मुख्य पात्र:
- अनन्या - एक संवेदनशील किशोरी, जो जीवन में रंग ढूँढ रही है।
- रंगीली - रंगों की जीवंत आत्मा, मस्तमौला और प्रेरणादायक परी है।
- रिया - अनन्या की चुलबुली सहेली, जो उसे हौसला देती है।
- माँ - अनन्या की माँ, प्यार करने वाली और प्रेरक।
दृश्य 1: अनन्या का कमरा (सुबह का समय)
(अनन्या बिस्तर पर बैठी है, अलसाई सी और उदास चेहरा, किताबें बिखरी हुई हैं। माँ दरवाजे पर खड़ी है।)
माँ: (प्यार से) अनन्या, मेरी गुड़िया, क्या हुआ? बेटा सुबह-सुबह इतनी बदरंग बनी क्यों बैठी हो?
अनन्या: (हल्की उदासी में) कुछ नहीं, माँ। आज का दिन बड़ा बोरिंग है... ऐसा लगता है जैसे सारी दुनिया पुराने जमाने की 'ब्लैक-एंड-व्हाइट' फिल्म सी हो गई है।
माँ: (मुस्कुराते हुए) अरे, तुझे दिन शुरू होते ही क्या हो गया है? चल बाहर देख सूरज सर पर चढ़ आया है! चल बाहर, तुझे कुछ रंग दिखाती हूँ।
अनन्या: (हल्के आलस्य में) रंग? मुझे तो बस यह खिड़की की ग्रे स्क्रीन ही अच्छी लग रही है। इसे देखे-देख मैं फिर सो जाउंगी।
(माँ प्यार से सिर सहलाकर चली जाती है। अनन्या खिड़की की ओर देखती है। अचानक रंगीन रोशनी चमकती है और रंगीली कूदकर मंच पर आती है।)
दृश्य 2: रंगीली का धमाकेदार आगमन
(रंगीली चटख रंगों के कपड़ों में है, हाथ में एक रंगीन छड़ी। वह गुनगुनाती है: "रंग दे, रंग दे, मेरा रंग दे बसंती..!")
रंगीली: (उत्साह से) अनन्या! मैं हूँ रंगीली, रंगों की रानी! सुना कि तुम्हारा मूड थोड़ा "बोरिंग" हो गया है?
अनन्या: (हैरानी से) तुम कौन हो? और ये रंगों की क्या बात है? मेरा तो सब फीका-फीका सा है।
रंगीली: (हँसते हुए) फीका? अरे, रंग तो तेरे आसपास नाचते रहते हैं! आओ चलो, मैं तुम्हें एक रंगीन सैर पर ले चलूं।
दर्शकों से: आप सब भी तैयार हो न? ज़रा बताओ, कौन-सा रंग पसंद है आपको?
दृश्य 3: रंगों की मस्ती भरी दुनिया
(पहला रंग - लाल: मंच पर सूर्योदय और ढोल की आवाज़।)
रंगीली: (नाचते हुए) ये है लाल रंग! प्रेम का रंग, जोश का रंग, उत्साह का रंग। अनन्या, तूने आखिरी बार कब कुछ मज़ेदार किया था?
अनन्या: (सोचते हुए) शायद... स्कूल के नृत्य में। जाने भी दे रंगीली! वो मज़ा... तो मैं कब का भूल गई हूँ।
रंगीली: (दर्शकों से) आप सब बताओ, लाल रंग आपको क्या याद दिलाता है? (हँसते हुए) चलो, एक बार के लिए सब मेरे साथ बोलो "लाल-लाल" चिल्लाओ!
(दर्शक चिल्लाते हैं। अनन्या हल्का मुस्कुराती है। मंच से सूर्य प्रकाश की रौशनी मंद होती जाती है।)
दृश्य 4: पेड़ों के संग, हरियाली का रंग
(दूसरा रंग - हरा: मंच पर पेड़, चिड़ियों की आवाज़।)
रंगीली: (शांति से) ये हरा रंग है। जब मन उदास हो, तो पेड़ों से गले मिलो। अनन्या, कभी किसी पेड़ को गले लगाकर उससे अपने मन की बात कही हो तुम?
अनन्या: (हल्की हँसी) नहीं... पर अब मन कर रहा है।
रंगीली: (दर्शकों से) तो चलो, सब मिलकर, आँखें बंद करके आज पेड़ को गले लगाकर अपने मन की बात कह डालते हैं। "क्या आप तैयार हो?" तैयार! (सब आँखें बंद करेंगे) एक-दो-तीन!
(दर्शक बोलते हैं एक-दो-तीन। अनन्या की मुस्कान बढ़ती है।)
दृश्य 5: नील गगन में उड़ती जाऊं
(तीसरा रंग - नीला: मंच पर आकाश और लहरों की आवाज़।)
रंगीली: (सपनीली आवाज़ में) और ये है - नीला रंग! सपनों का आसमान। अनन्या, तेरा कोई सपना है जो खो गया हो?
अनन्या: (भावुक) हाँ... मैं डांसर बनना चाहती थी।
रंगीली: (उत्साह से) तो उठ, नाच! (दर्शकों से) आप सब भी ताली बजाओ, इसका हौसला बढ़ाओ, हौसला दो अनन्या को!
(पार्श्व में संगीत की धुन, दर्शक ताली बजाते हैं। अनन्या हँस पड़ती है और उसके कदम थिरकने लगते हैं।)
दृश्य 6: दोस्ती और नई शुरुआत
(रंगीली गायब हो जाती है। अनन्या अब भी अपने कमरे अलसायी सी बैठी है। रिया दरवाजे पर आती है, हाथ में रंगीन गुब्बारे।)
रिया: (चहकते हुए) अनन्या! देख तो मैं तेरे लिए ये गुब्बारे लाई हूँ। चल बाहर चलें? बाकी के दोस्त भी तेरा इंतज़ार कर रहे हैं।
अनन्या: (खुशी से) हाँ, रिया! मुझे अब लगता है कि मेरा जीवन रंगों का मेला है।
रिया: (हँसते हुए) तो चल, मेले में मस्ती करें! (दर्शकों से) आप सब भी हमारे साथ चलोगे न? आओ चले।
(दोनों हाथ में हाथ डालकर बाहर निकलती हैं। मंच पर रंगीन कागज़ उड़ते हैं, हल्का संगीत बजता है।)
दृश्य 7: संदेश: रंगीन जीवन
(रंगीली मंच पर वापस आती है।)
रंगीली: (दर्शकों से) तो दोस्तों, समझे? हर रंग का अपना एक अलग मज़ा है, हर मजे की है अपनी एक कहानी। तो अब आप बताओ - आप अपने जीवन में कौन-सा रंग लाना चाहते हो?
(हाथ में माइक की तरह छड़ी पकड़ती है और दर्शकों की ओर बढ़ाती है।)
सभी एक साथ कहते हैं -
- हर रंग एक मस्ती है।
- हर मस्ती एक नई शुरुआत है।
- और हर शुरुआत... जीवन को बनाती है - रंगीन।
(समाप्ति)

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