सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

🎙️ इंडीकोच संवाद - साक्षात्कार

इंडीकोच संवाद - डॉ. रूपा राव

🎙️ इंडीकोच संवाद

शिक्षा, मनोविज्ञान और नई पीढ़ी के प्रश्नों पर संवाद

इंडीकोच संवाद

🌟 आज के अतिथि

डॉ. रूपा राव - प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं बाल-मस्तिष्क विकास विशेषज्ञ

🎤
श्री अरविंद बारी
नमस्कार, आप सुन रहे हैं इंडीकोच संवाद — जहाँ हम शिक्षा, मनोविज्ञान और नई पीढ़ी के प्रश्नों पर संवाद करेंगे। मैं हूँ आपका मेज़बान — अरविंद बारी।

आज हमारे साथ हैं प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक, बाल-मस्तिष्क विकास पर शोध करने वाली विशेषज्ञ — डॉ. रूपा राव।
डॉक्टर साहिबा, आपका स्वागत है।
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
धन्यवाद अरविंद जी, और आपके सुबुद्ध श्रोताओं को भी नमस्कार।
🎤
अरविंद बारी
आजकल के बच्चों के बारे में लगातार सुनने को मिलता है कि वे "अधीर", "बहुत बोलने वाले", "आत्मकेंद्रित", यहाँ तक कि "संस्कारहीन" हो गए हैं। क्या यह सच है या मैं अतिशयोक्ति कर रहा हूँ?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
माफ़ कीजिए श्रीमान, बच्चों के संदर्भ में, शब्द तो आपके वाकई कठोर हैं, पर चिंता वास्तविक है। दरअसल, यह बच्चों की "बदतमीज़ी" नहीं — समय का विकासगत परिवर्तन है।

आज के बच्चे तकनीकी रूप से बहुत आगे हैं, प्रतिक्रियाएँ तेज़ देते हैं, पर उनके मस्तिष्क का वह हिस्सा, जो धैर्य, नियंत्रण और भावनात्मक संयम संभालता है — उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा।

तो तस्वीर यह है: तेज़ दिमाग — धीमा संयम।
🎤
अरविंद बारी
कई लोग ऐसे व्यवहार को ADHD या ODD जैसे विकारों से जोड़ देते हैं। क्या यह उचित है?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
हर अधैर्य ADHD नहीं, और हर विरोध ODD नहीं। यह याद रखना ज़रूरी है कि ये प्रारम्भिक संकेत हो सकते हैं — पर निर्णायक लेबल नहीं।

कभी-कभी यह केवल "असमय अपेक्षाओं का दबाव" होता है — बच्चे को अपनी गति से बढ़ने नहीं देना।

समस्या बच्चा नहीं — अपरिपक्व भावनात्मक प्रशिक्षण है।
🎤
अरविंद बारी
सब कहते हैं — "आजकल के बच्चे बहुत ओवर-स्मार्ट हैं।" इसके पीछे आप क्या देखती हैं?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
मैं अक्सर देखती हूँ कि जिसे लोग "ओवर-स्मार्ट" कहते हैं, वह वास्तव में असुरक्षा छुपाने का तरीका हो सकता है।

जब किसी बच्चे का आत्म-मूल्य उपलब्धियों से बाँध दिया जाता है — वह भूल जाता है कि उससे "सीखा जाना" अपेक्षित है, "जीतना" नहीं। तब वह ग़लत बोलकर भी सही दिखने की कोशिश करता है।

आत्मविश्वास के मुखौटे के पीछे अक्सर चिंता बैठी होती है।
🎤
अरविंद बारी
तो क्या इसके लिए माता-पिता ज़िम्मेदार हैं?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
केवल माता-पिता पर दोष डालना आसान है, पर पूरा सच नहीं।

प्रणाली, स्कूल, साथी-संस्कृति, गैजेट — सब मिलकर बच्चे का मस्तिष्क आकार देते हैं।

हाँ — एक बात निर्विवाद है:
बच्चे शब्दों से नहीं, घर के माहौल से सीखते हैं।

यदि घर में आलोचना, जल्दबाज़ी, असहिष्णुता सामान्य है — तो बच्चे वही प्रतिबिंब बन जाते हैं।

🔑 मुख्य बिंदु: सकारात्मक पालन-पोषण

  • बच्चे को सुना जाए, परखा नहीं
  • उसकी भावनाओं को नाम देना सिखाया जाए
  • शर्मिंदा नहीं करना — प्रशिक्षित करना
  • धैर्य सिखाने से पहले खुद धैर्यवान बनना
🎤
अरविंद बारी
सकारात्मक पालन-पोषण के लिए पहला ठोस कदम क्या होना चाहिए?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
दो बातें — सरल, लेकिन निर्णायक:

1. बच्चे को सुना जाए, परखा नहीं।

2. उसकी भावनाओं को नाम देना सिखाया जाए।

उदाहरण — "तुम गुस्से में हो इसलिए ज़ोर से बोले — ठीक है, पर अगली बार बात कहने का तरीका बदलेंगे।"

यहाँ आप बच्चे को शर्मिंदा नहीं करते — प्रशिक्षित करते हैं।
🎤
अरविंद बारी
सब कहते हैं — बच्चों को धैर्य सिखाओ। पर व्यावहारिक स्तर पर यह मुश्किल क्यों है?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
क्योंकि वयस्कों ने खुद धैर्य खो दिया है।

हम उसी गति पर जी रहे हैं जिसमें इंटरनेट जीता है — 0 सेकंड का इंतज़ार।

जिस वयस्क ने देर से बोलना, देर से सुनना और देर से निर्णय लेना छोड़ दिया — वह बच्चे को धैर्य कैसे सिखाएगा?
🎤
अरविंद बारी
एक शिक्षक के रूप में मैं यह बातचीत अपने विद्यार्थियों तक पहुँचाना चाहता हूँ। शिक्षण-प्रणाली के स्तर पर आपकी क्या अपेक्षा है?
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
विद्यालय केवल "अंकों" को नहीं, भावनात्मक साक्षरता (Emotional Literacy) को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएँ।

बच्चे को यह सिखाया जाए कि —
✓ ग़लती कर लेना अपराध नहीं
✓ भावना महसूस कर लेना कमजोरी नहीं
✓ किसी से विनम्र रहना आत्मसम्मान के विरुद्ध नहीं
🎤
अरविंद बारी
इस संवाद को समेटते हुए आप अगली पीढ़ी के लिए एक मुख्य वाक्य क्या छोड़ना चाहेंगी?
"बच्चों को नियंत्रित नहीं — संलग्न कीजिए।
वे आपसे आज्ञा से नहीं,
स्नेह और समझ से बदलते हैं।"

— डॉ. रूपा राव
🎤
अरविंद बारी
बहुत गहरा संदेश। डॉ. राव, इस सारगर्भित और संवेदनशील संवाद के लिए आपका हृदय से धन्यवाद।
👩‍⚕️
डॉ. रूपा राव
आभार — और मैं यही आशा करती हूँ कि हम अगली पीढ़ी को तेज़ नहीं, संतुलित बनाएँ।

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