मंगलवार, 14 जनवरी 2025

मकर संक्रांति पर्व: ज्ञान, संस्कृति और विज्ञान का संगम

संक्रांति पर्व से मंगल कार्यों का आरंभ
भारत में त्योहार सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं का आईना हैं। इनमें से एक है ‘मकर संक्रांति’, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि विज्ञान, प्रकृति और सामाजिक एकता का भी अद्भुत संगम है। ‘गीता’ में भी विदित है कि - “उत्तरायणं पुण्यकालः।” यह वाक्य भारतीय संस्कृति में सूर्य के उत्तरायण (अर्थात् 'सूर्य का रथ उत्तर दिशा की ओर बढ़ने) की स्थिति के बारे में संकेत है। भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्य जब मकर राशि में लौटता है, तब उसे "उत्तरायण" कहा जाता है, जो आमतौर पर 14 जनवरी को आता है। इसीलिए इस दिन को 'मकर संक्रांति' कहते है। 

उत्तरायण का समय भारतीय परंपराओं में एक अत्यधिक शुभ और पुण्यकारी काल माना जाता है। यह समय अपने कर्मों को सुधारने और अच्छे काम करने का है। ज्योतिषी के साथ ही यह एक भौगोलिक घटना भी है क्योंकि आज के दिन से सूर्य धरती के उत्तरी हिस्से की ओर बढ़ता है। इस खगोलीय घटना को हमारे पूर्वजों ने त्योहार का रूप देकर इसे यादगार बना दिया। यह दिन प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, जब हम अपने जीवन को नई शुरुआत देते हैं।क्या आप जानते हैं कि, मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ ही क्यों खाए जाते हैं? 

भारत में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। 

  • पंजाब में लोहड़ी: जहाँ आग जलाकर गाने-बजाने का आनंद लिया जाता है।
  • गुजरात में उत्तरायण: जहाँ पतंगबाजी का रोमांच चरम पर होता है।
  • असम में भोगाली बिहू: जो स्वादिष्ट व्यंजनों और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक है।
  • तमिलनाडु में पोंगल: जहाँ प्रकृति और पशुओं के प्रति आभार प्रकट किया जाता है।

यह विविधता हमारे देश की एकता और समृद्धि को दर्शाती है।

इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है! तिल सर्दी में शरीर को गर्म रखने में मदद करता है, और गुड़ सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ये दोनों चीजें मिठास और स्वास्थ्य का अनोखा मेल हैं। मराठी की कहावत - "तिल गुड़ घ्या, आणि गोड़ गोड़ बोला" जिसका हिंदी अनुवाद है: 'तिल-गुड़ खाइए और मीठा-मीठा बोलिए।'; उल्लास व उमंग के महापर्व मकर संक्रांति पर यह कहावत बिलकुल सही चरितार्थ होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश के साथ ही पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध पर उसकी किरणें सीधी पड़नी शुरू हो जाती हैं। अतः अब सर्द धीरे-धीरे कम होने के साथ दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस खगोलीय बदलाव का असर हमारे मौसम पर पड़ता है  दिन लंबे होने से अब कृषि के लिए किसानों के पास अधिक समय मिलेगा। किसान इस समय रबी की फसल काटते हैं और अपनी मेहनत का जश्न मनाते हैं।

मकर संक्रांति का संदेश है कि जैसे सूर्य अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन में ज्ञान और सकारात्मकता का प्रकाश फैलाना चाहिए। मकर संक्रांति हमें सिखाती है कि मेहनत का फल मीठा होता है और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखना कितना आवश्यक है। इस दिन हम अपनी परंपराओं को याद करते हैं, विज्ञान के चमत्कारों को समझते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प लेते हैं। इस मकर संक्रांति पर आप भी अपने आस-पास के लोगों के साथ खुशियाँ बाँटें और पतंगों की तरह ऊँचाइयों को छूने का सपना देखें।

आप सभी को 'इंडीकोच' को ओर से संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभ कामना! 





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त्योहारFestival , उत्सवCelebration , आस्थाFaith , प्रतीकSymbol , पंचांगHindu calendar , राशिZodiac sign , उत्तरायणUttarayan , भौगोलिक घटनाGeographical event , खगोलीय घटनाAstronomical event , प्रकाशLight , ऊर्जाEnergy , विविधताDiversity , सामाजिक एकताSocial unity , तिल और गुड़Sesame and jaggery , स्वास्थ्यHealth , उल्लासJoy उमंगExcitement , चमत्कारMiracle , सामंजस्यHarmony , संकल्पResolution

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