गांव से शहर की ओर जाते लोग और शहर की क्षितिज रेखा

आज के समय में गांव से शहर, शहर से महानगर और महानगर से विदेश की ओर पलायन सामान्य सामाजिक-आर्थिक यथार्थ बन चुका है। यह केवल जीविका की मजबूरी से नहीं, बल्कि आकांक्षाओं—उत्तम शिक्षा, बेहतर नौकरी, उन्नत स्वास्थ्य और सुरक्षा—की खोज से भी प्रेरित है। दबावकारी पुश कारकों में बेरोज़गारी, कृषि की अनिश्चितता, संसाधनों व सेवाओं का अभाव और पर्यावरणीय/आपदागत जोखिम शामिल हैं; वहीं आकर्षक पुल कारक बेहतर शिक्षा-संस्थान, रोज़गार-अवसर, आधुनिक जीवनशैली और अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण माने जाते हैं1

सबसे गंभीर रूप में यह प्रतिभा पलायन के रूप में उभरता है—जब कुशल विद्यार्थी/पेशेवर उच्च अध्ययन या करियर हेतु बाहर जाते और दीर्घकाल में वहीं बस जाते हैं। इससे मूल देश को मानव-पूंजी और निवेशित सामाजिक-आर्थिक संसाधनों की दोहरी हानि उठानी पड़ती है; अनुसंधान-नवाचार की गति सुस्त होती है और तकनीकी नेतृत्व सीमित हो जाता है2

Migration statistics and data visualization

परिवार-संरचना पर भी इसका गहरा प्रभाव दिखता है: संयुक्त परिवारों का विघटन, एकल परिवारों का प्रसार, और पीछे छूटते माता-पिता/वृद्धजनों की अकेलेपन व देखभाल-संकट की स्थितियाँ। कई समुदायों में महिलाओं पर कृषि व सामाजिक भूमिकाओं का बोझ बढ़ता है। दूसरी ओर, रेमिटेंस से कुछ परिवारों को आर्थिक सहारा और नए कौशल/अनुभव का प्रसार भी होता है—पर समग्र रूप से ग्रामीण समाज की जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक निरंतरता पर दबाव बढ़ता है3

प्रतिफल बहुआयामी हैं: सकारात्मक पक्ष में विदेशी धनप्रवाह, कौशल-आदान-प्रदान और नेटवर्क-लाभ आते हैं; नकारात्मक पक्ष में ग्रामीण पिछड़ापन, शहरी भीड़/अनौपचारिक बस्तियाँ, असमानता, और स्थानीय उद्योग-कृषि-हस्तशिल्प का क्षरण शामिल है। राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान-विकास और सार्वजनिक सेवाओं में उत्कृष्ट प्रतिभा की कमी विकास-मार्ग को धीमा करती है4

स्थायी निवारण के लिए 'रोक' से अधिक 'संतुलित विकास' की रणनीति प्रभावी है: (क) गांव-कस्बों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल कनेक्टिविटी और औद्योगिक/सेवा-आधारित रोज़गार-केंद्र विकसित करना; (ख) कुटीर-एग्री-टेक-प्रोसेसिंग क्लस्टर, उद्यम-इन्क्यूबेशन व रिमोट/हाइब्रिड कार्य-अवसर; (ग) प्रतिभा-वापसी/प्रतिभा-परिचालन नीतियाँ—प्रतिस्पर्धी शोध-अनुदान, स्टार्ट-अप/आरएंडडी प्रोत्साहन, त्वरित नियमन-समर्थन; (घ) परिवार-समर्थन ढाँचे—दिवसीय देखभाल/कम्युनिटी-हब, होम-केयर, और प्रवासी-परिवार परामर्श-नेटवर्क। इस समेकित दृष्टि से ही पलायन के लाभ संरक्षित रखते हुए उसकी सामाजिक-हानियाँ घटाई जा सकती हैं5

संदर्भ (फुटनोट):
1 Deshingkar, P. and Start, D. (2003) ODI.
2 Docquier, F. and Rapoport, H. (2012) JEL; Khadria, B. (1999) Sage.
3 Srivastava, R. and Sasikumar, S.K. (2003) ILO.
4 Stark, O. (1991) Blackwell.
5 मिश्रित नीतिगत/शैक्षिक साहित्य का तुलनात्मक संक्षेप।