रविवार, 5 अक्टूबर 2025

अभ्यास 2: छात्र खोते जा रहे हैं धैर्य और सम्मान का महत्व (इंटरैक्टिव)

अभ्यास 2: छात्रों में धैर्य और सम्मान का महत्व - IGCSE Hindi Practice | IndiCoach

अभ्यास 2: प्रश्न 7-15

छात्र खोते जा रहे हैं धैर्य और सम्मान का महत्व आलेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

0/9 प्रश्न
A आज के युग में शिक्षा के क्षेत्र में एक चिंताजनकचिंता पैदा करने वाली समस्या उभरकर सामने आई है। आधुनिक छात्रों में धैर्यसब्र, संयम और सम्मान जैसे मूल्यों का ह्रासकमी, गिरावट देखने को मिल रहा है। तकनीकी विकास और इंटरनेट के युग में बच्चे तुरंत परिणाम चाहते हैं। जब स्मार्टफोन पर एक क्लिक से सब कुछ मिल जाता है, तो धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करना या मेहनत करना उन्हें कठिन लगता है। सोशल मीडिया की दुनिया ने उनकी सोच को प्रभावित किया है, जहाँ सफलता रातोंरात मिलती दिखाई देती है। इस कारण छात्र परिश्रम से बचना चाहते हैं और असफलता से निराश होकर जल्दी हार मान लेते हैं। धैर्य के अभाव में वे किसी भी काम को पूरा करने से पहले ही छोड़ देते हैं।
B सम्मान का अभाव भी आज की शिक्षा व्यवस्था में गंभीर चुनौती बन गया है। पहले के समय में छात्र अपने शिक्षकों, माता-पिता और बड़ों का सम्मान करना अपना कर्तव्य समझते थे। लेकिन आज की पीढ़ी में यह संस्कारअच्छी आदतें, मूल्य धीरे-धीरे लुप्तगायब, खत्म हो रहा है। कक्षा में अनुशासनहीनताअव्यवस्था, नियम न मानना, शिक्षकों से बहस करना, और अपमानजनक व्यवहार करना आम बात होती जा रही है। कुछ छात्र अपने माता-पिता की सलाह को भी नज़रअंदाज़अनदेखा करते हैं और उनसे अशिष्टता से पेश आते हैं। इसका मुख्य कारण पाश्चात्यपश्चिमी देशों की संस्कृति का अंधानुकरणबिना सोचे नकल करना और संयुक्त परिवारों का टूटना है। जब घर में बुज़ुर्गों की उपस्थिति नहीं होती, तो बच्चे संस्कार नहीं सीख पाते।
C इस समस्या के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है माता-पिता की व्यस्तता और बच्चों पर पर्याप्त ध्यान न दे पाना। आजकल दोनों माता-पिता काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों को समय नहीं दे पाते। बच्चे अधिकतर समय मोबाइल और कंप्यूटर के साथ बिताते हैं, जहाँ उन्हें हिंसा, अभद्रता और गलत मूल्यों वाली सामग्री देखने को मिलती है। विद्यालयों में भी चरित्र निर्माण पर कम ध्यान दिया जाता है। शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पूरा करने में लगे रहते हैं और नैतिकअच्छे-बुरे की शिक्षा के लिए समय नहीं निकाल पाते। प्रतिस्पर्धामुकाबला, होड़ के इस दौर में अंक प्राप्त करना ही सब कुछ बन गया है, जबकि संस्कार और मूल्य गौणकम महत्वपूर्ण हो गए हैं।
D इस समस्या के समाधान के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। सबसे पहले माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्णअच्छा, मूल्यवान समय बिताएँ और उन्हें संस्कार सिखाएँ। परिवार में खुली बातचीत और प्रेमपूर्ण वातावरण बनाना ज़रूरी है। विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम का अनिवार्यज़रूरी, आवश्यक हिस्सा बनाया जाना चाहिए। योग, ध्यान और खेलकूद जैसी गतिविधियों से बच्चों में धैर्य और अनुशासन विकसित होता है। शिक्षकों को भी प्रेरकप्रेरणा देने वाला बनकर छात्रों के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। यदि समय रहते इन मूल्यों को पुनर्जीवितफिर से जीवित नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ी के लिए यह गंभीर समस्या बन जाएगी। धैर्य और सम्मान जीवन की नींव हैं, और इन्हें बचाए रखना हम सभी का दायित्व है।

नीचे दिए गए प्रश्नों को पढ़िए तथा सही अनुच्छेद के सामने चेक लगाइए:

प्रश्न 7 [1]
संयुक्त परिवारों के टूटने से बच्चे संस्कार नहीं सीख पाते।
प्रश्न 8 [1]
विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।
प्रश्न 9 [1]
छात्र असफलता से जल्दी निराश हो जाते हैं और हार मान लेते हैं।
प्रश्न 10 [1]
शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पूरा करने में व्यस्त रहते हैं।
प्रश्न 11 [1]
आजकल छात्र कक्षा में अनुशासनहीनता का प्रदर्शन करते हैं।
प्रश्न 12 [1]
सोशल मीडिया ने छात्रों को तुरंत सफलता की अपेक्षा सिखाई है।
प्रश्न 13 [1]
योग और ध्यान से बच्चों में धैर्य विकसित होता है।
प्रश्न 14 [1]
माता-पिता की व्यस्तता के कारण बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
प्रश्न 15 [1]
पहले के समय में छात्र बड़ों का सम्मान करना अपना कर्तव्य समझते थे।

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