रविवार, 21 सितंबर 2025

उम्र नहीं, इरादे मायने रखते हैं - वसंथि चेरुवित्तिल

उम्र केवल संख्या है: वसंथि चेरुवीत्तिल का एवरेस्ट अभियान

साहसिक उड़ान: एवरेस्ट अभियान तक

वसंथि चेरुवीत्तिल एवरेस्ट बेस कैंप पर

"मैं एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए ट्रेनिंग ले रही हूँ।"

जब वसंथि चेरुवीत्तिलVasanthi Cheruvittil - A tailor from Kerala ने यह बात अपने दोस्तों से कही, तो उनकी हँसी उठी। बहुतों ने इसे मज़ाक समझा, पर वसंथि का हौसला कभी कम नहीं हुआ। 59 की उम्र में, बिना किसी पेशेवर प्रशिक्षणProfessional Training - Formal mountaineering courses के, केरल की इस साधारण दर्ज़ीTailor - Person who makes clothes ने दुनिया की सबसे ऊँची चोटियों में से एक, एवरेस्ट बेस कैंप (5,364 मीटर) तक पहुँचने का सपना साकार किया। उनकी कहानी सिर्फ साहस और मेहनत की नहीं, बल्कि यह दिखाती है कि उम्र और परंपरागत सीमाओं की बाधाएँ केवल मानसिक होती हैं।1

वसंथि चेरुवीत्तिल की तैयारी एक अनुशासनDiscipline - Self-control and dedication और समर्पण की मिसाल है। उन्होंने किसी ट्रेनिंग सेंटर या कोच की मदद नहीं ली। इसके बजाय, उन्होंने डिजिटल दुनिया का सहारा लिया। YouTube पर उपलब्ध ट्रेकिंगTrekking - Long distance walking on rough terrain और फिटनेस वीडियोज़ से उन्होंने अपने शरीर और मानसिक सहनशक्तिEndurance - Ability to withstand hardship को तैयार किया। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी भी सीखना शुरू किया, ताकि हिमालय की यात्रा में स्थानीय लोगों और मार्गदर्शकोंGuides - People who show the way के साथ सहज संवाद कर सकें।2

उनकी दिनचर्या बेहद सख़्त थी। हर सुबह तीन घंटे पैदल चलना और शाम को पाँच से छह किलोमीटर तक वॉक करना उनके शारीरिक प्रशिक्षण का हिस्सा था। चार महीनों की इस कड़ी मेहनत ने न केवल उनकी फिटनेस बल्कि मानसिक दृढ़ता को भी मजबूत किया। वसंथि के लिए हर दिन चुनौतीपूर्णChallenging - Difficult and demanding था, लेकिन उनकी दृष्टि हमेशा लक्ष्य पर केंद्रित रही।

यात्रा के दौरान वसंथि ने किसी पेशेवर गाइड का सहारा नहीं लिया। उनका मार्गदर्शन केवल एक पोर्टरPorter - Person who carries luggage द्वारा किया गया। बर्फ़ से ढके पर्वत, संकरी राहें, और हर कदम पर साँसों की कमी जैसी स्थितियाँ उन्हें हर पल चुनौती देती रहीं। फिर भी, उन्होंने डटकर कठिनाइयों का सामना किया। हर कदम उनके साहस और आत्म-विश्वास का प्रतीक बन गया।3

वसंथि ने अपनी इस यात्रा को आर्थिक रूप से भी स्वयं संभाला। अपने सिलाई के व्यवसाय से अर्जित पैसों से उन्होंने यह साहसिक यात्राAdventure Journey - Risky and exciting trip पूरी की। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने बेटों को यात्रा शुरू करने से पहले अपने ज़ेवर सौंपे — एक संकेत कि उनका परिवार और उनका भविष्य भी इस चुनौतीपूर्ण अभियान का हिस्सा था। यह निर्णय उनकी सूझ-बूझ और जिम्मेदारी का परिचायकIndicator - Sign or symbol of something था।

23 फरवरी 2024 को, वसंथि ने कसावु साड़ीKasavu Saree - Traditional Kerala white saree with gold border पहनकर और तिरंगा हाथ में थामकर एवरेस्ट बेस कैंप पर कदम रखा। यह पल केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं था; यह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा बन गया, जो अपने सपनों को उम्र, अनुभव या सामाजिक मान्यताओं की सीमाओं में बाँधकर सोचता है। यह पल इतिहास में दर्ज हो गया और वसंथि ने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और समर्पण से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है।

वसंथि की कहानी हमें कुछ महत्वपूर्ण पाठ भी देती है। सबसे पहले, उम्र केवल एक संख्या है। हमारी इच्छाशक्ति, धैर्य और निरंतर प्रयास ही वास्तविक सीमाओं को तय करते हैं। दूसरा, ज्ञान और प्रशिक्षण के पारंपरिक स्रोत ही पर्याप्त नहीं हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स और स्वयं-सिखाई गई क्षमताएँ भी बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हो सकती हैं। तीसरा, आर्थिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद, यदि हम दृढ़ निश्चय से अपने सपनों को अपनाएँ, तो सफलता संभव है।

वसंथि का अगला सपना चीन की दीवारGreat Wall of China - Ancient Chinese fortification पर चढ़ना है। यह दिखाता है कि एक बार जब हम मानसिक और शारीरिक तैयारी कर लेते हैं, तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं रहता। उनका यह दृष्टिकोण प्रेरणा देता है कि सीमाएँ केवल हमारे सोचने के तरीके में होती हैं, वास्तविकता में नहीं।

आज वसंथि चेरुवीत्तिल एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। उनकी यात्रा हमें याद दिलाती है कि जीवन में कभी भी बड़े सपनों को छोटा नहीं आंकना चाहिए। उम्र, अनुभव या सामाजिक सीमाएँ कभी भी हमारी आत्मा की उड़ान को रोक नहीं सकतीं। वसंथि ने यह साबित किया कि यदि हौसला और तैयारी साथ हों, तो कोई भी शिखर मुश्किल नहीं।

उनकी कहानी सिर्फ साहस और प्रेरणा की नहीं है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि आत्म-विश्वास, धैर्य और निरंतर प्रयास से जीवन में असंभव को संभव बनाया जा सकता है। वसंथि चेरुवीत्तिल हमें यह संदेश देती हैं: "उम्र नहीं, इरादे मायने रखते हैं।"

🎧 सुनें: इस लेख का ऑडियो संस्करण

तैयार है

संदर्भ

  1. "Kerala Woman, 59, Conquers Everest Base Camp Without Professional Training," The Times of India, 24 February 2024.
  2. Vasanthi Cheruvittil, Personal Interviews and YouTube Channel, 2023–2024.
  3. "Everest Base Camp Trekking Tips and Preparation," Himalayan Trekking Guide, 2023.

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