रविवार, 20 जुलाई 2025

मुंबई पुस्तक मेले की सैर (प्रतिवेदन / डायरी)

IBDP हिंदी रिपोर्ट लेखन

आओ सीखें रिपोर्ट लेखन - पुस्तक मेला

प्रतिवेदन

मुंबई पुस्तक मेला : साहित्य का भव्य उत्सव

प्रतिवेदक : अरविंद बारी

तिथि : 18 अगस्त 2025

स्थान : शिवाजी पार्क, मुंबई

मुंबई के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में इस सप्ताहांत आयोजित मुंबई पुस्तक मेला साहित्य प्रेमियों और विद्यार्थियों के लिए किसी पर्व से कम नहीं था। सुबह से ही पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ने लगी और पूरा परिसर साहित्यिक उत्सव में बदल गया।

मेले में देश-विदेश के प्रसिद्ध प्रकाशकों — राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, हार्पर कॉलिन्स और पेंग्विन इंडिया — ने अपने-अपने स्टॉल सजाए थे। रंग-बिरंगे कवरों और नई-नई पुस्तकों से सजे स्टॉल बच्चों और युवाओं को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे।

विशेष आकर्षण बच्चों और किशोरों की पसंदीदा पुस्तकों का कोना था, जहाँ सुधा मूर्ति, रसकिन बॉन्ड, अमिश त्रिपाठी और अनुपमा निरंजन जैसी नामचीन लेखकों की रचनाएँ रखी थीं। बच्चों को सबसे अधिक रोमांच तब हुआ जब वे अपने प्रिय लेखकों से आमने-सामने मिले। जिन बच्चों ने वहाँ से पुस्तकें खरीदीं, उन्हें अपने पसंदीदा लेखक के हस्ताक्षर भी मिले। उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी।

मेले का एक और मनमोहक दृश्य कवियों और लेखकों के कक्ष थे, जहाँ प्रतिदिन संध्या को कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। गुलज़ार, जावेद अख्तर, कुमार विश्वास और अनामिका जैसे कवियों ने अपनी कविताओं का सस्वर पाठ किया। श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गुंजायमान कर देते।

आज की डिजिटल पीढ़ी, जो प्रायः किंडल या ऑनलाइन किताबों पर निर्भर रहती है, जब वास्तविक किताबों को हाथ में लेकर उनके पन्ने पलट रही थी तो उनके चेहरे पर एक अलग ही उत्साह दिखाई दे रहा था। किताबों की खुशबू और छपाई की ताजगी उनके लिए नए अनुभव से कम नहीं थी।

मेले में साहित्यिक संवाद का भी विशेष आयोजन किया गया। विभिन्न समाचार चैनलों और पत्र-पत्रिकाओं ने लेखकों और कवियों के साक्षात्कार लिए। कहीं बच्चों को लेखकों की कहानियाँ उन्हीं की जुबानी सुनने का अवसर मिला तो कहीं चर्चा-परिचर्चा में उन्हें साहित्यिक दृष्टि और लेखन की गहराइयों को समझने का मौका।

शिवाजी पार्क का यह मेला न केवल साहित्य का उत्सव था बल्कि पुस्तकों और पाठकों के बीच सेतु का कार्य भी कर रहा था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने साहित्यिक वातावरण का आनंद लिया। आयोजकों ने यह सुनिश्चित किया कि हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ विशेष हो — बाल साहित्य, विज्ञान, इतिहास, कला, उपन्यास और कविता सब कुछ एक ही छत के नीचे उपलब्ध था।

समापन दिवस पर मुंबई पुस्तक मेला पुरस्कार भी प्रदान किए गए। सर्वश्रेष्ठ स्टॉल, सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक और उभरते युवा लेखक को सम्मानित किया गया। यह दृश्य देखकर लगा मानो साहित्य का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।

अंततः कहा जा सकता है कि शिवाजी पार्क में आयोजित मुंबई पुस्तक मेला न केवल पुस्तकों का मेला था, बल्कि यह साहित्य और समाज को जोड़ने वाला ऐसा मंच था जिसने पाठकों को नए अनुभव, नई प्रेरणा और साहित्य प्रेम को नई दिशा दी।

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