बाल रंगमंच 🎭
"स्वास्थ्य का पहला क़दम है स्वच्छता!"

पात्र:
- गोलू: एक कम सफाई पसंद बच्चा।
- माँ: गोलू की ममतामयी माँ।
- डॉक्टरनी: एक अनुभवी और स्नेहिल डॉक्टर।
👩🏻माँ: (चिंता भरे स्वर में) अरे मेरे लाडले, क्या हो गया तुझे? सुबह तो तू 'उधम मचाना' था और अब ऐसे 'मुर्झाया फूल' जैसा पड़ा है।
👦🏻गोलू: (कमजोर आवाज में) माँ, मेरा पेट दुख रहा है... और जी भी मिचला रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे 'पेट में चूहे दौड़ रहे' हों और कुछ 'काट' रहे हों।
👩🏻माँ: (घबराकर) हाय राम! ये क्या हो गया अचानक? तूने कुछ उल्टा-सीधा तो नहीं खा लिया बाहर? आजकल के बच्चे भी न, 'बिना सिर पैर की' चीजें खाते रहते हैं।
👦🏻गोलू: नहीं माँ... मैंने तो बस वही खाया जो आप देती हो... और कल... कल मैंने चाट खाई थी... ठेले पर...
👩🏻माँ: (माथे पर शिकन डालते हुए) ठेले की चाट! मैंने तुझे कितनी बार मना किया है गोलू! बाहर की चीजें 'रोगों की जड़' होती हैं। चल, उठ। मैं तुझे डॉक्टरनी के पास ले चलती हूँ। 'जान है तो जहान है'।
(माँ गोलू को सहारा देकर उठाती है और दूसरे दृश्य में डॉक्टरनी के क्लीनिक में पहुँचते हैं। डॉक्टरनी स्नेह से गोलू से बात करती हैं।)
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: (मुस्कुराते हुए) नमस्ते गोलू बेटा! क्या हाल है तुम्हारे? सुना है, आज तुम थोड़ा 'ढीले' हो?
👦🏻गोलू: (धीरे से) जी डॉक्टरनी... मेरा पेट दुख रहा है और उल्टी जैसा मन हो रहा है।
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: (गोलू की जाँच करते हुए) हम्म... लगता है तुम्हारे पेट में कुछ गड़बड़ हो गई है। क्या तुम साफ-सफाई का ध्यान रखते हो बेटा? अपने हाथ धोते हो खाना खाने से पहले?
👦🏻गोलू: (नीचे देखते हुए) कभी-कभी भूल जाता हूँ डॉक्टरनी... खेलते-खेलते ध्यान नहीं रहता।
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: (प्यार से समझाते हुए) देखो गोलू, सफाई और स्वास्थ्य का आपस में बहुत गहरा नाता है। जैसे 'तेल और बाती' का होता है। अगर तुम अपने आसपास गंदगी रखोगे, तो उसमें कीटाणु पनपते हैं। ये छोटे-छोटे दुश्मन हमारी आँखों से दिखाई नहीं देते, लेकिन ये हमें बीमार कर सकते हैं।
👩🏻माँ: (चिंता से) हाँ डॉक्टरनी, मैं तो इसे रोज कहती हूँ कि अपना कमरा साफ रखा करो, कपड़े ठीक से रखो, लेकिन यह मेरी सुनता ही नहीं। इसके कमरे में तो हमेशा 'घोड़ों की दौड़' मची रहती है।
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: (गोलू की ओर देखकर) गोलू बेटा, क्या तुम चाहते हो कि ये कीटाणु तुम्हें परेशान करें? तुम्हें खेलने से रोकें? तुम्हें दर्द दें?
👦🏻गोलू: (ना में सिर हिलाते हुए) नहीं डॉक्टरनी... मुझे दर्द बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: तो फिर तुम्हें सफाई का ध्यान रखना होगा। अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना, रोज नहाना, अपने कपड़े और कमरे को साफ रखना - ये सब स्वस्थ रहने के 'मूल मंत्र' हैं। गंदगी तो बीमारियों को 'खुला निमंत्रण' देती है।
👦🏻गोलू: (आँखों में जिज्ञासा लिए) सच में डॉक्टरनी? अगर मैं सफाई रखूंगा तो मैं बीमार नहीं पडूंगा?
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: (सिर हिलाकर) हाँ बेटा! यह 'सौ टके की बात' है। सफाई रखोगे तो बीमारियाँ तुमसे 'कोसों दूर' भागेंगी। स्वस्थ रहोगे तो खूब खेलोगे, पढ़ोगे और मज़े करोगे। है ना?
👦🏻गोलू: (उत्साह से) हाँ डॉक्टरनी! अब मैं हमेशा सफाई रखूंगा। मैं अपना कमरा भी साफ करूंगा और खाना खाने से पहले हमेशा हाथ धोऊंगा। 'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत', अब मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।
माँ: (खुशी से) यह हुई न बात मेरे प्यारे बेटे की! मुझे विश्वास है, अब तू जरूर ध्यान रखेगा।
👩🏻⚕️डॉक्टरनी: बहुत अच्छे गोलू! याद रखना, 'पहला सुख निरोगी काया'। स्वस्थ रहने के लिए सफाई बहुत जरूरी है। यह सिर्फ तुम्हारे लिए ही नहीं, सबके लिए जरूरी है।
(डॉक्टरनी गोलू को कुछ दवाइयाँ देती हैं और उसे आराम करने की सलाह देती हैं। गोलू अपनी माँ के साथ घर लौटता है। अगले दृश्य में गोलू का कमरा पहले से बहुत साफ-सुथरा दिखता है। गोलू अपने खिलौनों को ठीक से रख रहा है।)
👩🏻माँ: (प्यार से देखती हुई) वाह मेरे बेटे! यह तो 'दिन दूनी रात चौगुनी' तरक्की कर रहा है! आज तो तेरा कमरा बिल्कुल 'चमक' रहा है।
गोलू: (मुस्कुराते हुए) हाँ माँ! डॉक्टरनी ने मुझे सफाई का महत्व समझाया। अब मैं समझ गया कि 'स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन' बसता है। अब मैं कभी गंदगी नहीं करूंगा।
👦🏻 गोलू: (मुस्कुराकर): अब मैं सफाई का ब्रांड एम्बेसडर बनूँगा! ...और सबको बताऊँगा – “गंदगी हटाओ, बीमारी भगाओ!”
(गोलू एक झाड़ू उठाकर कमरे के एक कोने में पड़ी धूल को साफ करने लगता है। माँ उसे प्यार से देखती हैं।)
📢 “स्वस्थ जीवन का असली मंत्र – स्वच्छता ही संकल्प!”
📚 शिक्षकगण, अभिभावक एवं रंगमंच-प्रेमियों से निवेदन है कि इस नाटक को पढ़ें - पढाएं और छात्रों से मंचित करवाएं तथा "स्वच्छ भारत अभियान" का संदेश हर जन-जन तक पहुँचाएँ।
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