कृतिक सप्ताह के अंतर्गत मुझे महाराष्ट्र के पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर प्रस्तुति देने का अवसर मिला। मैंने पूरनपोली, मिसळ पाव, वड़ा पाव, थालीपीठ और श्रीखंड जैसे प्रसिद्ध व्यंजनों की जानकारी साझा की।

इन व्यंजनों की विशेषता इनका स्वाद, पौष्टिकता और विविधता है। पूरनपोली को त्योहारों पर बनाया जाता है, जबकि वड़ा पाव मुंबई की पहचान है – सरल, सस्ता और स्वादिष्ट। मिसळ पाव तीखेपन के लिए प्रसिद्ध है और थालीपीठ पारंपरिक ग्रामीण महाराष्ट्र का स्वाद देता है। श्रीखंड एक मीठा व्यंजन है जो दही से तैयार होता है।

प्रस्तुति के दौरान छात्रों ने विशेष रुचि दिखाई। कई छात्रों ने अपने अनुभव भी साझा किए। आयोजन के अंत में हमने कुछ व्यंजनों को चखा भी, जिससे अनुभव और रोचक बन गया।

इस प्रस्तुति से मैंने सीखा कि भोजन केवल पेट भरने का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति का प्रतीक भी होता है। ऐसे आयोजन छात्रों को भारत की विविधता से जोड़ते हैं और सौहार्द बढ़ाते हैं।

अभ्यास 2: राजस्थान दौरे में पारंपरिक व्यंजन
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राजस्थान दौरे में पारंपरिक व्यंजनों का अनुभव
लेखक: श्वेता अग्रवाल (कक्षा 10)
दिनांक: 1 अगस्त 2025

राणा प्रताप इंटरनेशनल स्कूल, जोधपुर, के छात्रों ने शैक्षणिक यात्रा के अंतर्गत राजस्थान के जयपुर, जोधपुर और उदयपुर का दौरा किया। इस दौरान वहाँ के समृद्ध सांस्कृतिक और पाक-परंपराओं को समझने का अवसर मिला।

विशेष रूप से, राजस्थानी भोजन ने सभी विद्यार्थियों को आकर्षित किया। हमने दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी, केर-सांगरी, मिर्ची बड़ा, मोहनथाल और घेवर जैसे पारंपरिक व्यंजन चखे। इनका स्वाद तीखा, मसालेदार और घीयुक्त था, जो वहाँ की जलवायु और संस्कृति से मेल खाता है। चूल्हे पर बनी बाटी और चूरमा का स्वाद हम कभी नहीं भूल पाएँगे।

खास बात यह रही कि कुछ होटलों में हमने खाना खुद परोसा और वहाँ के रसोइयों से पकवान बनाने की विधि भी सीखी। इससे हमारी सहभागिता और सीखने की जिज्ञासा और बढ़ी।

इस यात्रा ने हमें यह समझाया कि भोजन केवल स्वाद नहीं, अपितु एक सांस्कृतिक संवाद है। ऐसे अनुभवों से हम भारतीय विविधता का आनंद लेना सीखते हैं।

अभ्यास 3: गुजराती मेले में पारंपरिक व्यंजन
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गुजराती मेले में पारंपरिक व्यंजनों का अनुभव
लेखक: आदित्य पटेल (कक्षा 10)
दिनांक: 1 अगस्त 2025

हमारे विद्यालय के छात्रों ने हाल ही में आयोजित गुजराती सांस्कृतिक मेले का दौरा किया। यह मेला हमारी नगरपालिका द्वारा संस्कृति, कला और खानपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगाया गया था।

मेले में पारंपरिक गुजराती व्यंजनों की भरमार थी। छात्रों ने खाखरा, थेपला, ढोकला, हांडवो, खिचू, उंधियु, और खट्टा ढोकला जैसे प्रसिद्ध व्यंजन चखे। मिठाइयों में घारी, मोहनथाल और सूतर्फेणी विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। हर व्यंजन में कम तेल, हल्के मसाले और गुड़ अथवा खट्टे स्वाद का सामंजस्य था, जो गुजराती भोजन की विशेषता है।

छात्रों ने न केवल व्यंजन चखे, बल्कि कई स्टॉल्स पर उनके निर्माण की प्रक्रिया भी देखी। आयोजकों ने भोजन की पौष्टिकता और परंपराओं पर आधारित लघु प्रस्तुतियाँ भी दीं।

इस दौरे से छात्रों को गुजरात की सांस्कृतिक समृद्धि को जानने और स्वाद की विविधता को अनुभव करने का अवसर मिला। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और जिज्ञासा दोनों को बढ़ावा देते हैं।

अभ्यास 4: केरल यात्रा में दक्षिण भारतीय व्यंजन
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केरल यात्रा में दक्षिण भारतीय व्यंजनों का स्वाद
लेखक: संजना पिल्लई (कक्षा 10)
दिनांक: 1 अगस्त 2025

हमारे विद्यालय के छात्रों ने शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत केरल की यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, संस्कृति और खानपान को समझना था। यात्रा के दौरान दक्षिण भारतीय व्यंजनों का अनुभव सबसे रोचक भाग रहा।

केरल में हमने इडली, डोसा, उत्तपम, पुट्टू, अप्पम, सांभर और अवियल जैसे स्वादिष्ट व्यंजन चखे। केले के पत्तों पर परोसा गया पारंपरिक 'सद्या भोजन' एक अद्भुत अनुभव था, जिसमें चावल, पायसम, पचड़ी और तरह-तरह की सब्ज़ियाँ शामिल थीं। नारियल तेल और मसालों की सुगंध हर व्यंजन को खास बना रही थी।

छात्रों ने स्थानीय रेस्तरां और घरों में भोजन करते समय भोजन परंपराओं को समझा। एक स्थान पर छात्रों को स्वयं नारियल से चटनी बनाने और डोसा सेंकने का अवसर भी मिला, जिससे सीखने में रुचि और बढ़ी।

इस यात्रा ने न केवल हमारे स्वाद को समृद्ध किया, बल्कि यह भी सिखाया कि भारत के हर कोने में भोजन संस्कृति का अनमोल हिस्सा है। यह अनुभव जीवन भर स्मरणीय रहेगा।

अभ्यास 5: दिल्ली के परांठे वाली गली और दार्शनिक स्थल
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दिल्ली के परांठे वाली गली और दार्शनिक स्थलों का दौरा
लेखक: रिया गुप्ता (कक्षा 10)
दिनांक: 1 अगस्त 2025

हमारी कक्षा ने इतिहास एवं संस्कृति विषय पर शोध हेतु दिल्ली का शैक्षणिक दौरा किया। यह यात्रा हमें भारत की सांस्कृतिक और वैचारिक विरासत से जोड़ने का एक अनूठा अवसर थी।

सबसे पहले हम चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध परांठे वाली गली पहुँचे, जहाँ के पारंपरिक भरवां परांठों – आलू, पनीर, मटर, और केले तक के परांठे – का स्वाद अद्भुत था। वहाँ की भीड़, पारंपरिक लकड़ी की बेंचें और पुराने स्वाद ने छात्रों को अतीत से जोड़ा।

इसके बाद हमने राजघाट, गांधी स्मृति, और जंतर-मंतर जैसे दार्शनिक स्थलों का दौरा किया। राजघाट पर बापू की समाधि पर मौन साधकर श्रद्धांजलि दी गई। गांधी स्मृति में छात्रों ने उनके जीवन के आदर्शों, सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को दृश्य माध्यमों से जाना।

इस दौरे से हमने जाना कि भोजन और दर्शन, दोनों ही भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। यह अनुभव ज्ञानवर्धक, आत्मिक और स्वादिष्ट तीनों दृष्टियों से अविस्मरणीय रहा।

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