Who-Fi: आधुनिक युग की अदृश्य डोर
आज के डिजिटल युग में Who-Fi हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, व्यापार हो या फिर मनोरंजन, हर जगह इसका उपयोग देखा जा सकता है। इसकी मदद से हम कुछ ही क्षणों में ज्ञान, सूचना और संसाधनों तक पहुँच बना सकते हैं। इसने न केवल दूरियों को समाप्त किया है बल्कि संवाद की गति को भी कई गुना बढ़ा दिया है1।
शिक्षा के क्षेत्र में Who-Fi ने नई संभावनाओं को जन्म दिया है। ऑनलाइन कक्षाएँ, डिजिटल पुस्तकालय और वर्चुअल लेक्चर संभव हो पाए हैं। छात्र अब अपने घर बैठे विश्व के किसी भी कोने से ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। इसने शिक्षा को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया है। साथ ही, शिक्षक भी मल्टीमीडिया संसाधनों का उपयोग करके पढ़ाई को रोचक और जीवंत बना पा रहे हैं2।
लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। लगातार Who-Fi का प्रयोग करने से बच्चों और युवाओं में स्क्रीन-आसक्ति, आँखों की समस्याएँ और सामाजिक अलगाव की प्रवृत्ति बढ़ रही है। साइबर अपराध और डेटा चोरी जैसे खतरे भी इसके साथ जुड़े हुए हैं। इसने निजता और सुरक्षा को गंभीर चुनौती दी है3।
अंततः, Who-Fi आधुनिक युग की वह अदृश्य डोर है जिसने दुनिया को जोड़ दिया है। आवश्यकता इस बात की है कि इसका प्रयोग संयमित और जिम्मेदारी के साथ किया जाए। यदि हम इसे संतुलित ढंग से उपयोग करें तो यह हमारे जीवन को और भी सार्थक और समृद्ध बना सकता है4।
संदर्भ
- भारत सरकार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की रिपोर्ट, 2023।
- यूनेस्को, "डिजिटल लर्निंग एंड एजुकेशन", 2022।
- इंटरनेट सुरक्षा फाउंडेशन, वार्षिक साइबर रिपोर्ट, 2024।
- विश्व बैंक, "ग्लोबल कनेक्टिविटी इंडेक्स", 2023।
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